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GADAR-2 Manish Wadhwa: फिल्म 'गदर 2' में मेरा हामिद इकबाल का किरदार अतिक्रूर व निर्दयी है

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By Shanti Swaroop Tripathi
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GADAR-2 Manish Wadhwa: फिल्म 'गदर 2' में मेरा हामिद इकबाल का किरदार अतिक्रूर व निर्दयी है

जया बच्चन के साथ 'मां रिटायर हो रही है' नाटक हो अथवा सीरियल 'चंद्रगुप्त मौर्य' में चाणक्य का किरदार निभाना हो अथवा 'देवों के देव महादेव' मे कंस का किरदार हो,अथवा फिल्म 'पठान' में पाकिस्तानी  आर्मी जनरल का किरदार हो अथवा ग्यारह अगस्त को प्रदर्शित हो रही अनिल शर्मा निर्देशित फिल्म ''गदर 2' हो,अभिनेता मनीष वाधवा हर बार वह अपने अभिनय के नित नए रंग बिखरते रहे हैं. 

प्रस्तुत है मनीष वाधवा से हुई बातचीत के अंष... 

आपने अभिनय को ही कैरियर बनाने की बात किस वजह से सोची?

मेरे घर में कला का माहौल रहा है, मेरी मम्मी बहुत अच्छा गाती थीं, वह सत्संग से जुड़ी हुई थीं, हम सत्संग में जाते थे, तो कभी कभी मेरा भी मन गाने के लिए करता था, मेरे फिल्म निर्माण व निर्देशन में अपना सिक्का जमाना चाहते थे,पर बात ज्यादा बनी नही, उन्होने कुछ फिल्में व सीरियल बनाए, मगर आपको तो पता है कि हमारी फिल्म इंडस्ट्री किस तरह की है, पर उन्होने मुझे कभी भी अभिनय या फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ने के लिए मना भी नहीं किया, मैं बहुत छोटी उम्र से ही नाटकों के साथ जुड़ा हुआ था, यहां तक कि मेरे पिता ने अपने निर्देशन में बन रही फिल्म में हीरो के बचपन के किरदार में खड़ा भी कर दिया था, अफसोस वह फिल्म बन नही पायी, फिल्म में मेरा किरदार यह था कि एक बच्चा आइने के सामने खड़े होकर अभिनय कर रहा है, जिसे बड़े होकर फिल्मों में हीरो बनना है, इसकी फोटो आज भी मेरे पास है, बहरहाल,वह फिल्म नही बनी, मगर मैं उस किरदार के अनुरूप आगे बढ़ता रहा कि मुझे अभिनय मे कुछ करना है, मैं थिएटर भी करता रहा, थिएटर जगत में मुझे पुरस्कार भी मिलने लगे, तो अभिनय जगत में  पहचान व प्रशंसा दोनों मिल रहा था, इससे मुझे लगा कि मैं सही दिशा में बढ़ रहा हॅूं, अगर प्रशंसा न मिलती, तो मैं मायूस हो जाता कि मेरे अंदर कुछ कमी है और फिर यहां तक न पहुँचता, मगर मेरे कदम पीछे कभी नहीं हटे, मैने 'चेहरे','मां रिटायर हो रही है'जैसे कुछ चर्चित नाटको में अभिनय किया, तो वहीं मैने रमेश सिप्पी के सीरियल 'खट्टा मीठा' के अलावा 'चंद्रगुप्त मौर्य,'देवों के देवे महादेव', 'पेशवा' जैसे कई सफल सीरियल किए, 'राहुल','शबरी',पठान' व अब 'गदर 2' सहित कई बेहतरीन फिल्मों में अभिनय किया.   

आपके करियर का टर्निंग पॉइंट क्या रहा?

सबसे महत्वपूर्ण व पहला टर्निंग प्वॉइंट तो सीरियल 'चंद्रगुप्त मौर्य' में चाणक्य का किरदार निभाना ही रहा, वैसे तो एक के बाद एक सीढ़ी चढ़ने वाली बात होती है, इसलिए मैं किसी भी सीढ़ी को कम नहीं आंकता, हर सीढ़ी लाइन में एक समान है. 

जब आपने 'चाणक्य' का किरदार निभाया,उससे पहले नब्बे के दशक में डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी का सीरियल 'चाणक्य' हंगामा बरपा चुका था, तो यह आपके सामने चुनौती थी या नहीं?

