निर्माता-निर्देशक यश चोपड़ा अपने-आप में एक मिसाल रहे हैं, प्यार से कभी मुंह नहीं मोड़ा उन्होंने, एक पल के लिए भी वो इस शब्द को अपने व्यक्तित्व से मानो अलग नहीं करना. चाहते हैं, तभी तो 25 सालों से वो सिर्फ एक ही विषय ‘प्यार’ पर फिल्में बनाते आ रहे हैं, उनका कहना रहा है, क्योंकि इस वक्त भी दुनिया में, कहीं पर, कोई किसी से ये कह रहा होगा... ‘आई लव यू’, ‘मायापुरी’ के लिए जब मैंने उनसे बातचीत की तो उन्होंने मुझे अपने जुहू के बंगले पर पूरा-पूरा समय दिया , हर दम अपने होठों पर मुस्कान सजाये रखना भला हर इंसान के बस में कहां?
क्या कभी दिल को ठेस पहुंची है, यश चोपड़ा के ? मैंने अपना पहला सवाल किया और यश
जी बोले,
यदि कभी ऐसा हुआ है, तो वो बात मैंने अपने तक ही सीमित रखी है, अपना गम मैंने अपने तक ही रखा! उस गम की चर्चा करता फिरूं, ये बात मेरे बस में नहीं!
इन 27 सालों में आपने स्टारों के बर्ताव में क्या कोई तबदीली देखी?
स्टार जैसे ही कामयाब हो जाते हैं वो अपने आपको बहुत “पावरफुल” समझने लगते हैं, बेहद पांवरफुल, वो समझते हैं शायद वो किसी का खून, करके भी बच निकल सकते हैं, ‘टॉप’ पर रहकर यदि वो अच्छी तरह बर्ताव करें तो उनकी प्रोफेशनल और पर्सनल लाईफ दोनों सही रह सकती हैं, वो खुश रह सकते हैं लेकिन नहीं उन्हें ये बात मंजूर नहीं! 6 साल पहले मैं शर्मिला टैगोर के साथ प्लेन में सफर कर रहा था, पता नहीं किस ‘मूड़’ में थी वो, मेरी तरफ देखकर बोली, मैंने आपको बहुत परेशान किया, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिये था। उनकी इस बात पर मुझे थोड़ा सा ताज्जुब हुआ लेकिन मैंने भी हंसकर कहा अरे....अब बोल रही हो, पहले नहीं सोचा तुमने
स्टार इस तरह से क्यों बर्ताव करते हैं?
हो सकता है वो ये सोचते हैं कि यदि वो ऐसा नहीं करेगें तो वो स्टार नहीं कहलायेंगे, स्टारों को ये सोचना चाहिये कि फिल्म-मेकिंग बहुत ‘कोस्टली-अफेयर’ है, उनके इस तरह से पेश आने से लाखों रूपयों का नुकसान होता है, स्टारों को एक आम इंसान की तरह पेश आना चाहिये। युनिट में और भी तो लोग होते हैं उनकी तरह स्टार क्यों नहीं पेश आते ?
आपको खुद को किस तरह की प्रॉब्लम्स का सामना करना पड़ा-स्टारों की वजह से?
डेट्स की प्रॉब्लम्स, उनका लेट आना, उनके खराब मूड... अभिनय कोई क्लेरिकल जॉब नहीं है, एक्टिंग कोई कैलकुलेटर से निकालकर नहीं लाना हैं! एक्टिंग दिल से निकलकर आनी चाहिये! आज के स्टार बहुत प्रॉफेशनल हैं, वो बहुत ‘एन्थुसियस्टिक’ हैं शाहरूख खान के साथ काम करने का अपना एक अलग मजा है, आउटडोर-शूटिंग पर अपने कलाकार के करीब आने का अच्छा मौका मिलता है, आर्टिस्ट की सुबह की चाय से लेकर, रात के डिनर तक उसके साथ रहने का मौका मिलता है, उसकी अच्छी बुरी क्वालिटीज का पता चलता है!
स्विटजरलैंड में ‘डर’ की शूटिंग के दौरान शाहरूख खान के कंधे पर चोट लग गई। हम सबको लगा कि शायद ऑपरेशन की नौबत आ जायेगी और 2-3 हफ्तों’ के लिए छुट्टी हो जायेगी, लेकिन शाहरूख ने कहा कि वो दो-या तीन दिन लेगा आराम के लिए,
मैं तब तक सन्नी और जूही चावला की शूटिंग कर लूं दो दिन के बाद शाहरूख खान ने खुद आकर कैमरा फेस किया, उसे बुलवाने की जरूरत नहीं पड़ी, इसी तरह श्रीदेवी ने आउट ऑफ द वे ‘लम्हें’ की शूटिंग पूरी की! हम चेस्टर में थे, जब उसे ये खबर मिली कि उसके पिता चल बसे, उसने 16 दिन की छुट्टी ली, अपने घर जाकर रस्म अदा की, फिर सत्रहवें दिन वो ‘चेस्टर’ लौट आयी।
अपने बेटे आदित्य के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?”
मेरा बेटा आदित्य बहुत अच्छा, बहुत. काबिल बेटा है, भगवान ऐसा बेटा सबको दे, वो बहुत “क्लियर कट व्यक्ति है। ‘दिलवाले दुल्हनियां... की कामयाबी देखकर ऐसा लगता है-जैसे सारी उम्र की मेहनत फल लायी है... मुझे खुशी है कि यशराज फिल्म्स सेफ हाथों में है, सुरक्षित हाथों में है, मेरा आदित्य बहुत काबिल इंसान है...!