लिपिका वर्मा
आयुष्मान खुराना अपनी अगली फिल्म,' बाला’ के प्रोमोशंस में व्यस्त हैं। फिल्म की कहानी बहुत ही अलग है। फिल्म 'उजड़ा चमन ' और ‘बाला ‘ दोनों में एक गंजे की कहानी है. किन्तु जब आयुष्मान से पूछा गया तो उन्होंने सीधे सीधे कहा ,' हाँ सब्जेक्ट वही है। दो आर्टिस्ट के जेहन में सेम सब्जेक्ट आ सकते है। पर कहानी अलग है। '
आगे आयुष्मान ने कहा,' अक्सर मैं कुछ अलग करने की ही कोशिश करता हूँ। मुझे ऐसी कहानी करने की इच्छा होती है जिसे देख कर दर्शक जब सिनेमा घरों से बाहर निकलें तो उस विषय पर चर्चा करें। मेरी फिल्म ,'बाला' भी उसी तरह की फिल्म है. यह फिल्म सेल्फ लव को दर्शाती है। यह रंग ,पतलेपन ,छोटी हाइट -इत्यादि प्रॉब्लम्स से जूझते हुए लोगों की कहानी भी दर्शाती है।
तो आप किस तरह सब्जेक्ट्स का चयन करते हैं ?
मेरी कहानी विचित्र जोन की होती है। जी हाँ, टैबू सब्जेक्ट ही मुझे आकर्षित भी करते है। बीच-बीच में कुछ अलग भी कर लेता हूँ। जैसे मैंने फिल्म,' अंधाधुन' और आर्टिकल 15 की थी. दरअसल में हमारे देश में ऐसे टैबू सब्जेक्ट्स बहुत है। हम लोग अपरिवर्तनवादी लोग है। प्रगतिशील एवं प्रतिगामी भी है। अतः सभी तरह के लोग हमरे देश में बसते है। सो ऐसे विचित्र एवं टैबू युक्त कहानियाँ हम जरूर कर सकते है।
अभिनेता के तौर पर आपने खुद में क्या खोजा है अभी तक?
बतौर अभिनेता मैंने यह समझा है कि आपको कुछ कहानी चुनने से पहले अपनी अंतरात्मा की आवाज़ जरूर सुन लेनी चाहिये।अपनी पहली फिल्म, “विक्की -डोनर' करने के बाद मैं अक्सर फिल्मी दुनिया के जाने माने लोगों से सलाह मशवरा करता था। किन्तु धीरे-धीरे यह समझ आ गया मुझे कि उन्हें भी इस बात की ज्यादा समझ नहीं है कि क्या बॉक्स ऑफिस पर चलेगा और क्या नहीं चलेगा। तब से मैंने कहानी सुनने के बाद यदि मुझे वो कहानी दिल से अच्छी लगी तो मैं उसके लिए हाँ कर देता हूँ और मेरी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल भी मचाया है। मेरी गट <अंतरआत्मा की आवाज > फीलिंग से जो भी कहानी अभी तक चुनी है वो सही और सफल हुई है। अब मुझे यह बात समझ आ गयी है कि कोई भी एक्टर/डायरेक्टर या प्रोड्यूसर गलत हो सकता है। बस अच्छा लगता है कि लोगों को मेरी पसंद की हुई फ़िल्में अच्छी लग रही है। मेरी आने वाली फिल्म,' बाला भी लोगों को पसंद आये यही मेरी चाह है।
क्या आप विलेन का किरदार करना पसंद करेंगे?
जी बिलकुल, मुझे विलेन का किरदार करना है बड़े पर्दे पर। जब मै थिएटर कर रहा था ,तब मैंने विलेन का रोल किया है। अभी तक मुझे विलेन का किरदार ऑफर नहीं हुआ है। एंटी -हीरो किरदार करने में अलग ही मजा है। विलेन के डायलॉग्स भी बहुत ही मजेदार होते हैं। शायद जल्द ही कुछ मिल जाये विलेन का किरदार <हंस कर बोले आयुष्मान>
विलेन के किरदार के लिए आप में विलेन जैसी कौन सी विशेषता है ?
अरे भाई मुझमें विलेन जैसी कोई क्वालिटीज़ नहीं है. पर यह भी है कि किसी भी मनुष्य में सारी सकारात्मक विशेषतायें नहीं होती है। ग्रे और नकारत्मक सोच हर मनुष्य में विराजमान होती है। जैसे किसी में जलन की भावना हो सकती है। मनुष्य में जटिलताएं तो होती ही है। लोगों को नेगेटिविटी देखना पसंद है। कोई भी पूर्णतः उत्तम <परफेक्ट> नहीं होता है।
शुक्रवार फिल्म को फिल्म रिलीज के दिन डर लगता है?
जी बिल्कुल। जिस तरह परीक्षा देने के समय भय होता है ठीक उसी तरह से सभी फ्राइडे जब फिल्म रिलीज़ हो रही होती है ,तो थोड़ा भय तो रहता ही है। किन्तु हमें अपने दिमाग को ठंडा रखना होता है। फ़िल्म इंडस्ट्री बहुत ही परिवर्तनशील इंडस्ट्री है। यहाँ कुछ भी हो सकता है। इसीलिए तो इसे ड्रीम सिटी कहा जाता है। सपनों की नगरी में कूल रहना आना चाहिए।
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