बहुत बड़ी चुनौती थी, सच यही है कि मैने देखा कि डॉ,  द्विवेदी साहब के सीरियल 'चाणक्य' के बाद जितने भी 'चाणक्य' पर सीरियल बने,वह सब असफल ही रहे, तो मैने सोच लिया था कि मैं यह किरदार नहीं निभाउंगा, मुझे लगा था कि डॉक्टर चंद्रप्रकाश जिस छवि को छोड़ चुके हैं,उस तक पहुंचना तो नामुमकीन है, मैंने शूटिंग से दो घंटे पहले तक अपने सिर के बाल नहीं मुड़ाए थे, मैं बड़ौदा सेट पर पहुंच गया था और इस मंशा के साथ पहुंचा था कि में अपनी तबियत का बहाया या घर की कोई समस्या बताकर माफी मांगते हुए इस किरदार को निभाने से मना कर दूंगा, फिर मन में बात आयी कि 'चाणक्य' से बड़ा कोई किरदार नही है,जिसे मुझे निभाने का अवसर मिले, बाल तो फिर छह माह में उग जाएंगे, एक बार इस चुनौती को स्वीकार कर लिया जाए, लेकिन छह माह क्या कहूं,12 साल हो गए, उसके बाद फिल्मकारों ने मेरे बाल बड़े होने ही नही दिए. 

'चाणक्य' कुछ लोगों के लिए नगेटिव है, कुछ लोगों के लिए हीरो है, आज भी वही स्थिति है , आप 'चाणक्य' को क्या मानते हैं? जबकि आपने 'पठान' और 'गदर 2' में दो नगेटिब किरदार निभा लिए हैं, क्या इन किरदारों में कहीं आपने चाणक्य का अंश उपयोग किया?

नहीं! मुझे 'चाणक्य' कभी नगेटिव नहीं लगे, जिसका ध्येय हमेश बहुत अच्छा हो, वह अगर थोड़ा भटक भी रहा है, तो मुझे नहीं लगता कि तकलीफ आनी चाहिए, उनका ध्येय तो अखंड भारत का निर्माण ही रहा है, अगर भारत को किसी भी तरह से ऊपर रखना, फिर चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े, वही चीज चाणक्य ने किया, हम भी देश के लिए ही काम करते रहते हैं, आज सैनिक भी हाथ में बंदूक लेकर ही देश की ही सेवा में खड़े रहते हैं, वह हमारे देश की रक्षा कर रहे हैं, हम इसीलिए हर सैनिक को सलाम करते हैं.

फिल्म 'पठान' में भी आपने पाकिस्तानी चरित्र निभाया, अब 'गदर 2' में भी,  यह महज कोइंसीडेंस है या?

मैने दोनों फिल्मों की शूटिंग लगभग एक साथ ही की, वैसे मैने 'पठान' के बाद ' गदर 2'साइन की थी, दोनों फ़िल्में कोरोना के समय की फिल्में हैं,  दोनों में पाकिसतानी आर्मी जनरल का किरदार निभाना मेरे लिए  एक्साइटिंग और चुनौतीपूर्ण रहा, फर्क यह है कि 'पठान' का आर्मी जनरल 2023 का है और 'गदर 2' का आर्मी जनरल 1971 का है, 1971 का जनरल देसी है,  इस तरह मुझे दो अलग अलग व्यक्तित्व वाले किरदार निभाने को मिले, जो कि किसी भी कलाकार के लिए चैलेंज हो जाता है कि आप हैं तो आर्मी जनरल,  लेकिन दोनों में आपको एकदम अलग दिखाना है,  दोनों के किरदार अलग हैं, दोनों ही नेगेटिव हैं और दोनों ही भारत का बुरा चाहते हैं, फिर भी दोनों में फर्क है. 

जब फिल्म 'गदर 2' के लिए आपका चयन किया गया , तब आपके मन में क्या चल रहा था? क्या आपके दिमाग में यह बात थी कि आप अमरीश पुरी की जगह ले रहे हैं?

