मैं बोल्ड दृश्यों को निभाने में खुद को असहज महसूस करता हूँ-हिमांशु मल्होत्रा By Mayapuri Desk 09 Sep 2021 | एडिट 09 Sep 2021 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर 2004 में ‘जीसिनेस्टार्स की खोज’ में पार्टीसिपेट करने के बाद अभिनेता हिमांशु मल्होत्रा ने 2006 में फिल्म ‘मिस्टर हिमांशु दीक्षित’ अभिनय करियर की शुरूआत की थी। उसके बाद वह टीवी सीरियलों में अभिनय करते रहे। हिमांशु मल्होत्रा ने ‘कैसी लागी लगन’, ‘आपकी अंतरा’, ‘सेवन’, ‘भागों वाली बनाते अपनी तकदीर’, ‘यह है आशिकी’, ‘डर सबको लगता है’, ‘दिल जैसे धड़कने दो’ जैसे सीरियलों में अभिनय कर जबरदस्त शोहरत बटोरी। बीच में उन्होंने ‘वजह तुम हो’ और ‘हम चार’ जैसी फिल्में भी की थी। मगर हालिया प्रदर्शित फिल्म ‘‘शेरशाह’’ में मेजर राजीव कपूर का किरदार निभाकर वह काफी प्रशंसा बटोर रहे हैं। तो वहीं अब वह टीवी सीरियल ‘चिकू की मम्मी दूर की’ में मिलिंद का किरदार निभाते हुए नजर आने वाले हैं। प्रस्तुत है हिमांशु मल्होत्रा से हुई बातचीत के अंश: फिल्म ‘शेरशाह’ के प्रदर्शन के बाद किस तरह की प्रतिक्रियाएं मिली? बहुत अच्छी प्रतिक्रियाएं मिलीं.मैं बहुत खुश हूं कि दर्शकों ने मेरी भूमिका और मेरी परफार्मेंस की सराहना की है। इस फिल्म में मेरे कई अहम दृश्य हैं, जिनमें मैं सिद्धार्थ मल्होत्रा उर्फ विक्रम बत्रा को कुछ खास बातें बताता हॅूं। इतना ही नहीं फिल्म के अंत में जब विक्रम बत्रा का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, उस वक्त भी राजीव कपूर की मौजूदगी है। दोनों ही दृश्यों में मेरी आवाज का बखूबी इस्तेमाल किया गया है। हर तरफ से वाहवाही मिल रही है। दुनिया भर के विभिन्न शहरों के लोगों ने मेरे प्रामाणिक अभिनय व लुक पर टिप्पणी की है। मुझे मिल रही बहुत ही गर्मजोशी से भरी प्रतिक्रियाएं मेरे दिल के भी करीब है। फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने बहुत अच्छा समय बिताया। और अब जब लोग हमारे काम की सराहना कर रहे हैं तो और भी अच्छा लग रहा है। सच कहॅॅू तो मैंने इतनी अच्छी प्रतिक्रियाओं के मिलने की कल्पना नही की थी। दर्शकों व फिल्म आलोचकों से प्यार व अच्छी प्रशंसा मिलने के बाद हमारी फिल्म ‘शेरशाह’ को आईएमडीबी पर दस मेे से 8.8 रैंक दिया जाना भी सुखद लगा। ओटीटी पर बोल्ड दृश्य आम बात हो गए हैं। कलाकार दावा करते हैं कि वह पटकथा की मांग के अनुरूप अभिनय करते हैं। आपकी अपनी सोच क्या है? सच यह है कि मैं बोल्ड दृश्यों से दूरी बनाकर रखना पसंद करता हँू। मैं नाम नहीं। लेना चाहता, मगर हकीकत यह है कि बोल्ड दृश्यों और अंतरंग दृश्यों की वजह से मुझे कुछ वेब श्रृंखलाओं को छोड़ना पड़ा। मैं व्यक्तिगत रूप से ऐसे दृश्यों को अपने अभिनय से संवारने को लेकर सहज नहीं हूं। भविष्य की बात नही कर रहा। भविष्य में एक कलाकार के रूप में मेरे विचार या मेरी सोच में बदलाव आ जाए,तो कुछ नहीं कह सकता। वैसे मैं कलाकार के तौर पर अधिक से अधिक वेब सीरीज में अभिनय करना चाहता हूँ। आप वेब सीरीज देखते तो होंगे? क्या अपनी पसंदीदा वेब सीरीज को लेकर बात करना चाहेंगे? मेरी पसंदीदा वेब सीरीज में पहले नंबर पर हंसल मेहता निर्देशित वेब सीरीज ‘‘स्कैम 1992‘’है। इसमें प्रतीक गांधी बहुत अच्छे लगे। मुझे ‘स्पेशल ओपीएस‘ भी पसंद आया, क्योंकि मुझे इसमें के के मेनन पसंद थे। मुझे ‘आर्या‘ भी पसंद थी। जहां तक अंग्रेजी वेब सीरीज की बात है, तो मैं फिलहाल ‘दिस इज अस‘ देख रहा हूं। यह बहुत ही खूबसूरत सीरीज है। कहा जा रहा है ओटीटी प्लेटफॉर्म पर गाय बकरी सब एक समान है। कलाकार को स्टारडम नही मिलता? मैं इस बात से असहमत