अश्विनी अय्यर तिवारी इंटरव्यू
लिपिका वर्मा
निर्देशिका अश्विनी अय्यर तिवारी किसी तारीफ की मोहताज नहीं हैं। उन्होंने फिल्म,' बरेली की बर्फी ',' निल बटे सन्नाटा' जैसी फिल्म बनाकर यह तो साबित कर दिया है कि सिनेमा की दुनिया की एक अर्थपूर्ण निर्देशिका ने बॉलीवुड में इस लिए पदार्पण किया है -ताकि वह कुछ सार्थक फ़िल्में बनाकर लोगों का मनोरंजन करती रहें। अब अश्विनी ने कंगना रनौत से पंगा लिया है। बहुत जल्द फिल्म,' पंगा ' सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है। देखना होगा कि- कंगना से पंगा लेकर निर्देशिका अश्विनी अय्यर बॉक्स ऑफिस पर अपना परचम किस हद तक फहराने में कामयाब होती हैं।
पेश है निर्देशिका अश्विनी अय्यर तिवारी के साथ लिपिला वर्मा की बातचीत के अंश...
क्या कंगना रनौत फिल्म,' पंगा' की पहली पसंद थी ?
जी हाँ, मैंने हमेशा से चाहा कि मेरी फिल्म,'पंगा' का किरदार कंगना ही निभाएं। हालाँकि जब मैंने कंगना को मैसेज भेजा, तब उन्होंने मुझे तुरंत ही कॉल बैक किया। आपको अपने काम के बारे में मुझे बताने की आवश्यकता नहीं है। मैं आप के बारे जानती हूँ। बस अगला कदम था कंगना को स्टोरी नैरेशन का और ज्यूं ही उन्होंने कहानी सुनी तुरंत हामी भर दी।
कंगना के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
हर एक रिश्ता डेस्टिनी से बनता है। मैं उसे जज करने वाली कौन होती हूँ? सबसे बड़ी ताकत कंगना में जो है ,वह है- इंसानियत की ताक़त। कंगना के साथ काम करके मुझे इस बात का अहसास हुआ कि -वो न केवल अपने परिवार वालों से बहुत प्यार करती हैं, बल्कि जिनके साथ काम करती हैं उन्हें भी परिवार जैसा ही प्यार देती हैं। वो सेट पर सभी का बहुत ख्याल रखती ह। इस फिल्म की मेकिंग के दौरान हमने यह तय किया था, यदि हमें किसी तरह की गलतफहमी कभी हो तो हम आमने -सामने मिल कर उसे सुलटाने की कोशिश करेंगे। वह एक ऐसी शख्सियत हैं, जो हर एक को स्पेस देती हैं। मैं हमेशा से उनके लिए खड़ी रहूंगी। क्यूंकि अब हम अच्छे दोस्त भी बन गए हैं। मुझे यह नहीं समझ आया कि लोगों की उनसे कैसे और क्यूं नहीं पटी।
आप कंगना के मूड स्विंग्स का शिकार तो हुई होंगी?
बतौर फिल्म एक टीम होती है, जो एक आर्मी की तरह शूटिंग करती है। जब आप हर दिन काम करते है तो हर व्यक्ति के लिए कोई दिन अच्छा होता है तो कोई दूसरा दिन अच्छा नहीं होता है। अच्छे और बुरे दिन देखने ही होते है। सब कुछ सरलता से नहीं चलता है। हम सभी में सशक्तता होती है कि- हम अपने स्वभाव को कैसे कंट्रोल यानि नियंत्रण में रखे। वह कैमरा के सामने काम करती हैं और बतौर सुपरस्टार अपना एक औरा मेनटेन रखती है। पर आखिरकार वह एक इंसान भी हैं और यह बात हमें ध्यान में रखनी चाहिए।
अलग तरह की फ़िल्में बन रही हैं, इस बारे में आपको क्या कहना है ?
दरअसल, मैं ज्यादा फ़िल्में नहीं देखती हूँ। मैं चेम्बूर में रहती हूँ। अतः एक अलग किस्म का रहन सहन है। हम बॉलीवुड से दूर और अपने एक स्टाइल में रहते है। मेरा जीवन फिल्मों से परे भी है। मुझे लोगों को ऑब्सर्व करना पसंद है। इसी वजह से हर व्यक्ति के व्यक्तित्व से मुझे कुछ न कुछ मिल ही जाता है। मुझे ट्रैवेलिंग करना और किताबे पढ़ना भी बहुत पसंद है। में कभी किसी भी व्यक्ति को जज नही करती हूँ, इसीलिए मेरी और कंगना की खूब पटी भी। फिल्म मेकिंग मुझे मेरे भीतर के विश्वास से जागृत होती है।
आपकी अगली फिल्मों के बारे में कुछ बताइए ?
जी मेरी अगली फिल्म है, वो ' नारायण और सुधा मूर्ति की जीवनी पर आधारित है। जिस सच्चाई से और अखंडता से उन्होंने अपना जीवन जिया है, यह मेरे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा स्त्रोत का मुद्दा है।अतः मै इस फिल्म को प्रोड्यूस भी कर रही हूँ। उन्होंने मुझ पर विश्वास कर उनकी कहानी को सेल्यूलॉयड पर उतारने की आज्ञा दी है, आशा करती हूँ, मैं उनके विश्वास पर खरी उतरुं। मेरी एक फिल्म एकता कपूर के साथ है। जिसे मैं अभी तक लिख रही हूँ। यह फिल्म भी मैं खुद प्रोड्यूस कर रही हूँ। एकता ने मुझे को -प्रोडूस करने के लिए कहा है.