शत्रुघ्न सिन्हा ने अमिताभ के लिए कहा ‘न तुम जीते न हम हारे’ By Mayapuri Desk 08 Dec 2021 | एडिट 08 Dec 2021 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर जैड. ए. जौहर शत्रुघ्न सिन्हा ने फिल्म ‘प्यार ही प्यार’ से अपना फिल्मी करियर शुरू किया था। जिसमें उसका केवल एक मिनट का रोल था। वह एक बदमाश की हैसियत से धर्मेन्द्र को फोन पर घमकी देता है। किन्तु उस एक मिनट परफाॅर्मेन्स में उसके धमकी देने का अन्दाज फिल्म दर्शकों के दिमाग पर महीनों हावी रहा था। उसके बाद ‘चेतना’, ‘ब्लैकमेल’, ‘गुलाम बेगम बादशाह’, ‘रास्ते का पत्थर’, ‘रामपुर का लक्ष्मण’, ‘खिलौना’ आदि फिल्मों में काम करते हुए ‘मिलाप’, ‘एक नारी दो रूप’, ‘शैतान’ आदि फिल्मों के साथ हीरो बना और ‘काली चरण’ के रूप में दर्शकों के दिलो-दिमाग में बस गया। ‘कालीचरण’ में उसने अच्छे-बुरे दोनों आदमियों के रोल एक साथ किये थे। ‘कालीचरण’ का बुरा आदमी जब एक अच्छे और जिम्मेदार पुलिस अफसर के रूप में परिवर्तित होता है तो उसकी मनोवैज्ञानिक प्रति-क्रिया को दर्शाना असंभव न सही किन्तु मुश्किल जरूर था। इस हिसाब से ‘कालीचरण’ शत्रु की सर्वश्रेष्ठ फिल्म कही जा सकती है। इसके बावजूद शत्रुघ्न सिन्हा को उसकी अभिनय क्षमता को देखते हुए जो स्थान मिलना चाहिए था वह अभी तक नहीं मिल सका है। अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर इतनी आगे आया हूँ उसके बंगले में फिल्म ‘धोखेबाज’ की शूटिंग के दौरान भेंट होने पर मैंने उससे पहला प्रश्न यहीं पूछा। आपके बाद आने वाले अभिनेता अमिताभ बच्चन आदि आपसे बहुत आगे निकल गये हैं। क्यो आपको इस पर कभी पछतावा होता है? आप अभी तक अपने लिए वह स्थान नहीं बना सके जो अमिताभ आदि ने बना लिया है। क्या यह आपके इमेज का कसूर है? मुझे लग रहा है आप असल सवाल से भटक रहे हैं और मैं उसी तरफ आ रहा हूं। जवाब विस्तार से दे रहा हूं। इसलिए आप यह न समझें कि मैं भटक गया हूँ। मैं जो कुछ कह रहा हूँ वह गौर से सुनिए। पूना इंस्टिटयूट से या जीवन के किसी भी संस्थान से निकल कर जब लोग आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं तो हर मोड़ पर, हर कदम पर लोग रास्ता रोकने और टांग खींचने की कोशिश करते हैं। विशेष कर इस लाइन में ऐसा ही होता है। भाई-चारा, प्रेम-मुहब्बत सिर्फ परदे पर ही निभाई जाती है। ऐसे में जीरो से हीरो बनना आसान काम नहीं है। रही बात अमिताभ बच्चन की। तो वह एक बहुत अच्छा कलाकार है। वह मेरा अच्छा दोस्त था और है। यदि वह मुझसे आगे है तो वह इसका हकदार भी है। यदि आप न भूले हों तो अमिताभ के आते ही कुछ अच्छे बेनर मिल गए थे। मसलन के. ए. अब्बास, सुनील दत्त, हृषिकेश मुकर्जी आदि। यह और बात है कि फिल्में चली न चली किन्तु उसके रोल बड़े महत्वपूर्ण थे वह हीरोे बनने के लिए आया था और आते ही दो-एक फिल्मों के बाद हीरो बन गया। वह मुझसे कई महीनों बाद फिल्म इंडस्ट्री में आया था। अमिताभ के कुछ वर्ष तक हीरो बने रहने तक मैं तरह-तरह के रोल करके पापड़ बेल रहा था। वह चाहे खलनायक के ही रोल थे। फिर धीरे-धीरे नायक