कृष्णा भट्ट इन दिनों शो वर्ल्ड में एक चर्चित नाम है, विक्रम भट्ट की ये बेहद टैलेंटेड, खूबसूरत बेटी जिस तरह से अपने प्रोजेक्टस और शोज को पूरे कमांड के साथ संभाल रही है, और अपने युवा सोच के साथ एक नए लेवल पर ले जा रही है उससे ये साफ जाहिर है, कि कृष्णा आने वाले दिनों में अपनी शोज और फिल्मों से बॉलीवुड तथा प्रत्येक प्लेटफॉर्म पर अपनी धाक कायम कर देंगी। प्रस्तुत है कृष्णा भट्ट से एक मुलाकात।
लॉकडाउन के बाद अब कैसा महसूस हो रहा है?
काफी रिलीफ महसूस हो रहा है, काम पर लौटना किसे अच्छा नही लगता, वाकई लॉकडाउन काफी बोरिंग लग रहा था, अब हम लोग वापस फिर से व्यस्त हो गए हैं अपने-अपने काम से।
यानी शूटिंग शुरू कर दी है आपने?
हाँ, पिछले कुछ समय से हमने शूटिंग शुरू कर दी है लगभग एक महीने से, इस वक्त कई प्रोजेक्ट्स मेरे हाथों में है , एक और शो ‘बेजुबां’ भी प्रोड्यूस कर रही हूँ, डायरेक्शन पर भी काम कर रही हूँ। लॉट्स ऑफ प्रोजेक्ट्स है।
आप अपने नवीनतम प्रोजेक्ट शो ‘ट्विस्टेड 3’ के बारे में कुछ बताइये?
‘ट्विस्टेड 3’ एक नया ड्रामा है जो एक हेड स्ट्रॉन्ग स्त्री की कहानी है, वो अपने भविष्य का एक सपना देखती है, वो टॉप कॉरपोरेट दुनिया में अपना उच्च स्थान बनाने के लिए बेमिसाल जद्दोजहद करती है। लेकिन उसका ये कॉरपोरेट दुनिया का सफर आसान नहीं होता है। कदम-कदम पर उसे बाधाएं आती है, रोड ब्लॉक्स मिलते है, मर्दों के राजपाट की दुनिया में एक स्त्री होकर वो किस तरह अपनी जगह बुलन्द करती है, किस तरह उसे सिर्फ पुरुषों से ही नहीं बल्कि उन स्त्रियों से भी मुकाबला करना पड़ता है जो स्त्री होकर स्त्री की टांग खींचने पर तुली रहती है। वो एक फाइटिंग वुमन है। इस कहानी में सब कुछ है, एक बॉलीवुडी फिल्म में जो जो मसाले और मनोरंजन लोग चाहतें हैं, सब कुछ है।
किस तरह से ‘ट्विस्टेड 3’ आपके पहले वाले शोज से अलग है?
पूरी तरह से अलग है, पहले वाले शोज की कहानियां एकदम अलग थी, लव स्टोरी थी, कॉप स्टोरी, अब ये नवीनतम शो उन सबसे एकदम अलग एक हेड स्ट्रॉन्ग स्त्री की कहानी है।
इसकी कास्ट के बारे में बताइये, क्या पहले वाले शोज से अलग कास्ट है?
हाँ, बिल्कुल, इसमें एकदम अलग कास्ट है, इसमें प्रिया बनर्जी है, जय सोनी है, शालीन मल्होत्रा है, स्पोर्टिंग कास्ट भी नए हैं।
दर्शकों को बड़ी उत्सुकता है, इस शो के रिलीज डेट को लेकर, कब तक आ रहा है ये नया शो?
वैसे तो अभी फाइनल बातचीत चल रही है लेकिन शायद ‘सीजन 3’ नवम्बर के सेकंड वीक (11 नवंबर) में आए। सिर्फ दर्शक गण ही नहीं, हम सब यानी पूरी टीम उत्सुकता से इंतजार कर रहें है कि कब ये शो आए। आपके द्वारा निर्देशित थ्रिलर सीरीज, ‘माया 3’ बेहद पॉपुलर और चर्चित सीरीज के रूप में सफल हुई थी, ‘माया 3’ के लिए तो आपको टैलेंट ट्रैक (बेस्ट डिजिटल कंटेंट अवाॅर्ड इन इंडिया) द्वारा सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का अवाॅर्ड भी हासिल हुआ था।
अब आप ‘माया सीजन 4’ की शूटिंग की तैयारियों में व्यस्त हो जाएंगी?
