लिपिका वर्मा
'मैंने अपनी पीठ पर एक टैटू करवाया है जिस पर,'गार्डियन एंजेल' के साथ उनका जन्मदिवस और उनका नाम भी लिखवा रखा है। ' करण
यह जग जाहिर है कि कभी किसी भतीजे या भतीजी के माँ बाप न होने पर मौसी ही माँ का किरदार उनके लिए निभाती है। करण कपाड़िया जो की सिंपल कपाड़िया के बेटे है, सिंपल का देहांत करण केवल 15 वर्ष के थे तभी हो गया था. डिंपल कपाड़िया जो की सिंपल की बहन है उन्होंने ही करण को अपनी देख रेख में पाला पोसा। और आज करण फिल्म,' ब्लैंक ' से अपना फ़िल्मी सफर शुरु कर रहे है।
आपको फिल्मों है ऐसा विचार कब आपके मन में आया?
जब मैं केवल 11 वर्ष का रहा होगा तभी से मेरे मन में यही इच्छा थी कि मैं फिल्मों में काम करूँ.लेकिन यह ख्वाईश मैंने 15 वर्ष की आयु में अपनी माँ (की तरह है) डिंपल को बताई। और ट्विंकल जो असल में मेरी बहन है किन्तु क्योंकि मेरा उनसे लगभग 19 वर्ष का अंतर है वह भी मेरे लिए,' मां जैसी है ' ट्विंकल और माँ (डिंपल) ने मेरी इस इच्छा को पूर्ण किया है। मैं अपनी यह इच्छा माँ (सिंपल) को नहीं बतला पाया क्योंकि उनका देहांत हो गया था.खेर यदि वह होती भी तो मुझे इंजीनियर बनने को कहती .वह हमेशा मेरी पढ़ाई को लेकर बहुत स्ट्रिक्ट हुआ करती। आज मै जो कुछ भी हूँ माँ (डिंपल) की वजह से ही हूँ।
माँ (डिंपल) के बारे में क्या कहना कहते है आप?
वह मेरी माँ की तरह ही है। उन्होंने मुझे न केवल पाला पोसा बल्कि मुझे इस दुनिया में जीना भी सिखलाया.वह एक बहुत ही बेहतरीन व्यक्तित्व की धनी है। उन्होंने आज तक मुझे कभी ही बाहर जाने से नहीं रोका.जब में थोड़ा जवान हुआ तब भी उन्होंने मुझे यही कहा -तुम यदि किसी लड़की की ओर आकर्षित होते हो तो उस लड़की को एक सज्जन पुरुष की तरह ही ट्रीट करना। हाँ इस बात का भी धयान रहे की हार्ट ब्रेक न हो तुम्हारा। उन्होंने मुझ पर कभी जोर जबरदस्ती नहीं की। और मेरा व्यक्तित्व जो भी है जैसा भी है उनकी ही देन है।
कुछ सोच कर करण आगे बोले,' मैंने अपनी पीठ के पीछे -' गार्डियन एंजेल' गुदवाया है जिस पर अपनी माँ (डिंपल) का नाम और जन्म दिवस भी गुदवा रखा है , मै आज उनके साथ 20 वर्षों से साथ रह रह हूँ.वह मेरी दोस्त,माँ एवं संरक्षक भी है। उन्ही की वजह से यह सपना फिल्मों में काम करने क पूरा हो रहा है। मेरे परिवार का ही सपोर्ट ही है कि आज में जो कुछ भी हूँ और जो कुछ भी कर पा रहा हूँ उन्ही की वजह से हो आया है।
आपकी माँ सिंपल और डिंपल में क्या फर्क देखते है आप?
मेरी पालनकर्ता माँ (डिंपल) बेहद मस्त मौला है एक फन लोविंग व्यक्तित्व क धनी है। किन्तु वह जिंदगी की बारीकियों को समझती है। अपनी हूँ में रहती है। उनका और मेरी माँ का दिल बहुत बड़ा है। वह सबकी की मदद करने की इच्छा रखती है। माँ (डिंपल) कूल रहती है जबकि मेरी माँ (सिंपल) थोड़ी सख्त मिजाज की धनी रही लेकिन दिल से वह भी कठोर नहीं थी । माँ (डिंपल) का करियर बहुत ही सफल रहा, वह बेहद मीठा बोलती है और ग्रउंडेड भी है। मेरी माँ (सिंपल) मुँह फट थी। मै और ट्विंकल भी थोड़े ,'मुँह फट ' है।
आपने फिल्मों में अभिनय से पहले क्या कुछ किया है?
मैंने असिस्टेंट निर्देशक की भूमिका में कुछ फिल्मों में काम किया है, फिल्म, 'सोसाइटी' निर्देशक राहुल ढोलकिया के साथ भी काम किया। लेकिन वह फिल्म अभी तक रिलीज़ नहीं हो पायी। अक्षय कुमार की फिल्म 'बॉस' में भी बटुआ असिस्टेंट निर्देशक एवं रनर की तरह काम किया है। अक्षय कुमार को सिर्फ सेट पर पहुँचने के लिए बुलाने जाया करता.वह बहुत ही अनुसाशित रहते है। उनसे मैंने यही सीखा की सेट पर किस तरह प्रोफेशनल रह कर काम करना होता है।
सनी देओल के साथ काम करना कैसा अनुभव रहा ?
मेरी माँ सिंपल ने उनकी बहुत सारी फिल्मों में उनका ड्रेस डिज़ाइन किया है.सो मैंने उनकी फ़िल्में भी देखी है। वह मेरे रोल मॉडल है। और उनसे भी मैंने यही सीखा है काम काम को किस तरह सीरियलसी लेकर आगे बढ़ना होता है।
फिल्ममेकिंग में और क्या-क्या करना पसंद है? निर्देशन में कभी हाथ आजमाना चाहेंगे आप?
निर्देशन में तो मैं शायद अपनी ही लिखी हुई स्क्रिप्ट को कभी आगे चल कर यदि डायरेक्ट करना चाहूंगा, तो कर सकता हूँ । मै कभी किसी दूसरे की लिखी हुई कहानी निर्देशित नहीं कर पाउँगा.फ़िलहाल इस बारे में सोचा नहीं है। हाँ मुझे साइंस फिक्शन टाइप कहानियां लिखना पसंद भी है। और जब कभी में फ्री होता हूँ तो अपने दोस्त के लिए स्क्रिप्ट लिख लिया करता हूँ। मुझे हमेशा एक्शन और साइंस फिक्शन 'कहानियां ही पसंद आती है। इसीलिए मैंने ,'ब्लैंक' जैसी कहानी का हिस्सा बनना पसंद किया।