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Birthday Special - "मैं अब कल वाली रीना नहीं रही" -रीना राॅय

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By Mayapuri Desk
New Update
Birthday Special - "मैं अब कल वाली रीना नहीं रही" -रीना राॅय

यह

लेख

दिनांक

14-08-1983

मायापुरी

के

पुराने

अंक

464

से

लिया

गया

है। 

जी

नहीं

मैं

प्रेस

वालों

से

नाराज

नहीं

हूँ

,

लेकिन

बहुत

खुश

भी

नहीं

हूँ

लिहाजा

खुद

मैंने

अब

सर

पर

परेशानी

मोल

लेना

बंद

कर

दिया

हैं।

ठीक

है

आप

सबसे

दो

घड़ी

मिल

बैठ

लेती

हूँ

दो

औपचारिक

बातें

कर

लेती

हूँ

इससे

अगर

आपको

कुछ

हल्का

फुल्का

मैटर

मिलता

है

तो

ठीक

है

आप

पत्रकारों

के

दो

कान

हैं

आप

जो

हल्की

फुल्

की

बातें

सुने

उन्हें

अपने

हल्के

फुल्के

प्रश्नों

में

ढाल

लें

भला

किसे

आपत्ति

होंगी

?

लेकिन

जब

पत्रकार

बिना

वजह

बात

का

बतंगड़

बना

देते

हैं

तो

सच

मानो

दिल

पर

चोट

सी

लगती

है।

लगता

है

,

आप

सब

अपने

प्रोफेशन

से

दिल्

लगी

कर

रहे

हैं।

सुलेना

मजुमदार

अरोरा

यह

आरोप

लगा

रही

थी

रीना

फिल्

'

करिश्मा'

के

सैट

पर

Birthday Special - "मैं अब कल वाली रीना नहीं रही" -रीना राॅय

यह

आरोप

लगा

रही

थी

रीना

फिल्

करिश्मा

के

सैट

पर

इंटरव्यू

के

नाम

पर

सख्त

नाराजगी

प्रकट

करती

हुई,

खैर

मेरा

इरादा

किसी

भी

कलाकार

का

दिल

दुखाना

नहीं

है

और

ही

बात

का

बतंगड़

बनाने

का

है।

जैसा

उन्होंने

मिल

बैठ

कर

गिले

-

शिकवे

वाले

अंदाज

की

बात

कही

मैं

भी

वैसा

ही

ठीक

समझती

हूँ

यूँ

भी

मैं

पर्सनल

जिन्दगी

में

झांकने

के

खिलाफ

हूँ

जब

तक

कि

मजबूरी

हो।

पिछले जीवन की बातें कभी याद आती तो होगीं जब आप फिल्‍म इंडस्ट्री की स्टार नहीं थीं, एक आप लड़की थीं?

हर

तस्बुर

की

खटास

और

मिठास

को

होंठों

में

कैद

कर

वे

अनचाहे

ही

उन

यादों

को

दुत्त्कार

बैठ

बस

और

नहीं

इन

सब

बातों

को

मैं

मिटा

चुकी

हूँ।

अभिलाषाओं

के

आग

में

दहन

कर

दिया

है

अपने

कल

के

जीवन

को

,

क्यों

आखिर

क्यों

मेरे

कल

में

झांकना

चाहता

है

,

क्या

आज

की

रीना

जिन्दा

नहीं

है

?

फिर

क्यों

कल

के

रीना

की

यादें

की

कब्र

से

खोदी

जा

रही

हैं

?

मुझे

पता

है

लोग

मासुमियत

के

मुखौटे

ओढ़

कर

तिल

का

ताड़

ढूंढते

फिरते

हैं

और

पिछले

जीवन

का

विश्लेक्षण

करनेे

बैठ

जाते

हैं।

नहीं

अब

नहीं,

लोग

कहते

हैं

मैं

विवादों

में

घिरी

थी

मैं

चर्चा

की

केन्द्र

बिन्दु

थी

हाँ

,

जो

थी

या

नहीं

थी

सब

पास्ट

हुआ

और

गुजर

गया

बीत

गया

मैं

वर्तमान

की

रीना

हूँ।

मैं

आज

की

रीना

हूँ

बस

आजकल क्या कर रही हैं

?

