सेक्सुअल हैरेसमेंट पुरुष व नारी दोनों के साथ हो रहा है- चित्रांगदा सिंह

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By Shanti Swaroop Tripathi
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सेक्सुअल हैरेसमेंट पुरुष व नारी दोनों के साथ हो रहा है- चित्रांगदा सिंह

‘‘हजारो ख्वाहिशे ऐसी’’जैसी फिल्म में अभिनय कर सेक्सी एक्ट्रेस के रूप में पहचान बनाने के बाद चित्रांगदा सिंह ने ‘‘यह साली जिंदगी’, ‘इंकार’,‘साहेब बीबी और गैंगस्टर’ सहित कई फिल्मों में लीक से हटकर किरदार निभाती आयी हैं.चित्रांगदा सिंह महज एक एक्ट्रेस नहीं हैं,बल्कि वह फिल्म निर्माता होने के साथ साथ फिल्म की पटकथा भी लिख रही हैं. टीवी पर कूकरी शो कर रही हैं.इन दिनों जहां वह सैफ अली खान के साथ गौरव बजाज निर्देशित फिल्म ‘‘बाजार’’ को लेकर चर्चा में हैं,वहीं उनका दावा है कि उन्होने यौन शोषण का शिकार होने से बचने के लिए फिल्म छोड़ दी थी।

आपके करियर की पहली फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशे ऐसी’ से आपके उपर ‘सेक्सी एक्ट्रेस’ की इमेज चस्पा हुई थी. उससे आपको नुकसान हुआ?

- आपने एकदम सही पकड़ा. ऐसा हुआ. क्योंकि एक कलाकार के तौर पर हम जो पहला काम करते हैं और वह लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आ जाए,तो बॉलीवुड में लोग आपको उसी इमेज में बांधकर देखने लगते हैं.सिर्फ दर्शक ही नहीं बल्कि बॉलीवुड के रचनात्मक लोगों,लेखको और निर्देशकों के दिमाग में भी आपकी इमेज वही रहती है.यहां तक कि फिल्म के कहानीकार भी आपको सिर्फ उसी तरह के किरदारों में देखते हैं.दूसरी बात 2004 से 2010 तक जो मैंने छह साल का ब्रेक लिया उसका भी असर हुआ.क्योंकि बॉलीवुड के रीति रिवाज के अनुसार अपनी पहली सफलता को भुनाया नहीं. फिर भी मैंने अपनी वापसी पर कुछ अलग तरह की फिल्में की,जो कि लोगों को पसंद आयीं.फिर चाहे वह ‘इंकार’ हो या ‘यह साली जिंदगी हो’. उसके बाद फिर मैंने जो ब्रेक लिया उसका खामियाजा भुगतना पड़ा।

आपने फिल्म ‘इंकार’ का जिक्र किया. इसमें  सेक्सुअल हैरेसमेंट के मुद्दे को उठाया गया था, वह मुद्दा इन दिनों बॉलीवुड में ‘मी टू’ के चलते ज्यादा चर्चा में आ गया है.‘इंकार’ के समय सभी ने चुप्पी क्यों साध रखी थी?

- हंसते हुए कहती हैं-इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मेरी हर फिल्म अपने समय से पहले आ जाती है.इसी तरह मेरी फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशें ऐसी भी’समय से पहले आ गयी थी.‘इंकार’ भी पहले आ गयी.खैर.. यह हंसने वाला मसला नही है.पर मैं खुश हूं.मैं ही क्यों इंडस्ट्री की हर औरत खुश है.हर कामकाजी महिला भी खुश है कि अब इस मुद्दे पर चर्चा हो रही है.क्योंकि सभी ने कभी न कभी शोषण का अनुभव किया है.हैरेसमेंट का अनुभव किया है.कुछ न कुछ उनके साथ कभी न कभी जरूर हुआ होगा.इसी कारण आज भारत देश की हर औरत खुश है कि अब इस मुद्दे को लेकर बात हो रही है.मुझे लग रहा है कि जो औरतें आकर अब बातें कर रही हैं, उनका इंटेशन/मकसद गलत नही हैं.वह सही इंटेशन के साथ अपनी बात सामने रख रही हैं.मुझे इस बात की भी खुशी है कि अब मीडिया भी इसे जैन्यून तरीके से ले रही है.अब मीडिया के लिए यह मुद्दा महज एक हैडलाइन नहीं है।publive-image

