‘‘किरदार महत्वपूर्ण होना चाहिए’’- आकांक्षा सिंह

author-image
By Shanti Swaroop Tripathi
New Update
‘‘किरदार महत्वपूर्ण होना चाहिए’’- आकांक्षा सिंह

जयपुर निवासी आकांक्षा  सिंह जब जयपुर में फिजियोथैरिपी का कोर्स कर रही थीं,तभी दूसरे साल की पढ़ाई के दौरान उन्हे टीवी सीरियल ‘‘ना बोले तुम न बोले हम’’ में 21 वर्ष की उम्र में दो बच्चों की मां व विधवा मेघा व्यास का किरदार निभाने का अवसर मिला था.उसके बाद वह दो तीन सीरियलों में नजर आयीं. काफी शोहरत मिली, पर हिंदी फिल्में नहीं मिली.फिर वह दक्षिण में तेलुगू भाषा की फिल्में करने लगीं. बीच में हिंदी फिल्म‘‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’में छोटे किरदार में नजर आयी थी.अब वह फिल्म ‘‘पहलवान’ को लेकर चर्चा में हैं, जो कि पांच भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम में 12 सितंबर को रिलीज होगी।

 फिजियोथेरेपी को छोड़ कर अभिनय में आने की क्या वजह रही?

- मैं फिजियोथेरेपी की पढ़ाई छोड़ कर अभिनय से नहीं जुड़ी.जब मैं फिजियोथैरिपी की दूसरे साल की पढ़ाई कर रही थी, तभी मुझे सीरियल ‘ना बोले तुम ना बोले हम’ में अभिनय करने का अवसर मिल गया था.मेरे कॉलेज के सहपाठियों ने जोर डाला कि इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए.सभी ने मुझसे कहाकि जाकर अपना सपना पूरा करो.मैंने इस सीरियल की शूटिंग के साथ ही अपनी पढ़ाई पूरी की.मैं परीक्षा देने के लिए हमेशा जयपुर जाती थी. मैंने अपनी परीक्षा दी.मैं यूनिवर्सिटी टॉपर रह चुकी हूं.ऐसा नहीं है कि मैंने अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ी है.मैंने पढ़ाई को हमेशा महत्व दिया. मुझे लगता है कि इंसान कुछ भी करें, मगर जिंदगी में उसके पास अच्छी शिक्षा का होना बहुत जरूरी है. अभिनय जैसे प्रोफेशन में हमेशा अनिष्चय की स्थिति बनी रहती है.यहां कल का कुछ भी पता नहीं होता. ऐसे में मुझे लगता है कि आपके हाथ में एक और हुनर तो होना ही चाहिए. अभिनय के क्षेत्र में नहीं है कि एक्टिंग में आने के बाद मैंने फिजियोथैरेपी की पढ़ाई पूरी की।

 अपने आठ साल के करियर को किस रूप में देख रही हैं?

- मैं यहां दिसंबर 2011 में आई थी.तो 8 साल पकड़ लीजिए.इन आठ वर्षों के अपने करियर को बहुत अच्छा पाती हूं. क्योंकि पहले सीरियल से  मुझे जो प्यार मिला, लोगों को लगा कि मैं एक अच्छी अभिनेत्री हूं.उनको लगा कि यदि मैं 21 साल की उम्र में उनको यह यकीन दिला सकती हूं कि मैं दो बच्चों की मां हूं, तो मेरे अंदर जबरदस्त अभिनय प्रतिभा है. क्योंकि 21 साल की उम्र की लड़की के लिए एक विधवा का किरदार निभाना बहुत मुश्किल काम होता है. पर मैं यही कहूंगी कि थिएटर ने उस चीज के लिए मेरी बहुत मदद की.मैंने हमेशा यही माना है कि आप जो भी करें, अगर आज आप अच्छे एक्टर हैं, तो हर किरदार आपको निभाने चाहिए।

‘‘किरदार महत्वपूर्ण होना चाहिए’’- आकांक्षा सिंह

 सीरियल से लोकप्रियता मिली, पर हिंदी फिल्में नही मिली.आपको दक्षिण में जाना पड़ा.ऐसा क्यों हुआ?

- ऐसा नहीं है. मुझे साउथ में जाना पड़ा, क्योंकि मुझे एक बेहतरीन फिल्म करने का अवसर मिला. वैसे भी मैं पहले ही कह चुकी हूं कि मैं योजना बनाकर काम नही करती. मेरे लिए बॉलीवुड, टॉलीवुड, हॉलीवुड, सैंडलवुड सब एक है. मेरे लिए पटकथा व किरदार मायने रखता है. मेरे लिए मेरी हर फिल्म महत्वपूर्ण होती है, फिर चाहे वह जिस भाषा की हो. मैं हर भाषा में काम करना चाहती हूं. मैं यहां काम करने, अपनी प्रतिभा को विकसित करने आयी हूं।

 आपने किस भाषा में खुद इसे डब किया है?

- केवल हिंदी में।

 आपने क्या सोचकर फिल्म ‘पहलवान’ करने के लिए हामी भरी?

