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मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीम

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By Mayapuri Desk
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मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीम

यदि मैं कहूँ टीना मुनीम का फिल्मों में काम करने का कोई क्रेज नहीं था, तो आप चकित होंगे न? वस्तुतः बात कुछ ऐसी ही थी। हाँ वह मॉडलिग किया करती थी। वह भी शौक भर के लिए। यह ता देव आनंद थे जो उसे फिल्मों में खींच लाये उसके पिताजी को राजी करके। यदि टीना को फिल्मों में काम करने का शौक या क्रेज होता तो शायद वह कमाल अमरोही के निर्देशन में बनने वाली प्रस्तावित फिल्म ‘आखिरी गुलाम’ में धर्मेन्द्र कें साथ हीरोईन होती। और शायद इस चमत्कारिक खोज का श्रेय मुझे मिलता। बात यह हुई कि जब उसका ‘फेमिना’ मैगजीन कें कवर पर खूबसूरत फोटो छपा तो वह मैंने कमाल साहब को दिखाया जो उस वक्त उस फिल्म के लिए नई हीरोईन की तलाश करते-करते लगभग थक से गये थे।
-प. ला. व्यास

जीनत के देव साहब को छोड़कर चले जाने से जो खाली जगह हुई थी उसकी शीघ्र पूर्ति कर दी।मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीम

सुन्दरता के जौहरी कमाल साहब ने उस  फोटो को काफी देर तक गौर से देखा और कहा- अब और खोज की जरूरत नहीं। यही लड़की ‘आखिरी गुलाम' की हीरोइन बनने लायक हैं’ और उनके इस फतवे के बाद मैंने बड़े उत्साह से टाइम्स ऑफ इंडिया के फोटोग्राफर जितेन्द्र आर्य से जिन्होंने टीना का वह फोटो खींचा था और जिन्हें मैं पहले से जानता था; फोन किया टीना का पता जानने के लिए। पर ज्योंही उन्होंने मेरा मकसद जाना उन्होंने कहाः- वह फिल्मों में काम नहीं करेंगी उनके इस कथन के साथ मेरा सारा उत्साह ग्लेशियर की तरह मन के भंवर में पिघल गया। पर जब बाद में पता चला कि उसी फोटो को देखकर देव साहब ने उसके पिता से सम्पर्क कर उन्हें मना लिया है तो मुझे पल भर के लिए झुंझलाहट हुई, खैर देव साहब को श्रेय मिला टीना की खोज का। जो कैंप में कदम रखते ही रातों रात दूसरी जीनत बन गयी और उसने जीनत के देव साहब को छोड़कर चले जाने से जो खाली जगह हुई थी उसकी शीघ्र पूर्ति कर दी।

पर टीना को भी प्रोफेशन के लिए देव साहब से शीघ्र अलविदा कहना पड़ा। लोग कहने लगे कि वह जीनत की तरह अपने संबंधों को बदलने लगी हैं। टीना जितनी कम समय में चर्चित हुई उतनी ही जल्दी वह विवादस्पद हो गयी। अंग्रेंजी पत्र-पत्रिकाओं के गॉसिप्स में उसे लेकर न जाने कैसे उलूल-जुलूल कहानियाँ छपने लगीं कि वह बदनाम होने लगी। लोग कहने लगे वह बड़ी स्वार्थी और जहाँ बड़ा स्वार्थ नजर आता है वह पिछला स्वार्थ भूल जाती है।

सो टीना से मिलकर सीधी बातें करने का प्रोग्राम बनाया। पर कई दिनों तक वह संयोग नहीं बन पाया। पर कुछ दिनों पहले ही मेरी उससे फिल्मालय में फिल्म ‘फिफ्टी-फिफ्टी’ की शूटिंग के दौरान भेंट हो गयी। उस दिन शूटिंग का पहला दिन था उस शेड्यूल का सो बातें करने का अवसर भी मिल गया।

मुलाकात होते ही टीना कहा- इन्टरव्यू तो ‘मायापुरी’ में अभी-अभी आया है। बातें तो वहीं घिसीपिटी। उसी रिकार्ड को बार-बार बजाने से क्या फायदा।

मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीमतब तक मैंने अपनी फाइल में से कुछ अंग्रेजी पत्र-पत्रिकाओं के कटिंग निकाल लिये थे। उन्हीं कटिंग को दिखाकर मैंने कहाः- मैं आज इन छपे मुद्दों पर बातें करूँगा। ‘मायापुरी’ के पाठक यह जानने को उत्सुक हैं कि तुम्हारे बारे में जितनी गरमा-गरम अफवाहें उड़ी है कम से कम उनके बारे में कुछ बातें स्पष्ट हो। आखिर माजरा क्या है।

मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीमटीना ने मेरे हाथों से वे कटिंग ले लिये और फिर थोड़ा सा पढ़ कर मुँह बिचका कर कहाः-  नहीं... नहीं... नहीं... यह सब गलत है। मैं इस टाइप की लड़की नहीं हूँ।

टीना यह कहते-कहते काफी उत्तेजित हो गयी थी। तभी मैंने सिलसिलेवार उससे प्रश्न करने शुरू कर दिये। टीना ने बड़े धीरज से मेरे एक प्रश्न को गौर से सुना-फिर उस पर पल भर के लिए सोचा-फिर बड़ी संजीदगी और गम्भीरता से जवाब दिया।

आखिर देव साहब से तुम्हारे संबंध क्यों टूटे? इतने मीठे संबंधों में टेन्शन क्यों आया?

मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीमयही तो मैं बार-बार सोचती हूँ ऐसा क्यों हुआ। मैंने उनका हमेशा आदर किया है। आज भी मेरे दिल में उनके प्रति रेस्पेक्ट है। मुझे लगता है कुछ लोगों की सुनी सुनायी बातों से उन्हें गलत फहमी हो गई है। मैंने कई बार उनसे मिलकर उन गलतफहमियों का दूर करने की कोशिश की। पर दूसरे दिन और कोई नयी बात पैदा हो जाती। दरअसल ‘लूटमार’ की शूटिंग के दौरान मेरी अन्य फिल्मों की व्यस्ता उन्हें अच्छी नहीं लगी। मैंने ‘कर्ज’ में ऋषि के साथ और ‘हरजाई’ में रणधीर के साथ जब से काम करना शुरू किया वह बात उन्हें अखर गई। वे चाहते थे कि मैं कपूर खानदान के लोगों से सम्पर्क न रखूं। फिर संजयदत्त के साथ मेरा जो नाता था

मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीमवह तो था ही माई फस्र्ट प्रिफरेंस। देव साहब को शायद लगा कि मैं प्रोफेशनली कुछ गलत कर रही हँँू और प्राइवेट लाइफ भी गलत दिशा में मोड़ रही हूँ। मुँह उन्हीं ने मोड़ा, बात उन्हीं के दिल से, मैं क्या करती। मुझे तो प्रोफेशन में रहना ही था। रंज के साथ देव साहब से जुड़ा चैप्टर खत्म हो गया।

पर देव साहब ने तो मुझे बातचीत के दौरान बताया कि उन्होंने कभी किसी के साथ काम करने से नहीं रोका तुम्हें। प्रोफेशनली तुम उनकी तरफ से आजाद थीं। आपने बाद में अपनी बातें गड़ कर कपूर परिवार और देव साहब के बीच मनमुटाव पैदा किया। यह तुम्हारी कनिंगनैस थी

इस पर मैं कुछ भी नहीं कहँूगी देव साहब दिल पर हाथ रख कर अपने आप से इस बावत सवाल करें तो जवाब मिल जाएगा।

यदि देव साहब प्रोफेशन के बतौर तुम्हें किसी फिल्म में रोल दें तो करोंगी?

व्हाई नॉट?

सना है तुम देव साहब के सेक्रेट्री अमित खन्ना की ‘नया जॉनी’ पूरा करने में डेट्स देने में अडचन डाल रही हो?

