‘‘लोग मुझे ‘भजन सम्राट’कहते हैं, मगर अभिनेता के तौर पर मेरी कोई ईमेज नहीं..’’ अनूप जलोटा By Mayapuri Desk 10 Apr 2021 | एडिट 10 Apr 2021 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनूप जलोटा महज विश्व प्रसिद्ध भजन गायक यानी कि भजन सम्राट ही नहीं है. वह अच्छे गायक, संगीतकार, अभिनेता व निर्माता भी हैं. अब वह बतौर फिल्म निर्देशक भी अपनी नई पारी में फिल्म ‘‘सत्य साई बाबा 2’’ से शुरू करने जा रहे हैं. बतौर गायक व संगीतकार वह आए दिन नई नई प्रतिभाओं को प्रमोट करते हुए या उन्हें अपने साथ किसी भजन या गीत को गाने का अवसर देकर आगे बढ़ाते रहते हैं. कोरोना काल में भी अनूप जलोटा सर्वाधिक सक्रिय रहे. जनवरी 2021 में उन्होंने रैप साॅंग गायक वेदांत नागपाल को प्रमोट किया, तो वहीं अब 20 मार्च 2021 को बाजार में आए भजन एलबम ‘‘तुलसी की रामायण बोले’’ में गायिका अनीता ंखंडेलवाल को अपने साथ भजन गाने तथा उनकी बेटी अपूर्वा खंडेलवाल को इसी भजन के वीडियो में माॅडलिंग/अभिनय करने का अवसर प्रदान किया।- शांतिस्वरूप त्रिपाठी हाल ही में अनूप जलोटा से उनके घर पर मुलाकात हुई.इस अवसर पर उनसे कई मुद्दों पर खुलकर एक्सक्लूसिव बातचीत हुई... 2020 में कोरोना का सभी लोग मातम मनाते रह गए, तब आप घर में बंद होकर भी बहुत काम करते रहे. यह प्रेरणा कहाँ से मिली? - देखिए, कोरोना से वह डरें, जो कमजोर हों.हम तो सुबह उठकर हर दिन नियम से योगा अभ्यास करते हैं. च्वनप्राश खाते हैं. ऐसे में हमको कोरोना वायरस क्यों ग्रसित करेगा. कोरोना उनको पकड़ता है, जो अपने आप को कमजोर रखते हैं,जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है. हम तो अपने आप को फिट रखते हैं. आजकल हम हर दिन फ्लाइट से यात्रा करते हैं.माह में 30 फ्लाइट लेते हैं. जगह-जगह जाते हैं.साथ में ‘कोविड निगेटिव’ होने का सर्टिफिकेट भी रखते हैं.आजकल कोविड-19 सर्टिफिकेट जरूरी है.परसों लखनऊ, अयोध्या व जोधपुर जाना है। तो आप बार-बार कोविड टेस्ट करवाते हैं? - जी हां!बिल्कुल...क्या फर्क पड़ता है.वह बंदा यहीं घर पर आ जाता ब्लड सेंपल लेने के लिए.फिर बारह घंटे के अंदर रिपार्ट आ जाती है। आप जैसे बहुत कम संगीतकार उभरती हुई प्रतिभाओं को मौका देते हैं.किसी नई प्रतिभा को अवसर देते समय आपके दिमाग में किस तरह की बात आती है? - देखिए,मैं इस मामले में बहुत इमानदार हॅूं.मैंने अपने बेटे को संगीत के लिए प्रस्तुत नहीं किया, क्योंकि मुझे उसके अंदर प्रतिभा नजर नहीं आयी.मैंने उससे पूछा भी कि,‘बेटा तुम क्या करना चाहते हो?’ उसने कहा कि,‘मैं पढ़ना चाहता हूं.’तो मैंने कहा ठीक है पढ़ो.’यदि मैं चाहता तो उसको लेकर दो तीन एलबम बना देता.उसके नाम के साथ अनूप जलोटा का नाम जुड़े होने के चलते कुछ लोग उसका एलबम सुन भी लेते. लेकिन जब उसके अंदर गायन प्रतिभा नही है,तो मैं जबरन उसे इस क्षेत्र में क्यों लेकर आउं? मैं ऐसा कभी नही कर सकता.मैं हमेशा प्रतिभाशाली गायकों को ही आगे लेकर आता हॅूं.