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डायना पेंटी -जन्म 2 नवंबर
स्थान - मुंबई महाराष्ट्र
पसंदीदा हीरोइन - मधुबाला
डायना पेंटी पहले कुछ कमर्शियल्स में बतौर मॉडल नजर आयी। फिल्म ‘कॉकटेल’ से हिंदी फिल्मों में अपनी पहली पारी की शुरुआत कर अपने फैंस एवं दर्शकों को काफी चौंका दिया था, डायना ने। फिल्म ‘कॉकटेल’ के लिए डायना को बेस्ट डेब्यू फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। किन्तु उसके बाद डायना की फिल्मों से उनके फैंस को थोड़ी निराशा भी हुई। पिछली फिल्म ‘लखनऊ सेंट्रल’ फरहान अख्तर के साथ रिलीज हुई फिल्म ‘लखनऊ सेंट्रल’ ने भी बॉक्स ऑफिस पर कुछ अच्छा कारोबार नहीं किया। खैर छोड़िये, अब जॉन अब्राहम की फिल्म ‘परमाणु’ में डायना अपना दमदार परफॉर्मेंस दिखाने बहुत जल्द बॉक्स ऑफिस पर आ रही है। दूसरे निर्माता क्रीराज को फटकार लगाते हुए- जे ऐ एंटरटेनमेंट कृत फिल्म ‘परमाणु’ को कोर्ट ने हरी झंडी देकर फिल्म रिलीज करने की इजाजत दे दी है।
पेश है डायना पेंटी के साथ लिपिका वर्मा की गुफ्तगू
आपकी पहली फिल्म ‘कॉकटेल’ से सबको बहुत उम्मीदे थी, आप इतना कम काम क्यों करती हैं ?
तो क्या आप निराश हुई हैं? जी हाँ! दरअसल, जितनी भी स्क्रिप्ट्स मेरे पास रीडिंग के लिए पहुंचाई जाती है , सभी स्क्रिप्ट्स को में जरूर पढ़ती हूँ। किन्तु मैं उन्ही फिल्मों का हिस्सा बनना पसंद करती हूँ जो मुझे पसंद आती है। क्या यह फिल्म मुझे सिनेमा घर तक ले जा सकती है। हाँ! यदि मुझे लगता है कि फलां -फलां फिल्म को देखने लोग थिएटर पर जरूर आएंगे, वही फिल्मों का हिस्सा बनना मुझे पसंद होता है।
आगे चलकर अनुष्का शर्मा एवं प्रियंका चोपड़ा की तरह निर्मात्री बनना पसंद करेगी क्या आप ?
शायद नहीं। फिलहाल मुझे प्रोडक्शन के बारे में कुछ समझ में नहीं आता है। अभी मैं इस लाइन में इतनी मंझी भी नहीं हूँ। बॉक्स ऑफिस पर बतौर एक कलाकार बस इतना जरूर लगता है -क्योंकि मैं इस फिल्म का हिस्सा हूँ और हम सबने मिलकर बहुत मेहनत भी की है फिल्म पर सौ फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर अच्छा करना मेरे लिए मायने रखता है। इसके अलावा मुझे ट्रेड की ज्यादा जानकारी भी नहीं है।
फिल्मों के अलावा आप समाज सुधार के लिए कुछ करना चाहेंगी कभी ?
जी हाँ, मुझे वातावरण से बहुत लगाव है, मैं भरसक कोशिश भी करती हूँ कि- हमारे यहाँ के पेड़ पौधे हमेशा फलते- फूलते रहे। जब कभी बहुत वर्ष पुराने पेड़ो को काटा जाता है तो सचमुच मेरे आंसू निकल आते हैं। और मैं कभी भी किसी भी जानवर पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं कर पाती हूँ। और तो और मैंने अपने आप से यह पक्का वादा भी किया है कि जीवन में आगे चल कर मैं मरीजों की पैसों से मदद कर सकूँ. क्योंकि मैंने अपने पापा को एक लम्बी बीमारी से जूझते हुए देखा था और उस समय इस बात का भी अनुभव मिला था कि लोगों के पास पैसे न होने की वजह से वो लोग सही ईलाज नहीं करवा पा रहे थें।
आप भी सलमान खान की तरह एक एनजीओ खोल सकती है न ?
हाँ! यह एक अच्छा सुझाव है। किन्तु इसके लिए मुझे काफी समय लगेगा। पहले तो मुझे पैसों को जमा करना होगा फिर उसके बाद मैं ऐसा कर पाऊँगी।
इस फिल्म ‘परमाणु’ में क्या आप एक ग्लैमर उपलब्धि ही बन के रह जाएगी क्या ?
जी ऐसा नहीं है, हाँ यह जरूर है कि मैं इस फिल्म में इकलौती फीमेल आर्टिस्ट हूँ। लेकिन मैंने भी एक्शन किया है। केवल दस सेकेंड के एक्शन के लिए भी कड़ी मेहनत की है। और यह मैं मानती हूँ कि मेरा किरदार छोटा ही है, किन्तु बहुत महत्वपूर्ण है इस फिल्म में परमाणु मिशन का हिस्सा हूँ यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात है। हमारे देश की यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस फिल्म द्वारा हमारी नई पीढ़ी को परमाणु बनाते समय क्या कुछ हुआ यह मालूम होगा यह भी जरुरी ही है। मुझे भी इस फिल्म के साथ जुड़ने के बाद ही परमाणु से जुड़ी ढेर सारी बातें मालूम हुई।
अपनी बचपन की यादें ताजा कर डायना अपने अंदर देश भक्ति की भावना के बारे में कुछ बतायें ?
हाँ, क्योंकि मेरे दादाजी भी फौज, का हिस्सा रह चुके हैं तो हमें यह बताया गया था जब भी कोई आर्मी ट्रक या आर्मी का जवान आपके सामने से जाये तो उसे सैल्यूट जरूर करना। और हमें ऐसा करने की आदत सी हो गयी थी। इसका फायदा मुझे इस फिल्म में मिला। जो अफसर हमें सैल्यूट करना सीखा रहे थे -उन्होंने मेरी तारीफ की और कहा -‘आप इन मेल एक्टर्स से भी बेहतरीन सैल्यूट करती हो।’ यह सिर्फ मेरे दादाजी की वजह से हो पाया। वो जहां कही भी होंगे मुझे ऐसा करते देख खुश हो रहे होंगे। सो अब फिल्म ‘परमाणु’ करने के बाद मेरे अंदर जो देशभक्ति की भावना बचपन से थी वह और बढ़ गयी है।
फिल्मी हीरोइन्स के साथ पैसों को लेकर सौतेला व्यवहार के बारे में कुछ कहना चाहेंगी आप ?
देखिये, हमारी पेमेंट को लेकर जो असमानता है - मैं अभी इतनी जानकार नहीं बनी हूँ कि- इस बारे में कुछ कह पाऊं। बस यही कह सकती हूँ - बदलाव शुरू हो गया है। .. और देखने में आ रहा है। आखिर कभी न कभी तो समानता हम फीमेल आर्टिस्ट्स को भी मिलेगी ही।