जेपी सर से बेहतरीन कोई डायरेक्टर नही हो सकता- अर्जुन रामपाल By Shyam Sharma 02 Sep 2018 | एडिट 02 Sep 2018 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर अर्जुन रामपाल ऐसे अभिनेता हैं जो नंबरों की दौड़ से हमेशा परे रहे हैं। दूसरे वह गॉसिप से दूर रिर्जव रहना ज्यादा पंसद करते हैं। जल्द ही वे जेपी दत्ता की फिल्म ‘ पलटन’ में एक फौजी की भूमिका में दिखाई देने वाले हैं। हाल ही में उनसे फिल्म को लेकर हुई मुलाकात। हर आर्टिस्ट का एक सपना रहा हैं कि वो जेपी दत्ता के साथ किसी वॉर फिल्म में काम करे। यहां आपका क्या कहना है ? मेरा भी हमेशा एक सपना रहा, कि मैं किसी अच्छी वॉर फिल्म में काम करूं। मुझे नहीं लगता कि ऐसी फिल्म के लिये जेपी सर से बेहतरीन कोई डायरेक्टर हो सकता है। मैने उनकी तकरीबन सारी फिल्में देखी हैं। बीच में किसी फिल्म के लिये उनसे बात हुई थी, लेकिन उस वक्त बात नहीं बन पायी, लेकिन जब उन्होंने पलटन की कहानी सुनाई, तो उसे सुनकर मेरे रौंगटे खड़े हो गये थे। कि हिस्ट्री की महत्वपूर्ण चीज को हम कैसे मिस कर गये। क्या आप इस वॉर के बारे में जानते थे ? बिलुकल नहीं। जब जेपी सर ने इस वॉर के बारे में बताया तो एक फिर यही सवाल उठा कि ये वॉर कैसे छुपायी गयी और क्यों छिपायी गई। बतौर एक्टर आप यही देखते हें कि आप किसी सच्ची कहानी में एक रीयल किरदार निभाने जा रहे हो। कहीं न कहीं लेफ्टीनेंट कर्नल राय सिंह जिनका किरदार मैने निभाया है जो सीईओ कमांडिगं ऑफिसर थे। मेरे नाना जी भी आर्मी से थे तो उनके और मेरे नाना जी के बीच काफी समानतायें थी क्योंकि वे भी ब्रिगेडियर अंडर द ब्रिटिश आर्मी थे। वे लंदन में ट्रेनिंग करने गये थ। कर्नल रायसिंह भी उसी तरह लंदन ट्रेनिंग करने गये थे। दूसरे जब आपको एक रीयल किरदार करने को मिलता है तो कहीं न कही आपकी जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है क्योंकि आपको वो सही तरह से निभाना होगा। क्या नाना जी लेकर कुछ ममोरीज हैं ? हां क्यों नहीं। दरअसल मेरे नाना जी और दादा जी दोनों ही आर्मी में थे। उन्होंने अंडर ब्रिटिश आर्मी सेकेंड वर्ल्ड वार में भी हिस्सा लिया था। वहां जवान के बाद वे इंडियन आर्मी में ऑफिसर बने। जब मैं देवलाली में रहता था तो वहां सभी रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर आते थे और सभी अपनी वर्दी पहनकर आते थे। क्या 1967 के चीन के साथ हुये वॉर में क्या 1962 का भी कोई जिक्र किया गया है? देखिये 1962 के युद्ध को मैं युद्ध ही नहीं मानता क्योंकि वो तो चीनीयों ने हमारे जवानों पर उस वक्त हमला किया था जब वे सो रहे थे। दरअसल बासठ के युद्ध में पं. नेहरू चाहते थे कि चीन और भारत के संबन्ध खराब न हो इसीलिये उन्होंने यूएन के संगठ में माओ का नाम लेते हुये कहा था कि चीन को भी यूएन का मेबंर बना दिया जाये। इसके बाद सडंल्ली चाइना ने हमारे पर अटैक किया और वे अंदर घुस आये हमें डराने के लिये। दरअसल उनकी हमारी कुछ स्टेट्स पर नजर थी और वे उसे झटकने के चक्कर में थे। ब्रिटिश चले गये फिर भी हमें नहीं पता था कि इंडिया का नक्शा कैसा हो। क्या आपको नहीं लगा कि मुझे भी फौजी बनना चाहिये ? बिलकुल। मैं ही नहीं बल्कि मेरे पिता जी भी आर्मी में ही जाने वाले थे। वे एन डी ए में थे वहां उनकी पीठ में चोट लग गई थी जिसकी वजह से वो आर्मी ज्वाईन नहीं कर पाये। मैं जब सोचने समझने लायक हुआ तो मुझे लगा कि मुझे कुछ और करना चाहिये। #bollywood #interview #Arjun Rampal #Paltan हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article