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INTERVIEW: डायरेक्शन की जिम्मेदारी उठाने के मामले में मैं बहुत लेजी हूं - सचिन खेड़ेकर

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By Mayapuri Desk
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INTERVIEW: डायरेक्शन की जिम्मेदारी उठाने के मामले में मैं बहुत लेजी हूं - सचिन खेड़ेकर

ज्योति वेंकटेश

वर्सेटाइल एक्टर, सचिन खेड़ेकर ज्योति वेंकटेश को बताते हैं कि इस वर्ष, वे कई नए मराठी फिल्मों के डायरेक्टर्स, जो पहली बार डायरेक्शन देने वाले हैं, की फिल्मों (जैसे वरुण नार्वेकर कृत ‘मुरांबा’, गिरीश जोशी कृत ‘टेक केयर गुड नाईट’, निपुण धर्माधिकारी कृत ‘बाप जन्म’ तथा प्रसाद ओक कृत ‘कच्चा नींबू’, साथ ही मशहूर, स्थापित फिल्म मेकर जैसे डेविड धवन कृत ‘जुड़वा 2’ और रोहित शेट्टी कृत ‘गोलमाल 4’) में काम करते हुए बहुत खुशी महसूस कर रहे हैं।

आपने क्या सोचकर फिल्म मुरांबा में काम करने का फैसला किया ?

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हालांकि लेखक निर्देशक वरुण नार्वेकर की यह पहली फिल्म है लेकिन जब उन्होंने मुझे बताया कि इस फिल्म का आईडिया उनके मन में तब आया जब उन्होंने कहीं एक उक्ति पढ़ी, की जन्म लेते ही हमें दो अभिन्न मित्र उपहार में मिल जाते हैं और एक वक्त वह भी आता है जब हमें यह महसूस होता है कि वह दो मित्र मेरे पिता और माता हैं तो मैं उस कहानी में बाबा के पात्र से सम्मोहित हो गया क्योंकि हकीकत के जीवन मे भी मैं दो बेटों के पिता हूं।publive-image

मुरांबा के बारे में कुछ और बताइए?

पैरेंट्स और बच्चों के बीच बातचीत का सिलसिला बच्चों के किशोरावस्था में पहुंचते ही कम होने लगता है। ज्यादातर बच्चे मानते हैं कि उनके माता पिता उनकी भावनाओं और परिस्थितियों को नहीं समझते। मुरांबा फिल्म उसी तनाव और उलझन को सुलझाता है और पेरेंट्स तथा बच्चों के बीच एक मैत्रीपूर्ण रिश्ते का अनुभव देता है। यह कहानी है आज के समय के पेरेंट्स की जो अपने बच्चों की भावनाएं समझते हैं और उनके संबंधों की इज्जत करते हैं।

विस्तार से बताइए?

फिल्म में मेरा बेटा आलोक (अमय वाघ), बहुत झिझकते हुए अपनी प्रेमिका इंदु (मिथिला पालकर) के साथ अपने संबंधों और उसमें आ रही उतार-चढ़ाव की बातें मुझसे और मेरी पत्नी (चिन्मई सुमित) से शेयर करता है। वक्त के साथ उसे समझ में आ जाता है कि उसके मित्रों की तरह हम, यानी उसके पिता माता भी उनके भावनाओं को समझने के काबिल है। यह हल्की फुल्की फिल्म, दोनों जनरेशन को संबंधों और रिश्तों के साथ डील करने की समझ देती है और दोनों को इसके भेदो को एप्रिशिएट करने की कला सिखाती है।publive-image

आपकी भूमिका क्या है?

जैसे कि मैंने पहले ही बताया कि मैं बाबा की भूमिका निभा रहा हूं। अक्सर हमें यह लगता है कि हमारे बच्चे बड़े हो गए हैं। यह फिल्म आपको, अपने बच्चों को समझने की सीख तो नहीं देती लेकिन अपने बच्चों को, बच्चे की तरह ना ट्रीट करके दोस्त की तरह ट्रीट करने की राह दिखाती है। पिता को वाकई एक पिता की तरह होना चाहिए और यह उन्हीं की जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चे में संपूर्ण आत्मविश्वास का विकास करें। क्योंकि आज के बच्चे अपने स्ट्रेस लेवल को ज्यादातर हैंडल नहीं कर पाते हैं।

बताते जाइए ?

