सवाल - बॉलीवुड की आइकॉनिक फिल्म गदर 2 और इतने सालों बाद गदर 2 के साथ लौटें हैं.
जवाब - बहुत बहुत धन्यवाद आज जैसे आप सबने गदर 2 को एडवांस में रिस्पांस दिया है और लोग कह रहे हैं कि रिस्पॉस तोड़ दिया है एडवांस रिस्पॉस ने, तो ये फिल्म आप लोगों ने ही बनाई है, आपने ही रिकॉर्ड तोड़े हैं तो बस गदर आपके दिल का इमोशन है मैं जानता हूँ. आप लोग जितना एडवांस में प्यार दे रहे हैं उतना ही प्यार रिलीज़ के बाद भी दें.
सवाल - सर मैं 2001 में जाना चाहूंगी जहाँ दिन में 8 - 8 शो थिएटर में लगते थे.
जवाब - लोग वहीं थिएटर के बाहर खाना खा रहें हैं फिर उसके बाद 3-6 का शो देखते थे फिर 6-9 वाले शो में घुस जाते थे, ऐसा हुआ तह उस टाइम पर की लोग एक के बाद एक शो देखते थे. मुझे वैसा ही कुछ अब भी दिखाई दे रहा है.
सवाल - आपने सोचा था आप वापिस लौटेंगे कुछ ऐसे ही स्क्रिप्ट के साथ, कुछ कहानी बताए इसके बारे में ?
जवाब - मेरी गदर 2 बनाने कि हमेशा से ख्वाइश थी और पूरी पब्लिक डिमांड भी थी , फिर मैं भी चाहता था, ज़ी भी चाहता था लेकिन कहानी नहीं मिल रही थी, और 100 से ज़्यादा कहानी आई, समझ नहीं आ रहा था कि तारा पाकिस्तान क्यों जाएगा और बिना पाकिस्तान जाए कहानी बन नहीं सकती, ऐसे ही फिर सोचा की जीते बड़ा हो गया. हमने सोचा कि फिर ये जीते की कहानी हो सकती है, फिर बाप- बेटे की कहानी आई बस फिर कथा बन गई.
सवाल - आप इतने अच्छे डायरेक्टर हैं तो इस फिल्म को डायरेक्ट 'करते टाइम कैसा अनुभव रहा आपका ?
जवाब - बहुत अच्छा अनुभव था कि सब कलाकार अपने थे, सनी सर से बहुत अच्छे सबंध हैं और उत्कर्ष मेरा बेटा ही है और कहानी ही बाप - बेटे की थी तो जितना दोनों पर खेल सकते थे, हमने खेला। हमारे कैमरा मेन तक पुराने थे, राइटर पुराने थे और बहुत लोग पुराने थे तो डायरेक्शन के टाइम बहुत कम्फर्टेबले रहा. देखो चला तो मैं अकेला था पर लोग जुड़ते गए और कामयाबी हासिल होती गई.
सवाल - गदर 2 कैसे एंटरटेन करने वाली है ये फिल्म?
जवाब - गदर 2 क्या है ना जैसे 20-20 मैच होता है ना, गदर 1 को अगर मैं कहूं तो वो एक क्लासिकल टेस्ट मैच है और ये जो है क्लासिकल वर्ल्ड कप है. बहुत आनंद आने वाला है.
सवाल - सर उस दौर की बात करें जब आपने गदर बनाई थी, और भी फिल्म आई लेकिन जिस तरीके से पहले फिल्मे बनती थी लेकिन अब वो बात नहीं रही जो पहले की फिल्मो में होती थी
जवाब - उसका रीज़न ये है कि कहीं ना कहीं हमारी सोच एक जगह तक सिमित रह गई है , जबकि हमारी फिल्म भारत के हर कोने तक जानी चाहिए। जो नए लोग आ रहें है बहुत ही टैलेंटेड है लेकिन उनकी प्रॉब्लम ये है कि उन्होंने दुनिया देखी नहीं है. उन्होंने विदेश देखा है और मुंबई देखा है और उतने में रह कर ही फिल्म बना रहें हैं, तो इसलिए ही हम उतना कनेक्ट नहीं कर पाते।
सवाल - आपकी कोई रीसेंट पसंदीदा फिल्म जिसने आपको इम्प्रेस कर दिया हो.