हूं कि ओटीटी अभिनेता स्टार नहीं बन रहे हैं। मुझे यकीन है कि युवाओं के बीच वह वास्तव में बड़े सितारे हैं। ओटीटी की वजह से कलाकारों के इंस्टाग्राम पर फैन फॉलोइंग में बेहिसाब बढ़ोत्तरी होना, इस बात का परिचायक है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म से कलाकार को लोकप्रियता मिल रही है। हमारे पास अलग-अलग माध्यम हैं। जैसे टेलीविजन, फिल्म और ओटीटी। शायद इसीलिए स्टारडम थोड़ा अलग है। लेकिन ‘स्कैम 1992‘ के प्रतीक गांधी इस समय सबसे बड़े स्टार बने हुए हैं। मुझे यकीन है कि अब वह जहां भी जाते होंगे, लोग उनका ऑटोग्राफ और फोटो लेते होगे। ‘स्कैम 1992’ से पहले प्रतीक गांधी को कौन जानता था। आज उनके पास फिल्मों में अभिनय करने के आफरो की कतार लगी हुई है। स्टारडम का मतलब यह है कि आप जो कुछ भी कहते हैं, उससे लोग प्रभावित होते हैं, इसलिए मुझे यकीन है कि वह जो कुछ भी कहेंगे, लोग प्रभावित होंगे। अभी फिल्में सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हो रही हैं, इसलिए ओटीटी बढ़ रहा है। आपको नहीं लगता कि सिनेमा ने दर्शकों को अपशब्द, गालियो, विवाहेतर संबंधो, सेक्स और ड्रग्स सहित कई चीजों से अवगत कराया है? मेरा मानना है कि सिनेमा, समाज का प्रतिबिंब है और समाज, सिनेमा का प्रतिबिंब है। समाज के किसी हिस्से में मौजूद किसी बात को जब सिनेमा दिखाता है, तो जिस हिस्से में वह बात नहीं होती है, उस हिस्से के लोग सिनेमा में उसे देखकर उसका अनुसरण करते होंगे। कुल मिलाकर सिनेमा और समाज एक दूसरे पर काफी निर्भर हैं। इसलिए समाज विवाहेतर संबंध, सेक्स और ड्रग्स की ओर बढ़ेगा, तो वह सब हम सिनेमा में देखेंगे। जैसे-जैसे दुनिया विकसित हो रही है, मुझे संदेह है कि कोई बीच में होगा। मुझे लगता है कि हमारे माता-पिता और दादा-दादी द्वारा खींची गई रेखा पहले ही धुंधली हो गई हैं और समय के साथ यह क्रम जारी रहेगा। माना जा रहा है कि अभिनेता बनने की ख्वाहिश रखने वाले युवा प्रशिक्षण लेकर पूरी तैयारी के साथ आते है। उन्हे फिल्म मेकिंग से लेकर हर तरह का ज्ञान और जानकारी होती है। ऐसे में विचार प्रक्रिया, व्यवहार और उनके कलाकारों के समूह और नई पीढ़ी के बीच कार्यों का संबंध है, तो क्या कोई जेनरेशन गैप है? मतभेद होंगे और आदर्श रूप से मतभेद होने चाहिए। युवा वर्ग, नई पीढ़ी हैं और उनके पास हमेशा अलग-अलग उपाय, अभिनय के तरीके होंगे और उन्हें अलग-अलग होना चाहिए अन्यथा हर पीढ़ी पिछली पीढ़ी की तरह दिखेगी। मुझे लगता है कि हमें उन सकारात्मक चीजों को भी सीखना चाहिए, जो नई पीढ़ी अपना रही हैं। जैसे वह तकनीक के मामले में काफी विकसित हैं। कुछ समय पहले मैं सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर रहा था, जिसमें संगीत जोड़ने में इतना समय लगा। जबकि सीरियल ‘चीकू की मम्मी दूर कीे‘ में मेरी बेटी की भूमिका निभा रही वैष्णवी अक्सर वीडियो बनाती है। महज पांच मिनट में वह संगीत, संपादन वगैरह करके उसे पोस्ट कर देती है। तो यह नई पीढ़ी है, हमें इसकी कुछ बातों का अनुकरण करने के लिए तैयार रहना चाहिए। मेरी समझ व जानकारी के अनुसार मेगास्टार अमिताभ बच्चन को तकनीक की अति बेहतरीन समझ है। जब तकनीक और विकास की बात आती है,तो उन्होंने खुद को कैसे ढाला... मुझे लगता है कि हमें भी उनसे सीखना चाहिए। यह एक कलाकार और एक इंसान के रूप में विकसित होने का तरीका है। #Himanshu Malhotra #about Himanshu Malhotra #actor Himanshu Malhotra #Himanshu Malhotra interview #inteview Himanshu Malhotra #story about Himanshu Malhotra हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article