- सबसे पहले मैंने ऑडीशन दिया. उसके बाद जब मैं निर्देशक एस कृष्णा से मिली, तो उन्होंने कहा कि यह हीरोईन वाला किरदार नहीं है.मगर परफॉर्मेंर्स वाला किरदार है. फिर जब मैंने स्क्रिप्ट सुनी ते मुझे लगा कि यह फिल्म करनी ही चाहिए. इस तरह की फिल्म और इस तरह का किरदार मैंने अब तक नहीं निभाया है. यह एक स्पोर्ट्स ड्रामा के साथ एक्शन वाली फिल्म है.पर इसमें ऐसा बहुत कुछ है,जो लोगों के दिलों को छुएगा. किरदार बहुत ज्यादा डिमांडिंग है. जब आप फिल्म देखेंगे तो आपको पता चलेगा. इसमें मेरे किरदार में दो तरह के शेड्स हैं. इंटरवल से पहले मेरा किरदार बहुत अलग है. लेकिन इंटरवल के बाद वह एकदम बदलता है. यानी कि इंटरवल के पहले और बाद वाले किरदार में कोई समानता नहीं है. सिर्फ देखने में ही नहीं, बल्कि इमोशंस में भी और परफॉर्मेंस में भी. इसे अभिनय से संवारना आसान नहीं था. एक कलाकार को एक ही फिल्म में ऐसा मौका मिलना दुर्लभ होता है. तो मैं इसे कैसे छोड़ देती. इस फिल्म की पूरी टीम में सिर्फ दो औरतें हैं, एक इसकी निर्माता और दूसरी मैं. तो मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है।

‘‘किरदार महत्वपूर्ण होना चाहिए’’- आकांक्षा सिंह

 अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगी?

- मैंने इसमें रुक्मिणी का किरदार निभाया है. जैसा मैंने पहले ही कहा कि इसमें दो शेड्स हैं. बहुत ही स्ट्रांग किरदार है. इसका जो ट्रांजैक्शन है, एकदम अलग है.इससे अधिक इस किरदार को लेकर कुछ भी बताना फिलहाल मेरे लिए संभव नहीं है।

 कुश्ती पर बहुत सारी फिल्में आ गई है. तो उनसे आपकी कितनी अलग है?

- इस तरह हॉकी पर भी बहुत सारी फिल्में आ चुकी हैं. बॉक्सिंग पर भी कई फिल्में बनी है. पर हर फिल्म की अपनी एक अलग यात्रा व इमोशंस होते हैं.इसलिए मैं यही कहूंगी कि कथा के स्तर पर ‘पहलवान’ जैसी फिल्म अब तक नहीं बनी।

 सुदीप के साथ काम करने के अनुभव क्या रहे ?

- बहुत अच्छा एक्सपीरियंस मिला है. मुझे नहीं पता था कि मैं इतने बड़े सुपरस्टार के साथ काम कर रही हूं. सेट पर मुझे सुदीप सर ने ही नहीं सुनील शेट्टी सर ने भी कभी यह एहसास होने नहीं दिया कि मैं दो सुपर स्टार्स के साथ काम कर रही हूं. इनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है. बहुत ही अमेजिंग व डेडीकेटेड एक्टर हैं. बहुत सारी चीजें सीखने को मिली।

 आप साउथ में काफी समय से हैं. तो आपको इस बात का तो अंदाजा होगा साउथ में सबसे कमजोर कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री है?

- मुझे नहीं पता. पर क्या ‘पहलवान’का ट्रेलर देखकर आपको ऐसा लगता है. मेरी नजर में कोई भी फिल्म इंडस्ट्री कमजोर नहीं है. मेरी तो यह पहली कन्नड़ फिल्म है. पर मेरा अनुभव कहता है कि ऐसा नहीं है.इसका कंटेंट अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है.मलयालम, तेलगू, तमिल व कन्नड़ कोई कमजोर नहीं हैं. इनकी फिल्मांं के ही रीमेक बनाए जा रहे हैं.बॉलीवुड एक्टर्स वहां जाकर काम कर रहे हैं. यह अपने आप में बहुत बड़ी बात है.कोई भी इंडस्ट्री छोटी नहीं है, जब तक वह अच्छा काम कर रही है.‘पहलवान’ के आधर पर मैं दावा करती हूं कि कन्नड़ फिल्म इडस्ट्री कमजोर नहीं है।

‘‘किरदार महत्वपूर्ण होना चाहिए’’- आकांक्षा सिंह

 आपको संगीत का भी शौक है.आपने खुद भी गाना लिखा व गाया है. यह शौक कहां से आया?

- मुझे लगता है यह भी मेरे खून में है. मेरी मम्मी अपने कॉलेज के समय में लिखती थी. उनको शेरो शायरी लिखने का बहुत शौक था. स्कूल में मेरे लिए कविताएं भी लिखती थी. मुझे भी बचपन से ही लिखने का शौक है. अगर अभी भी आप मुझे पेन व कागज के साथ कोई शब्द दे देंं, तो मैं उस पर चंद लाइन लिख कर दे दूंगी. मैं गाने, शायरी व कविताएं लिखती हूं. गाती हूं।

 फिल्मों में आगे क्या करने के लिए सोचा है? फिल्मों में गाने के लिए सोच रही हूं ?

- मैंने अपनी पहली तेलुगू फिल्म ‘मल्ली रा’ के लिए गाया था. वह गाना फिल्म में तो नहीं है,लेकिन हमने उसका स्क्रैच गाया है. यदि मुझे मौका मिला तो फिल्मों में भी गाना चाहती हूं।

 इसके अलावा कोई फिल्म कर रही हैं?

- मैंने पहले ही बताया कि मैं तमिल व तेलुगू दो भाषाओं वाली फिल्म ‘क्लैप’ कर रही हूं. यह भी स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है।

 हिंदी में कोई फिल्म?

- हां! हिंदी में बात चल रही है।

Latest Stories