इस

प्रश्न

पर

बादाम

सी

आँखों

में

प्रश्नों

की

बौछार

लिये

रीना

बोली

क्या

कर

रही

हूँ

इस

प्रश्न

में

क्या

रहस्य

है

मैं

समझ

नहीं

पा

रही

हूँ।

मैं

दोहरे

मतलब

वाले

प्रश्नों

का

उत्तर

नहीं

देती।

वाह

क्या

कहने

सावधानी

का

अंग्रेजी

में

कहाँ

जाये

तो

इसे

कहा

जायेगा

हाइट

ऑफ

वीइंग

केअरफुल

अतः

खुलासा

करना

पड़ा।

Birthday Special - "मैं अब कल वाली रीना नहीं रही" -रीना राॅय

आजकल कुछ कम फिल्में साइन कर रही हैं? क्या आप कुछ क्रियेटिव वर्क भी करने लगीं हैं? 

काम

कहाँ,

हाँ

शायद

अब

मेरे

चुनाव

क्षेत्र

का

विस्तार

हो

गया

है

अब

रोज

ढेरों

फिल्मों

में

से

मैं

चन्द

अच्छी

फिल्में

चुन

लेती

हूँ।

मैं

सभी

की

सभी

फिल्में

झपट

नहीं

लेना

चाहती।

जिन

फिल्मों

में

नारी

प्रधानता

होती

है

उसे

मैं

करना

चाहती

हूँ।

जैसे

फिल्

आशा

’, ‘

अपनापन

’, ‘

धनवान

’, ‘

सौ

दिन

सास

के

वगैरा

दुख

की

बात

है

कि

आजकल

ऐसी

भावनात्मक

फिल्में

बहुत

कम

बनने

लगी

हैं।

आप ऐसा करती हैं लेकिन आपकी बहन बरखा ही जब भावनात्मक फिल्मों से ज्यादा नाच गाने तथा डिस्को वाली कमर्शियल फिल्में बनाती हैं तो आप औरों से क्या आशा रख सकती हैं?

हाँ

,

बरखा

नाच

गाने

वाली

फिल्म

बनाती

है

लेकिन

उसमें

भावनात्मकता

की

कमी

नहीं

होती।

अब

भावना

से

मेरा

सिर्फ

आँसू

बहाने

वाले

रोल

से

शिकायत

नहीं

बल्कि

आशा

’, ‘

अपनापन

’, ‘

सौ

दिन

सास

के

धनवान

सबकी

सब

कमर्शियल

थी

और

फिर

भावनात्मक

फिल्म

अगर

हमारे

प्रोड्यूसर

नहीं

बनाते

तो

यह

दर्शकों

का

भी

थोड़ा

बहुत

दोष

है।

वे

मारधाड़

वाली

या

मसाले

वाली

फिल्म

ही

देखना

पसंद

करते

हैं।

रीना

के

इस

बात

से

मैं

सहमत

नहीं

थी

अतः

अपना

दृष्टिकोण

बता

दिया।

लेकिन

दर्शक

वर्ग

कोे

आजकल

शौकीन

’, ‘

मौसम

’, ‘

मासूम

जैसी

फिल्म

पसंद

हैं।

क्यों

शोले

की

रिकाॅर्ड

तोड़

सफलता

सनम

तेरी

कसम

की

प्रशंसा

सत्ते

पे

सत्ता

’, ‘

शक्ति

की

सफलता

आपके

प्रश्न

-

का

खुला

जवाब

घरेलू

आम

जिन्दगी

की

फिल्में

तो

आम

जनता

पसंद

करेगी

ही।

लेकिन

परिकथाओं

को

मात

देती

यह

मसाले

फिल्

दर्शकों

को

कैसे

पसंद

जाती

हैं

,

क्या

यह

उनके

पसंदगी

की

मिसाल

नहीं

है

?

हाँ

यह

बात

सही

है

कि

आजकल

दर्शकों

में

कुछ

बुद्धिजीवी

वर्ग

गया

है

लोगों

का

स्वाद

बदल

रहा

है

लेकिन

फिर

भी

मेजोरिटी

तो

मसालेदार

फिल्मों

की

है।

आपने इन्हीं दिनों कुछ अधिक डिस्को वगैरा के फिल्‍म की हैं जिन्हें देखकर ‘आशा’ और ‘अपनापन’ वाली रीना का अस्तित्व कहीं गुम होता नजर आता है?

