मैं एक विलेन हूं, मुझे भी शर्म आती है- रंजीत

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By Sangya Singh
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मैं एक विलेन हूं, मुझे भी शर्म आती है- रंजीत

फिल्मों के मशहूर खलनायक रंजीत उर्फ गोपाल बेदी आज भी फिल्मों में काम जरूर कर रहे हैं, लेकिन इन फिल्मों में अभिनय से वो संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है कि आज की फिल्में दिल से कनेक्ट ही नहीं होती, केवल दिमाग से होकर गुजर जाती हैं। अबतक हिन्दी समेत कई भाषाओं की 500 से ज्यादा फिल्में में काम कर चुके रंजीत 70 और 80 के दशक में लोकप्रिय खलनायक थे। उन्होंने अमिताभ बच्चन अभिनीत ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’,‘लावारिस’ और ‘शराबी’ जैसी फिल्मों में चर्चित किरदार निभाए। जल्द ही रंजीत एक भोजपुरी फिल्म ‘हल्फा मचाके गईल’ में नजर आने वाले हैं। इस फिल्म के सिलसिले में उन्होंने मायापुरी से की एक खास बातचीत।

क्या ‘हल्फा मचाके गईल’ आपकी पहली भोजपुरी फिल्म है ?

इस फिल्म के अलावा मैंने एक और भोजपुरी फिल्म की है। भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव के साथ, जिसका नाम है आतंकवादी।

फिल्म हल्फा मचाके गईल में काम करके आपका कैसा अनुभव रहा...इस फिल्म में आपके अलावा भी कई बड़े स्टार्स जैसे रजा मुराद, प्रेम चोपड़ा भी हैं ?

- फिल्म, फिल्म होती है..वही कैमरा होता है, वही डायरेक्टर होता है, वही एक्टर होते हैं.. सिर्फ भाषा में अलग है, यहां भोजपुरी बोलनी पड़ती है, बस इतना ही फर्क है। बाकी सब वैसा ही है जैसा दूसरी फिल्मों में होता है। ये फिल्म मैं अपने दोस्त के लिए की है...एक नया लड़का इंडस्ट्री में कदम रख रहा है, मैंने उसको प्रमोट करने के लिए ये फिल्म की है। हमारा फर्ज बनता है कि हम नए आर्टिस्ट को सपोर्ट करें। कभी कभी कुछ काम अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी करना चाहिए।

 फिल्म ‘हल्फा मचाके गईल’ में आप कैसा किरदार निभा रहे हैं ?

इस फिल्म में न तो मैं कोई विलेन हूं और न ही कॉमेडियन। इसमें मैंने एक साधारण सा किरदार निभाया है। publive-image

आपके अबतक के पूरे फिल्मी करियर में कौन सी ऐसी फिल्म है जो आपके लिए यादगार फिल्म है, जो आपके लिए खास हो ?

- मैंने अबतक 400 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया है। अपनी पूरी लाइफ में मैंने केवल 10-15 फिल्में देखी हैं। मैं फिल्में देखता ही नहीं हूं। ऐसा नहीं है कि मुझे फिल्में देखना पसंद नहीं है। लेकिन मेरे साथ हमेशा ऐसा रहा है कि मुझे डायरेक्टर ने ओके बोल दिया, मेरा काम खत्म हो जाता है। ऐसा मैं सोचता हूं। मुझे लगता है कि इसमें देखना क्या है। हम जो काम करते हैं वो तो हमें पता ही है। अगर देखा जाए तो एक सीन वाली फिल्म भी स्पेशल होती है। ये जरूरी नहीं की आप किसी फिल्म में 2 घंटे काम करें तभी लोग आपको नोटिस करेंगे। फिल्म में आपका कंटेंट इतना होना चाहिए कि लोग आपको याद रखें। -हाइसफुल-2’ में मेरे रोल को लोग आज भी बेहद पसंद करते हैं।

आपकी आने वाली फिल्में कौन-कौन सी हैं ?

आने वाली फिल्मों में 5-6 फिल्में हैं। कुछ फ्लोर पर हैं, कुछ की शूटिंग खत्म हो गई है। फिल्मों के नाम इतने अजीब होते हैं कि आजकल की फिल्मों के नाम याद ही नहीं रहते। हाउसफुल-4 है, जिसकी शूटिंग के लिए जुलाई में मैं लंदन जा रहा हूं।

पहले से अब की फिल्मों में काफी कुछ बदल गया है, इसके बारे में आपका क्या कहना है?

