एक्शन में मुझे लोग जरुर पसंद करेंगे-करण नाथ
प्रसिद्ध सचिव राकेशनाथ के बेटे करणनाथ ने अपना फिल्मी करियर बतौर बाल कलाकार फिल्म ‘ मिस्टर इंडिया’ से शुरू किया था। उसके बाद बतौर हीरो 'पागलपन' और ये दिल आशिकाना उसकी शुरूआती हिट फिल्में थी। लेकिन उसकी किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया। आगे उसने श...शश, एलओसी कारगिल, तुम, तेरा क्या होगा जॉनी आदि फिल्में की, लेकिन उसके कॅरियर को ये सारी फिल्में जरा भी पुश नहीं कर पाई। बावजूद इसके करण ने हार न मानते हुये अपने आपको दोबारा तैयार किया। इसका सुबूत है उसकी हालिया रिलीज फिल्म ‘ गन्स ऑफ बनारस’। इस फिल्म में करण एक एक्शन मैन हीरो के तौर पर दिखाई दे रहा है और उसके इस अवतार को अच्छा खासा पंसद किया जा रहा है। फिल्म की रिलीज से पहले करण से हुई एक बातचीत।
अपने कॅरियर को देखते हुये क्या सोचते हैं ?
मेरी शुरूआती फिल्मों के बाद उस तरह के ऑफर्स नहीं आये, जिनकी मुझे जरूरत थी। लेकिन मैं निराश नहीं हुआ, मैने सोचा कि मुझे हार न मानते हुये और ज्यादा मेहनत करनी होगी जिसके लिये मैं तैयार था, परिणाम स्वरूप एक बार फिर मैं आपके सामने हूं।
इन दिनों आपकी क्या दिनचर्या है ?
मैं पॉजिटिव थिंकिंग वाला शख्स हूं इसीलिये रोजाना मैं जिम जाता हूं, क्योंकि मेरा मानना है जिम करने के बाद आपके भीतर गलत विकार पैदा नहीं होते। इसके अलावा मैं हमेशा यही सोचता हूं कि आज नही तो कल आपका वक्त जरूर आयेगा इसलिये निराश होने की जरूरत नहीं है।
मौजूदा फिल्म एक साउथ इंडियन फिल्म का रीमेक है। इस पर फिल्म बनाने की कोई खास वजह ?
फिल्म का कन्टेन्ट बहुत बढ़िया है, जिसका आज हर कोई भूखा है। फिल्म देखने के बाद सोचा गया कि इसे हिन्दी बैल्ट के लिये भी बनाया जाये। इस तरह की फिल्मों के चलने की गारंटी होती है चाहे उसमें न्यूकमर ही क्यों न हो, हां अगर स्टार्स हो तो सोन पे सुहागे वाली बात होगी, जैसे पिछले दिनों साउथ कि फिल्म 'अर्जुन रेड्डी' जिस पर 'कबीर सिंह' बनी थी। उसे हिन्दी में कितना पंसद किया गया।
फिल्म में क्या कुछ चेंज किया ?
काफी कुछ। जैसे वहां की फिल्में काफी हैवी होती हैं उनमें ढेर सारे गाने होते हैं लिहाजा वे लंबी भी होती है। हमने हिन्दी के मुताबिक उसे ट्रिम किया, लोकेशन चेंज कर बनारस कर दिया। यूपी में बनारस का अपना महत्व है, वहां के घाट और शाम को होने वाली आरती, ऐसा दृश्य किस शहर में मिलेगा।
बनारस की क्या चीज अच्छी लगी ?
वहां की मिठाई, जिसका नाम रसमलाई था। मैं अपनी हीरोइन नतालिया के साथ रोजाना पैकअप के बाद वहां की मशहूर दुकान पर जाकर रसमलाई खाता था। आज तक मैनें ऐसी मिठाई कभी नहीं खाई।
फिल्म चूंकि साउथ की हैं इसीलिये आपने फिल्म के लिये साउथ के डायरेक्टर को अप्रोच किया ?
फिल्म के डायरेक्टर शेखर को मैं दो हजार नो से जानता हूं। उन्होंने साउथ में एक फिल्म अरविंद की थी जो काफी हिट साबित हुई थी। उसके बाद हम कुछ करने के लिये प्रौग्राम बना रहे थे। उसी दौरान ये फिल्म मेरे सामने से गुजरी तो मैने फौरन उन्हें काल किया, वे भी नेक्स्ट फ्लाइट पकड़ कर आ गये।
आपके पिता स्टारमेकर रहे हैं इसके अलावा आपने करियर की शुरूआत में ही पागलपन और ये दिल आशिकाना जैसी हिट फिल्में दी। बावजूद इसके कहां क्या कमी रह गई कि आपका करियर आगे नहीं बढ़ पाया?
इसका जवाब मेरे ही नहीं किसी के पास भी नहीं है। मैं बस इतना ही कह सकता हूं कि पता नहीं क्यों उस दौरान उस तरह के ऑफर्स नहीं मिल पाये जिनकी मुझे जरूरत थी। अब वो क्यों नहीं आये इसका जवाब तो ऊपरवाला ही दे सकता है। लेकिन कोई बात नहीं अब एक बार मैं फिर आप लोगों के सामने हूं।
इसे आप किस जॉनर की फिल्म कहना चाहेगें ?
एक्शन ऑरिंयेटिड, जिसका कन्टेंट वैरी स्ट्रांग है और स्क्रीनप्ले भी बेहतरीन है। श्याम कौशल जी का एक्शन इसमें बिल्कुल रियेलिस्टिक है, इसमें कहीं आपको नहीं दिखाई देगा कि हीरो ने एक मारा तो सामने वाला उड़ता ही जा रहा है। लिहाजा मुझे लगता है कि इस बार मुझे एक्शन करते देख दर्शकों को अच्छा लगेगा।
अपनी भूमिका को लेकर क्या कहना है ?
ये गुड्डू शुक्ला नामक एक आम से लड़के की कहानी हैं जो पढ़ लिख कर भी बेरोजगार है लिहाजा रोजाना अपने पेरेन्ट्स से डांट खाता रहता है। उसके जीवन का सबसे बड़ा सपना बाइक है जिसके लिये उसे कोई सपोर्ट नहीं करता, लेकिन दिन उसकी लाइफ में बाइक आ ही जाती है। आगे चलकर किस प्रकार वो अंडरवर्ल्ड के साथ मिक्स हो जाता है और बाद में किस प्रकार वहां से निकल पाता है।
ये आपके होम प्रोडक्शन की फिल्म हैं तो एक्टिंग के अलावा और कहां कहा इन्वॉल्व रहे ?
प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन के तहत काफी कुछ सीखने को मिला जो आगे मेरे काफी काम आने वाला है।
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