मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मैं फिल्म सैराट से जुड जाऊंगी-रिंकू राजगुरु

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By Mayapuri Desk
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मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मैं फिल्म सैराट से जुड जाऊंगी-रिंकू राजगुरु

रिंकू राजगुरु निर्देशक नागराज की फिल्म “सैराट “में ऑडिशन कर इस फिल्म की फीमेल मुख्य भूमिका के लिए  सेलेक्ट की गयी.यह मराठी फिल्म इतनी हिट हुई कि कनाडा,तेलुगु तमिल हिंदी और पंजाबी में भी बाद में यह फिल्म बनाई गयी और बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म के सभी अन्य भाषाओं में भी बॉक्स ऑफिस पर अपना परचम लहराया। रिंकू को स्पेशल जूरी अवाॅर्ड - नेशनल अवाॅर्ड से भी सम्मानित किया गया। स्पेशल मेंशन (फीचर फिल्म) 63वें नेशनल अवाॅर्ड उनकी परफाॅरमेन्स की श्रेणी में दिया गया। इस मराठी फिल्म के पश्चात् तब जैसे रिंकू की गाडी पटरी पर ऐसे भागी कि उन्हें पीछे मुड़ कर नहीं देखना पड़ा. डिजिटल स्पेस  में हॉट स्टार पर  एक्शन कॉमेडी 200 में 2020 में डेब्यू किया। और आज उनकी फिल्म ,“ 200 हल्ला हो“ ज़ी 5 पर रिलीज़ के लिए  तैयार है। यह महिला प्रधान फिल्म में आशा के किरदार में रिंकू सभी महिलाओ को अपने अधिकार के लिए लड़ने की प्रेरणा देती है। किसी भी तरह से महिला कमजोर नहीं होती है। और उन्हें अपने हक़ के लिए बराबर से आवाज़ उठानी  है ,यही  मुद्दा लेकर बतौर  -आशा उन्होंने इस फिल्म में 200 महिलाओं को जोड़ अपनी सच की लड़ाई को आगे बढ़ाया है।

मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि मैं फिल्म सैराट से जुड जाऊंगी-रिंकू राजगुरु

आप ने हिंदी फ़िल्मी दुनिया  में भी अपना कदम जमा लिया है ,इस पर क्या टिप्पणी करना चाहेंगी?

खुशी हो रही है की ज़ी 5 रिलीज लेटेस्ट फिल्म ,“हल्ला हो “ पिमियर होने के लिए तैयार है। यह एक बेहद अलग और बेहतरीन  फिल्म है। जाहिर सी बात है बेहद ख़ुशी हो रही है कि में इस अनूठी फिल्म से जुडी।

इस महिला प्रधान फिल्म में आपका क्या किरदार है, कुछ किरदार पर रोशनी डालिये?

इस फिल्म में मेरा नाम आशा सुर्वे है। यह लड़की एक दलित परिवार  से बिलोंग करती है।आशा एक बहुत ही स्ट्रांग और स्वतंत्र विचारो की लड़की है। यह लड़की केवल महिलाओ के दुःख दर्द में शामिल होती है और उनकी हर वजह को सपोर्ट करती है और उनके लिए अन्याय के प्रति आवाज़ उठाती है। जो कोई भी गलत करता है , उनको सबक सिखलाती है और हर उस महिला को सपोर्ट करती है - जिन के प्रति कुछ भी गलत हुआ हो। जैसे रेप इत्यादि, और यह महिलाओ को शिक्षित भी करती  है कि अन्याय सहना नहीं है। अपितु उसके लिए लड़ना है। लगभग 200 महिला आशा के साथ इस सच और गलत की लड़ाई में जुड़ अपने बल से सभी को न्याय दिलवाने में सफल भी होती है।

आपकी मराठी फिल्म सैराट सफल हुई उसके बाद आपको पीछे मुड़ कर नहीं देखना पड़ा,अपनी छोटी सी सफल जर्नी के बारे में साझा कीजिये?

मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि में फिल्म ‘सैराट’ से जुड़ जाऊंगी। और जो कुछ आज तक मैंने हिंदी फिल्मों में किया उस का भी कुछ कभी प्लान नहीं किया मैंने। मैं कभी भी अपने फ्यूचर के बारे  सोचती हूँ और न ही कभी कुछ प्लान करती हूँ। जैसे जैसे मुझे फ़िल्में  मिलने लगी मुझे काम करना अच्छा लगने लगा।ख़ुशी इस बात की हुई कि लोंगो को मेरा काम पसंद आने लगा। इस बात की ज्यादा ख़ुशी हुई की हमारी मराठी फिल्म ,“सैराट“ दूसरी भाषाओ में बनी और सभी सफल भी हुई। मराठी फिल्म सैराट का हिंदी में बनाना एक अलग ख़ुशी की भावना रही। साउथ की सभी भाषाओ में फिल्म बनी और पंजाबी में भी सो इससे ज्यादा गर्व की बात क्या होगी।

आपको नहीं लगता आपको सैराट में बनी सभी भाषाओं में लीड रोल मिलना था?