पहले की फिल्मों में एक बाप होता था, एक मां होती थी, एक सौतेला भाई होता था, चाचा होता था, एक बिंदु होती थी। आज की फिल्मों में इस तरह के कोई किरदार होते ही नहीं हैं। ऐसे सभी किरदार अब गायब ही हो गए हैं। फिल्मों में न तो सौतेली मां और न वो मां का आंचल है। मां बेटे को लेकर गाने बनते थे। आजकल की फिल्मों को देखकर बेहद दुख होता है। कलाकारों को कुछ भी बोलने की आजादी है। स्क्रीन पर ऐक्टर्स मां-बहन की गालियां निकालते हैं। मैं ऐसी चीजों के बिल्कुल खिलाफ हूं और मना कर देता हूं। पहले के बड़े-बड़े ऐक्टर्स, डायरेक्टर्स दिलीप कुमार साहब, राज कपूर साहब ये लोग कभी गलत भाषा का प्रयोग नहीं करते थे। ऐसी फिल्में बन रही हैं जो हम अपने परिवार, मां-बाप और बहन-भाई के साथ देख ही नहीं सकते। आजकल कई ऐक्टर ऐसे हैं जो कितनी गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं फिल्म में, क्या इससे कोई फिल्म चलती है।

फिल्म ‘हल्फा मचाके गईल’ में राघव नय्यर पहली बार डेब्यू कर रहे हैं, उनके बारे में आपका क्या कहना है?

राघव की पर्सनैलिटी बहुत अच्छी है। एक हीरो के तौर पर देखा जाए तो उसकी कद काठी बहुत अच्छी है। हीरो बनने के लिए जो भी बेसिक क्वालिटीज होनी चाहिए वो सब उसमें है। काफी हार्डवर्किंग भी है। वो बहुत आगे जाएगा। publive-image

आपने कभी राजनीति में आने के बारे में नहीं सोचा ?

मुझे कई लोगों ने राजनीति में आने के लिए कहा। जब सुनील दत्त साहब थे तो उन्होंने मुझे कहा था कि एक कलाकार की जिम्मेदारी होती है कि वो अपने देश के लिए भी कुछ करे। उन्होंने कहा था कि इलेक्शन में खड़े हो जाओ, जीत जाओगे। लेकिन मेरा मन नहीं किया। आजकल लोगों के लिए राजनीति एक तरह से एक पार्ट टाइम जॉब है। मुझे लगता है कि अगर आप राजनीति में है तो आपको पूरी तरह से उसके लिए समय देना चाहिए। जब कोई आपको वोट देता है, तो यही सोचकर देता है आप उसकी समस्याओं को दूर करेंगे। अगर आप राजनीति में हैं तो आपका पूरा फोकस वहीं होना चाहिए। मैं ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता हूं, जिसके लिए लोग मुझ पर उंगली उठाएं। राजनीति के लिए हमारा फर्ज बनता है कि हम ईमानदारी से देश के लिए काम करें। आजकल लोग सिर्फ पैसों के लिए राजनीति में घुसते हैं, सिर्फ बयानबाजी करते हैं। मैं एक विलेन हूं लेकिन ये सब देखकर मुझे भी शर्म आती है।

उम्र और समय के साथ बहुस सारे बदलाव हुए हैं, तो अब आप किस तरह के किरदार करना ज्यादा पसंद करते हैं ?

मेरे लिए हर रोल एक जैसा है। मैं जो रोल्स फिल्मों में करता हूं, मैं रीयल लाइफ में वैसा नहीं हूं। मुझे जो भी रोल्स मिलते हैं, मैं सब करता हूं और लोग उसे पसंद करते हैं। आज भी अगर मुझे विलेन का रोल मिले और कोई रेप सीन करने को कहा जाए तो मैं जरूर करूंगा। अगर मैं नहीं करूंगा तो कोई और करेगा। मैं एक ऐक्टर हूं इसलिए मैं हर तरह के रोल करता हूं। मेरा काम ही ऐक्टिंग है। मेरे बच्चों को भी कभी ये गलत नहीं लगता कि मैं ऐसे रोल्स करता हूं।

आजकल के ऐक्टर्स पैसे कमाने लिए फिल्मों से ज्यादा विज्ञापन करने लगे हैं ?

- आजकल के स्टार्स पैसे कमाने के लिए एड में ज्यादा से ज्यादा समय देने लगे हैं। जिसकी वजह से वो इतने बिजी रहते हैं कि उनके पास समय ही नहीं होता। पहले स्टार्स एड करने से मना कर देते थे, पहले के ऐक्टर्स खुद को एक मॉडल की तरह समझते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं है, आज स्टार्स पैसे के लिए हर तरह के एड करने के लिए तैयार हो जाते हैं। आज अमिताभ, आमिर, सलमान सब एड कर रहे हैं। publive-image

कास्टिंग काउच को लेकर आपका क्या कहना है ?

ये सब बकवास है। फ्रस्टेटेड लोग जिन्हें काम आता नहीं है और आ जाते हैं हीरो, हीरोइन बनने, वो ही ये सब करते हैं। सबके लिए आसान नहीं है स्टार बनना। किसी के साथ भी जबरदस्ती नहीं की जा सकती। आजकल के प्रोड्यूसर्स भी डाउन मार्केट होते जा रहे हैं। ऐक्टिंग किसी के सिखाने से नहीं आती, वो एक आर्ट है जो आपके खुद के अंदर से आती है। पहले की ऐक्ट्रेसेस शर्माती थीं। आजकल खुलकर ऐक्ट्रेस बोलती हैं कि मेरे साथ ऐसा हुआ है। एक लड़की क्या कभी ऐसे बोल सकती है। आजकल की लड़कियों के लिए ये एक फैशन हो गया है। लड़कियां खुद ऐसे बिहेव करती हैं कि जैसे वो खुद कुछ भी करने के लिए तैयार हैं।

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