/mayapuri/media/post_banners/afa0a7378465c6bac5920892654c09225c7528b324918bf6615b972d0d5ffbbf.jpg)
मथुरा (उ.प्र.) से भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से हेमा मालिनी को लोक सभा का प्रत्याशी बनाया है। वह 2014 में भाजपा के सीट से चुनाव लड़कर प्रचंड मतों से विजयी हुई थी। तब उनके सामने प्रत्याशी थे राष्ट्रीय लोकदल (त्स्क्) के जयंत चौधरी और हेमाजी ने 3 लाख तीस हजार सात सौ तैंतालिस मतों से विजय दर्ज कराई थी।
‘इस बार यह जीत और भारी मतों से होगी।’ हेमा आत्म-विश्वास से भरपूर मथुरा की सड़कों पर घूमते हुए अपने कार्यकर्ताओं को आश्वस्त करती हैं। ‘लोग जानते हैं कि मैंने अपने क्षेत्र में कितना दिल लगाकर काम किया है और हर किसी की छोटी बड़ी शिकायतों पर ध्यान दिया है।’
इतना ही नहीं, मथुरा में वह किसान महिलाओं के साथ गेहूं कटाई में शामिल हुई हैं और ट्रेक्टर चलाते हुए अपनी फोटो भी ट्वीटर और दूसरे सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्मों पर सांझा किया है। ‘मैंने अपने प्रचार के रास्ते में सबको अटैंड किया है, वे फोटोज ही प्रेस में जा रहे हैं ‘जिस दिन मैंने मथुरा में पहुंचकर नॉमिनेशन फॉर्म भरा था, वहां मुख्यमंत्री बाबा योगीनाथ जी हमारे साथ थे और पार्टी के सभी स्थानीय कार्यकर्ता हमारे साथ थे। ये फोटोज भी वायरल हुए हैं। मैंने अपने प्रचार मुहिम की शुरूआत पर सबसे पहले बांके बिहारी जी का दर्शन किया। मैं हमेशा ही यह काम करती हूं। इन सबके पीछे कोई मतलब निकालने की बात नहीं है क्योंकि मैं वैसी हूं ही, जो करती हूं लोग वही जानते हैं। इस समय चुनाव का माहौल है तो फोटो चुनाव के छप रहे हैं। और कोई समय होता तो चर्चा मेरी फिल्मों को लेकर होती या नृत्य कार्यक्रमों की चर्चा होती।’
तो इस समय फिल्मों से पूरी तरह से दूर होंगी आप?’
- ‘मैं जो जब करती हूं उसमें उस समय अपना हंडरेड परसेन्ट इनपुट देती हूं यानि -चुनाव का समय है तो राजनीति को और फिल्मों को समय हो तो कैमरे को...दोनों को अपना 100 प्रतिशत देती हूं।
अपने प्रचार में क्या आप कुछ फिल्मी चेहरों को भी बुलाना पसंद करती हैं?
- मैं किसी को प्रचार में शामिल होने के लिए दबाव नहीं डालती। यह मेरी लड़ाई है। मेरे काम की और मेरी पार्टी की नीतियों की कन्वेंसिंग है। हमारे नेता प्रधानमंत्री मोदी जी को ताकत देने की लड़ाई है। जिसको ठीक लगता है वे लोग हमारे साथ होते हैं।
अपनी उम्र के 70वें पड़ाव पर चुनाव में जितने दम-खम से हेमा मालिनी जुड़ी हैं, वे उतनी ही सौम्याता से प्रचार में अपनी भाषा पर नियंत्रण रखती हैं। संतुलित भाषा, बेवजह की टीका-टिप्पणी और किसी पर आरोप न लगाने वाली लोकसभा की इस प्रत्याशी की तारीफ विरोधी पक्ष के लोग भी करते हैं। ‘मेरे संस्कार में ही अभद्रता नहीं है। मैं अपने फिल्मी -करियर में भी हमेशा ही इस बात का ध्यान रखती रही हूं।’ आप मथुरा में जनता के बीच ट्रैक्टर चलाने गई हैं, इसकी आलोचना हो रही है? ’के जवाब में वह हंसती है। ट्रैक्टर चलाना खराब है क्या? मैं किसानी करने की इच्छा हमेशा मन में रखती हूं। यह देश किसानों का है।’
आपके इस चुनावी-प्रचार में धर्मेन्द्र जी का आगमन है?
- यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है। उनकी तबियत,व्यस्तता और काम करने की शैली उनकी अपनी है। हम लोग अपनी-अपनी जिंदगी और दिनचर्या अपने-अपने ढंग से बनाकर चलते हैं एक सांसद के रूप में भी मैंने अपनी अलग पहचान बनाये रखा है। मैं सबकी तरह नहीं हूं। मेरे चुनाव क्षेत्र में लोग मेरे बारे में जानते हैं कि मैं क्या हूं और बिना वायदा किए मैं कैसे काम किया करती हूं। मैं सिर्फ काम में विश्वास करती हूं।