एक तरफ ओमन इम्पॉवरमेट की बातें हो रही है.दूसरी तरफ बॉलीवुड में सेक्सुअल हैरेसमेंट के आरोप ..?

- देखिए,जिस तरह से तनुश्री दत्ता ने आवाज बुलंद की है,तो वह गैर फिल्मी माहौल से हैं.पर बॉलीवुड से जुड़े जो पुरुष नहीं समझते कि छोटे शहरों से आने वाली लड़कियों के लिए यह नई जगह है,तो उनके साथ गलत ढंग से पेश न आया जाए.पर आप जिस इंडस्ट्री में भी जाएंगे, आपको यह सब मिलेगा.तो  यह सीखने वाला अनुभव ही होगा.इसलिए सिर्फ ओमन इम्पॉवरमेंट की बात करना गलत होगा.पर आप बॉलीवुड के साथ किसी भी इंडस्ट्री में देखेंगे, तो सिर्फ लड़कियां ही नहीं लड़कों को भी इसी तरह के मुद्दों से जूझना पड़ता है,जो कि वहां कुछ बनना या करना चाहते हैं.तनुश्री ने जो कुछ कहा उससे मैं भी रिलेट करती हूं. दूसरे लोग भी रिलेट कर रहे हैं.मैं भी न हालातों में रही हूं,जहां मुझे चुप रहना पड़ा.पर मैंने निर्णय लिया कि चुपचाप उस फिल्म को छोड़कर निकल जाउं. इसी तरह सब निर्णय नहीं ले सकते.पर अब हम इस तरह से इम्पॉवरमेंट हो गए  हैं कि इतने लोग आकर अपना सच बयां कर रहे हैं.हम अब उनके सच की इज्जत करें और समाज की हैसियत से उन्हे सच कहने की हिम्मत दें.उनके सच को सम्मान दें.तभी आप औरत को इम्पावर कर सकते हैं.आप उन्हे नहीं सुनेंगे,तो इम्पावर नहीं होगा.यह कहना गलत है कि उसने पहले क्यों नहीं कहा? पहले वह चुप क्यों रही? इस तरह के सवाल रिड्यूक्लुस हैं.सेक्सुअल हैरेसमेंट पुरूष व नारी दोनों के साथ हो रहा है।

इसकी वजहें क्या हैं?

- सेंस आफ पावर.जो सत्ता में है,जो पावर में है,वह दूसरे का सेक्सुअल हैरेसमेंट कर रहा है.पावर में बैठा इंसान ही सामने वाले को एक्सप्लाइट कर रहा है.लोग अपने फायदे या अपनी किसी मजबूरी के तहत एक्सप्लाइट हो रहे हैं. पर यदि आप मेरी तरह निर्णय लेकर फिल्म या अपना काम या अपनी नौकरी छोड़ते हैं, तो आप अपना काम खोते हैं, अपना नुकसान करते हैं. अब सवाल यह है कि आप किस हद तक अपना काम खोने या नुकसान सहने को तैयार हैं.जब मैंने सेक्सुअल हैरेसमेंट की संभावना को समझकर उस जगह से बाहर निकली थी, तो मुझे पता था कि अब मुझे यह फिल्म नहीं मिलेगी.पर मैंने निर्णय लिया था.तो मेरी फिल्म या मेरे करियर का यह नुकसान है, इसका निर्णय तो हमें उस वक्त लेना ही पड़ता है.लेकिन जो लोग किसी भी वजह से यह निर्णय नहीं ले पाए, उनके साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट होने को मैं सही नहीं ठहराती.यह उनके साथ अन्याय है।publive-image

आपकी शीघ्र प्रदर्शित होने वाली फिल्म ‘‘बाजार’’ क्या है?

