‘बैंड बाजा बंद दरवाज़ा’ का कॉन्सेप्ट क्या है?
‘बैंड बाजा बंद दरवाज़ा’ एक हल्की-फुलकी हॉरर कॉमेडी है। यह पूरी तरह से ह्यूमर होने की बजाय एक सिचुएशनल कॉमेडी है।
अपने किरदार संजीव शर्मा के बारे में कुछ बतायें।
संजीव शर्मा एक आम मिडिल-क्लास परिवार से ताल्लुक रखता है। जीवन से उसकी ज्यादा ख्वाहिशें नहीं हैं, हालांकि बदकिस्मती से उसकी शादी वाले दिन उसकी होने वाली दुल्हन भाग जाती है। जीवन में उसकी केवल एक ही इच्छा थी, पैसे कमाना और घर बसाना, लेकिन दुर्भाग्य से घर बसाने का उसका सपना अधूरा ही रह जाता है। इसलिये, मरने के बाद वह अपनी अधूरी इच्छा को पूरा करने आता है।
टेलीविजन पर कई सारे हॉरर कॉमेडी शो रहे हैं। क्या चीज इस शो को औरों से अलग बनाती है?
मुझे नहीं पता क्योंकि मैं बहुत टेलीविजन शोज़ नहीं देखता हूं, आमतौर पर मैं खबरें देखने वाला व्यक्ति हूं। मैं इस तरह की तुलना में विश्वास नहीं करता कि ‘‘यह बेहतर है’’ और ‘यह नहीं है’। मुझे लगता है कि कला हमेशा ही अलग और अनूठी होती है। हम सबके पास अलग-अलग टीम होती है, निर्देशक होते हैं, कलाकार होते हैं, इसलिये यह उस पर निर्भर करता है। हालांकि, इन दिनों लोग टेलीविजन में डायरेक्टर के कॉन्सेप्ट को खत्म करते जा रहे हैं, जोकि निराशाजनक बात है। हमारे डायरेक्टर मक़बूल बेहतरीन इंसान हैं और यह जानकर बुरा लगता है कि टीवी शोज़ के लिये डायरेक्टर्स का महत्व खत्म होता जा रहा है। मैं यह नहीं कह सकता कि यह शो औरों से किस तरह अलग है, लेकिन यह कहना चाहूंगा कि इस शो की टीम और इसका लेखन अद्भुत है। इसे काफी अच्छी तरह लिखा गया है, जोकि समाज के मौजूदा स्थिति के अनुरूप है।
आप पहली बार इस तरह की भूमिका कर रहे हैं। आपने एक भूत के किरदार के लिये किस तरह तैयारी की?
मेरे लिये, भूत को वास्तविक दिखाना जरूरी था। इस भूत के अलग से दांत या सींग नहीं हैं; वह ज्यादातर समय इंसानों की तरह दिखता है और उसमें भूतों जैसी बहुत कम बात है। मैंने इस भूमिका के लिये कुछ जगहों से प्रेरणा भी ली, जैसे ‘मम्मी’ फिल्म की काफी झलक इस किरदार में नज़र आती है। काफी रिसर्च करने के बाद, हमने भूत को एक अच्छे इंसान के रूप में तैयार किया, जोकि दूसरों को इस हद नुकसान नहीं पहुंचाता कि वे उससे उबर ही ना पायें। इसकी वजह वह कॉमिक रूप में लोगों को बस डराने की कोशिश करता है। इसके पीछे सोच यह थी कि एक मिडिल क्लास परिवार का व्यक्ति और वह नहीं जानता कि दूसरों को कैसे नुकसान पहुंचाना है, इस तरह की स्थितियों में वह कैसी प्रतिक्रिया देगा।
यदि आप संजीव की जगह होते तो दिल टूटने का सामना किस तरह करते?
