मुझे ‘दहेज’ की गंभीर समस्या पर एक अच्छी कहानी चाहिए- अक्षय कुमार By Lipika Varma 16 Jan 2018 | एडिट 16 Jan 2018 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर अक्षय कुमार किसी तारीफ के मोहताज नहीं है। उन्होंने अपने टैलेंट के बल बूते पर पिछले 27 साल से फिल्म इंडस्ट्री में अपना एक मुकाम बना लिया है। ताज्जुब नहीं फिर वह न केवल एक बेहतरीन निर्माता के रूप में और एक अच्छे कलाकर के रूप में सबके समक्ष पेश होते आये हैं। हिट और फ्लॉप सभी तरह की फिल्में करी। ‘खिलाड़ी’ के नाम से फेमस अक्षय कुमार ने रोमांस, सीरियस, एक्शन और कॉमेडी सभी तरह के रोल किए है। ‘पैडमैन’ के बाद उनकी नई फिल्म ‘केसरी’ का लुक आ चुका है। ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ जैसी फिल्म से उन्होंने समाज में महिलाओं की एक बड़ी समस्या को उजागर करने की कोशिश की है। फिल्म ‘पैडमैन’ की प्रमोशन के दौरान अक्षय कुमार के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश महिलायें और उनकी समस्या को इस फिल्म ‘पैडमैन’ में भी उजागर कर रहे हैं आप। पिछली फिल्म -टॉयलेट एक...में टॉयलेट की समस्या हाईलाइट की और इस में महिलाओं की माहवारी से जुड़ी समस्याओं का उल्लेख है। क्या कहना चाहेंगे आप ? यह बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण और शर्म की बात है, मुझे ये कहते हुए बहुत अफसोस होता है कि- हमारे देश में आज भी 84 महिलायें अपने पीरियड्ज के दिन में सैनिटेरी पैड्ज इस्तेमाल नहीं कर पाती है क्योंकि या तो उनके पास साधन नहीं है या वे उसे खरीदने में असमर्थ रहती है। हम जानते हैं यह महिलाओं की बुनियादी जरूरत है जिसे पूरा करने में असमर्थ है। मैं तो चाहता हूँ कि सैनेटरी पैड्ज पर कोई भी टैक्स या जीएसटी ना लगाया जाए बल्कि उसे फ्री में दिया जाए। हमें आज सिर्फ लड़कियों को ही नहीं बल्कि लड़कों को भी इस बात की शिक्षा देनी चाहिए। घर में पेरेंट्स अपने बच्चों से खुल कर इन विषय पर बात करे स्कूल में भी स्पेशल क्लासेज हो क्योंकि कहते हैं कि ना-वही देश तरक्की करता है जिस देश की महिलाएं सशक्त हो। अपनी महिलाओं को सबसे पहले स्ट्रांग करना होगा। बतौर अभिनेता फिल्मों द्वारा इस विषय को बेहतरीन तरह से पेश किया जा सकता है - आप ऐसा मानते हैं ? बिल्कुल ,मैं एक एक्टर हूँ और उसी माध्यम से अपनी बात लोगों तक पहुँचा सकता हूँ तो मेरी कोशिश ये है कि मैं सामाजिक विषयों पर फिल्म बनाऊँ खास कर महिलाओं को लेकर। मनोरंजन के साथ ही कोई संदेश हो जो लोगों में जागरूकता लाए। टॉयलेट एक प्रेम कथा को जिस तरह का रिस्पॉन्स मिला उससे मुझे और प्रेरणा मिली और ‘पैडमैन’ फिल्म बनी। मुझे उम्मीद है कि ये फिल्म भी दर्शक जरूर पसंद करेंगे। फिल्म के माध्यम से काफी इम्पैक्ट पड़ता है। आपकी फिल्में हमेशा कुछ सोशल मैसेज दे जाती है। क्या कहना चाहेंगे ? अगली फिल्म कौन सा सोशल मैसेज देगी ? मेरा हमेशा से सोशल सब्जेक्ट्स पर फिल्म बनाने का मन था किंतु उस वक्त मेरे पास पैसे नहीं थे। अभी, ‘पैडमैन’ के बाद मैं किस मुद्दे पर फिल्म बनाऊँगा ये तो सोचा नहीं है। पर आज सुबह ही एक