- मेरे लिए एक बहुत खास फिल्म हैं यह स्टाक मॉर्केट के इर्दगिर्द की कहानी है.पर इसमें प्रेम कहानी भी है.यह एक बहुत ही अलग तरह की रोमांचक फिल्म है.आम कमर्शियल फिल्म की तरह नही है और ना ही इसमें आम कमर्शियल फिल्मों की तरह डांस संगीत प्रेम कहानी का मुरब्बा पिरोया गया है.यह एक सच्ची कहानी रोमांचक तरीके से कही गयी है.

फिल्म ‘बाजार’में आपका अपना किरदार क्या है?

- मैंने शकुन कोठारी की पत्नी मंदिरा कोठारी का किरदार निभाया है.फिल्म में पैसा, महत्वाकांक्षा,पावर को लेकर गेम चल रहा है.उसी के बीच मंदिरा ऐसे परिवार की बेटी है,जो कि उद्योग जगत का शक्तिशाली परिवार है.तो महत्वाकांक्षा को लेकर उसका नजरिया अलग है.जबकि उसके पति का नजरिया अलग है.शकुन कोठारी ने जमीन से शुरूआत की थी,पर आज एक बहुत बड़े मुकाम पर पहुंच चुके है.उनकी पावर व पैसे को लेकर जो भूख है,वह मंदिरा से बहुत अलग हैं.वहीं रिजवान इलाहाबाद जैसे छोटे शहर से आया है.उसके लिए महत्वाकांक्षा बहुत अलग है.तो वहीं प्रिया मल्होत्रा के लिए अलग है।

फिल्म ‘बाजार’ में काम करने के अनुभव क्या रहे?

- अच्छे अनुभव रहे. सैफ के साथ यह मेरी पहली फीचर फिल्म है. पर काफी समय पहले मैंने उनके साथ एक विज्ञापन फिल्म ‘ताज चाय’ की थी. जब हम दोनों इस फिल्म के सेट पर मिले, तो इस विज्ञापन फिल्म की याद कर रहे थे.इस विज्ञापन फिल्म की शूटिंग के कुछ फोटोग्राफ सैफ के पास थीं, जो एक दिन वह सेट पर लेकर आए थे. उस फोटो में वह और मैं दोनों अलग नजर आ रहे थे। publive-image

 सैफ के साथ काम करने का आपका अनुभव?

- बेहतरीन इंसान हैं. स्टाइलिश हैं. नवाबी हैं. वंडरफुल इंसान के साथ साथ अच्छे एक्टर हैं.बॉलीवुड में हर कलाकार से वह काफी अलग हैं. वह इतने अनअपोलॉजिटिक है, फिर चाहे जो भी उनकी च्वाइस रही हो वह सिर्फ कुछ कहने के लिए नहीं कहते हैं. मीडियॉकर नही है. वह वास्तव में जैन्यून जिंदगी जीते हैं. हर विषय पर उनका प्वाइंट ऑफ व्यू अलग होता है।

 चर्चा है कि आप किसी मशहूर तैराक पर बायोपिक फिल्म बनाना चाहती हैं?

- जी हां!यह एक अपाहिज तैराक की कहानी है. वास्तव में मैं इस बात को अभी छिपाकर रखना चाहती थी. पर आपको पता चल ही गयी.चलिए, मैं स्वीकार करती हू कि मैं यह फिल्म बना रही हूं.लेकिन अभी पटकथा लिखी जा रही है.आप भी जानते हैं कि बायोपिक फिल्म में राइट्स के बहुत सारे मुद्दे होते हैं.इसलिए इस फिल्म के संदर्भ में अभी बहुत ज्यादा बात नहीं कर सकती।

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