मैंने रिचा शर्मा के अंदर प्रतिभा को देखा, तो उसे प्रमोट किया. जसपिंदर नरूला व उदित नारायण को सुना, तो उनके अंदर प्रतिभा नजर आयी और इन्हे मैं फिल्मों में लेकर आया. तो जिनमें मुझे प्रतिभा नजर आती है, मैं उन्हें मौका देता हूं. मैंने एकदम नए गायक वेदांत नागपाल को मौका दिया. इसके अलावा ‘तुलसी की रामायण बोले’में अनीता खंडेलवाल को अपने साथ गवाया। लेकिन वेदांत नागपाल ने तो रैप साॅंग को स्वरबद्ध किया है? - आज कल जो संगीत चल रहा है, वह लोगों को कम पसंद आ रहा है. देखिए, इन दिनों लोग ‘रैप’गा रहे हैं. यह हमारी संस्कृति में काफी पुराना है. हमारे यहां ‘रैप’ की प्राचीन परंपरा है.अशोक कुमार जी ने रैप गाया था-‘‘छुक छुक गाड़ी रेल गाड़ी..’’ तो हमारे यहां रैप बहुत पुराना है. इसमें बस थोड़ी सी गड़बड़ी हो गई है कि गीत में थोड़ा अष्लील/वल्गर शब्दों का प्रयोग हो रहा है. अन्यथा ‘रैप’ तो बड़ा प्यारा है.इसीलिए हम वेदांत नागपाल के रैप साॅंग को प्रमोट कर रहे हैं. फिर वेदांत के परिवार संग हमारी पुरानी जान पहचान भी है.वह अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी का सदस्य है. यह भी दूसरा कपूर खानदान है.पांचवी पीढ़ी काम कर रही है, यह बहुत खुशी की बात है.मैं तो उसे खुलकर सपोर्ट करता हूं। वेदांत के रैप सांग में आपको क्या सबसे अच्छा लगा? - सबसे ज्यादा अच्छी बात यह लगी कि वह दूसरों से प्रेरित होने की बजाय खुद कुछ नया व अलग सोचता है.वेदांत के मन से जो बात निकलती है,वही वह करता है. यही बात इसके रैप साॅंग के वीडियो में भी नजर आ रही है.बेहतरीन काम किया है। गायक और संगीतकार के तौर पर आपने वेदांत नागपाल को क्या सलाह दी? - मैंने उसे सलाह दी है कि रैप में भी एक स्वर होता है, इसलिए थोड़ा सा संगीत का अभ्यास करना भी शुरू कर दो. अगर स्वर भी साथ में होगा तो यह और भी अच्छा हो जाएगा। तो क्या आपको वेदांत के स्वर में कहीं कोई कमी लगी थी? - नहीं.....कमी नहीं है. लेकिन सुधार जरुरी है. वेदांत अभी बच्चा है. तो उसमें सुधार कैसे होगा? अगर हम पग पग पर उसे कुछ चीज बताएंगे, तो सुधार होगा. हम तो आज भी सुर लगा रहे हैं. सुबह से रात तक अभ्यास करते रहते हैं.रियाज करते रहते हैं। इन दिनों आपका भजन एलबम ‘तुलसी की रामायण बोले’ काफी चर्चा में हैं. इसकी योजना कैसे बनी ? - एक दिन एक मषहूर कवि के एस हरी मेरे पास एक भजन लेकर आए. मैं उनके इस भजन को पढ़ कर दंग रह गया. इसके बोल हैं-‘‘तुलसी की रामायण बोले रामचरित अपनाओ, धर्म कर्म की मर्यादा में,जीवन सफल बनाओ..’’तो मैंने कहा कि इस पर तो हम जरुर काम करेंगें और सिर्फ एक नही बल्कि भजनों की पूरी श्रृंखला बनाएंगे. और हमने काम शुरू किया. पहला एलबम बाजार मे आ चुका है, जिसमें मेरे साथ इटारसी, मध्यप्रदेष की रहने वाली अनीता खंडेलवाल ने भी स्वरबद्ध किया है.अनीता खंडेलवाल अच्छा गाती हैं.इसके वीडियो में मेरे साथ अनीता खंडेलवाल तथा उनकी युवा बेटी अपूर्वा खंडेलवाल भी हैं. यानी कि इसमें अनीता खंडेलवाल की बेटी अपूर्वा ने माॅडलिंग/अभिनय किया है.हमने वीडियो के लिए एक कहानी बना दी है कि बच्चों को धर्म व संस्कृति आदि में रुचि नहीं होती है. लेकिन इस भजन को सुनकर उन्हें भी रुचि पैदा हो गयी. संस्कार मिल गए.पूजा पाठ शुरू कर दी. फिर जब मैं ‘अल्ट्रा’ के सुशील अग्रवाल जी से मिला, तो वह भी उत्साहित हो गए। तो अगली श्रृंखला में भी आपके साथ अनीता खंडेलवाल होगी? - जी नहीं..