-यश कुमार
‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ में आयुष्मान खुराना और वाणी कपूर के साथ काम करने का आपका अनुभव कैसा रहा और फिल्म के हिट होने के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?
जब मैं ये फिल्म साइन कर रहा था मुझे तभी एहसास हुआ था की ये फिल्म हिट होगी ही क्यूंकि इस फिल्म के जो निर्देशक हैं अभिषेक कपूर जी वो काफी जाने माने निर्देशक हैं, उनकी जो भी फिल्म होती है वो सभी एक दूसरे से काफी अलग होती है और उन्हें पता है की एक कहानी को किस तरीके से बताना चाहिए, उन्होंने केदारनाथ, काई पो छे, रॉक ऑन और अब चंडीगढ़ करे आशिकी बनाई हैं, तो उनकी वजह से मुझे पता था की ये फिल्म अच्छा काम करेगी लेकिन मैंने ये नहीं सोचा था की ये इतनी बड़ी हिट होगी जो की क्रिटिक को भी इतनी अछि लगेगी तो वो मुझे अच्छा लगा।
और इस फिल्म में हम एक सोशल मैसेज भी लोगों तक पोहचा रहे हैं जिसमे बताया जा रहा है की प्यार की कोई सीमा नहीं होती है अगर काँटा लगा तो लगा, प्यार अगर किसी को भी होना है तो वो किसी से भी हो सकता है। और मुझे लगता है की ये फिल्म जो हमने बनाई है वो इस वक़्त की ज़रूरत थी, ऐसी फिल्में लोग बनाने में घबराते हैं लेकिन अभिषेक जी ने इस फिल्म को जितने अच्छे तरीके से बनाया वो कुछ अलग ही जादू था और इसकी वजह से मुझे लगता है की जनता अब ऐसे लोगों की तरफ काफी नर्म होंगे, और उन्हें समझेंगे और उन्हें एक अच्छा दर्जा दिया जाएगा और ये शुरुवात हमने की है तो और भी अच्छा लग रहा है। और इस फ़िल्म में मैं सैंडी का किरदार निभा रहा हूँ जो की एक क्रॉसफिट चैंपियन है जो की किसी से भी डरता नहीं है और सबको अपने आगे छोटा समझता है और वो मन्नू (आयुष्मान) को काफी तंग करता है और मन्नू को नुन्नू बोलता है तो मुझे काफी कुछ करने को मिला इस किरदार में।
वह आगे अपनी बात ज़ारी रखते हुए कहते है,
इस किरदार के लिए मैंने काफी सारी क्रॉसफिट चम्पिओन्शिप्स देखि की उनके हाव भाव कैसा है वो कैसे दीखते हैं और कैसे लगते हैं तो मैंने उस तरीके से अपनी बॉडी बनाई क्यूंकि मुझे एक चैंपियन दिखना था। तो मैंने इस तरीके से तयारी की जैसे मुझे असल में लड़ना था, जो भी स्टंट्स मैंने उस फिल्म में किये वो सभी असल थे मैंने खुद किये। मुझे लगता है मुझे सैंडी ने खुद काफी प्रेरित किया। इतनी बॉडी मैंने आजतक किसी किरदार के लिए नहीं बनाई थी, इसके लिए मैं 50 दिन तक बिलकुल मीठा नहीं खाया था और रोज़ 5 घंटे एक्सरसाइज करता था 3 घंटे सुबह 2 घंटे शाम को।
और इस फिल्म के ऑडिशन के समय मुझे सिलिंडर उठाना था जिससे कुछ समय पहले ही मेरे हाथ से 16 टाके निकले थे जिसके बारे में मैं उन्हें बता भी नहीं सकता था लेकिन मैंने वो फिर भी किया और शूट के पहले दिन ही मुझे एक जीप खींचनी थी, मेरा कुछ ही वक़्त पहले एक्सीडेंट हुआ था जिसके बाद मुझे ये सब करना पड़ा, उसके बाद मैंने अभिषेक जी से पूछा की ये किरदार कैसा है? जिसपे उन्होंने कहा की ये किरदार दुर्योधन की तरह है जो की विलन है और एकदम निडर है तो उन्होंने इस किरदार को काफी अच्छे से मुझे समझा दिया था जो की मेरे लिए काफी मददगार साबित हुआ।
कोरोना काल में शूटिंग करने का अनुभव कैसा रहा और कोरोना के बाद फिल्म की शूटिंग में अब क्या क्या बदलाव आ चुके हैं?
