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शाहरुख से मुझे डर नहीं लगता- कैटरीना कैफ

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By Shyam Sharma
शाहरुख से मुझे डर नहीं लगता- कैटरीना कैफ
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छह साल के बाद कैटरीना शाहरुख खान के साथ दोबारा ज़ीरो में वापस आ रही हैं। वह मानती हैं कि इन छह सालों के दौरान बहुत कुछ बदल चुका है। अपनी पिछली फिल्म ठग्स ऑफ हिंदुस्तान की असफलता से वह निराश जरूर हैं लेकिन अपकमिंग ज़ीरो में उनके कैरेक्टर को जिस तरह से उभारा गया है, वो रूप दर्शकों को जरूर पसंद आएगा। ज़ीरो के लिए कैटरीना कैफ से खास बातचीत:

ठग्स ऑफ हिंदुस्तान जैसी फिल्म क्यों चुनी, जिसमें आपके करने लायक कुछ ज्यादा नहीं था?

इस फिल्म की टीम के साथ मेरे अच्छे रिश्ते हैं। सभी ने सोचा था कि शायद इस फिल्म का सीक्वल बन जाए। इसमें अपने गानों पर मैंने काफी हार्डवर्क किया था लेकिन दर्शकों को फिल्म नहीं पसंद आई तो ज़ाहिर है मेरा काम भी वेस्ट गया। सुरैया गीत पर तो बहुत ज्यादा वर्क किया था। इस मेहनत के बाद भी जो फिल्म बनकर आई, उसपर मैँ क्या कह सकती हूं

क्या आलोचनाओं से डर नहीं लगता?

इंडस्ट्री में पिछले 15 साल से हूं। लगातार आलोचनाएं होती रही हैं लेकिन मेरे कॅरियर पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। शुरू-शुरू में जरूर टैंशन होती थी जब मेरे बारे में गलत लिखा जाता था पर अब डर भी नहीं लगता।

शाहरुख के साथ 6 साल बाद आपने काम किया है। उनमें आपने कितना बदलाव देखा?

जब तक है जान की शूटिंग के समय मुझे शाहरुख से डर लगता था। उनके साथ बात करने की हिम्मत नहीं होती थी लेकिन ज़ीरो तक पहुंचते पहुंचते बहुत कुछ बदल चुका है। इन छह सालों में मेरा एक्सपीरिएंस भी बढ़ गया है और मैंने बहुत कुछ सीखा भी है। अब मैं शाहरुख को अच्छी तरह समझने लगी हूं।

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आनंद एल राय के निर्देशन में काम करना कैसा लगा?

देखिए, एक एक्टर को अच्छे डायरेक्टर की जरूरत होती है वरना एक्टर डार्क में चला जाता है। डायरेक्टर ही एक्टर को सही रास्ता दिखाता है। उससे अपने मुताबिक काम निकलवा पाता है। आनंद जी ने जिस तरह मुझे गाइड किया, मैंने पूरी मेेहनत से उन्हें वो काम दिया जिससे मेरा काम निखरकर बाहर आया।

सोशल मीडिया को लेकर आपका क्या कहना है?

सोशल मीडिया ने सबको एक-दूसरे के नज़दीक ला दिया है। हम किसी से सालों से नहीं भी मिले तो सोशल मीडिया के जरिए हम उनके टच में रहते हैं। इस माध्यम से आप अपनी सभी बातें शेयर कर पाते हैं।

क्या इसके साइड इफेक्ट्स आपको नज़र नहीं आते?

अब तो हर समय सतर्क रहना पड़ता है। डर रहता है कि न जानें कौन क्या पोस्ट कर दे। समय की तरह आजादी से कुछ करने की फीलिंग अब नहीं रही। आज हर समय हर चीज रिकॉर्ड हो रही है। पार्टियां तक फोन पर देखी जा रही हैं जिससे पार्टी में रहते हुए भी सतर्क रहना पड़ता है कि कहीं कोई उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट न कर दे।

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ज़ीरो में अपने किरदार के बारे में बताएं?

जीरो में मेरा जो बबिता कुमारी का किरदार है लेकिन जब मैं इस फिल्म से जुड़ी थी, तब से लेकर अब तक इस किरदार में बहुत बदलाव हो चुका है। पहले बबिता अलग नेचर की लडक़ी थी लेकिन फिल्म कंपलीट होने तक इसका किरदार काफी बदल चुका था। मुझे लगता है कि मेरा किरदार आनंद जी को कुछ ज्यादा ही पसंद था इसलिए वे इसमें बदलाव लाते रहे।

क्या आपने आनंद एल राय की फिल्में देखी हैं। अगर देखी हैं तो उनका क्या स्टाइल पसंद आया?

मैंने उनकी हर फिल्म पूरी देखी है। उनकी फिल्म देखकर मुझे पता चला कि उनकी फिल्म की फीमेल हमेशा बहुत ही ज्यादा मजबूत होती है। फिर भले वह रोमांटिक फिल्म ही क्यों न हो। रांझना जैसी प्यार की कहानी में भी फीमेल का किरदार मल्टीलेयर वाला मजबूत था। जब आनंद जीरो की कहानी लेकर मेरे पास आए थे, तब हमें यह पता था कि हमारी यह मुश्किल जर्नी होगी। प्रफेशनली मैंने आनंद से इस फिल्म के दौरान हर मामले में बहुत सीखा है।

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