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मैं स्टार्स की दख्लअंदाजी पंसद नहीं करता- लेखक निर्देशक सिद्धार्थ नागर

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By Shyam Sharma
मैं स्टार्स की दख्लअंदाजी पंसद नहीं करता- लेखक निर्देशक सिद्धार्थ नागर
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नार्थ में बच्चों के बीच कई खेल लोकप्रिय हैं जैसे आइस पाइस, लुका छुपी और धाई धाई धप्पा। लिहाजा इसी नाम से एक फिल्म है जिसका नाम है ‘धप्पा’ । फिल्म के लेखक निर्देशक हैं, एक्टर सिद्धार्थ नागर। सिद्धार्थ नागर की बैकग्राउंड में झांका जाये तो पता लगेगा कि सिद्धार्थ अपने वक्त के बेहद लोकप्रिय लेखक अमृत लाल नागर के नाती और मशहूर लेखिका अचला नागर के बेटे हैं।

बकौल सिद्धार्थ यूपी के उस यूथ की बात करती है जो शिक्षा को नजर अंदाज कर क्राइम की राह पकड़ लेते हैं यानि उनके हाथ में कलम की जगह बंदूक आ जाती है। इसके बाद उनका प्रशासन और पुलिस के साथ जो आईस पाईस या लुका छिपी का खेल शुरू होता है उसका अंत उस धप्पे के साथ होता है जो उनकी पीठ पर पुलिस द्धारा पड़ता है यानि आखिर में धप्पे के रूप में उनके हिस्से में गोली ही आती है। फिल्म का जॉनर यूथ माफिया हैं यानि ये एक एक्शन थ्रिलर है। जब सिद्धार्थ से फिल्म के द्धारा मैसेज की बात की जाती है तो वे यही कहते हैं कि मैसेज तो यही हैं कि प्रशासन ऐसा कुछ करे जो भटके हुये युवाओं के हाथ में देशी कट्टों और अंदूकों की जगह कलम आ जाये। हालांकि यूपी में पिछले कुछ अरसे के दौरान बेहद बदलाव देखने को मिल रहा है।

डायरेक्शन की बात आती हैं तो सिद्धार्थ धारावाहिकों में अभी तक तकरीबन तीन हजार एपिसोड बना चुके है लिहाजा फिल्म को निर्देशित करना उन्हें खेल ही लगा। उनका कहना हैं कि मैं तो बचपन से लाइट कैमरे की आवाज सुनता आ रहा हूं। इसलिये फिल्म डायरेक्ट करने का अनुभव मेरे लिये कोई नया नहीं रहा। सिद्धार्थ कहते हैं कि हर मेकर मल्टी स्टारर फिल्म बनाना चाहता है लेकिन कहानी की भी एक डिमांड होती है। कहानी के मुताबिक मुझे स्टारों की जरूरत नहीं थी रीयलस्टिक किरदारों के लिये मैने लखनऊ थियेटर से कलाकार लिये, इसके अलावा टीवी के कलाकार भी फिल्म में दिखाई देगें जिन्हांने काफी काम काम किया हुआ है जैसे अयूब खान, श्रेष्ठ कुमार, दीपराज राणा, यश सिन्हा,  अमित बहल,  जया भट्टाचार्य, ब्रिजेन्द्र काला, अविनाश सहजवानी तथा एक और टीवी कलाकार वर्षा माणिकचंद ने फिल्म में डेब्यू किया है, लेकिन जैसा कि मैने पहले ही कहा हैं कि फिल्म के मेजर किरदार लखनऊ और मथुरा थियेटर से हैं जैसे भानुमति सिंह, संदीपन नागर, पुनीता अवस्थी, आर डी सिंह काफी फिल्में कर चुके हैं। इनके अलावा यूपी में नोटंकी के फोग आर्टिस्ट भी फिल्म में दिखाई देने वाले हैं।