बन गया। और संयोग या किसी से उस बीच अमिताभ की फिल्में धड़ाघड़ पिटने लगीं। दरअसल इस लाइन में अच्छे एक्टर का बैरो- मीटर उसका अभिनय नहीं बल्कि बॉक्स आफिस पर सफलता है। हालांकि अमिताभ बुरा एक्टर न था और न है। यह सब वक्त की हेराफेरी है। इसीलिए मैं उन दिनों उससे बहुत आगे निकल गया था। तब लोग कहते थे कि मैंने खलनायक से नायक बन कर भी अच्छे-अच्छे एक्टरों को पीछे छोड़ दिया है। फिर देखते-देखते अमिताभ इस रेस में मुझ से आगे निकल गया। लेकिन मुझे पछतावे की बजाए इस बात की खुशी है कि एक बढ़िया एक्टर आगे तो निकला कोई घटिया एक्टर नहीं। अब देखिए- अल्लाह जाने क्या होगा आगे ! मौला जाने क्या होगा आगे !! तो जनाब वक्त की हेरा-फेरी के साथ इस रेस के बारे में हम तो यही कहते हैंः- न तुम जीते न हम हारे! शत्रुघन सिन्हा ने एक-एक बात पर जोर देकर कहा। कहते हैं अमिताभ की तरह विनोद खन्ना भी आपसे आगे हैं। वह भी तो आपकी तरह खलनायक से नायक बना था। किन्तु उसे दर्शकों ने जल्दी हीरो के रूप में स्वीकार कर लिया। जब कि आपके साथ ऐसा नहीं हुआ। इस बारे में आप क्या कहते हैं? यह सही है कि वह खलनायक से बहुत जल्द नायक बन गया किन्तु यह गलत है कि वह मेरे बाद आया था मैंने पूना इंस्टिट्यूट में उसकी फिल्म ‘मन का मीत’ देखी थी। दूसरे वह अजंता आर्टस के बैनर और विशेष प्रचार के साथ इस मैदान में उतारा गया था। मेरी तरह उसे शुरू में छोटे-छोटे रोल नहीं करने पड़े। उसकी पहली ही फिल्म हिट हो गई थी। तीसरे विनोद के पास अच्छी शक्ल और सूरत के साथ अच्छी परसनेलिटी थी और भगवान कें आशीवोद से उस समय कम से कम इतना दोनों में से एक चीज भो मेरे पास नहों थी। जहां तक मेरा ख्याल है विनोद खन्ना मुझ से दो-तीन साल सीनियर है। रही बात उसे हीरो स्वीकार करने की तो मैं किसी कान्ट्रोवर्सी में पड़ना नहीं चाहता। इसका जवाब तो मुझसे अधिक आप पत्रकार लोग या फिल्म वाले जानते हैं। दोनों की हीरो के रूप में कौन-कौन सी फिल्में आई हैं। किस बैनर के अन्तर्गत और किस निर्दंेशक और हीरोईन के साथ आई हैं। और कौन-कौन सी आने वाली हैं। उन सब फिल्मों को देखकर आसानी से किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है। उसके लिए मैं खुद कुछ नहीं बोलना चाहता। क्योंकि विनोद खन्ना मेरे चन्द चहेते कंरेक्ट्स में से एक है। मैं उसका आदर करता हूँ” शत्रुघ्न सिन्हा ने खुद कुछ न कहते हुए भी सब कुछ कह डाला। लोगों का ख्याल है कि आप बतौर विलेन जितने कामयाब थे उतने हीरो के रूप में सफल नहीं हो पाये है। इस बारे में आपका अपना क्या किचार है? ख्याल नेक है और दुरुस्त है। शत्रु ने अपने स्टाइल में उत्तर देते हुए कहा। “मैं समझता हूँ कि मैं बतौर हीरो अधिक कामयाब हूँ वैसे जहां तक आपका सवाल है मैं स्वयं जवाब देने की बजाय ‘मायापुरी’ द्वारा अपने प्रशंसकों से पूछना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे उन फिल्मों में अधिक पसन्द किया है जिन में मैं विलेन था। या उन फिल्मों में जिन में नेक दिल मगर बुरा आदमी था? क्योंकि कोई मुझ पर विलेन का लेबल लगाता है तो मैं