अपने वक्त में हिट फिल्मों के प्रयाय बन चुके गोविंदा एक बार फिर सक्रीय हैं। लिहाजा एक बार फिर दर्शक गोविंदा की कोमॅडी भरी फिल्मों से रूबरू हो रहे है। फ्राइडे के बाद उनकी फिल्म ‘रंगीला राजा’ में दर्शक दो गोविंदाओं को देख पायेगें यानी इस फिल्म में चीची डबल रोल में हैं। फिल्म को लेकर गोविंदा से एक दिलचस्प मुलाकात।
फिल्म में आपका डबल रोल है। इस बारे में आपका क्या कहना है ?
दोनों किरदार अपने आप में अद्भुत हैं क्योंकि उनमें से एक लड़कियों की तरफ देखता तक नही, जबकि दूसरा एक बार भी चूकता नहीं। इस तरह के रंगीले राजा आपके अड़ोस पड़ोस में अक्सर मिलते हैं उन्हें जिस प्रकार लोग हेय दृष्टी से देखते हैं, उन्हें धिक्कारते रहते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिये बल्कि हमें उनमें अच्छाई ढूंढने की कोशिश करनी चाहिये। हम ऐसा कर उनके भीतर छिपे अच्छे और भले आदमी को बाहर निकाल सकते हैं। इसके बाद कल उन्हीं में से कोई हीरो बन कर उभर सकता है। फिल्म का यही थॅाट है। इस तरह के कन्टैंट नब्बे के दशक की फिल्मों में बहुत चलते थे।
एक बार फिर पहलाज निहलानी और आपकी जोड़ी सक्रीय है ?
दो तीन साल पहले मुझे पहलाज जी मिले तो उन्होंने मुझे लेकर फिल्म को लेकर चर्चा की तो मैने कहा कि पहलाज भाई ये चलती गाड़ी का बोनट कैसे खुल गया। ये तो मजाक की बात हुई, लेकिन मैं आपको बता दूं कि सिन्धी मेरे लिये हमेशा लकी रहे हैं आप खुद देख लीजीये कि जैसे पहलाज निहलानी के साथ मेरी आंखे, शोला और शबनम और झूठा इल्जाम आदि फिल्में हिट रही। वासू भगनानी के साथ हीरो न. वन, कुली न. वन सुपर हिट फिल्में थी इसके बाद नंदू तौलानी के साथ राजा बाबू और स्वर्ग तथा रमेश तौरानी के साथ भी कुछ हिट फिल्में की।
अब आपका काम करने को क्या क्राइटेरिया रहेगा ?
मैं अब एक बार में एक फिल्म कर रहा हूं यानि एक फिल्म एक शेड्यूल मैं निकाल रहा हूं। पहली खत्म होने के बाद ही दूसरी फिल्म हाथ में लेता हूं।
शुरूआती दौर का गोविंदा और अब के गोविंदा में क्या फर्क है ?
मुझे ऐसा लगता है कि मैने हार्ड वर्क तो किया ही है वरना दस पंद्रह साल तक स्टार नहीं रह पाता। आप करेक्ट हैं इससे पहले आपको वाईज होना पड़ेगा। अब आगे आप मेरी फिल्में देखेगें तो आपको वाईज समझ में आयेगा। अगर बदलने की बात करे तो बाई द वे कुछ हो गया हो तो बात अलग है, वरना अपनी तरफ से मैं एक भी गलती नहीं करता।
आपको कॅामेडी फिल्मों का अच्छा खासा तर्जुबा है, वो अब कितना काम आ रहा है ?
मेरी फिल्में कॉमडी नहीं होती थी, हां उनमें कॉमेडी होती थी। मेरी जितनी भी हिट फिल्में हैं जैसे आंखे, शोला ओर शबनम या छोटे मियां बड़े मियां आदि इन सारी फिल्मों को मैं सीरीयस फिल्में मानता हूं। उन दिनों मैं अकेला स्टार हुआ करता था जो इस तरह की फिल्में करता था, लिहाजा मुझे साइड लाइन कर दिया गया और कॉमेडी स्टार का तमगा दे दिया गया। आपने देखा कि उस वक्त दूसरा कोई स्टार इस प्रकार की फिल्में नहीं करता था, लेकिन मेरे बाद हर किसी स्टार ने कॉमेडी फिल्में की और वो सारी सफल भी रही।
एक वक्त ऐसा भी आया जब आप के पास काम नहीं था। उस वक्त आपका हाथ पकड़ने वाला कौन था ?
वाकई वो काफी दुश्वारियों भरे दिन थे। काम आ रहा था लेकिन मैं कन्फयूज था कि मैं करूं या न करूं। उस दुविधा से मुझे आदित्य चोपड़ा ने निकाला। उन्होंने मुझे फिल्म‘ किल दिल’ में नगेटिव रोल दिया, उसके बाद मैं सैफ अली खान का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उसने मुझे स्टार्ट दिया। इसके बाद एक बार फिर मैं शुरू हो गया था।
इन दिनों साउथ की फिल्में डब होकर तकरीबन सारे चैनलों पर दिखाई जा रही है तो फिर गोविंदा की कॉमेडी में क्या खराबी है ?
ये कॉप्लेक्ससिटी जो होती है वहां बिजनिस के नये-नये तरीके आ गये है। क्या कहें और कैसे कहें, किसे साइड लाइन करे, किसे आउट लाइन करें और किसे चलने दें। मैं उन चीजों की परवाह किये बिना अपने काम पर ध्यान दे रहा हूं। आपका जैसा वक्त चल रहा है, उसी के अनुसार चले। आज के स्टार्स का समय अच्छा चल रहा है क्योंकि उन्हें प्रोड्यूसर्स अवेलेबल हैं हमारे समय में तो पता नहीं कहां कहां से प्रोड्यूसर आते थे एक अजीब सा माहौल होता था। आज कॉरपोरेट के आने से पूरा इंगलिश सिस्टम हो गया है। आज बड़े उद्योगपति फिल्मों में पैसा लगा रहे हैं मै उन्हें धन्वाद देना चाहता हूं।