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यूपी में शूटिंग करना बहुत अच्छा रहा,  दूसरे यूपी से अपना एक भावनात्मक संबन्ध भी रहा है। मैं लखनऊ और मथुरा थियेटर से बरसों जुड़ा रहा। मेरे नाना जी एक 8 एमएम का कैमरा लेकर आये थे लिहाजा हम उस कैमरे से फिल्म फिल्म खेला करते थे। 1990 में मैने गुजराती सीरियल बनाने शुरू किये,  इसके बाद कुछ मराठी सीरियल भी बनाये। ये सब करते हुये मैं सोचा करता था कि यार यूपी में ये सब क्यों नही है। वैसे यहां पेंसठ साल पूर्व लखनऊ आइडियल फिल्म स्टूडियो की स्थापना हुई थी और वहां सबसे पहली फिल्म चोर की शुरूआत हुई थी जिसमें राज कपूर थे और पं. विश्वनाथ मिश्रा फिल्म के डायरेक्टर थे। मैनें वहां सीरियल बनाने शुरू किये जिनमें एक सीरियल था ‘अष्टभुजी’  वो जबरदस्त पॉपुलर हुआ। उसे इससे पहले मैने गुजराती में बनाया था। वो जया भट्टाचार्य,  मुकुन नाग, ब्रिजेन्द्र काला, अमित पचौरी, के के मेनन की पत्नि निवेदिता भट्टचार्य आदि इन सभी का पहला सीरियल था। उसी सीरियल से सभी यूपी के स्टार बन गये। उसी दौरान एक फिल्म ‘सुबह होने तक’ में सिद्धार्थ हीरो, पल्लवी जोशी हीरोइन परिद्वित साहनी, कंवलजीत आदि कलाकार थे। इस बीच बतौर सीरियल डायरेक्टर सिद्धार्थ लखनऊ में बेहद व्यस्त हो गये।

इन दिनों यूपी में खूब शूटिंग्स हो रही हैं और वहां की सरकारें तथा वहां के लोग उन्हें खूब प्रोत्साहित कर रहे हैं। लिहाजा बीस वर्ष पूर्व देखा गया सपना अब पूरा हुआ दिखाई दे रहा है। आज खास कर लखनऊ में चालीस फिल्मों की शूटिंग हो रही है। चालीस के दशक में अमृतलाल नागर बहुत बड़े लेखक हुआ करते थे। लखनऊ उनके पुश्तैनी हवेली में सत्यजीत रे ने शतरंज के खिलाड़ी की शूटिंग की, श्याम बेनेगल की फिल्म जुनून की पूरी शूटिंग उसी हवेली में हुई थी।

सिद्धार्थ ने अपनी शुरूआत बतौर एक्टर थियेटर से की इसके बाद दूरदर्शन के बेस्ट डायरेक्टर्स के साथ बतौर एक्टर खूब काम किया, उसके बाद फिल्में की सिद्धार्थ की पहली फिल्म ‘ नांडू’ साउथ की थी। इससे पहले लखनऊ में टेली फिल्में खूब की, लिहाजा लोगबाग ऑटोग्राफ लेने लगे थे। उसके बाद फिल्म ‘नीरूपमा’ में अरूण गोविल के छोटे भाई की भूमिका की, राजश्री की बाबुल, टीना मुनीम के साथ सात बिजलियां, सुबह होने तक, सदा सुहागन आदि इसके अलावा साउथ की भी आठ दस फिल्में की। तेईस साल की उम्र में मैनें बतौर प्रोड्यूसर सीरियल बनाने शुरू किये। बाद में प्रोड्यूसर डायरेक्टर दो दर्जन से ज्यादा सीरियल किये,  उनमें राजेश खन्ना को लेकर भी एक शो था जो एक साल तक चला था।

बकौल सिद्धार्थ छोटे और बड़े पर्दे को लेकर मेरा बहुत ज्यादा अनुभव है।‘धप्पा’ मेरी पहली फिल्म है। आगे मैं एक बड़ी फिल्म प्लान कर रहा हूं लेकिन मैं उन स्टारों के साथ काम नहीं करना चाहता जो दख्लअंदाजी न करें।

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