- यश कुमार
ओटीटी के बाद अब ज़ी सिनेमा के उप्पर रश्मि राकेट का प्रीमियर होने जा रहा है इसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
मैं काफ़ी ज्यादा खुश हूँ रश्मि राकेट फिल्म के ज़ी सिनेमा पर प्रीमियर होने की वजह से। क्यूंकि मुझे लगता है की ज़ी सिनेमा वो चैनल है जो की इंडिया में हर कोई देखता है। ऑफिस से काम करके जब लोग घर आते है और बच्चे जब स्कूल से वापस घर जाते तो तो वो सबसे पहले टीवी का रिमोट हाथ में लेते हैं और फिल्म देखते हैं तो मैं बहुत खुश हूँ की मेरी फिल्म का ज़ी सिनेमा पर वर्ल्ड प्रीमियर हो रहा है और मैं उम्मीद करता हूँ की ये और ज्यादा लोगों तक पहुंचे।
तापसी पन्नू और प्रियांशु पैन्यूली के साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा था?
तापसी के बारे में मैं क्या कहूं वो तो आग है और काफ़ी ज्यादा जोशीली और समर्पित है अपने काम को लेकर और उनसे आप काफ़ी कुछ सीख सकते हैं। इतनी मेहनत मैंने बहुत कम लोगों को करते हुए देखा है, तो उनको देख के मैं अपने आप को भी मोटीवेट करता रहता हूँ क्यूंकि मैं बहुत आलसी हूँ, और रही बात प्रियांशु की तो वो भी दिल के बहुत अच्छे हैं और मेरी उनसे काफ़ी पुरानी दोस्ती है और वो बहुत ही ज्यादा सुलझा और मांझा हुआ कलाकार है और बहुत मज़ा आया ऐसे अच्छे कलाकारों के साथ काम करके।
रश्मि राकेट फिल्म में आपके लिए एक वकील का किरदार निभाना कितना मुश्किल था?
हाँ मैंने काफ़ी सारे रोले निभाए हैं अबतक लेकिन वकील का रोले एक ऐसा रोले है जो की सभी एक्टर निभाना चाहते है क्युकी ये एक काफ़ी नाटकीय किरदार है जब भी आप वकील का करदार निभा रहे हो और उसमे आपको लोगों को एंटरटेन करते रहना पड़ता है तो ये किरदार मेरे लिए काफ़ी मनोरंजक था। मुझे सभी लोगों के सामने अपनी एक्टिंग का प्रदर्शन दिखाना काफ़ी पसंद है और उस वक़्त भी फिल्म के सेट पर सब लोग थे कास्ट से लेके टीम के सदस्य तो मुझे वापस से अपने थिएटर के दिन याद आ गए थे जो की काफ़ी अच्छे थे और सभी लोगों को मेरा किरदार भी काफ़ी पसंद आया और मैं काफ़ी भाग्यशाली हूँ की मुझे ये किरदार मिला।
कोविद 19 की वजह से फिल्म को बनाने में किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा?
मुझे लगता है सबसे बड़ी दिक्कत यही थी की आप फिल्म के सेट पर लोगों को मुस्कुराता हुआ नहीं देख पा रहे थे क्यूंकि सभी लोगों ने मास्क पहना हुआ था तो अगर कोई मुस्कुरा भी रहा था तो पता नहीं जान पा रहे थे, जैसे हम पहले लोगों से हाथ मिलाते थे और गले लगते थे वो भी नहीं हो पा रहा था, सभी लोगों से एक दूरी बनी हुई थी भले ही हम साथ थे पर लोगों से दूरियां थी तो वो एक काफ़ी अलग एहसास था क्यूंकि एक कलकार के तौर पर शूटिंग की जगह काफ़ी फ्री स्पेस होता है।
फिल्म के ओटीटी रिलीज़ की न्यूज़ सुनके आपकी क्या प्रतिक्रिया थी?
मेरा कोई भी रिएक्शन नहीं था इस मामले के उप्पर क्यूंकि तबतक सिनेमा घर खुले नहीं थे और ऐसी कोई अनाउंसमेंट भी हुई नहीं थी तो मैं बहुत खुश था की फिल्म बनके तैयार है और लोग अब उसे देख पाएंगे और एक कलाकार को सिर्फ यही चाहिए। तो अगर फिल्म थिएटर में हो या ओटीटी पर हो या कहीं पर भी रिलीज़ हो अगर लोग उस फिल्म को देख रहे है वो मेरे लिए काफ़ी है और मैं काफ़ी खुश था की आख़िरकार ये फिल्म ओटीटी पर रिलीज़ हो रही है और अब मैं और ज्यादा खुश हूँ की ये फिल्म अब टीवी पर भी लोग देख पाएंगे क्यूंकि टीवी के ज़रिये फिल्म और भी ज्यादा लोगों तक पहुँच पाएगी। क्यूंकि मुझे लगता है की टीवी सबसे ज्यादा देखा जाता है भले ही हम लोग आज भी कहते है की ओटीटी आ गया है, लेकिन टीवी पर जब फिल्में चलती है तो लोग एक फिल्म बार-बार देखते हैं तभी वो आपको याद रखते हैं, कहानियों को याद रखते हैं, वैसे ही हमने भी बहुत सी फिल्में सिनेमा घरों में शायद ना देखि हो लेकिन जब टीवी पर आती थी तब हम उन फिल्मों को याद रखते थे तो हाँ मैं रश्मि राकेट के लिए काफ़ी उत्सुक हूँ।
अपने आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताइये ?
मेरी आने वाली फिल्मों में से 'भेड़िया' की घोषणा हो चुकी है और इसके आलावा 'आँख मेंचोली' करके एक फिल्म आ रही है जिसको उमेश शुक्ला जी ने डायरेक्ट किया है और इसके बाद 'डी ग्रेट वेडिंग ऑफ़ मुंन्नेस' जो की मेरा पहले रोमांटिक शो है और इसके आलावा एक और शो है जो की काफ़ी ज्यादा डार्क है, और एक तेलुगु फिल्म 'हाईवे' जो की रिलीज़ के लिए तैयार है और एक शार्ट फिल्म है जिसको स्कैम 1992 के राइटर सुमित पुरोहित ने लिखा है जिसका नाम है 'वकील बाबू' और उसमे भी मैं एक वकील बना हूँ पर वो काफ़ी अलग है जिसके लिए मैं काफ़ी उत्सुक हूँ।