जी हाँ, बस एक दो हफ्ते में ‘माया सीजन 4’ की शूटिंग शुरू हो जाएगी, हम सब बहुत बेसब्री से शूटिंग शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं, और हम (मायापुरी परिवार) तथा दर्शक भी ‘माया 4’, को बेसब्री से देखने का इंतजार कर रहे हैं।
‘माया 4’ के बारे में आप हमारे दर्शकों और मायापुरी के लाखों पाठकों को कुछ बताईये?
‘माया 4’ एक बहुत ही अलग और अनोखी कहानी है, जो पहले वाले तीनों ‘माया’ सीजन्स से एकदम अलग है। यह एक ऐसे कपल की कहानी है, जो एक छोटे से शहर से मुंबई आते हैं और यहां की जाग जमाल वाली दुनिया में खो जाते हैं, वे ऐसी पार्टियों के चस्के में फँस जाते हैं जहां वाइफ स्वैपिंग, हसबैंड स्वैपिंग आम होती है, ऐसे में पत्नियों को वाइफ स्वैपिंग की लत लग जाती है, उसके बाद क्या होता है ये सस्पेंस थ्रिलर में दर्शक देखेंगे।
आप इतनी कम उम्र में और कम समय में ही निर्देशन और प्रोडक्शन में काफी आगे बढ़ गई है, हमारे मायापुरी के दर्शकों को अपने करियर की जर्नी के बारे में कुछ शेयर कीजिए?
जब मैंने फिल्म और सीरीज के डायरेक्शन, प्रोडक्शन की दुनिया में कदम रखने का मन बनाया तो मैं सत्रह अठारह साल की थी, फिल्म ‘क्रीचर’ के साथ मैनें काम शुरू किया, मुझे इस बारे में कोई ज्ञान नहीं था, मुझे बतौर लास्ट असिस्टेंट डायरेक्टर नियुक्त किया गया था, पर वहां जो भी करना होता था उसके बारे में कुछ समझ नहीं आता था, क्या करूँ क्या ना करूँ इसी उहापोह में रहती थी।मेरे साथी सहयोगी बताते थे, कि ऐसा करना है, वैसा करना है, धीरे-धीरे मुझे आईडिया होने लगा और मैंने निर्देशन और प्रोडक्शन की बारीकियों को समझना शुरू किया, फिर ‘1921’ में एसोसिएट डायरेक्टर बनी। फिर ‘अनटचेबल’ सीरीज में पहली बार फुल फ्लेज्ड निर्देशक बनी, फिर ‘माया 3’ का निर्देशन किया, मैंने बहुत कुछ लर्न किया और प्रोड्यूसर बनने के बाद तो मुझे प्रोडक्शन का भी ज्ञान हो गया।
आपने अपने पापा विक्रम भट्ट के असिस्टेंट और असोसिएट के रूप में काम किया, वो अनुभव कैसा रहा?
जब मैं अपने पापा की असिस्टेंट बनी तो शुरू शुरू में तो वे मुझसे बहुत अच्छी तरह पेश आते थे, बहुत प्यार से बेटा-बेटा कह कर मुझे सिखाते थे, लेकिन धीरे-धीरे वे स्ट्रिक्ट होते गए और एक बहुत अनुशासित और कठिन बॉस के रूप में मेरे सामने पेश हुए, मैं जब भी कोई गलती करती तो वे मुझे मेरी गलती पकड़ कर बताते और उसे सुधारने के लिए कहते थे, एक बार कॉस्ट्यूम को लेकर समस्या हो गई थी, तो काफी डाँट पड़ी।कहीं भी वे मुझे इसलिए ढील नहीं देते थे कि मैं उनकी बेटी हूं। कई बार वे मेरे काम से बहुत अपसेट भी हुए और नाराज भी हुए और मुझे ठीक से काम करने का निर्देश देते रहे, उनकी डाँट से मैं भी अपसेट हो जाती थी। लेकिन आखिर ज्यादा देर तक वे नाराज नहीं रहते थे, कभी अच्छा काम किया तो आकर गले भी लगाते थे और बेटा कहकर पुकारते भी थे, तब मैं उनसे कहती कि, अरे इस वक्त मैं आपकी बेटी नहीं बल्कि असिस्टेंट हूं। तो वे कहते सेट से बाहर तो तुम मेरी बेटी ही हो। सच बताऊं तो मैंने जो कुछ भी सीखा सब उन्हीं से सीखा और मुझे उनके 25 सालों के अनुभव ने एक बेहतरीन निर्देशक बनने में मदद की।
‘अनटचेबल’ के साथ जब पहली बार आपने निर्देशन किया तो वो अनुभव कैसा था?
