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कॉन्फिडेंस पैदा करती है पुलिस की वर्दी- ईशा गुप्ता

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By Mayapuri Desk
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कॉन्फिडेंस पैदा करती है पुलिस की वर्दी- ईशा गुप्ता

ईशा गुप्ता की सोशल मीडिया पर लंबी फैन फॉलोइंग है और वह सोशल मीडिया पर काफी ऐक्टिव भी रहती हैं। इंस्टाग्राम पर अक्सर अपने फोटो और वीडियो शेयर करती रहती हैं। हालांकि ईशा गुप्ता अपनी बोल्डनेस को लेकर सोशल मीडिया पर काफी निगेटिव रिएक्शन्स भी झेल चुकी हैं। वहीं इसके बाद भी उन्होंने ट्रोलर को जवाब देते हुए हॉट तस्वीरें शेयर की हैं। ईशा एक्ट्रेस के साथ-साथ सफल मॉडल भी हैं जिसके चलते वे न्यूड और टॉपलेस फोटोशूट करवाती रहती हैं। ईशा के पिता रिटायर एयर फोर्स ऑफिसर हैं और इनकी मां होममेकर हैं। इनकी छोटी बहन का नाम नेहा गुप्ता है और वो भी मॉडल है। ईशा ने मनिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मास कम्यूनिकेशन का कोर्स किया और इसी इंस्टिट्यूट के जरिए हुए फेमिना मिस इंडिया के कॉन्टेस्ट में पार्टिसिपेट किया। साल 2007 में फेमिना मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में ईशा गुप्ता विनर तो नहीं बनी लेकिन मिस फोटोजेनिक के खिताब से नवाजी गईं। इसके बाद निर्देशक महेश भट्ट ने ईशा को फोन करके अपनी अगली फिल्म के लिए साइन किया। साल 2012 में आई फिल्म जन्नत में ईशा गुप्ता ने डेब्यू किया। इस फिल्म को महेश भट्ट ने बनाया था और उनके अपोजिट थे अभिनेता इमरान हाशमी। ईशा गुप्ता को कमांडो-2, रुस्तम, राज-3, बादशाहो, हमशक्ल्स और गोरी तेरे प्यार में जैसी फिल्मों में काम करने का मौका मिल चुका है। अपनी न्यूड तस्वीरों के कारण चर्चा में रहने वाली एक्ट्रेस और मॉडल ईशा गुप्ता ने अपनी अगली फिल्म वन डे को लेकर खास बातचीत की :

वन डे में आप एक कॉप की भूमिका में हैं। इससे पहले फिल्म चक्रव्यूह में भी वह कॉप के रूप में नजऱ आ चुकी हैं। चक्रव्यूह और वन डे का किरदार आपस में कितना मिलता-जुलता है?

चक्रव्यूह और वन डे दोनों सीरियस फिल्में हैं। चक्रव्यूह में मेरा रिया का किरदार फैमिलियर था। उसमें मेरे साथ पति था और हर काम करने से पहले मैं उसके अच्छे या बुरे पहलू को सोचती थी। चक्रव्यूह में मैं संभली हुई थी लेकिन वन डे में मेरा गुस्सैल स्वभाव है। कुछ भी गलत दिखता है तो उसका कॉलर पकड़ लेती हूं।

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क्या रीयल लाइफ में भी आप दबंग मिजाज़ की है?

स्कूल टाइम से ही टीचर्स और पापा मेरे आक्रामक तेवरों से दुखी रहते थे। पापा को तो इस मामले में स्कूल में कई बार चक्कर लगाने पड़ते थे क्योंकि मैं दो बार सस्पैंड होते-होते बची थी। मेरा अपने क्लास स्टूडेंट्स के साथ कई बार झगड़ा हो जाता था। दो लडक़ों की तो मैंने खूब पिटाई की थी।

क्या लड़ाकू लडक़ी होने की वजह से आपको ब्वॉयफ्रेंड नहीं मिल पाए?

मुझे प्यार-व्यार में कोई दिलचस्पी नहीं थी। मुझे तो बस स्पोर्ट्स, खाना और मेरे मन की चीज़ों मिलती रहीं, उसी में खुश थी। हां, एक बार रियलाइज़ हुआ कि ब्वॉयज़ा मुझे नोटिस करने लगे हैं क्योंकि उन्हें मैं सुंदर दिखती थी। मैंने अपने बचपन को बेहद अच्छे तरीके से जिया है जबकि मेरे भाई-बहन उस तरह का बचपन नहीं जी पाए।

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फिल्म वन डे में अपने किरदार के लिए क्या तैयारी करनी पड़ी?

 इसमें सबसे मुश्किल काम था हिंदी और हरियाणवी को एक साथ सहज होकर बोलना। प्रीप्रेशन में काफी टाइम चला गया था। एक्सेंट को पकडऩा आसान नहीं था।

पुलिस की वर्दी पहनकर कितना कॉन्फिडेंस आया?

वर्दी पहनने से बॉडी लैंग्वेज बदल जाती है। मैं काम से कितना भी थक चुकी हूं लेकिन जब वर्दी पहनती थी तो थकान अपने आप दूर हो जाती थी और मुझे लगता था कि मैं कुछ तो हूं। पुलिस की वर्दी पहनकर मुझे गर्व महसूस होता था। हालांकि रीयल में मैंने पुलिस अधिकारी बनने के बारे में कभी नहीं सोचा। जर्नलिस्म और लॉ की पढ़ाई की थी और उसी दिशा में आगे जाना चाहती थी। पुलिस वाले तो बेचारे डंडे पकडक़र काम करते रह जाते हैं। अगर मैं पुलिस में होती, तो अब तक न जाने कितने लोगों को पीट चुकी होती।

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जीवन के प्रति आपका क्या नजरिया है?

मेरा मानना है कि अच्छा जीवन हर किसी को जीना चाहिए और स्वस्थ रहना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। अब जल्द ही निर्देशक अशोक नंदा की फिल्म वन डे में नज़र आएंगी।

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