डिप्रेशन में मैंने खुदकुशी की कोशिश की- शमा सिंकदर

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By Lipika Varma
डिप्रेशन में मैंने खुदकुशी की कोशिश की- शमा सिंकदर
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शमा सिकंदर का मानो यह दूसरा जन्म है। शमा एक बहुत ही स्ट्रॉन्ग लड़की है। वह चाहती है कि अपने इस दूसरे जन्म से- डिप्रेशन का शिकार बने लोगों को जिंदगी के मायने सिखा सके और बता सके कि किस तरह इस बीमारी से लड़ा जा सकता है। इस बीमारी से निकलने के लिए ऐसे मरीजों को मेडिटेशन भी करवा सके।

हमसे बातचीत में शमा ने अपने बचपन, जवानी, डिप्रेशन में पड़ना, सुसाइड करने और अब तक के सफर को शेयर किया। शमा का मानना है कि बॉयफ्रैंड् बनाने में कोई बुराई नहीं है। प्यार मिले तो हर इंसान अपने जीवन में खुश रह सकता है। वो चाहती हैं कि इस दूसरे जन्म में डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों को जीवन का महत्व सिखा सके।

आपने अपना टेलीविज़न करियर को पीक में ही छोड़ दिया था, ऐसा क्या हुआ जो आपने यह फैसला लिया ?

देखिये यह मुझे अच्छे से मालूम है कि, 'यह मेरी लाइफ है' शो बेहद पसंद किया जा रहा था। पर एक दिन जब में किसी इवेंट पर गयी, रेड कारपेट पर कई जाने माने चेहरे भी आये हुए थे, लेकिन उस समय उनके पास कोई भी काम नहीं था। सो सारे फोटोग्राफर और टीवी कैमरा क्रू मेरी ही तस्वीरें लेने में व्यस्त थे, स्टारडम नहीं होने पर आप को कोई भी नहीं पूछता। काम है और टी आर पी है शो की या फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा किया हो तो उस ऐक्टर की कीमत होती है।

यह सच्चाई देखकर मैंने यह निश्चय किया- कि मैं चमक-दमक की दुनिया से दूर चली जाऊंगी और जिंदिगी का फलसफा खोजूंगी। मुझे ख़ुशी है कि इतना कुछ जिंदगी  में झेलने के बाद यदि मुझे यह दूसरा जीवन मिला है तो कुछ मानवजाति की भलाई ही कर जाऊं। आज मैंने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस खोला है और अपने  ही जीवन की कहानी शॉर्ट फिल्म, 'अब दिल की सुन' द्वारा लोगों को दिखलाना चाह रही हूँ। फ़िलहाल हमने 6 शॉर्ट फ़िल्में पूर्ण कर ली है और कुछ शूटिंग बाकी  है। यह वेब सीरीज नहीं है किन्तु शॉर्ट फ़िल्में है जो कुछ हिस्सों में दिखलाई जायेगी यह लोगों को अच्छा ख़ासा मैसेज दे जाएगी जिंदगी के बारे में।

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आप डिप्रेशन में कैसे चली गयी थीं?

मै बाइपोलर बीमारी जो डिप्रेशन के तहत पहचानी जाती है - उसे झेल रही थी। यह बीमारी प्यार न मिलने से भी हो सकती है। हममें प्यार फिर चाहे वो- माँ बाप बहन भाई या फिर दोस्तों का भी प्यार हो सकता है, उनके प्यार से वंचित रहने से हमे बहुत दुःख होता है। मुझे याद है बचपन में मुझे दोस्ती करने का बहुत चाव था। लेकिन स्कूल में भी जबकि दोस्तों को सब कुछ देने को तैयार होती मैं, लेकिन वह मुझे कभी भी छोड़ कर चले जाते। मैं केयरिंग और शेयरिंग स्वाभाव की हूँ।

बहुत से बच्चे किसी से कुछ भी शेयर नहीं करना चाहते। फिर कई बार मुझे यह भी लगता कि शायद मै सुंदर नहीं हूँ? इसीलिए लोग मुझसे दूर भाग रहे हों। किन्तु आज मुझे सब सुंदर समझते हैं, तो मुझे इस बात पर भी आश्चर्य होता है। मुझे लगता है बाइपोलर एक स्पिरिचुअल बीमारी है। हमे अपने शरीर की सफाई करनी चाहिए। यह बीमारी हमारी आत्मा से जुड़ी होती है। हम यही देखते है कि -हमारे सारे दोस्त मतलबी होते है। कोई भी विश्वसनीय नहीं होते है। हमारे माँ बाप अक्सर हमें अच्छे कर्म करने की सलाह देते है, किंतु ऑनेस्ट रहने की सलाह नहीं देते। मुझे दुनिया के लोगों में ऑनेस्टी नजर नहीं आती।

हर कोई अपना मतलब निकालने के लिए  दोस्ती बनाये रखता है। झूठ बोल कर अपना काम कर लेता है। इन सारी चीज़ो ने मुझे अंदर से जकड़ कर खोखला कर दिया था। मालूम ही नहीं चला कि मैं बाइपोलर बीमारी से जूझ रही हूँ। बच्चों को अपनी आवाज़ उठाने से वंचित किया जाता है। एक समान्य कारण यह भी होता है -यदि बचपन में कोई गलत शारीरिक यातना हुई हो उनके साथ, और वह अपनी माँ से यह जाकर बतलाते है तो उनकी माँ उनको चुप रहने के लिए कहती है। इन्ही वजहों से पीड़ित बच्चे अंदर ही अंदर सोचते रहते हैं। और भी बहुत सी वजह है डिप्रेशन में जाने की-जाने अनजाने में पेरेंट्स भी वजह हो जाते है, मेरे पेरेंट्स बहुत अच्छे है, जबकि कई मर्तबा अप्स एंड डाउन्स की स्थिति का समाना भी करना पड़ा है उन्हें।

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डिप्रेशन से आप फिर कैसे निकल पाई ?