मैंने सोचा है कि हर श्रृंखला के हर एलबम में एक नए गायक को मौका दिया जाए. अभी योजना के अनुसार इसके 25 भाग आएंगे, इस तरह मैं अपने साथ पच्चीस गायकों को गाने का अवसर देने वाला हूँ। इसका वीडियो कहां फिल्माया गया? - यही ..मेरे घर पर ही इसे फिल्माया गया। ‘तुलसी की रामायण बोले’ श्रृंखला में नई बात क्या होगी? - इसकी हर श्रृंखला में रामायण के किसी न किसी पात्र के आधार पर बात की जाएगी. मसलन- एक सीरीज में हनुमान जी की बात होगी. एक में शबरी की बात, केवट, रावण, विभीषण आदि की बात करेंगे. ‘तुलसी की रामायण’ है, तो अलग अलग चरित्र अपनाओ और इन चरित्रों की किस अच्छी बात को जीवन में हर इंसान को अपनाना चाहिए, इसकी बात होगी। मतलब रामायण के सभी चरित्रों पर अलग अलग श्रृंखला आएगी? - जी हाँ. पहली जो श्रृंखला बाजार में आ चुकी है, वह शिक्षा पर है कि रामचरित्र अपनाओ. तुलसी की रामायण कहती क्या है? वह सिखाती है कि राम के चरित्र में जो खासियत है, उसे अपनाना चाहिए. इसमें शबरी या किसी अन्य पात्र की केाई बात नहीं की गयी है। इसमें क्या शिक्षा दी गई है? - सबसे बड़ी शिक्षा यही दी गई है कि कैसा पुत्र होना चाहिए? कैसा पिता होना चाहिए? कैसा पति होना चाहिए? कैसा भाई होना चाहिए और कैसा रक्षक होना चाहिए? यह सब कुछ इसमें आ गया। राजनीति की भी बात की गयी है? क्या बताया गया है कि राजा कैसा होना चाहिए? - इसमें राम हैं, राम जो सिखाते हैं वही सिखाया है। बीच में आप गीता को उर्दू भाषा में लाने वाले थे? - यह एलबम बन गया है. धृतराष्ट्र आँखों से महरूम थे, मगर यह मत समझो कि मासूम थे. उन्हें भी ख्वाहिश थी. अनवर जलाल ने उर्दू में भागवत गीता लिखी है, उसी को हमने गाया है.यह तैयार है. लेकिन हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा था कि वह इसका लोकार्पण करेंगे.तो अब मोदी जी के इंतजार में हैं,जब वह कह देंगे,तब हम इसे रिलीज कर देंगें। बीच में संगीतकार से जुड़ी वेब सीरीज ‘बैंडिट बंदिष’आयी थी. उस पर कोई प्रतिक्रिया देंगे? -जी हाँ! मैंने इस वेब सीरीज को देखा. बहुत पसंद आयी. इसमें शास्त्रीय संगीत को बहुत ज्यादा महत्व दिया गया है। शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में आने के लिए लोगों को क्या सीख देनी चाहिए? - देखिए, यह जरूरी नहीं है कि हर बंदा शास्त्रीय संगीत गायन में माहिर हो. लेकिन सीखना हर किसी के लिए आवष्यक है. यह कहीं नहीं लिखा है कि जिसे जिसको चटनी बनानी आती है, वह सिर्फ चटनी ही बनाए. कभी- कभी बना ले. बाकी चीजें दूसरी चीजें भी बनाएं. लेकिन चटनी बनाना आना चाहिए. तो शास्त्रीय संगीत का ज्ञान जरूरी है. हम हर संगीतकार से कहते हैं कि राग सीख लो. जरूरी नहीं है कि तुम राग गाने बैठ जाओ. जिसे सुनना होगा, उसे ही सुनाओ. लेकिन ज्ञान आवश्यक है. इसीलिए मैने वेदांत से भी कहा कि शास्त्रीय संगीत का ज्ञान प्राप्त कर लो. आगे कहां इसका इस्तेमाल करना है, वह देख लेना। इन दिनों आप फिल्मों का निर्माण करने के साथ-साथ अभिनय भी कर रहे हैं? - आपने एकदम सही कहा. बहुत कुछ कर रहा हॅूं.