चैंक जाता हूँ दरअसल मैंने खालिस विलेन की फिल्में खुद भी कम ही की हैं। मेरी फिल्मों में अधिकतर ऐसी फिल्में रही है जिन में मैं आम फिल्मी विलेन नहीं था। मिसाल के तौर पर ‘चेतना’, ‘गेम्बलर’, ‘बुनियाद’, ‘गंगा तेरा पानी अमृत’, ‘समझौता’, ‘तन््हाई’, ‘गुलाम बेगम बादशाह’, ‘दोराहा’, ‘आ गले लग जा’ आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। (यदि मैं गलत कह हूं तो दर्शकों को पूरा अधिकार है कि वे मेरी गलती सुधार दें) संभव है कि वे मेरा अभिनय जरूरत से अधिक पसन्द करने के कारण मेरे विलेन के रोल को भी उन्होंने पसन्द किया और तालियों से स्वागत किया। जैसा कि लोग कहते हैं कि इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ कि विलेन की एन्ट्री पर ताली बजाई हो या विलेन हीरो को पिटाई करे तो ताली बजे। दरअसल लोगों को अपनापन-सी हो गई थी मुझसे ! इसीलिए वह अपने आप में मुझको पाते थे। इसीलिए मैं धीरे-धीरे विलेन से हीरो बना दिया गया। भगवान के आशीर्वाद, दोस्तों को दुआयों और देखने वालों की चाहत के कारण ! अब बताईये अगर लोगों ने मेरा विलेन से हीरो बनना स्वीकार न किया तो मेरी फिल्में बतौर हीरो क्यों आ रही हैं? लोगों ने मुझे हीरो के रूप में स्वीकार कर लिया है इसीलिए वह चाहे ‘जग्गु’ हो ‘दो ठग’, ‘संग्राम’ हो या ‘कालीचरण’ हो उनकी टिकट की खिड़की पर इतनी भीड़ कैसे लगती थी? इसलिए इसका जवाब भी मुझसे पूछने की बजाए मेरे दर्शकों और प्रशंसकों से ही हासिल करें तो अच्छा है। क्योंकि मुझे हीरो बनाने का श्रेय किसी निर्माता को नहीं बल्कि मेरे दोस्तों, प्रशंसकों को जाता है। इसलिए निर्माताओं की बजाए अपने दोस्तों और प्रशंसकों का आभारी हूँ। मेरे दोस्तो, प्रशंसकों जिन्दाबाद! सुना है आपको फिल्म वाले लोग अधिक पसन्द नहीं करते क्योंकि आप लाउड बोलते हैं। इसीलिए आपको शॉटगन भी कहते हैं? 'आजकल तो मैंने सुना है कि मैं बहुत कम बोलता हूँ' शत्रु ने तुरंत उत्तर देते हुए कहा। हकीकत यह है कि मैं न पहले अधिक बोलता था और न अब कम बोलता हूँ हां, यह जरूर है कि मैं जो बोलता हूँ सच बोलता हूँ और स्पष्ट बोलता हूँ, और सच के सिवा कुछ नहीं बोलता। दरअसल जिन लोगों ने मुझे लाउड माउथ कहा था वह खुद मिनी माउथ थे। और यह तो आप जानते ही हैं कि मूर्खों की टोली में सबसे बड़ा बेवकूफ उसे समझा जाता है जो उनमें सबसे ज्यादा अक्लमन्द होता है। और जनाब यही दुर्घटना मेरे साथ भी घटी।” शत्रुघ्न सिन्हा ने हंसते हुए कहा। किसी ने खबर सुनाई थी कि आपने रीना राय के साथ इसलिए टीम बनाई है कि हेमा मालिनी, जीनत अमान आदि बड़ी हीरोइनें आपके साथ काम करने से इन्कार कर चुकी हैं। इसमें कहां तक सच्चाई है? आप लोगों को दुआ से अभी तक दिन इतने बुरे नहीं आए हैं कि मेरी किस्मत का फैसला जीनत अमान आदि के हाथों हो। किसी के साथ काम करने का फैसला आजतक मेरे हाथ में रहा है। और जहां तक जीनत अमान का सवाल है इन्शा अल्लाह आइंदा भी यह फैसला हमेशा ही मेरे हाथ में रहेगा। परसनेलिटी, टेलेन्टस और लोकप्रियता तीनों ही मामलों में मैं जीनत से हमेशा आगे रहा हूं और