हाँ

,

मैं

किसी

एक

इमेज

में

बंधना

नहीं

चाहती।

मैं

दिखा

देना

चाहती

हूँ

कि

मैं

सिर्फ

आँसू

बहाने

वाले

कैरेक्टर्स

ही

नहीं

बल्कि

आज

के

युवा

धड़कनों

में

समाने

वाली

खिलखिलाती

नाचती

गाती

अल्हड़

लड़की

की

भूमिका

भी

करने

के

काबिल

हूँ।

वर्ना

इन

दुखी

चरित्रों

के

हिट

होते

ही

जिसे

देखो

वही

प्रोड्यूसर

दुखी

चरित्र

लेकर

मेरे

पास

हाजिर

हो

जाने

लगे

थे

तब

मुझे

इमेज

बदलने

का

ख्याल

आया।

Birthday Special - "मैं अब कल वाली रीना नहीं रही" -रीना राॅय

लेकिन एक बात तो आप मानेंगी कि आपकी जितनी भी फिल्में सुपर हिट रही उसमें आप सह नायिका थी, जैसे ‘अपनापन’ में सुलक्षणा थी और ‘आशा’ में रामेश्वरी क्या आप अकेली किसी फिल्‍म को उठाने के पक्ष में नहीं?

इस

प्रश्न

पर

बेहद

खिन्

होती

हुई

रीना

का

गुस्से

में

उत्तर

क्या

बात

कर

रही

हैं

आप

?

जिन

फिल्मों

का

आप

नाम

ले

रही

हैं

उसमें

मुझे

नायिका

का

दर्जा

दिया

गया

है

,

फिल्

मेरे

चरित्र

के

इर्दगिर्द

घूमती

है

और

दूसरी

बात

तो

यह

है

कि

मैं

सिर्फ

नाम

के

लिए

नायिका

बनने

के

खिलाफ

हूँ।

कुछ

रोमांस

कुछ

गाने

गाना

और

अंत

में

हीरो

से

उपर

उठायी

है

, ‘

धनवान

’, ‘सौ दिन सास के

’, ‘

लक्ष्मी

’ ‘

लेडीज

टेलर

फिल्में

मैंने

अकेले

उठायी

हैं

जिन

फिल्मों

में

दो

नायिकाओं

की

बात

होती

है

उसमें

मैं

तभी

अभिनय

करती

हूँ

जब

मुझे

दिया

गया

चरित्र

मेरे

दिल

को

छू

जाये

उसमें

बहुत

कुछ

करने

की

गुंजाइश

हो

और

जिसे

करके

मेरी

कला

तृप्त

हो

तभी

मैं

वो

चरित्र

स्वीकार

करती

हूँ।

फिर

जैसा

मैंने

बताया

कि

मैं

सिर्फ

नाम

की

नायिका

नहीं

बनना

चाहती

मैं

भले

ही

80

साल

की

बूढ़ी

का

चरित्र

या

खलनायिका

का

लेकिन

कहानी

मुझ

पर

चलनी

चाहिए।

आप कला फिल्मों के बारे में क्या कहती हैं? जैसे चक्र, गमन?

बहूत

खूबसूरत

फिल्में

हैं,

मैंने

आजतक

सभी

कमर्शियल

फिल्में

की

हैं

लेकिन

मेरी

तमन्ना

है

कि

आर्ट

फिल्मों

में

मैं

काम

करूँ,

मैं

सत्यजीत

रे

,

मृणाल

सेन

,

श्याम

बेनेगल

जैसे

कुशल

निर्देशकों

के

साथ

सचमुच

काम

करने

की

इच्छुक

हूँ।

मैं

अपने

आप

को

कला

फिल्मों

के

लिए

बिल्कुल

तैयार

पाती

हूँ।

बहुत

पहले

जब

मैं

फिल्

जरूरत

में

सर्वप्रथम

आई

थी

तब

कला

फिल्मों

में

काम

करने

की

हिम्मत

नहीं

थी

लेकिन

आज

है।

हाँ

मुझे

राज

साहब

(राजकपूर

)

कमाल

अमरोही

साहब

के

साथ

काम

करने

की

हार्दिक

तमन्

ना

है

क्

योंकि

यही

वो

निर्देशक

हैं

जो

कलाकार

के

भीतर

छुपे

कला

को

उभार

देते

हैं।

यही

वो

निर्देशक

हैं

जिन्होंने

हमारे

ऐतिहासिक

कलाकारों

को

बनाया

है

,

तराशा

है

जैसे

मीना

कुमारी

,

नर्गिस

,

चन्द्र

मोहन

वगैरा।

आप आज की रीना राय के बारे में क्या कहती हैं?