बतौर निर्माता हमारी एक फिल्म ‘टोकन’ की शूटिंग पूरी हुई है. इसमें अभिषेक धवन के साथ रवि किशन की बेटी रीवा किशन है. कल यह फिल्म पूरी हो जाएगी. मेरे एक सीन की शूटिंग बाकी है.... फिल्म ‘टोकन’ की कहानी को लेकर कुछ कहना चाहेंगे? - कहानी यही है कि आज देश में जो काम एक पुरुष कर सकता है, वही काम एक औरत भी कर सकती है. इसमें नारी सशक्तिकरण की बात की गयी है.इसमें मैंने भी अभिनय किया है. हीरो के पिता की भूमिका निभायी है। आप एक फिल्म ‘हिंदुत्व’ भी कर रहे हैं? - जी हाँ! फिल्म ‘हिंदुत्व’ बहुत ही खास फिल्म है. इस फिल्म में एकमात्र संवाद यही है कि ‘हम अपनी मां की पूजा करते हैं, लेकिन दूसरे की मां की भी इज्जत करते हैं. ’ऐसा दूसरों के यहां नहीं है. सब अपने धर्म को मानते हैं. दूसरे के धर्म से प्यार किसी को नहीं है.लेकिन हम अपने धर्म को मानते हैं.हम दूसरे के धर्म का भी आदर करते हैं. आज अगर सामने मस्जिद आ जाती है, तो हमारा सर आदर से झुक जाता है. गुरुद्वारे के आगे भी झुक जाता है. तो हम लोगों को यही शिक्षा देना चाहते हैं। जिस फिल्म के आप निर्माता होते हैं,उसमें आप कितनी दखलंदाजी करते हैं? -बिल्कुल नहीं करता. क्योंकि मेरा मानना है कि रचनात्मकता निर्देशक के हाथ में होती है. उसको छेड़ना नहीं चाहिए.लेकिन अगर उसकी कोई बात गलत लग जाए, तब जरुर रोकना चाहिए। आप फिल्म ‘सत्य साईं बाबा दो’ का निर्देषन कर रहे हैं. इसमें अब नया क्या दिखाएंगे? - फिल्म ‘सत्य साईं बाबा’को लोगों ने बहुत पसंद किया. इसलिए दर्षकों की माॅंग पर हम सभी इसका भाग दो लेकर आने जा रहे हैं. जितना मैं ‘सत्य साईं बाबा’ को जानता था, उसके हिसाब से सभी की इच्छा रही कि मुझे ही इसका निर्देशन करना चाहिए. मैंने कहा ठीक है. इसलिए मैं इसमें अभिनय व गायन करने के साथ ही इसका निर्देशन भी कर रहा हूँ। फिल्म ‘सत्य साई बाबा 2’में नया क्या होगा? - इस बार हम इसमें पंद्रह पंद्रह मिनट की नौ कहानियां लेकर आ रहे हैं. हर कहानी में मेेरे अतिरिक्त सभी कलाकार अलग अलग होंगे.सत्य साईंबाबा के किरदार मे मैं ही रहॅूंगा. यह एक नया प्रयोग होगा. जिसे देखते हुए लोगों को मजा आएगा.फिलहाल तो हम इसे लिख रहे हैं.कुछ कहानियां किताबों से निकाल रहा हूँ. कुछ सत्य साई बाबा के चरित्र से ले रहा हॅूं.उम्मीद है कि दो माह बाद शूटिंग शुरू कर दूँ। बतौर अभिनेता हर जगह अलग किरदार में नजर आते हैं? - देखिए, मेरी इमेज गायन मे है, अभिनेता के तौर पर मेरी कोई ईमेज नहीं है. अभिनय में तो अभी शुरुआत हुई है. लोगों ने ‘पाताल लोक’ में देखा. लोगों को यह देखकर अच्छा लगा कि मैं पॉलीटिशियन का काम भी कर लेता हूं. फिल्म ‘सत्य साईं बाबा’में सत्य साई बाबा’के किरदार में देखा. फिल्म ‘करतूत’ में लोग मुझे पुलिस कमिश्नर के किरदार में देखेंगे। ‘तांडव’ और ‘पौरूषपुर’ जैसी वेब सीरीज देखकर आपके मन में किस तरह के विचार आते हैं?. - मेरे मन में यही विचार आता है कि निर्माता ने यह सोचकर बनाया है कि इसको लेकर विवाद पैदा होगा, तो इसकी चर्चा होगी,उसे करोड़ों करोड़ों रुपए की फेक पब्लिसिटी मिल जाएगी.उसके बाद दृष्य को वेब सीरीज से हटा देंगे. मैं तो सिर्फ इतना ही कहूंगा कि इस तरह के विवाद उत्पन्न करने का प्रयास ना करें.