इंशाअल्लाह हमेशा ही आगे रहूंगा। इसलिए यह सवाल ही कभी नहीं उठ पाएगा कि वह मेरे साथ काम करेगी या नहीं?” शत्रुघ्न सिन्हा जीनत अमान के विषय में ‘शॉटगन स्टायल’ में बोलते हुए कहा। रही बात हेमा मालिनी की तो शायद पूरी फिल्म इंडस्ट्री में मैं ही एक उसका चहेता और इकलौता भाई हूं जिसे वह राखी बांधती हैं। और मेरे लिए पूरी बम्बई में वह इकलौती बहन है जिससे मैं राखी बंधवाता हूं। इसलिए हमारे आपसी संबंध कैसे होंगे इसका आप स्वयं अनुमान लगा सकते हैं। हमने पहले भी साथ काम किया है और आगे भी काम करेंगे। हेमा के अलावा और भी जिन हीरोइनों ने मेरे साथ काम कर चुकी हैं या कर रही हैं आज भी मुझे सबसे ज्यादा प्यार और इज्जत देती हैं। यह प्यार और इज्जत मैं भी उन्हें देता हूं (क्योंकि ताली तो दोनों ही हाथ से बजती है) वैसे भी लड़कियों और हीरोइनों के साथ मेरा रवैया-सुलूक दोस्ताना रहा है! और साथी अभिनेताओं के साथ आपका व्यवहार कैसा है? उनमें आप किसे अधिक पसन्द करते हैं? मेरे संबंध सबसे ही दोस्ताना हैं किसी से कोई झगड़ा नहीं है। अलबत्ता राज साहब और धर्मेन्द्र को मैं विशेष रूप से पसन्द करता हूं। क्योंकि फिल्म इन्डस्ट्री में धर्मेन्द्र जैसा सीधा-साधा कलाकार कोई नहीं है। वह भला और उसका काम भला। उसके निर्माता खुश तो वह खुश! ऐसा सिद्धांत अपनाकर वह इस लाइन में जमा हुआ है। राज साहब (राज कपूर) एक बेजोड़ अभिनेता हैं। अभिनय करते-करते मूड बदलने की जो उनमें क्षमता है किसी में नहीं है। मैंने उनके साथ काम करके “बहुत कुछ सीखा है। वह मुझे बड़ा प्यार करते हैं। इसीलिए आर. के स्टूडियों में शूटिंग के समय वह अपना विशेष रूम मुझे मेकअप के लिए दे दिया करते थे जो कि वह किसी को नहीं देते। आप शूटिंग के लिए लेट आते हैं। इस संबंध में तो आपसे प्रश्न किया जा सकता हैं। इसका क्या कारण है? मैं मशीनी जिन्दगी को पसन्द नहीं करता। इससे टेन्शन हो जाती है। इसके बावजूद मैं जान-बूझ कर लेट नहीं जाता बल्कि कभी-कभार ऐसा हो जाता है। काम को मैं पूजा समझ कर करता हूँ। वर्ना जहां तक संभव होता है मैं समय की पाबंदी का ख्याल रखता हूँ। और कभी-कभार समय से पूर्व भी पहुंच जाता हूँ। यकीन हो तो आप सावन कुमार टाक से मालूम कर सकते हैं। समय की पाबंदी के कारण ही हृषिदा के साथ ‘कोतवाल साब’ में काम किया है। आपकी सबसे बड़ी कमजोरी क्या है? लाल बिन्दी! शत्रु ने कहा। मेरे लिए नारी की लाल बिन्दी में जितना आकर्षण है और किसी में नहीं है। आपकी अब तक की फिल्मों में आपको अपनी कौन-सी फिल्म सबसे अधिक पसन्द आई है और क्यों? कालीचरण। शत्रु ने बताया। क्योंकि उसकी कथा और पात्र में नवीनता थी। समय काफी हो चुका था और इस बीच उसे कई बार बीच में उठकर जाना पड़ा था और चूंकि इन्टरव्यू समाप्त हो चुका था इसलिए मैंने विदा ली और शत्रु पुनः शॉट देने कैमरे के सामने चला गया। #Shatrughan Sinha #Mr. Shatrughan Sinha #Shatrughan Sinha Birthday #happy birthday shatrughan sinha #legend actor Shatrughan Sinha हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article