जवाब - मुझे बाहुबली बहुत अच्छी लगी, मुझे पुष्पा बहुत अच्छी लगी तो ये सब फिल्म है जो मुझे अच्छी लगी.
सवाल - आज कल बॉलीवुड से ज़्यादा लोग साउथ की तरफ बहुत जा रहे हैं
जवाब - इसलिए क्योंकि साउथ भारत की मिट्टी की फिल्म बना रहा है जो कि यहाँ बनती थी. साउथ के अंदर वहीं भारत की मिट्टी है पूरी, अब यहाँ भारत की मिट्टी नहीं है, वो गहराइयाँ नहीं रहीं अब.
सवाल - सर अब आपको नर्वस्नेस या या एक्ससाइटमेंट है फिल्म को ले कर?
जवाब - मैं बहुत एक्साइटेड रहता हूँ क्योंकि एक ख्वाब है दुनिया बहुत प्यार देगी, रिस्पॉस देगी और जिस तरीके से मुझे एडवांस में ही रिस्पॉस मिला है, कल मैंने बुक माय शो खोला तो दिल्ली में सोमवार तक फुल था और मैं झटका खा कर गिर गया कि ये तो पहले के ज़माने में हुआ करता था. ये देख कर तो नींद ही नहीं आ रही है क्योंकि ये एक चीज़ है जो पब्लिक का ख्वाब है, गदर 2 एक ख्वाब है जो पब्लिक ने देखा है और उससे मैं पूरा कर रहा हूँ, अब मैं इस परीक्षा में सही से उतरना चाहता हूँ कि पब्लिक जो चाहती है मैं उसे पेश कर दूँ फिर मैं रिलेक्स हो जाऊंगा।
सवाल - इस फिल्म ने जो 2001 में रिकार्ड्स बनाए तो क्या ये फिल्म गदर 2 बॉलीवुड को दुबारा वही ले आएगी जहाँ बॉलीवुड पहले था?
जवाब - हाँ बिल्कुल लोग फिल्म देखेंगे तो उनको वही दौर याद आएगा। मैं तो बॉलीवुड बोलता ही नहीं मैं हिंदी फिल्म इंडस्ट्री बोलता हूँ, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री है वो दुबारे से वापिस आनी चाहिए हो सकता है की गदर 2 से ही वापिस आ जाए
सवाल - जब आपने अपने बेटे उत्कर्ष को जीते के रोल में देखा तो आपको क्या लगा?
जवाब - बचपन में उसने दिखा ही दिया था अपना रंग, जब सनी सर के साथ काम करता था गदर में, उसने फिर आगे भी अच्छा करा. पब्लिक ने उत्कर्ष को पसंद किया है.
सवाल - आपका मायापुरी से पुराना नाता है, कुछ यादें मायापुरी के साथ?
जवाब - मेरी मायापुरी से बहुत सी यादें जड़ी हैं, बजाज साहब के साथ और उनके पिता जी के साथ हज़ारो यादें हैं, जोहर साहब जब यहाँ लिखा करते थे तबसे यादें जुड़ी हुई हैं. मायापुरी मेरे घर का अखबार है, मेरे घर की पत्रकार है और आज से नहीं मेरा 40 साल से सम्बन्ध है, जबसे जुड़ी मैं मथुरा में था जब ये शुरू हुई थी. मायापुरी पढ़ कर ही मुंबई आया मैं इसलिए मायापुरी को मैं बहुत प्यार करता हूँ.