मैं इस तरह की चीजों को गंभीरता से नहीं लेता। बतौर कलाकार, आमतौर पर आप इस तरह के मुद्दों की बहुत परवाह नहीं करते, क्योंकि आप अलग हैं और एक अलग तरह की जिंदगी जी रहे हैं। मैं एक सामान्य जीवन जीने का बोझ नहीं लेता हूं और हमेशा ही असामान्य जीवन जीता हूं। असामान्य का मतलब यह नहीं है कि उसमें कुछ सुधार की जरूरत है, लेकिन कहने मतलब है कि मैं बेहद हल्के रूप में जीवन जीता हूं। थियेटर करने के दौरान, मुझे 5 दिनों तक भूखा भी रहना पड़ा था। हालांकि, उस समय मुझे ऐसा नहीं लगा था कि मैं भूख की वजह से मर जाऊंगा, क्योंकि यह जीवन का हिस्सा है। मैं ऑडी खरीदने के लिये या एक पेंट हाउस खरीदने के लिये कभी जिंदगी नहीं जी। मेरी पहली प्राथमिकता हमेशा ही एक्टिंग रही है , बाकी चीजें तो समय के साथ आ ही जायेंगी।
क्या आप किसी से बदला लेने के स्तर तक जायेंगे?
नहीं, कभी नहीं जाऊंगा।
इस शो से आपकी क्या उम्मीदें हैं और आपको क्या लगता है कि दर्शकों को इस शो में क्या पसंद आयेगा?
इस शो से मेरी काफी ज्यादा उम्मीदें हैं, सिर्फ इसलिये नहीं कि मैं इसमें काम कर रहा हूं, बल्कि इसलिये कि इसे बहुत ही खूबसूरती से लिखा गया है। साथ ही यह विशुद्ध कॉमेडी नहीं है, जिसे कि आप देखें और खूब ठहाके लगायें। उसकी बजाय यह आपके चेहरे पर मुस्कान लाता है और कई बार आपको गुदगुदाता है। इस शो का कंटेंट आज की पीढ़ी के अनुरूप है। हर परिवार में थोड़ी-बहुत बहस तो होती ही है और आज के समय में बच्चे अपने पेरेंट्स के साथ काफी पारदर्शी हैं, आत्मविश्वास से भरे हुए और ईमानदार हैं। और वह अपनी जिंदगी चीजों को छुपा कर नहीं जीते। ऐसी वास्तविक चीजें इस शो में शामिल की गयी हैं।
इस भूमिका को करने की क्या वजह रही?
इस शो को करने की सबसे बड़ी वजह इसके डायरेक्टर मक़बूल और लेखक अमितोश हैं। मुझे ऐसा लगता है कि पैसे या कारणों से आज टेलीविजन इंडस्ट्री किसी भी दूसरी इंडस्ट्री से कहीं ज्यादा बड़ी है। इस शो की स्क्रिप्ट ने मुझे सबसे ज्यादा रोमांचित किया है। सीमित एपिसोड की सीरीज एक अन्य चीज थी, जिसने मुझे आकर्षित किया,जोकि काफी अनूठा और सीमित यूनिट में आपको थोड़ी आजादी भी होती है। हम एक महीने की शूटिंग कर भी चुके हैं और परफॉर्म करने के दौरान किसी तरह का दबाव नहीं था।
आप ज्यादा क्या पसंद करेंगे- फिल्में या फिर टेलीविजन?
मेरे लिये कंटेंट और अच्छा काम सबसे ज्यादा मायने रखता है। यदि कोई ‘मिर्जा गालिब’ या ‘भारत एक खोज’ दोबारा बनाने की योजना बना रहे हैं तो मैं उनमें भी काम करना पसंद करूंगा। यह स्वाभाविक है कि फिल्मों में जादू होता है और आप सिनेमा हॉल में हर फिल्म के लिये दर्शकों की प्रतिक्रिया देखते हैं, वहीं जब आप अकेले टेलीविजन देख रहे होते हैं तो इस तरह की प्रतिक्रिया नहीं देख सकते। इन दोनों के बीच यही एकमात्र फर्क है।
आप कॉमेडी और हॉरर दोनों ही कर रहे हैं, लेकिन आप किस ज़ोनर में काम करना पसंद करेंगे?
