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‘हम सब दोस्त की तरह ही रहते हैं - भारती एवं हर्ष

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By Lipika Varma
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‘हम सब दोस्त की तरह ही रहते हैं - भारती एवं हर्ष

लिपिका वर्मा

भारती सिंह कॉमेडी की दुनिया की एक जानी मानी हस्ती है। तो वही उनके पति हर्ष भी कही कम नहीं है। बतौर लेखक उन्होंने काफी टेलीविजन स्क्रिप्ट्स लिखी है। विवेक ओबेरॉय वाली फिल्म “प्राइम मिनिस्टर मोदी की स्क्रिप्ट भी उन्होंने ही लिखी है। जब हमने पोस्टर लॉन्च पर प्राइम मिनिस्टर मोदी पर बनने वाली फिल्म पर हर्ष से बातचीत करनी चाही तो उन्होंने सिर्फ यही कहा, “हाँ मैंने प्राइम मिनिस्टर मोदी पर बनने वाली फिल्म जिस में विवेक ओबेरॉय बतौर मोदी जी का किरदार कर रहे हैं वो स्क्रिप्ट मैंने ही लिखी है। किन्तु इससे ज्यादा और कुछ नहीं बोल, पाऊंगा मैं अभी।“

खैर हमने दोनों पति पत्नी भारती एवं हर्ष से कुछ समय पहले बातचीत की थी और दोनों ने अपने रिश्ते के बारे में बहुत कुछ कहा -

पेश है भारती एवं पति हर्ष के साथ लिपिका वर्मा की एक एक्सक्लूसिव भेंटवार्ता

शादी के तुरंत बाद हर्ष की क्या बात याद रह गई आपको?

- भारती : यही कि मेरे और इनके कुछ दोस्त हमसे मिलने आये थे, तब मैं हर्ष को सभी से मिला रही थी। फिर ना जाने कोट उतारने  के बहाने यह कहां गायब हो गए. मैं इन्हें लगभग दो घंटे ढूंढ़ती ही रह गई। फिर पता चला इनको लिखने का कुछ काम था। यह काम बहुत  मन लगा कर करते हैं। कभी कभी तो रात को भी लिखने बैठ जाते हैं और इनकी एक आदत बहुत बुरी है यह जोर जोर से बोलकर लिखते है।

क्या भारती सही कह रही है हर्ष ?

- हर्ष : जी हाँ ! मैं अपने काम को जब तक पूरा नहीं कर लेता हूँ , मुझे एक बेचैनी सी बनी रहती है। और मुझे इस बात का गर्व है -भारती मेरे काम को खूब समझती है। वह मुझे बहुत समय देती है ताकि मैं अपना काम संतुष्टि से निपटा पाऊं। भारती यह भी समझती है कि जब तक मेरी स्क्रिप्ट पूर्ण नहीं होगी मेरा सारा ध्यान वही लगा रहेगा सो वह मुझे डिस्टर्ब नहीं करती है।

भारती क्या आप सही मायने में उन्हें समय देना चाहती है ?

- भारती : जी हाँ !  दोनों पति -पत्नी एक ही प्रोफेशन से है। सो हमें अपनी-अपनी व्यस्तता की जानकारी है। सो यह भी मुझे काफी स्पेस देते हैं। मेरे सास ससुर का भी मुझे बहुत सपोर्ट है। सही मायनो मैं बहुत खुश नसीब हूँ - मुझे बहुत ही अच्छा परिवार मिला है। हम सब दोस्त की तरह ही रहते हैं। हमारे ज्यादा दोस्त भी नहीं है। सो हम चारों जब कभी  फुर्सत हो तो खूब मस्ती भी कर लिया करते हैं।

शादी बाद क्या बदलाव आया भारती में? क्या वह बार बार मायके जाना चाहती है?

- भारती (-हंस कर भारती बोली  -जी नहीं ! मेरी मम्मी के यहां जाने का मन बिल्कुल भी नहीं करता है। मेरी मम्मी यह पढ़ेगी तो मुझ से जरूर नाराज हो जाएगी। दरअसल में मुझे मेरे पति और मेरे सास ससुर में एक दोस्त नजर आता है। आप मानेंगे नहीं जब हर्ष (पति) घर पर नहीं होते हैं तो मैं और मेरे ससुर बहुत बातचीत करते हैं। मुझे ऐसा कभी महसूस नहीं हुआ कि मैं नए घर में पधारी हूँ। हम चारों इतने बिजी रहते हैं कि मुझे अपने घर जाने का मन भी नहीं करता। और जहाँ तक मेरी मम्मी का सवाल है मैं उनसे रोजाना फोन से बात कर लेती हूँ।

शादी हो गयी है, अब बच्चे कब पैदा करने का इरादा है ?

- भारती : जी मैं आप को बुआ जल्दी बनाऊंगी। हम दोनों कहते हैं कि हमें जुड़वाँ हो जाये ताकि एक लड़का और एक लड़की साथ में पैदा हो जाये. वैसे हम दोनों को बिटिया ज्यादा पसंद है। अभी तो केवल कुछ माह शादी को हुए है चूड़ा भी मैंने अभी तक नहीं उतारा है। बच्चे तो हमें बहुत पसंद है। सो बच्चे तो जरूर पैदा करना चाहेंगे हम।

हर्ष के कौन कौन से गुण आपको भाते हैं ?

- यह मुझे लेकर कुछ भी नहीं पूछते हैं। मुझ पर आंख बंद कर विश्वास करते हैं। आऊं यह बंदा कुछ भी नहीं पूछता है। सास भी बहुत अच्छी है। यह मुझे स्पेस इतना देते हैं पूरी फ्रीडम दे रखी है। हॉस्टल में रह रहा हूँ। आनंदमय जीवन है।

आप पर शक करती है ?

- हर्ष : जी हाँ शक करना तो औरतों का जन्म जात  अधिकार है। बस भारती की एक बात मुझे अच्छी नहीं लगती -उसे  संडे को मॉल या फिर लॉन्ग ड्राइव पर जाना होता है। जब भी हम संडे को निकलते हैं तो  भीड़ जमा हो जाती है और मुझे कोफ़्त होती है।

भारती को कौन सी बात हर्ष की बुरी लगती है?

- भारती : हर्ष  जब भी बिस्तर पर बैठ कर लिखते हैं तो चादर को इतना गुडमोड देते हैं कि मुझे क्रोध आता है। ऐसा लगता है की सिलवटे डालने का ठेका जैसे हर्ष ने ले रखा है।

हर्ष को इस पर क्या कहना है ?

- हर्ष : मुझे बहुत गुस्सा आता है इस बात पर. अरे यार बिस्तर पर बैठेंगे तो सिलवटे तो पड़ेंगी ही न?

 और आपको कौन-सी बात हर्ष की बुरी लगती है भारती को?

- भारती  : यह अपने अलमारी के कपड़े इतनी जल्दी में निकालते हैं, मेरे द्वारा रखे गए कपड़े इनके सारे उथल पुथल हो जाते हैं। अब तो मैंने यह तय किया है कि मैं अलमारी बिल्कुल नहीं सुधारूंगी। यह  बेशक अपने कपड़े फैला कर रखे। मैं नहीं समेटने वाली।

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