वो अनुभव मैं कभी भूल नहीं सकती। पहला दिन और पहला शॉट शूट करने से पहले मैं बहुत नर्वस थी, मैं अपने पापा विक्रम भट्ट को पहली बार डायरेक्ट कर रही थी, जस्ट इमेजिन, उस समय सेट पर मेरे पापा नहीं बल्कि दिग्गज अनुभवी निर्देशक विक्रम भट्ट थे। मैंने जब टेक अपने तरीके से लेना शुरू किया तो उन्होंने कोई इंटरफेयर नहीं किया। कई बार उन्होंने सजेशंस दिए। लेकिन फिर उन्हें मेरे निर्देशन में कुछ न कुछ अलग लगता तो वे अपना सजेशन देते, लेकिन मेरे अंकल महेश भट्ट जी ने एक दिन पापा को बहुत स्ट्रिक्टली कहा कि जब मैं सेट पर निर्देशन दे रही होती हूँ तो वे सेट से बाहर निकल जाए और अपना ओपिनियन ना दें। पापा को आज भी लगता है कि शायद मैनें महेश भट्ट अंकल को शिकायत की होगी, जबकि ऐसा नहीं था खैर, ये सब तो ठीक है लेकिन मैं अपने को लकी मान रही हूँ कि मैंने विक्रम भट्ट जैसे माहिर निर्देशक के सामने ही उन्हें अपने अलग तरीके से निर्देशन देने का साहस किया। एक बार जब मैं विक्रम भट्ट जैसे निर्देशक के सामने काम कर चुकी तो अब मुझे किसी भी अन्य निर्देशक के सामने निर्देशन देने में कोई डर नहीं होगा।
आपने बॉलीवुड के एक ऐसे खानदान में जन्म लिया जो पीढ़ी दर पीढ़ी फिल्म मेकिंग के क्रिएटिव क्षेत्र में नाम कमाते रहें हैं, इस बात का आपको लाभ मिला या नुकसान?
देखिए ये सही है कि मैं भट्ट खानदान में पैदा हुई और इसका मुझे गर्व है, लोगों को लगता होगा कि मुझे मेरी पसन्द के अनुसार करियर बनाने में आसानी हुई होगी, लेकिन दूर से ये अनुमान लगाना गलत है, हमें यहां अपने खानदान के कारण लोग पहचानते होंगे लेकिन मुझे भी आम लोगों की तरह बहुत मेहनत करके ये मौका मिला, मैंने लास्ट असिस्टेंट के तौर पर काम शुरू किया था, फिर मेहनत, हिम्मत और टैलेंट के जरिए असोसिएट निर्देशक बनी और फिर एक लंबी जर्नी के बाद निर्देशक बनने का मौका मिला। मैंने कुछ भी आसानी से नहीं हासिल किया, जिन लोगों का बॉलीवुड में कोई नहीं होता उन्हें अपने को साबित करनी पड़ती है और फिर उन्हें उनकी आइडेंटिटी मिल जाती है लेकिन हम जैसों को अपने को साबित भी करनी पड़ती है और अपने खानदान से अलग अपनी खुद की आइडेंटिटी के लिए जद्दो जहद भी करना पड़ता है और ऊपर से हमारे खानदान के हर व्यक्ति से हमारी तुलना भी की जाती है, हम कितना भी अच्छा कर लें लेकिन हमेशा तुलना के पलड़े पर तुलते रहते हैं।
लॉकडाउन के दिनों में आपने घर बैठे खूब फिल्में और टीवी शोज देखे होंगे, आपको कौन से एंटरटेनमेंट पसंद आए?
हाँ, मैंने ढेर सारी मूवीज देखी लेकिन ज्यादातर मैंने विदेशी टीवी शोज देखे एप्पल टीवी में, शुरू से ही अमेरिकन शोज मुझे पसंद है, मैंने ‘ग्रेस एनाटोमी’ देखी, ‘रेड स्टोन’ देखी, मुझे बहुत अच्छी लगी, लेकिन मेरा ऑल टाइम फेवरेट है ‘फ्रेंड्स’ जब भी मैं बोर होती हूं या जब भी मुझे फुर्सत मिलती है तो मैं ‘फ्रेंड्स’ शो देखने बैठ जाती हूं, यह शो मुझे हमेशा आनंद देता है।
आपको किस तरह की सीरीज या फिल्में बनाना पसंद है?