कुछ

भी

नहीं

जो

रीना

है

वो

सबके

सामने

है।

Birthday Special - "मैं अब कल वाली रीना नहीं रही" -रीना राॅय

सो तो ठीक है, लेकिन आम दर्शक आपको ठीक उसी रूप से पहचानते हैं जिस रूप से वे आपको पर्दे पर देखते हैं या आपके बारे में पढ़ते हैं अतः यह कहना कि आप जैसी हैं उनके सामने हैं भ्रमित करता है?“

रीना

अब

पहले

वाली

रीना

नहीं

रही।

अब

वह

तुरन्त

बात

की

गहराई

में

उत्तर

जाती

है

,

समझदार

की

तरह

गंभीरता

से

अपना

उत्तर

कहती

है

मेरे

प्रश्न

पर

सर

को

हल्के

से

हिलाती

हुई

वह

कहती

है

- ‘

मैं

अब

कल

वाली

रीना

नहीं

रही।

मुझे

ऐसा

प्रतीत

होता

है

जैसे

अब

एक

नयी

जिम्मेदारी

मेरे

पर

गयी

है

,

मुझे

नई

राहें

दिखाई

देने

लगी

हैं।

मेरे

परिवार

की

जिम्मेदारी

उठाने

में

अब

बड़ा

प्यारा

मजा

आता

है।

मैं

अपने

कल

को

एकदम

भूल

गयी

हूँ।

मुझे

अपने

अतीत

के

लिए

किसी

से

शिकवा

नहीं

खुद

से

भी

नहीं।

अच्छा

ही

है

आदमी

अनुभव

से

सीखता

है।

अतीत

अनुभव

होता

है

और

कड़वा

अनुभव

तो

जीवन

की

सच्चाई

से

और

भी

दो

चार

कराता

है

वर्ना

अब

तक

तो

जिंदगी

मेरे

लिए

सिर्फ

एक

हँसी

तमाशा

ही

था

अब

हुआ

मालूम

हमको

जिंदगी

क्या

चीज

है।

मुझे

ऐसा

लगता

है

अब

रीना

बदल

गयी

है

,

अब

सिर्फ

प्यार

मुहब्बत

ही

जिंदगी

नहीं

आगे

भी

बहुत

कुछ

है

मैं

अब

हकीकत

में

जीने

लगी

हूँ।

ज्यादा

प्रेक्टीकल

हो

गयी

हूँ।

पहले

रंगीन

ख्यालों

में

जिया

करती

थी।

अब

मैं

जमकर

काम

करती

हूँ।

और

फुर्सत

के

क्षणों

में

अंग्रेजी

किताबें

,

हिन्दी

साहित्य

की

पुस्तके

कविताएँ

,

खलिल

जिब्रान

के

लेख

गालिब

की

गजल

,

उमर

खय्याम

की

रूबाईयाँ

पढ़ती

समझती

रहती

हूँ।

मुझे

खुद

इतनी

फुर्सत

नहीं

होती

कि

अपने

बारे

में

सोचूँ

हाँ

जब

वक्त

आयेगा

तब

अपने

बारे

में

सोच

लूंगी

पहले

दसरी

बहनों

का

घर

बसा

दूँ।

आप जब अपने बारे में सोचेगीं तो प्रेम विवाह सोचेगीं या अरेंज्ड मैरेज?

कोशिश

करूंगी

अरेनज्ड

मैरेज

हो

लेकिन

कल

की

बातें

कोई

क्

या

कह

सकता

है।

रीना

जो

आज

की

रीना

थी

सचमुच

बातें

करने

की

अदा

सीख

ली

हैं।

कल

जो

लोग

उन्हें

नासमझ

,

नादान

बच्चों

जैसी

हरकत

करने

वाली

,

बिना

सलीका

कहा

करते

थे

वे

निश्चय

ही

आज

अपना

विचार

बदलने

पर

मजबूर

होंगे।

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