मुझे अपने अमेरिकन बॉयफ्रैंड का शुक्रिया अदा करना होगा। वो पेशे से डॉक्टर भी है, सो कुछ सालों पहले उसने मुझे यह बताया कि मैं बाइपोलर डिजीज से जूझ रही हूँ। मैं एक बहुत ही स्ट्रॉन्ग लड़की हूँ। खैर डॉक्टर ने मुझे स्लीपिंग पिल्स का कुछ डोज भी दिया था। मेरी डॉक्टर बहुत समझदार निकली, उन्हें यह मालूम कि मुझे मेडिटेशन और थोड़ी बहुत दवाईयों से ठीक किया जा सकता है। मैडिटेशन ने मुझे इस बीमारी से निकलने में बहुत मदद की।

आपने सुसाइड करने की कोशिश भी की थी। इससे कैसे बची आप  ?

दरअसल में मुझे एक दिन दुनिया निरस सी लगने लगी। आप सोचिये जब सवेरे उठ कर आप को यह नहीं समझ आता है कि आप को ब्रश करना है और दिनचर्या क्या होगी आपकी ? तो ऐसी स्थिति में आप को यह दुनिया में रहने का मन नहीं करता है। मेरे साथ भी ठीक ऐसा ही हुआ. सो एक दिन जब मेरी अम्मी क़ुरान पढ़ रही थी मैंने उन्हें जाकर कहा  कि मैं सोने जा रही हूँ। मुझे उठाना मत। मैं हर तरह से बोर हो चुकी थी। सो मैंने ढेर सारी स्लीपिंग पिल्स खा ली।

लेकिन कुछ थोड़ी होश में मैने अपने भाई को एसएमएस कर अपने बैंक एकाउंट्स के डीटेल्स एसएमएस द्वारा भेज दिये। क्योंकि में एक बहुत ही संवेदनशील लड़की हूँ और मुझे यह लगा कि मेरे जाने के बाद मेरे परिवार का क्या होगा? उस वक़्त मेरा भाई शादी अटेंड करने गया हुआ था। जैसे ही एसएमएस पढ़ा तो मेरी अम्मी से पूछा दीदी कहां है ? जब अम्मी ने बतलाया दीदी चार घंटे से सो रही है तो वह तुरंत घर चला आया। सबने मिलकर मुझे अस्पताल में भर्ती कर दिया। अगले इन जब में होश में आयी तो अपने हैट बंधे देख पूछा यह क्यों किया है? तो सब ने कहा तुम बहुत हिंसात्मक हो रही थी। मुझे जीने की बिलकुल इच्छा नहीं थी सो मैं ऐसा बर्ताव कर रही थी।

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अब क्या कहना है आपको ? यह आपका दूसरा जन्म है, आप यह मानती हैं ?

जी बिलकुल.आज मै चाहती हूँ की मानवता के लिए कुछ कर जाऊँ। खासकर जो डिप्रेशन में चले जाते है। उनके लिए भी मै एक ऐसा शो बनाना चाहती हूँ ,जहाँ वह मैडिटेशन करके इस नकारत्मक बीमारी से निकल पाएं.मेरा दूसरा जन्म शायद ईश्वर ने इसीलिए दिया है कि मै मानव जीवन को, अपने जीवन से सीखे हुए पल दूसरों को उनकी भलाई  हेतु दे पाऊं।

मैं एक शिक्षित डॉक्टर नहीं  हूँ सो मेडिसन्स (दवाईयां) नहीं दे सकती। किन्तु प्यार जरूर दे पाऊँगी। अपनी  शॉर्ट  फिल्म जिसकी 6 शॉर्ट फ़िल्में  कम्पलीट हो  चुकी है, कुछ और बाकी है। फिल्म ,'अब दिल  की सुन' द्वारा भी बेहतरीन संदेश देकर मनुष्य जीवन का थोड़ा बहुत उद्दार कर सकूँ  ऐसा चाहती  हूँ. मै  शुक्रगुजार हूँ आज मैं अपने होम प्रोडक्शन द्वारा  यह फिल्म बना रही  हूँ। मैं चाहती हूँ मनुष्य को इस बात का ज्ञान हो जाये कि जीवन बहुत सुंदर है और वो जीना सीखे।

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फिलहाल आप सेटल्ड हैं क्या?

क्या हम लड़कियां शादी करने के बाद ही सेटल हो पाएंगी ? यह धारणा आपकी गलत है। हम अपने आप में भी सेटल हो सकती है। आज में सेटल्ड हूँ इसलिए में लिव इन रिलेशनशिप में  रह रही हूँ। शादी को सेटलमेंट शब्द देना अनुचित है। जी हाँ मैंने शादी नहीं की है। किन्तु हर  किसी को एक प्रेम करने वाला होना  चाहिए।

जो सोचते है बॉयफ्रेंड होना गलत है, तो मैं यही कहूँगी उनकी सोच गलत है।

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