गलत, पहली बात तो फिल्म में मेरा किरदार सकीना के पिता का नही है,जो कि अमरीश पुरी जी का किरदार था, यदि ऐसा होता,तब तो आप यह बात कह सकते थे,  अथवा तब आप अमरीश पुरी जीसे तुलना कर सकते थे, दूसरी बात अमरीश पुरी जी के अभिनय का का कोई सानी नहीं था, उन्हे कोई रिप्लेस नही कर सकता, अभिनय में जितनी बड़ी उंचाई अमरीश पुरी जी ने छुइ थी,उसे तो कोई नही छू सकता, मुझे तो इस फिल्म में सिर्फ एक विलेन की भूमिका करनी थी,  फिल्म में हामिद इकबाल का मेरा किरदार एकदम अलग है,  एक अलग विलेन से मतलब है कि अलग किरदार है.

आप 'गदर 2' के अपने किरदार पाकिस्तानी आर्मी जनरल हामिद इकबाल को लेकर क्या कहेंगें?

बहुत ही क्रूर है, निर्दयी है, वह किसी के बारे में नहीं सोचता है,  उसका अपना एक गोल है, वह भारत,तारा सिंह व जीते को खत्म करना चाहता है, इनमें से भी तारा सिंह तो उसका सबसे बड़ा दुश्मन  है.

इसके पीछे क्या वजह हैं?

यह तो आप ग्यारह अगस्त को फिल्म में देखिए, मैं अभी से बता कर आपका फिल्म देखने का मजा किरकिरा नहीं करना चाहता.  

'गदर 2' में 1971 के पाकिस्तानी आर्मी जनरल हामिद इकबाल का किरदार निभाने के लिए आपका अपना होमवर्क क्या रहा?

मैने निर्देशक व लेखक के कहानी नरेशन को ही सर्वाधिक महत्व दिया, उनके कहानी सुनाने का तरीका बहुत ज्यादा प्रभावशाली था, उन्होंने कहानी इस तरह से सुनाई थी कि पूरा किरदार मेरी आंखों के सामने जीवंत हो गया थ, उसके बाद हम सभी ने एक साथ बैठकर किरदार व कहानी पर आपस में लंबी चर्चाएं भी की, तो अपने आप हामिद इकबाल का किरदार बन गया, फिर हमारे पास 1971 का कोई खास वीडियो या रिफरेंस भी नहीं था,जिसका हम सहारा लेते,  मुझे तो उस काल की फिल्में देखने की भी जरुरत महसूस नही हुई, क्योंकि हामिद इकबाल का किरदार लिखा ही बहुत ज्यादा स्ट्रांग है.

अपने तमाम ने निर्देशकों के साथ काम किया है, अनिल शर्मा के साथ काम करके किस तरह के अनुभव रहे?

अनिल जी का स्टाइल बहुत अलग है, वह अपनी स्टाइल में ही काम करते हैं, वह सेट पर हमेश फोकस रहते हैं, उससे इतर उन्हे आस पास कुछ भी नजर नही आता, वह सिर्फ 'गदर 2' को देखते रहे, 'गदर 2'में जो इमोशंस है,जो लोग चाहते हैं अब जो लोग चाहते हैं,उसे वक्त किस तरह से अच्छी बात है, उनकी बात लोगों तक कैसे पहुंचे, इसी पर ध्यान देते रहे, यह बहुत कमाल की बात है, हालांकि सभी लोग अपनी फिल्म के विषय को लेकर उसी में डूबे रहते हैं, पर अनिल शर्मा जी तो 'वन आर्मी' की तरह काम करते हैं.

'गदर 2' में सनी देओल के साथ अभिनय करने के क्या अनुभव रहे?

वह डाउन टू अर्थ और हर किसी की केअर करने वाले इंसान व कलाकार हैं, फिल्म 'गदर 2' के लिए मेरा चयन तो निर्देशक अनिल शर्मा ने किया,पर वह मुझे सनी देओल से मिलाने ले गए कि एक बार आप उनसे मिल लें, सनी सर ने मुझसे सवाल किया कि क्या मैं 'गदर 2' में क्रूर खलनायक बन सकता हॅूं, आज की तारीख मे हमारी फिल्म इंडस्ट्री मे एक सशक्त खलनायक बहुत कमी है, क्या तुम उस जगह को भर सकते हो? मैने उनसे कहा कि मैं आपके और निर्देशक अनिल शर्मा मार्गदर्शन में पूरी मेहनत व लगन के साथ अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करुंगा, फिल्म मे एक खतरनाक एक्शन द्रश्य में कअ के बाद वह मुझसे पूछते थे कि कहीं चोट तो नहीं लगी, उनाक प्रयास रहता कि सेट पर उनके सह कलाकार का अभिनय भी दमदार हो.