इस बारे में क्या कह सकती हूँ। मेकर्स ने अपने हिसाब से अन्य भाषाओं में इस फिल्म को बनाया। यह पूर्णतः उनका निर्णय होता है किसे कास्ट करे। .

आपकी फिल्म ,“200 हल्ला हो“ के कांसेप्ट पर रियल जीवन में महिलाओं के लिए क्या बदलाव लाना चाहेगी आप?

मैं फिलहाल केवल 20 वर्ष की हूँ। अभी इस बारे में कुछ सोचा नहीं है की महिलाओ के लिए क्या कर पाऊँगी। पर हाँ, फिल्म के माध्यम  चरित्रचित्रन  के द्वारा से जो कुछ भी कर सकती हूँ फ़िलहाल, वो तो अवश्य करुँगी।

फिल्म “200 हल्ला हो“ क्यों चुनी आपने कोई खास वजह?

मुझे स्क्रिप्ट बहुत अच्छी लगी और आप भी फिल्म में देख पाएंगे कि महिलाएं कितनी यातना सहती है।जब आप पैदा  होती है तो किसी  जाति विशेष को लेकर नहीं जन्म लेती। और न ही किसी विशेष समाज से सो यदि आप गरीब परिवार में जन्मी  है तो आपको बे मकसद सताया जाए ऐसा गलत है। यह ऊंच नीच में जो अलग है उसे खत्म करना है। किसी भी महिला के साथ कुछ गलत नहीं होना चाहिए फिर यदि वो गरीब है तो उसे भी आवाज़ उठाने का हक़ है। इस में आशा की एक छोटी सी लव स्टोरी भी  है।

आपके माता-पिता आपको जो आपके काम की प्रशंसा मिल रही है उस पर गर्व महसूस होता है?

मेरे माता -पिता दोनों स्कूल टीचर है। पहले मैं उनकी बेटी हेतु पहचानी  जाती थी। किन्तु,“ सैराट “के रिलीज़ के बाद वो रिंकू के माता-पिता की हैसियत से पहचाने  जाते है।आप अपनी फैमिली सपोर्ट के बिना कुछ भी नहीं कर सकते हो।

फिल्म की चकाचैंद की दुनिया से कैसे जुड़ना हुआ?

दरअसल में, मुझे डॉक्टर बनना था।जब में केवल 13 वर्ष की ही थी तब निर्देशक नागराज जी ने मुझे देखा और यह ठान लिया कि यह मेरी फिल्म में काम करेगी.उन्होंने मेरे माता-पिता  से अपनी इच्छा जाहिर की। मेरे माता- पिता इस बात से खुश हुए और उन्होंने मेरा पूरा साथ दिया। उन्होंने समय समय पर मेरा साथ दिया और जब कभी मैंने कोई लती की तब मुझे  सुधारा  भी।

आपके माता पिता की कला की गुण आपने अपनाये है क्या?

जी हाँ, मेरे पेरेंट्स दोनों को डांस और गाने का शौक  है। मेरे पिताजी स्कूल में बच्चों को डांस भी सिखाते है-लावणी और कत्थक।  और माँ को गाने का शौक है। मेरे पिताजी बहुत ही गरीब परिवार से आते है उन्हें दो वक़्त ही रोटी भी नसीम नहीं होती थी। किन्तु पढ़ाई कर मेहनत कर अपने बल बुते पर वह टीचर बने।

आप ट्रैनेड एक्टर है?

जी नहीं मैं कोई भी एकिं्टग क्लासेज नहीं ली है। जब मैंने पहली बारी कैमरा  फेस किया तो अजीब बात हुई क्यूंकि हमने फोटो निकालने वाला कैमरे देखा है। इतना बड़ा कैमरा पहली  बारी देखा। इतना बड़ा कैमरा देख पहली बारी में डर गई थी। उसके बाद मैं साउंड के बारे में जानकारी हासिल की। अब धीरे-धीरे सब कुछ जान गयी हूँ। जब कभी मैं अपनी अगली फिल्म की शुरुआत करती हूँ, थोड़ी नर्वस जरूर हो जाती हूँ। मैं कभी यह नहीं पूछती मैं कैमरे में कैसी लग रही हूँ पर हाँ मेरे बाल और लुक ठीक है यह जरूर पूछ लेती हूँ।

अवाॅर्ड आपके लिए क्या मायने रखते है?

अवाॅर्ड मिलता है ख़ुशी जरूर होती है। किन्तु मै हमेशा यही चाहती हूँ की लोग मेरा काम पसंद करे। उनका प्यार और सरहाना मेरे लिए सबसे बड़ा अवाॅर्ड है।

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