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लिपिका वर्मा
संजय दत्त एक बहुत ही नरम दिल व्यक्ति है। किन्तु अपनी मासूमियत की वजह से गलत चीज़ों में फंस गए। उनका वीक पॉइंट क्या है तो सुनिए बाबा की जुबानी -'जी हाँ ! 'मेरा वीक पॉइन्ट यह है कि -मेरा दिल मॉम का है। कोई भी इसे पिघला सकता है। '
जेल में रहते समय कुछ ऐसा आपके साथ घटा हो,जो हमारे साथ शेयर कर सकते हो?
जी हाँ, जब भी मुझे किसी ऐसे अभियुक्त के बारे में जानकारी मिलती जो रेपिस्ट रहा और रेप के सिलसिले में सजा काट रहा है, तो ऐसे अभियुक्त से बात करना तो दूर की बात होती। मुझे उसकी शक्ल भी देखना पसंद नहीं होता। ऐसा इसलिए होता, मुझे अपनी भीतर की आवाज़ यही कहती - जबकि हम दुर्गा माँ और लक्ष्मी देवी की पूजा करते है, तो फिर यह दानव कैसे बन जाते है, कैसे किसी भी औरत की इज्जत लूटने में इन्हे शर्म कैसे नहीं आती है। महिला -हमारी माँ बहन और बेटी का रूप है। क्या हमें उनकी इज्जत नहीं करनी चाहिए। या फिर उनकी इज्जत लूटनी चाहिए? ऐसे प्रवृती के व्यक्तियों से मुझे अत्यंत घृणा होती है। /mayapuri/media/post_attachments/6acf99aba6ab7bdf72de9e65bb81381377a5690eaff30736a787a27d1c45fcbd.jpg)
जेल से आने के पश्चात आपने ने भूमि फिल्म से ही कम बैक करना क्यों चाहा ?
फिल्म ,'भूमि' की कहानी सुनने के बाद मुझे यही लगा कि इससे ही मुझे वापसी करनी चाहिए। वैसे चार साल के बाद आना यदि आप लोगों के लिए वापसी है तो ठीक है। मेरे लिए तो -मुझे ऐसा ही लगता है -में यही था। इसे कहने में ,'बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ 'का पैगाम भी जाता है। सो मुझे इससे अच्छी स्क्रिप्ट और कोई नहीं मिलती ऐसा मेरा मानना है। इस फिल्म में बेटी और बाप के रिश्ते को सही मायने में उजागर किया गया है। मैं पिता का किरदार निभा रहा हूँ। हम एक छोटे शहर के रहवासी है। किस तरह मेरी बेटी के साथ एक अनहोनी घटना घट जाती है और फिर एक बाप होने के नाते क्या कुछ कर जाता हूँ, यही कहानी की मुख्य पृष्ठ्भूमि है। फिल्म, 'भूमि' का हिस्सा हूँ, इस बात की ख़ुशी है मुझे।
बेटी त्रिशला के साथ कैसे रिश्ते है ?
अपनी बिटिया के साथ कैसा रिश्ता होता है एक बाप का? बस ढेर सारा प्यार है हम दोनों बाप बेटी में। एक पिता के नाते मैं ही नहीं अपितु हर पिता अपनी बेटी के लिए सब कुछ करने को तैयार रहता है। ठीक उसी तरह मेरी बेटी जो की अभी अपनी पढ़ाई विदेश में पूर्ण कर रही है, उसके लिए भी जो कुछ मैं कर सकता हूँ करता हूँ और हमेशा से ही करता रहूंगा। कहना चाहूंगा बेटी लक्ष्मी स्वरूप होती है उसके जन्म का स्वागत करों।
कोई एक महत्वपूर्ण सिख जो बच्चो को शिक्षा के तहत कहना चाहेंगे आप?