मुझे वह सारी भूमिकाएं पसंद हैं जोकि मुझे मेरे कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकालती हैं। कई सारे लोग यह शिकायत करते हैं कि वह कुछ भूमिकाओं को करने में सहज महसूस नहीं करते, लेकिन मैं एक्टिंग में इसलिये नहीं आया कि अपने कम्फर्ट ज़ोन में रहूं। कॉमेडी मेरे व्यक्तित्व के अनुरूप चीज नहीं है, लेकिन मैं खुद को उसके लिये ढालता हूं। यह बेहद दुखद है कि दर्शक उन कलाकारों को सम्मान नहीं देते हैं जोकि कॉमेडी करते हैं और उन्हें महत्व नहीं देते। कॉमिक भूमिकाएं निभाने वाले कलाकारों की तुलना में गंभीर और गहरी भूमिकाएं निभाने वाले कलाकारों को काफी गंभीरता से लिया जाता है।
अब तक शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
किरदार में ढलने के लिये पहले के दो दिन काफी मुश्किल रहे। हमने रिहर्सल की और इस किरदार में ढलने की कोशिश की और अब भी हम इस पर काम कर रहे है। चूंकि, हम 5-6 एपिसोड की शूटिंग कर ली है, अब हम आकलन करने और किरदार को उसके अनुरूप ढालने के लिये एडिट होने का इंतजार कर रहे हैं। सच कहूं तो पहले दो दिन इस किरदार के हाव-भाव और तौर-तरीकों में ढलना काफी चुनौतीपूर्ण रहा, क्योंकि इस किरदार में काफी सारे बदलाव होते हैं। उसमें दर्शकों के साथ कुछ बातचीत भी है और अचानक से ही वह एक भूत बन जाता है।
क्या आप सोनी चैनल देखते हैं और कोई पसंदीदा शो है?
‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ शो मैं सबसे ज्यादा देखता हूं। वह परिवार मुझे सबसे ज्यादा हंसाता है। मुझे पूरा विश्वास है कि यह सिर्फ मेरा ही नहीं बल्कि कई लोगों का पसंदीदा शो होगा।
क्या आप भूतों पर भरोसा करते हैं? क्या कभी आपका भूतों/आत्माओं से सामना हुआ है?
मेरा कभी भूतों से सामना नहीं हुआ है लेकिन मुझे 20 साल पहले बनारस के घाट पर एक शक्ति के होने का अहसास हुआ था। इस बात पर मेरा पक्का विश्वास है कि हमारे आस-पास अच्छी और बुरी ऊर्जा है।
यदि आप रॉकी होते तो फिर भूत से किस तरह निपटते?
मैं यह कहकर बड़े ही प्यार से उससे निपटता कि, ‘‘अपनी समस्या बताओ और मैं तुम्हारे लिये उसे दूर करूंगा।’’
आप उन लोगों को क्या कहना चाहेंगे जोकि भूतों या डरावनी चीजों से बहुत ही आसानी से डर जाते हैं?
मैं आपसे यह कहना चाहूंगा कि एक ही जिंदगी मिली है, इसलिये खुद पर भरोसा करके अपने डर को कम करें।
क्या आपके किरदार और वास्तविक जीवन में कोई समानताएं हैं?
बिलकुल नहीं। हालांकि, मैं जिस तरह से इस किरदार को आकार दे रहा हूं वह बेहद साधारण होगा और वह ऐसा किरदार होगा जोकि अपनी सीमाएं जानता है, जोकि मेरे जीवन से मेल खाता है। मेरा यह मानना है कि जब आप दूसरों को मान देंगे तभी आपको औरों से मान मिलेगा।