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निर्देशक अनंत महादेवन फिल्म मेकिंग से लेकर लेखन एवं एक्टिंग में माहिर है। उन्होंने बतौर स्क्रीन लेखक, निर्देशक एवं अभिनेता सभी कुछ निपूणता से किया है। हिंदी एवं मराठी फिल्मों में सक्रिय रहे हैं। उनकी मराठी फिल्म ’बिटरस्वीट’ बुसान इंटरनेशनल फ़ेस्टिवल में 25 अक्टूबर, 2020 को झंडा फहराने को तैयार है। यह भारत के फ़िल्मी जगत के लिए एक बहुत ही बड़ा सम्मान है। निर्देशक/एक्टर महादेवन ने टेलीविसिओं एवं थिएटर में भी काम किया है। बहुत जल्द अनंत महादेवन अपनी अगली फिल्म सत्यजीत रे की स्टोरी टेलर ’हिंदी में शूट करने की तैयारी भी कर चुके है, इस में नसीरूद्दीन शाह, परेश रावल जैसे दिग्गज कलाकर है।’ जी हाँ बहुत जल्द सत्यजित रे की स्टोरी टेलर, हिन्दी वर्जन की शूटिंग शुरू होने को है। यह शुरुआत सत्यजित की 100 एनिवर्सरी भी सेलेब्रेट करेगी।
पेश है निर्देशक अनंत महादेवन के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत -
फिल्म ‘बिटरस्वीट’ क्या दर्शाती है ?
- यही विडंबना है जहां हम शुगरकेन (गन्ने) की बात करते हैं तो मीठा शब्द जेहन में आता है। किंतु यह एक बिटर (कड़वी ) कहानी है अतः यह टाइटल “बिटरस्वीट“ यह कहानी महाराष्ट्र की शुगर केन इंडस्ट्री के पीछे जो डार्क कहानी है उस को दर्शाती फिल्म है। और यह सबसे अमीर शुगर केन इंडस्ट्री बीड महाराष्ट्र की कहानी है। यहाँ से सबसे ज्यादा सुगरकेन निर्यात किया जाता है। यह संपूर्ण वल्र्ड में सबसे टॉप पर है। यह शुगरकेन में काम करने वाली नारियों को प्रोफ़ेस्सिओनल्य नष्ट करती हुई एक प्रथा के तहत शुगरकेन कटर्स (महिलाओं ) को एक्सप्लॉइट कर रहे हैं। यह एक डार्क स्क्रिप्ट है।
किस तरह से शुगरकेन इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलायों को यातनायें दी जा रही हैं?
- जब महिलाये उन चार दिन जब उनका महावारी आता है, छुट्टी लेती है, तो न केवल उनका कामकाज ठप पड़ जाता है अपितु, उनकी पगार काट ली जाती है। दरअसल में, प्रसूतिशास्त्री एवं यह शुगर केन मास्टर्स इनको प्रलोभन देते हैं कि वह अपना गर्भाशय निकलवा ले। यह एक बहुत रैकेट का चलन है वहां पर। यह बहुत ही बुरा प्रचलन एवं प्रथा चल रही है वहां। इन महिलाओं के पास कोई भी विकल्प नजर नहीं आता है अतः वह इनके कहे मुताबिक इस प्रथा को अपनाने में ही मजबूर होती है। महिलाये अपनी ऊँगली इन पर नहीं उठा पाती है, किस तरह से फिल्म की लीड एक्टर इस प्रथा को लेकर क्या कुछ करती है यही कहानी का अहम मुद्दा है। ।
कुछ सोच कर अनंत महदेवन ने कहा ,“ इस प्रथा से मानव शोषण की धज्जियाँ उड़ गयी है। यह प्रथा सार्वभौमिक मुद्दा है अतः सभी को पसंद आएगा और आया भी है इसीलिए बुसान इन्टेरशनल फ़ेस्टिवल में यह फिल्म चुनी गयी है। यह बहुत से इंटरनेशनल कॉर्पोरेट वल्र्ड में भी चलन प्रचलित है सो सभी इस से जुड़ पाएंगे। विदेश में और यहाँ पर इस प्रथा हेतु महिलायें अपने गर्भाशय को निकालने में मजबूर होती हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि विदेश में बहुत ही अच्छी तरह से निबटते हैं वो लोग जबकि यहाँ पर बेरहमी से यह काम निबटाया जाता है। यह नारी की जैविक, शारीरिक, भावनात्मक मुद्दे को जोड़ती कहानी है अतः यूनिवर्सल कहानी है।
बुसान फ़ेस्टिवल से क्या उमीदे जुड़ी है ?
- खुश हूँ कि, हमारी फिल्म बिटरस्वीट को बुसान फ़ेस्टिवल का बुलावा आया है। और आशा करता हूँ कि हम इस फिल्म के ज़रिये न केवल खुद को अपितु पूर्ण देशवासियों को और बॉलीवुड को यह अवाॅर्ड जीत कर खुश कर सके, हमारा सिनेमा वल्र्ड मैप पर अपना तिरंगा फहरा पाए और हम प्राउड फील करे।
महिलाये के सपोर्ट में आप क्या कहना चाहते हैं ?
- मैंने हमेशा से ही महिलाओं को सपोर्ट किया है। उन्हें हमेशा ही सुप्रीम माना है। मुझे नहीं लगता उन्हें अपने अधिकार के लिए किसी तरह से झगड़ने की आवश्यकता पड़े। उन्हें सब अधिकार मिलने चाहिए। वह किसी भी अन्य सेक्स के मुकाबले में बहुत ही पावरफुल है। यह पॉइंट बहुत ही क्लियर कर देना चाहिए समाज में खासकर नर जाति को यह बताना आवश्यक है।
कुछ सोच कर आगे अनंत बोले,“ कोई भी नर यह मानने को कतई तैयार नहीं होगा कि वो फुलिश (बेवकूफ़ ) है। मेरा ऐसा मानना है जब कभी भी अपने कंधो पर कोई भी फिल्म चलती है तो उन्हें मर्दों से ज्यादा पेमेंट मिलनी चाहिए। मैं उन्हें सलूट करता हूँ क्योंकि वह मर्दों से बेहतर है। हर मर्द बस एक बुल बुले में रहना चाहता है। वैसे देखा जाये तो पूर्ण वल्र्ड में महिलाओ को मर्दों से कम सैलरी दी जाती है, इस में बदलाव अनिवार्य है। बस इसी वजह से मर्द अपना ईगो (अहंकार) लिए बैठा है।
स्कैम 92 में आप किरदार है?
- मैं इस में उस वक़्त के रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया गवर्नर -एस वेंकटरमन का किरदार निभा रहा हूँ। हर्षद मेहता की धोखाधड़ी दर्शाई गयी है। यह एक चैलेंजिंग किरदार है और उसे निभाने में बहुत मजा आया।