आजकल हम बहुत जल्दी हर चीज को नापसंद करने लगते हैं और अक्सर तुरंत ब्लॉक बटन दबा देते हैं। हकीकत के जीवन में भी सोशल मीडिया की तरह लाइक डिजलाइक पर जीने लगते हैं। हम अपने ही विचारों को सही ठहराते हुए उससे बाहर जाना ही नहीं चाहते। मैं अपने रील लाइफ की इस भूमिका से इसलिए बखूब जुड़ पाया क्योंकि हकीकत के जीवन में भी मैं एक पिता हूँ, इस फिल्म को करते हुए मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं अपने बच्चों के साथ डील कर रहा हूँ। दरअसल इस फिल्म की खासियत उसकी लेखनी में है, जो बेहद मॉडर्न है। यही वजह है कि इसके लेखक वरुण, (जो पहली बार डायरेक्शन भी दे रहे हैं) हम कलाकारों, चिन्मई, अमय, मिथिला और मुझसे सटीक परफॉर्मेंस निचोड़ पाए।publive-image

यानी इस वर्ष आप कई ऐसे निर्देशकों के साथ काम कर रहे हैं जो पहली बार डायरेक्शन दे रहे हैं?

जी हां, मुरांबा के बाद आप हमें गिरीश जोशी कृत फिल्म टेक केयर गुड नाईट, निपुण धर्माधिकारी कृत बाप जन्म तथा प्रसाद ओक कृत कच्चा लिंबू में देखेंगे। वरुण नार्वेकर की तरह यह सारे भी पहली बार डायरेक्शन दे रहे हैं।

आप कब डायरेक्शन की उड़ान भरेंगे?

मैं शायद कभी डायरेक्शन के क्षेत्र में नहीं जाऊंगा इसकी वजह सिर्फ यह है कि मैं बहुत आलसी हूं ।

टीवी शो ‘कौन होईल करोड़पति’ के बाद आपने टीवी की दुनिया में फिर कदम नहीं रखा। क्यों?

इस वक्त मुझे नहीं लगता कि मैं टीवी के लिए समय निकाल सकता हूं, हालांकि मैं कई यादगार टीवी शो का हिस्सा रहा हूं जैसे, सैलाब, थोड़ा है थोड़े की जरूरत है, अधिकार, तथा झूठा सच।

बतौर एक्टर, आप अपनी अब तक की पांच बेहतरीन फिल्मों के नाम बताइ?

मुझे जिन फिल्मों पर सर्वाधिक गर्व है वह है :- बोस, द फॉरगॉटन हीरो, अस्तित्व, मी शिवाजी राजे भोसले बोलतोय, काकस्पर्श (सारे मराठी) तथा मात्रण (तमिल)।publive-image

आपने इतनी सारी फिल्में की है, पर कभी टाइप्ड नहीं हुए। यह कैसे संभव कर पाया?

यह बतौर अभिनेता अपनी दिलचस्पी को बनाए रखने के कारण संभव हो पाया है। मैं पिछले तीस वर्षों से अभिनय कर रहा हूं और मैंने तरह-तरह की भूमिकाएं चुनी है, इस वजह से टाइप्ड नहीं हुआ। मैं एक साथ गंभीर फिल्म, कॉमेडी फिल्म, छोटी फिल्म, बड़ी-ए ग्रेड फिल्म, तथा म्यूजिकल शो में काम करता रहा हूं।

बतौर एक्टर आपकी अगली फिल्में कौन-कौन सी है ?

मुरांबा के बाद मेरी कई फिल्में रिलीज के लिए तैयार है, जैसे-टेक केयर गुड नाईट, बाप जन्म, कच्चा लिम्बू, (यह सब मराठी में) साथ ही हिंदी में डेविड धवन कृत जुड़वा 2 तथा रोहित शेट्टी कृत गोलमाल4 भी मेरी आने वाली वाली फिल्में है।

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