क्योंकि यहां धर्म का मामला आ जाता है. आप फिल्मों में पुलिस, वकील या जजों को बुरा कहते हो. आप फिल्मों में एक दूसरे की पोलीटिकल पार्टी को बुरा कहते हो. यहां तक तो हम मान लेते हैं. क्योंकि हर राजनीतिक दल दूसरे को गलत बताता रहता है. लेकिन वेब सीरीज या फिल्म में भगवान शंकर को लेकर कुछ कहेंगे, भगवान राम को लेकर कुछ कहेंगे, तो बहुत बुरा होगा? आप लोगों की सहनशीलता की परीक्षा न लें. अगर आप मोहम्मद साहब को लेकर कुछ कहें, तो सारी दुनिया में आग लगा दी जाती है. यूरोप में क्या हुआ था? यहां बहुत जरूरी है कि आप अपनी मां की पूजा करिए, लेकिन दूसरे की मां का सम्मान तो करिए.यदि सम्मान भी नहीं करेंगे, तो कैसे चलेगा? तो आज हर निर्माता को भी सोचना पड़ेगा कि वह जो कुछ लिख रहे हैं या उनके कलाकार जो संवाद बोल रहे हैं, उस पर ध्यान दें. विवाद पैदा करने के लिए कुछ भी न बनाएं. काफी सोच समझकर लेखन करे और उस पर फिल्म या वेब सीरीज ध्यान देकर बनाएं। विरोध शुरू होने पर हमारी सरकार जागती है? - देखिए, जब जनता की तरफ से विरोध सामने आता है, तभी तो सरकार कोई कदम उठाएगी. अन्यथा सरकार को लगता है कि छोटे मोटे विवाद उठते रहते हैं. यह अपने आप षांत हो जाएंगे. लेकिन जब उसका सही रूप सामने आता है, तो सरकार हरकत में आती है. सरकार अपनी बात रखती है. ‘तांडव’ को लेकर सरकार ने अपना पक्ष रखा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी फिल्मसिटी बना रहे हैं, इस पर विवाद भी हुआ. लोग कह रहे है कि कहीं इसका हश्र भी नोएडा वाली फिल्म सिटी की तरह न हो जाए? - उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी बहुत कर्मठ इंसान हैं. उन्होंने काम शुरू कर दिया है. एक हजार एकड़़ जमीन भी ले ली. यहां फिल्मसिटी हमारे देश की सबसे बड़ी और अच्छी होगी. क्योंकि मैं खुद इनकी कमेटी से बात करने गया था. मैंने वहां जाकर सिर्फ एक ही बात कही कि अगर आपको संसार की सबसे अच्छी फिल्म सिटी बनानी है, तो जितनी भी फिल्म सिटी हैं, पहले उनका अध्ययन करें. उसके बाद सभी सुविधाओं से युक्त फिल्मसिटी बनाएं. अब हमने इसके अंदर एयरपोर्ट भी बना दिया है. एक फाइव स्टार होटल भी बना दिया है. एक थ्री स्टार होटल है. निर्माता फिल्मसिटी के अंदर जाएगा और अपनी फिल्म को पूरी करके ही बाहर आएगा.उसे सारी सुविधाएं वहां पर मिलेंगी। इसके बाद की क्या योजना है? - आज ही ‘बागबान म्यूजिक’ कंपनी वाले आए थे.वह मेरी आवाज में ‘‘अखंड रामचरित मानस’’ रिकॉर्ड करवाना चाहते हैं. यह पूरे तीस घंटे की रिकॉर्डिंग होगी. आज बातचीत हुई है.दो-चार दिन में उनके साथ बैठेंगे और अखंड रामायण का पाठ करेंगे. एक रेडियो पर भी कुछ गाने व भजन रिकॉर्ड किए हैं.इसमें बांसुरी कह रही है राधा को-‘‘मैं कान्हा के अधरों पर हूं,तुमको परेशानी क्या है? क्योंकि मैं तो कान्हा के जीवन में तुमसे पहले आई हूं. राधा तो बाद में आई है, तो मेरा हक तो ज्यादा बनता है. ’इसे मैंने ही लिखा है. यह मेरे अपने विचार हैं. इसमें बांसुरी, राधा को समझा रही है कि हम दोनों को कान्हा ने एक साथ छोड़ दिया था. जब पहुंचे मथुरा, तो उन्होंने अपने जीवन को मोड़ दिया था, जिन उंगलियों ने मुझे बजाया, अब उन उंगलियों में चक्र सुदर्शन है...कि वही कृष्ण जो प्रेमी थे, वह दे गए गीता दर्शन..’ #Anoop Jalota #RAMAYAN हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article