निर्देशक अनुराग कश्यप अपनी फिल्मों में और निजी जीवन में भी किस तरह की महिलाओं से प्रेरित होते है ? और क्यों वो महिला टीम के साथ काम करने में अच्छा महसूस करते है। और अपनी शॉर्ट फिल्म, 'छुरी' में क्यों काम किया अनुराग ने ? यदि फिल्ममेकर नहीं होते तो वह खान सामा होते (कुक)...... यही सब सवलों के जवाब खुलकर दिए अनुराग ने।
आप अमूमन रियल फिल्मों के साथ ज्यादा जुड़ते है क्यों ?
देखिये, समाज में जो कुछ होता हैं उसी से जुड़े मुद्दों पर तो हम कहानी बनाते है। सच्चाई से सच पेश करने के लिए यदि रियलिटी दिखलायें तो लोग उस सच्चाई को महसूस भी करते है। सो सच्चाई से सच्ची कहानी पेश करना अच्छा लगता है।
फिल्म हिट होती है तो निर्देशक के सर मड़ दी जाती है। क्या कहना चाहेंगे आप ?
जी बिलकुल, मै यही विचार रखता हूँ कि यादि फिल्म फ्लॉप हुई तो वह डायरेक्टर की जवाबदारी है। डायरेक्टर ही एक ऐसा बंदा होता है जो अपने अभिनेताओं से काम निकलवा सकता है। अभिनेताओं से बेहतरीन काम निकलवाने की ताक़त होती है एक निर्देशक में। वह अपने एक्टर्स से काम निकाल सकता है दोबारा।
सो किस तरह की औरतों के साथ आप काम करना पसंद करते है ?
देखिये, वही औरतें मुझे पसंद है जो अपने आप में ताक़तवर होती है स्वंतंत्र विचार की होनी चाहिये। आप देख ले मेरी सारी टीम महिलाओं की ही होती है। वह अपना काम भी बहुत अच्छी तरह से करती है और मुझे भी लाइन पर रखती है। महिलाओं के साथ काम करते हुए किसी तरह का ईगो प्रॉब्लम भी नहीं होता है मुझे। सही मायने में ,'वीमेन नेक्स्ट डोर' टाइप की औरतें मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं है। और इस विशेषता से मुझे यदि कोई भी महिला प्रभावित करने की सोचे भी तो मुझे कतई पसंद नहीं आती ऐसी महिलायें। जब भी कोई महिला इस तरह से मुझे आकर्षित करना चाहती है, सही मायने में वो मेरी लिस्ट से ही आउट हो जाती है।
आप महिलाओ और पुरूषों में क्या फर्क महसूस करते है ?
मैं आपको बतला दूँ मैं महिलाओ एवं पुरूषो में कोई फर्क महसूस नहीं करता हूँ। उल्टा में उनके लिए खाना भी बनता हूँ। और उन्हें इम्प्रेस भी कर लेता हूँ। बहरहाल, मैंने अभी तक किन-किन हो इम्प्रेस (प्रभावित) किया हैं में आपको क्यों बतलाऊँ!! यह बिलकुल सही है कि पेट के रास्ते आप किसी के भी दिल में घर कर सकते है।
सो यदि आप फिल्म लाईन में नहीं होते तो कौन से प्रोफेशन में होते ?
ज़ाहिर सी बात है यदि मैं फिल्म लाईन में नहीं होता तो 'खानसामा (कुक) ही बन जाता। मुझे खाना बनाने का शौक बहुत है और वैसे भी मै अपना काम खुद ही करना पसंद करता हूँ। जब शूटिंग पर जाता हूँ तो अपना कॉफी का फ्लास्क बनाकर भर के ले जाता हूँ।
आपकी पसंदीदा डिशेस कौनसी है ?
मेरे पिताश्री से मैंने, 'मटन और पालक मिक्स' बनाना सीखा। उसमें पालक भी डाल दिया करते और जब तक पालक का पूरा रस्सा मटन में न मिल जाये उसको भूनते ही रहते। एक दिन में दीया मिर्ज़ा के घर खाने पर गया था, उनकी माताश्री ने मुझे, 'मटन दो पयाज़ा' बनाकर खिलाया। मुझे यह डिश इतनी पसंद आयी की घर पर आकर जब भी में कुछ मेहमान अपने घर पर आमंत्रित करता बस 'मटन दो पयाज़ा' बनाकर खिलाता। और खूब तारीफ बटोरता। हूँ , एक बात आपको बतला दूँ मैंने दीया मिर्ज़ा की माँ से यह डिश फ़ोन पर कॉल करके बनानी सीखी है। यह दोनों मेरी सब से पसंदीदा डिशेस है भाई।
आपकी शॉर्ट फिल्म, 'छुरी' आप बतौर अभिनेता नजर आने वाले है ऐसा सुना है उस में आप ने बेडसीन भी किया है, कुछ और बतलायें इस बारे में ?
जी बिलकुल, फिल्म में - मैं अकेला मर्द था और मुझे सारी औरतों ने सेट पर, 'चड्डी' में घुमाया। अभिनेत्री टिस्का चोपड़ा ने मुझे यह रोल करने के लिए प्रेरित किया और कहा, 'तू ऐसा अकेला आदमी है जिसे औरतों के साथ काम करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती है सो तू यह किरदार कर ले' यह सीन करते हुए मुझे एहसास हुआ जिंदिगी की सच्चाई लेने के लिए हमें बतौर फिल्ममकेर्स और अभिनेता क्या कुछ करना होता है। इस समय में वैज्ञानिक तौर से विचार विमर्श कर रहा था। जैसे ही आप ऐसे सीन्स करते है -तो आपका मष्तिष्क कुछ अलग ही रिस्पॉन्स करता है। कैमरे के सामने ऐसे सीन्स करने हेतु एक भाई टाइप (सिबलिंग) फीलिंग उत्तपन होती है। 'हंस कर अनुराग बोले,' दरअसल में, मैसेट परइन सब महिलाओं के लिए 'आइटम' था !! सबको ऐसा ही लगा,'मैं उन आइटम हूँ!! अनुराग कशयप की अगली फिल्म बतौर निर्देशक, 'मुकाबाज़' बहुत जल्द पर्दे पर आ रहे है।