नॉन सेन्स! मैं तो तहेंदिल से चाहती हूँ कि वह फिल्म पूरी हो।

‘रॉकी’ के बाद संजय दत्त के साथ तुम्हारी जोड़ी क्यों नहीं बन रही। क्या उससे तुम्हारी दोस्ती पर असर पड़ेगा?

संजय दत्त मेरा एक्सक्लूजिव हीरो नहीं है। मैं भी तो और हीरो के साथ आ रही हूँ। ‘आपकी पलकों में’ में मैं विनोद मेहरा के साथ हूँ। ‘अब मेरी बारी’ में मेरी हीरो ऋषि कपूर है। उसी के साथ मैं ‘बड़े दिलवाला’ में भी हूँ ‘देखते ही देखते’ में मैं राजकिरण के साथ काम कर रही हूँ। ‘दिदार-ए-यार’ में मेरे साथ जितेन्द्र, रेखा और ऋषि हैं। राजेश खन्ना ‘फिफ्टी-फिफ्टी’ में हैं यह आपको मालूम ही है। ‘कातिलों के कातिल’ में मैं धर्मेन्द्र और ऋषि के साथ हँू जो शीघ्र ही रिलीज होने वाली है। इसी तरह संजय दत्त के साथ ‘युद्ध’ में मैं हूँ। उसके साथ पूनम भी है, रति अग्निहोत्री और पद्मिनी कोल्हापुरे भी। यह तो प्रोफेशन की बात है। कल और हीरोईनें भी उसके साथ आयेंगी और काम करेंगी। भला मैं उसके प्रोफेशन के लिए बाधक क्यों बनूँ।

सुना है तुम दोनों छुप छुप कर ड्रग्स लेने लगी हो?

मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीमव्हाॅट! नाॅन सेंस! ये बेतुकी बातें न जाने कहाँ से उड़ती है। संजु की आँखें कुछ बुझी-बुझी सी हैं तो लोग समझते हैं वह नशे में है। और मेरे बारे में तो मैं पहली बार यह बात सुन रही हूँ। क्यों आपको लगता है मैं नशा करती हूँ। मेरे संस्कार में यह बात नहीं है। मेरा परिवार काफी मर्यादित है।

यह भी चर्चा है कि चर्चित होने के लिए तुम निर्माता-निर्देशकों से हॉट सीन्स की डिमांड करने लगी, हो सच है?

यह तो एकदम उल्टी  बात है अब ड्रेस के मामले में भी बड़ी चूजी हो गयी हूँ। मैं इतनी जरूरतमंद तो नहीं हूँ कि जो रोल मिले उसे स्वीकार कर लूँ।

संजु से चुपके-चुपके मिलती हो?

मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीममैं उस तरह की दब्बू किस्म की लड़की नहीं हूँ। मैं जब भी इच्छा होती है उससे मिल लेती हूँ।

सुनील दत्त अपनी ‘बहू’ स्वीकार कर लेंगे?

इस प्रश्न का उत्तर तो वही दे सकते हैं।

लोग कहते हैं तुम लूज टॉक्स करती हो सही क्या है?

मैं केवल हँसी मजाक करती हूँ और कुछ नहीं

शादी के बाद फिल्मों में काम करोगी?

नहीं! आगे कौन जानता है।

फिल्मों में तुम क्या बनना चाहती हो?

अच्छी अभिनेत्री, मुसीबत तो यही है कि मैं एक्ट्रेस बनना चाहती हूँ पर निर्माता निर्देशक मुझे मॉर्डन हीरोईन बनाना चाहते हैं। मैं इस मुद्दे पर कई फिल्में छोड़ भी चुकी हूँ।

तभी शॉट के लिए बुलावा आ गया बातचीत का क्रम भंग हो गया।

टीना ने कहाः- अच्छा हुआ इतना समय मिल गया। पहला दिन है न इसलिए।

ठीक भी हैः- शूटिंग के पहले दिन सैट पर काफी गड़बड़ी रहती है और इसी गड़बड़ी के बीच आर्टिस्टों से बातें करने का मौका मिल जाता है।मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूँ! - टीना मुनीम

यह लेख दिनांक 27-09-1981 मायापुरी के पुराने अंक 366 से लिया गया है!
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