हमारी फिल्म की जो प्रोडूसर थी प्रज्ञा जी उन्होंने सबका बहूत अच्छे से ध्यान रखा, और वो देखती थी की हर कोई सोशल डिस्टन्सिंग का ध्यान रखे और हर किसी का कोरोना का टेस्ट हो और सबकुछ एकदम ठीक हो। ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ फिल्म की शूटिंग के दौरान साफ़ सफाई का भी बहूतअच्छे से ध्यान रखा गया था। इस फिल्म में हमने जितनी भी चीज़ें इस्तेमाल की थी वो सब रीसायकल हो सकती हैं हमने कुछ भी बर्बाद नहीं किया, सेट पर खाना बर्बाद नहीं हुआ, प्लास्टिक वेस्ट नहीं हुआ और प्रदुषण का भी हमने ध्यान रखा था जिसका श्रेय मैं प्रज्ञा जी को ही देना चाहूंगा वो हमेशा ही वातावरण के बारे में सोचती हैं और मैं चाहूंगा की बाकी के निर्माता भी इससे सीखे।
हमने जिस तरीके से इस फिल्म की शूटिंग की है वो काफी अलग एहसास था और आपदा के समय ऐसी फिल्म बनाना काफी मुश्किल था। और कोरोना काल के बाद अब लोग काफी ज़ादा मज़बूत हो चुके है और उनके अंदर विश्वास है और वो जानते है की अब अगर ऐसी कोई आपदा आई तो उसे कैसे संभालना है और सबको अब इस बिमारी की अच्छे से जानकारी भी है जिसकी वजह से चीज़ें अब काफी आसान हो चुकी है और अब जब सिनेमा घर भी खुल चुके हैं तो लोगों को विश्वास होने लगा है की फिल्म बनाते हैं तो वो काफी अच्छा है।
आपने टीवी सीरियल, ओटीटी और फिल्म तीनो जगह काम किया है तो आपको सबसे ज़ादा मज़ा किस प्लेटफार्म पर काम करके आया?
मुझे सबसे ज़ादा मज़ा फिल्मों में काम करके आता है, क्यूंकि फिल्में आपको मौका देती है की आप खुद जानो की आपके अंदर सबसे बेहतरीन क्या है, जो बड़े पर्दे का मज़ा है वो कहीं और है नहीं, काफी सारी फिल्में ओटीटी पर आ चुकी है जो की उस वक़्त की ज़रूरत थी। लेकिन एक कलाकार हमेशा अपने आप को बड़े पर्दे पर ही देखना चाहता है जो की हर एक कलाकार को पसंद है, ऐसा कोई भी कलाकार नहीं होगा जो कहेगा की मैं किसी और प्लेटफार्म में काम करना पसंद करता हूँ। मुझे टेलीविज़न से काफी कुछ सीखने को मिला है मैंने काफी सारे रोल आजतक टीवी पर निभाए है, कभी मैं माता का भक्त बना, कभी मैंने साइलेंट कॉमेडी करि है और कभी मैं रोमांटिक कॉमेडी करि है और फिर मैंने नेगेटिव किरदा भी निभाया है तो टीवी मेरे लिए स्कूल था जहाँ से मैंने ये सब सीखा। मैंने कभी एक्टिंग नहीं सीखी न ही मैंने कभी थिएटर में काम किया मैंने जो सीखा वो सिर्फ खुद से सीखा, मुझे ऐसा लगता है की मैं बहूत अच्छा लर्नर हूँ और चीज़ों को बहूत जल्दी और बहूत अच्छे से सीख लेता हूँ तो उस हिसाब से मैंने अपने सभी सेह कलाकारों से सीखा और निर्माता सभी जो सीखने को मिला सब सीखा और अब मुझे लगता है मैं तैयार हूँ और आगे काम करने के लिए।
अपने एक्टिंग करियर में आप और किस तरीके के रोल निभाना चाहते हैं?
एक एक्टर को सबसे ज़ादा मज़ा तभी आता है जब वो अलग अलग किरदारों में जचे और मुझे लगता है की मैं एक गिरगिट की तरह हूँ या एक फेरारी हूँ क्यूंकि मुझे लगता है की मैं हर एक रेस जीत सकता हूँ बस निर्भर करता है की ड्राइवर कौन है कौन चला रहा है मुझे। सब निर्भर करता है की निर्माता मुझसे क्या करवाना चाहता है और मैं काफी सारे अलग अलग किदार निभाना चाहता हूँ। मैं एक्शन, रोमांटिक, कॉमेडी सारे रोल निभाना चाहता हूँ। टीवी में मैंने काफी कुछ अलग अलग किया है, मैं उम्मीद करता हूँ की फिल्मों में भी मुझे ऐसा कुछ करने का मौका मिले, अभी तो काफी आगे जाना है अभी सिर्फ शुरुवात है।
अपने आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताएं?
अभी फिलहाल मेरा एक वेब शो चल रहा है 'योर ऑनर 2' सोनी लिव के उप्पर जिसमे मैं एक पंजाबी सिंगर का रोल निभा रहा हूँ और उसके आलावा मेरी और 2 फिल्में आने वाली है जो की बहूत जल्द अन्नोउंस होगी और उम्मीद करता हूँ वो भी अछि चले।