INTERVIEW: ‘‘राजनीति में जाने से मेरे हाथ बंध जायेंगे’’ - विवेक ओबेरॉय By Mayapuri Desk 04 Jun 2017 | एडिट 04 Jun 2017 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर लिपिका वर्मा विवेक ओबेरॉय ने अपनी पहली पारी निर्देशक राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘कंपनी’ में बतौर हीरो कैसे शुरुआत की यह अपने आप में एक बहुत ही शिक्षा देती हुई मर्म कहानी है। बहरहाल विवेक कुछ सालों से सेक्स कॉमेडी फिल्मों से भी जुड़े रहे। उनकी फिल्म ‘ग्रैंड मस्ती’ रितेश देशमुख के साथ एक बेहतरीन फिल्म की श्रेणी में लिस्ट की जाती है। अब विवेक ‘वय’ फिल्म्स द्वारा बनाई गयी फिल्म ‘बैंक चोर’ में दोबारा रितेश का साथ दे रहे हैं। गौरतलब बात यह है की इस फिल्म में वह उनका साथ नहीं बल्कि उनके सामने खड़े है, मतलब रितेश चोर है तो विवेक सी आई बी का किरदार निभा इन सब चोरों को पकड़ने की कोशिश में जुटे हुए हैं। हाल ही में ‘बैंक चोर’ की प्रोमोशंस के लिए रितेश जब अपने पिछवाड़े में एक कृतिम पिछवाड़ा आये और साथ ‘बाम’ भी ले आये। ....विवेक को जब सवाल दागा गया रितेश और विवेक में इतनी , ‘ग्रैंड मस्ती’ यह इनकी पिछली फिल्म का नाम है , क्यों है? तो तुनक कर विवेक ने जवाब दिया -‘फिलहाल ‘बालम’ है तो सब कॉम शान्त है। पेश है विवेक ओबेरॉय के साथ लिपिका वर्मा की भेंटवार्ता - आप अभिनेता भी रोस्ट किये जाने लगे और आप उसके लिए तैयार भी हो रहे हैं क्या कहना है ? देखिये, अब समय बदल गया है और आज कल मार्केटिंग के नए नए फंडे यह सब यंग बच्चे ले कर आ रहे है। और यदि हमारी ही कोई नुकता चीनी कर रहा है तो इसमें नुक्सान ही क्या है। मीडिया भी तो कुछ न कुछ लिखता ही है। आजकल मीडिया एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म हो गया है। लेकिन कुछ लोगों की वजह से मीडिया पर भी उंगली उठने लगी है। आपका शुरुआती फिल्मी सफर कैसा रहा ? आपने निर्देशक अब्बास-मुस्तान की फिल्म ‘सोल्जर’ करने से इंकार क्यों कर दिया था?? देखिये , उस फिल्म में मेरे पिताजी श्री सुरेश ओबेरॉय ने भी काम करना था। मेरे पिताजी उस फिल्म को प्रोड्यूस करना चाहते थे। सिर्फ इसीलिए क्योंकि वो मुझे बतौर हीरो लांच करने के मूड में थे। यह फिल्म मेरे लिए एक परफेक्ट लॉन्च पैड थी। इसमें ड्रामा, थ्रिल नाच गाने सब कुछ था। एक दिन मैंने उनके पास जाकर कहा, ‘‘मैं यह फिल्म नहीं करना चाहता हूँ?’’ पिताजी ने मुझ से पूछा, ‘‘क्यों किस बात का डर है ?’’ लेकिन मैंने जब अब्बास मुस्तान से यह पूछा था कि यदि मेरे पिताजी यह फिल्म को प्रोड्यूस नहीं करते है तो भी आप मुझे बतौर हीरो लेंगे क्या? किन्तु उनका जवाब सुन मैंने यह निश्चय किया -कि मैं अपने पिताजी को अपनी सारी जमा पूँजी इस तरह जाया नहीं करने दूंगा। सीधे सीधे अब्बास मुस्तान ने कहा, ‘‘यह प्रैक्टिकल नहीं होगा!’’ मेरा जवाब मिल गया था। मेरे दिमाग में यह बात घर कर गयी -उस दिन से मैंने स्ट्रगल करना शुरू कर दिया हर ऑफिस में जाया करता और निराश लौट जाता। क्योंकि मुझे सलाह देने वाले बहुत मिल जाते -हमारे हिंदुस्तान में सलाहकार बहुत मिलते हैं। फिल्म ‘कंपनी’ के लिए भी आपने बहुत पापड़ बेले थे। कुछ बतायें? जी हाँ! रामू निर्देशक रामगोपाल वर्मा, ने मुझे फिल्म तो दे दी। लेकिन पहले यही कहा - तुम बहुत ‘पॉलिशड’ लगते हो, इस किरदार के लिए सूटेबल नहीं हो। मैंने फिर कुछ दिनों तक चाल में रहने की कोशिश की। वाहन के लोगों की तरह बना और यहाँ तक धोबी घाट भी जाया करता यही देखने की लोग कैसे गुजर बसर करते हैं। इन सब रहिवासियों से में ने अपने किरदार के लिए बहुत कुछ सीखा। और जब में अपने अंदर बदलाव लेकर रामू के पास गया तो उन्हें बहुत ताजुब हुआ और मुझे अपनी फिल्म ‘कंपनी’ में बतौर हीरो ले लिया। यहाँ से मेरा फिल्मी सफर शुरू होता है। फिल्मी दुनिया में खेमे लॉबी भी होते हैं और आप उस खेमे के शिकार हुए किस तरह अपने आप को संभाला? यह जग जाहिर है कि मुझे लॉबी के तहत काम में काफी नकारात्मकता सहने मिली। लेकिन जितनी भी बार मैं गिरा हूँ उतनी ही बार मेरे अंदर का ढृढ़ निश्चय और कठोर होता चला गया। मेरे ऊपर ढेर सारी जिम्मेदारियां हैं। मेरा कारोबार है और मैं सामाजिक मुद्दों से भी जुड़ा हुआ हूँ। हमारा बिजनेस इतनी तेजी से ऊपर चला गया कि मुझे कई बारी तो कुछ फिल्मों को न कहना पड़ा। अपने परिवार की जिम्मेदारियां भी है मुझ पर। गिर कर संभालना ही तो जीवन है। अब क्या आप फिल्में प्रोड्यूस करेंगे अपने पैसों से? जी हैं अपना पैसा यदि डूब जाता है तो मुझे कोई शिकायत नहीं होगी। फिल्में हम जुनूनियत में बनाते हैं। अब मैंने इतना पैसा कमा लिया है अपने परिवार का और घर का नुकसान नहीं होने दूंगा मैं। पर हाँ यदि कोई अच्छी कहानी होगी तो जरूर फिल्में प्रोड्यूस भी करूँगा। प्रोफेशन से आते हैं न? राजनीति से आप जुड़ना चाहेंगे यदि मौका मिले तो? देखिये मुझे 2014 में पॉलिटिक्स में जाने का मौका मिला तथा किन्तु मैं इस लिए भी राजनीति से दूर रहना चाहता हूँ क्योंकि मेरा मानना है राजनीति में जाने से मेरे हाथ बंध जायेंगे. जो कुछ भी करना है राजनीति से परे रहकर ही देश हित में काम करना चाहता हूँ मैं। राजनीति में रहकर अपने दोस्तों से बुराई नहीं लेना चाहता हूँ। मैंने कभी भी किसी से कुछ भी आशा नहीं की है। हमेशा सबको कुछ न कुछ दिया ही है मैंने। #interview #vivek oberoi #Bank Chor हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article