उन बच्चों को यही कहना चाहूँगा -आप अपने माता-पिता का कहना जरूर माने. वह आपकी भलाई के लिए ही डांटते है। उनकी हर शिक्षा को लेकर ही आगे बढ़े। और एक चीज़ और रात को किसी भी मित्र के यहां जाकर रहना यह कोई अच्छी बात नहीं होती है। दिनभर में आप अपनी दोस्ती का इजहार कर सकते है। रात में अपने ही घर पर रहो यही आपके लिए लाभदयक होगा। /mayapuri/media/post_attachments/d2b1dc1f0cfc775318dd9fa17a26e51bf9c8f9cb5ef762dc738db35714260673.jpg)
पलट के देखे तो बचपन कैसा रहा माता पिता के साथ आपका ?कभी माता पिता की सीख ली या फिर उनसे नाराज हुए?
बिलकुल भी नाराज नहीं हुआ उनसे। हाँ यदि कोई गलती की हो तो पिताजी से चपटा फिरता था.उनकी सीख हमेशा मेरे सर आँखों पे रही। मुझे ऐसा कोई भी वक़्त याद नहीं जबकि मेंने उनको पलट के जवाब दिया हो।
आपके बुरे समय में इंडस्ट्री ने भी आपका साथ दिया क्या इसकी वजह आपके पिताजी श्री सुनील दत्त साहब थे?
बिलकुल में यही मानता हूँ। पिताजी ने इतनी अच्छाई कमाई है फ़िल्मी और राजनीती की दुनिया में कि- मेरे बुरे समय में सबने हमारा साथ दिया। मेरे पिताजी ने हमेशा से ही सबकी मदद की है फिर चाहे वह राजनीती का हिंसा रहे हो या नही रहे हो।
कुछ खास बात अपने परिवार के बारे में हमसे शेयर करना चाहेंगे?
यही कि मेरी दो बहने है, मेरे माता पिता ने कभी भी लड़का या फिर लड़की में कोई भी फर्क नहीं समझा। हम सबको एक ही नजर से देखा उन्होंने. और एक ही तरह हम सबको चीजे भी दी गयी। ऐसा नहीं था कि ' मैं लड़का हूँ तो मुझे कुछ ज्यादा और मेरी बहनों को कुछ कम दिया गया। घर में लड़के और लड़की में कोई फर्क नहीं बरता गया सबको एक सा देखा गया। /mayapuri/media/post_attachments/be9da08bb0d8418be4289ae7f567ee8a2d449ea92f4ae99548a48d1215a6ceba.jpg)
हमारे देश में माता पिता अपने बच्चो से दोस्त की तरह क्यों नहीं रह पाते है ?
क्या करना चाहिए? उनके साथ बैठ के एक बाप शराब पिए ? या फिर 'स्मोकिंग करे ?क्या एक बाप के सामने उसकी बेटी हाफ चड्डी बहन कर बैठे? यह सब हमारे संस्कार नहीं है भईया। हमारे देश की संस्कृति हम सबको जोड़ कर रखती है। कुछ संस्कार ऐसे है जिसकी वजह से आज भी हमारे परिवार में एक जुटता आज भी कायम है। यही कारण है हमारे रिश्ते बहुत ही बलवान होते है। संस्कारों की वजह से ही हम सब एक साथ मिलजुल कर रहते है। बतौर माता-पिता हम अपने बच्चो के लिए सब कुछ करते है।
आप आज भी सिगरेट पी रहे हैं पहली बारी कब पी थी पिताजी की क्या प्रतिक्रिया रही?
हंस कर बोले-हाँ मुझे स्मोकिंग नहीं करनी चाहिये जल्द ही स्मोकिंग छोड़ दूंगा। मैंने जब पहली बारी समोकिंग की थी तो पिताजी से जमकर जूते पड़े थे मुझे। मै चुपके से बाथरूम में सिगरेट का सेवन कर रहा था। और पिताजी सूंघते - सूंघते वाहन पर पहुँच गए। जैसे ही मैं बाहर निकला -'कमरे में ले गए और उन्होंने बहुत पिटाई की थी मेरी।
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