क्या आपने 2001 की 'गदर' देखी थी, यदि देखी थी तो उसे देखने के बाद आपके ऊपर उसका क्या असर हुआ या उसकी क्या छवि आपके दिमाग पर अंकित हुई थी?

मैने वह फिल्म देखी है, मैं 'गदर' एक प्रेम कथा' कई बार देख चुका हूं, हमने इसे अपने घर पर भी कई बार देखा है, लेकिन इतनी बार देखने के बावजूद अभी 9 जून को फिर से जब यह फिल्म रिलीज की गयी,तो  मुझे लोगों की खुशी और इस फिल्म के प्रति उनका जुनून देखकर अच्छा लगा कि क्या बात है? 'गदरः एक प्रेम कथा' अपने आप में अति उत्कर्ष फिल्म है, कहा जाता है कि ' इंडिया पाकिस्तान का क्रिकेट मैच आप चाहे जब देखें, मजा ही आएगा, आप इंडिया पाकिस्तान के बीच का पुराना क्रिकेट मैच देखेंगे,तो भी मजा आएगा, आप उस मैच के बारे में सब कुछ जानते हुए भी उस मैच को कुछ समय देखने के लिए ठहर ही जाते हैं, मुझे 'गदरः एक प्रेम कथा' के संवादों की पूरी जानकारी है,हमें पता है कि किस जगह पर सनी देओल जी क्या करेंगें, अमरीश पुरी जी का ऐसा रिएक्शन आएगा,  फिर भी फिल्म देखने का मूड़ बना रहता है. 

लोग मानते है कि किरदार के अनुरूप सही लुक व कास्ट्यूम मिल जाएं, तो किरदार को जीवंतता प्रदान करना आसान हो जाता है?

यह तो कटु सत्य है, लुक व कास्ट्यूम से पचास प्रतिशत काम हो जाता है, क्योंकि आप जिस किरदार को निभा रहे होते हैं,उस लुक में आते ही आपके अंदर वह किरदार आ जाता है, ईश्वर के आशीर्वाद से मेरा साथ हमेश ऐसा ही होता आया है, उसके बाद आपके अंदर की प्रतिभा का कमाल बाकी रह जाता है, जिस तरह से आप संवाद अदायगी करते हैं,आपको सूट किया है, जिस तरह से साउंड रिकॉर्ड हुआ है, जिस तरह से मेकअप मैन मेरा मेरा मेकअप करता है, उसका योगदान भी होता है, मुझे किरदार को गढ़ने में उसका भी योगदान रहता है,जो मुझे चाय पिलाता है या सेट पर खाना खिलाता है, तो एक किरदार की सफलता में हर किसी का उतना ही सहयोग है, किसी भी किरदार को बनाने के लिए सिर्फ एक इंसान का हाथ नहीं हो सकता है, मेरे परिवार का भी उतना ही है, मेरे दोस्तों मेरे रिश्तेदारों सबका उतना ही योगदान है कि उसे वक्त वह मेरा कितना साथ दे रहे है, आपका मन खराब होने के लिए बहुत सारी चीज होती हैं जो कि नहीं होनी चाहिए तो ज्यादा अच्छा है. 

एक कलाकार के तौर पर जब आप किसी स्टार स्टार के साथ काम करते हैं या किसी नए कलाकार के साथ काम करते हैं,तो किस तरह से आपकी सोच बदलती हैं?

सच बताऊं तो इसमें मेरी सोच नहीं बदलती है, नया पुराना मेरे हिसाब से जो भी है,वह ठीक मानता हूं,  माना कि कलाकार का अनुभव और बाकी चीजें बहुत मायने रखती हैं,  लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि नया कलाकार भी आपको कुछ ऐसा दे जाता है कि आपको लगता है ही नहीं कि वह नया है, मुझे ऐसा लगता है कि अगर मेरा फोकस अपने काम पर है,अगर निर्माता निर्देशक लेखक जो मुझसे चाहते हैं,वह मैं उन्हेंदे रहा हूं, तो सब ठीक है. 

इसके बाद निर्देशन में जाने की कोई योजना है?

अभी नहीं, , फिलहाल अभिनय करते हुए एंजॉय करना चाहता हॅूं. 

'गदर 2' के बाद क्या?

अभी फिलहाल 'गदर 2' मे ही डूबा हुआ हॅूं.

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