नया आइडिया मिल गया, अब इस विषय पर मैं एक अच्छी कहानी की तलाश करूंगा, जैसे ही कहानी मिल जाएगी फिल्म बना दूंगा। नया विषय है दहेज प्रथा की समस्या का। आज सुबह ही मैं अपनी एक महिला फैन से मिला। उस महिला फैन ने मुझसे एक सवाल किया कि मैं अगली फिल्म किस सामाजिक समस्या पर करने वाला हूं। मैंने उससे कहा-आप बताइए? क्या आपके पास कोई आईडिया है जिस पर मुझे फिल्म बनानी चाहिए ? जवाब में उसने कहा कि आप अगली फिल्म दहेज प्रथा की समस्या पर बनाइए। ‘‘उस लड़की की बात सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया, मेरे दिमाग में कई तरह के सवाल कौंध गए, मैं उससे पूछना चाहता था कि क्या वह दहेज की समस्या से पीड़ित हुई है, लेकिन उस मौके पर मेरा उससे सवाल करना ठीक नहीं था, इसलिए मैंने उसे आश्वासन दिया कि जरूर मैं दहेज की समस्या पर फिल्म बनाकर लोगों को जागरूक करने की कोशिश करूंगा।’’ आपके पास दहेज प्रथा पर कहानी तैयार है क्या ? जी नहीं अब मैं आप सभी के माध्यम से यह कहना चाहता हूं कि मुझे ‘दहेज’ की गंभीर समस्या पर एक अच्छी कहानी चाहिए, यदि किसी के पास कोई कहानी हो तो मुझसे संपर्क करे। आपका पिछला वर्ष कैसा रहा (2017) और -2018 से क्या अपेक्षा है आपको ? 2017 मेरा साल बहुत अच्छा गया सभी फिल्में अच्छी गई मैं साल में 4 फिल्में कर रहा हूँ उसके बाद जो समय बचता है उस समय, विज्ञापन कर लेता हूँ कभी कभी कही जा कर फीता भी काट देता हूँ तो बस साल बीत जाता है। 2018 के लिए अभी तक तो कुछ खास नहीं सोचा है। हाँ अपनी नई फिल्म के लिए तलवार बाजी स्वॉर्ड फाइटिंग सीख रहा हूँ। बदलाव लाना अनिवार्य होता है। आप इस पर अपना मत पेश करें ? किसी भी चीज में बदलाव लाने के लिए हमें अपनी स्वयं की सोच बदलनी होगी हमें खुद से वो बात करनी होगी जो हम पहले नहीं कर पाते हो। मैं अपने बच्चों को भी यही सीखाता हूँ कि तुम्हें समय से स्कूल जाना है तो तुम खुद उस के लिए पहले से तैयारी करो। हम एक दिन दो दिन जबरदस्ती तुम्हें टाइम से स्कूल भेज देंगे, लेकिन उसके बाद क्या ? तो इंसान को अपने आप को बदलना होगा। अगर सफाई भी करनी है तो हमें खुद करनी चाहिए। जहाँ जहाँ मौका मिले आप अपना काम खुद करो सिर्फ सरकार को दोष देने से कुछ नहीं होगा मैं खुद कई बार सफाई करता हूँ। कम से कम एक ट्रक मँगा कर जो कचरा ले जाता है, हम वह सफाई स्वयं अपने हाथों से कर सकते हैं। हिट फ्लॉप का कोई फार्मूला है क्या आपके पास ? फिल्म हिट होना या फ्लॉप होने में कोई फार्मूला काम नहीं करता है. इस इंडस्ट्री में सभी बहुत अच्छा कर रहे है ,मेरी कोशिश रहती है कि मैं हर बार कुछ नया करूँ। लोग कहते हैं कि अब मैं फिट हूँ तो मेरी फिल्म हिट हो गई, लेकिन जब मेरी सत्रह फिल्में फ्लॉप हुई तब भी तो मैं फिट था, तब भी क्रिकेट खेला करता था अपने आपको तंदुरुस्त रखने हेतु। यहाँ सक्सेस के लिए कोई फार्मूला नहीं है। मैं यहाँ बस अपना कम कर रहा हूँ। जिस दिन मुझे लगा कि मेरी गति काम हो गयी है तो मैं काम करना बंद कर दूँगा। #akshay kumar #interview #Padman हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article