मुझे शुरू से ही लव स्टोरीज पर सीरीज या फिल्में बनाने में रुचि रही है, तब से जब से मैं 16 साल की थी लेकिन मेरे पिताजी ‘थ्रिलर्स’ में रुचि रखते हैं और दर्शकों को भी सस्पेंस या क्राइम थ्रिलर में ज्यादा इंटरेस्ट हैं, इसलिए मैं भी इस तरह के सीरीज निर्देशित और निर्मित कर रही हूँ। लेकिन आगे चलकर मैं जरूर लव स्टोरीज बनाउंगी।
आप सोशल मीडिया के प्लस और माइनस पॉइंट्स, दोनों से अवगत हैं, आपके क्या अनुभव हैं?
दरअसल सोशल मीडिया में बहुत कुछ अच्छा भी है और बहुत सी बातें बुरी भी है, जहां कंस्ट्रक्टिव आलोचनाएं होती है, जहां सही तरीके के पोस्ट्स और कमेंट्स आते हैं, वहां बहुत अच्छा लगता है, मुझे मेरे काम के लिए मेरे सोशल फैंस और दर्शकों का बहुत प्यार और हौसला मिलता रहा है, लेकिन सोशल मीडिया का एक वर्ग ऐसा भी है जिसे सिर्फ गाली देने और नैस्टी डिस्ट्रक्टिव ट्रोलिंग करने में बहुत मजा आता है। ऐसे लोगों से कोफ्त होती हूँ। इस तरह से सोशल मीडिया के प्लस पॉइंट्स भी हैं और माइनस पॉइंट्स भी है।
आपके आने वाले प्रोजेक्ट क्या-क्या है?
ओह, लॉट्स ऑफ प्रोजेक्ट्स हैं, दो शोज की इमिडीएटली शूटिंग शुरू होने वाली है , फिर ‘ट्विस्टेड 3’ का काम पूरा करना है जो नवंबर तक स्ट्रीम हो जाएगी। उसके साथ साथ ‘माया 4’ की शूटिंग भी शुरू हो जाएगी। इसके अलावा कई अन्य सीरीज पाइप लाइन में है जिसकी अंतिम रूप रेखा की तैयारियां हो रही है, जब तैयारी हो जाएगी तो आपको बता दूंगी। बस यह समझ लीजिए कि आने वाले दिन और साल मैं पूरी तरह से पैक्ड हूं।
आप ज्यादातर डिजिटल शोज के प्रति दिलचस्पी लेती नजर आ रही है? क्या कभी फिल्में भी बनाने वाली हैं?
मैं उस जेनेरेशन से बिलॉन्ग करती हूँ जो डिजिटल दुनिया की महिमा पहचान चुकी है।बचपन से ही मैं डिजिटल दुनिया, वेब शोज की रसिया रहीं हुँ, मेरा बचपन और किशोरावस्था अमेरिकन डिजिटल शोज, एचबीओ देखते गुजरी है, मेरे सारे कॉन्टैक्ट डिजिटल दुनिया से है। इसलिए मुझे डिजिटल एंटरटेनमेंट में ज्यादा आनंद आता है और मैं जानती हूं कि पूरी दुनिया को भी आज वही रास आ रहा है। खासकर कोविड के बाद तो डिजिटल दुनिया ही रह गई है। अभी तो फिल्म थिएटर सब बंद है। जब कभी थिएटर खुलेंगे भी तो पहले की तरह सब कुछ नहीं रह जाएगा। सिल्वर स्क्रीन के प्रति पहले जो मोह था, अब शायद वह ना रहे, इसीलिए लोग अब घर बैठे आराम से डिजिटल शोज देखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। मैं फिलहाल इसी में अपना कमाल दिखाना चाहती हूं और मैं चाहती हूं कि मैं डिजिटल दुनिया के एंटरटेनमेंट में अपनी एक ऐसी दुनिया कायम करूं जो क्रांति भी ले आए और लोग मेरे पिता को कृष्णा भट्ट के पापा के रूप में पहचाने।
आपने अब तक भट्ट प्रोडक्शन की बहुत सारी फिल्में और सीरीज देखी है। पर्सनली आपको कौन सा सबसे अच्छा लगा?
मुझे ‘1920’ सबसे अच्छा लगा जो मेरे पापा ने बनाया था उसमें हनुमान चालीसा एंगल भी डाला गया था, जिसको लेकर पहले लोगों को लगा था कि शायद यह एंगल लोगों को समझ में ना आए, लेकिन वह। जबरदस्त हिट हो गया। वह फिल्म इतना डरावना था कि उसे एडिट के दौरान जब मैंने देखा तो तीन रातों तक मैं सो नहीं सकी। इस फिल्म ने एंटरटेनमेंट की दुनिया में हॉरर मूवीज का चेहरा ही बदल दिया।
आप मायापुरी के लाखों पाठकों और अपने चाहने वालों से कुछ कहना चाहतीं हैं?
मैं बस उनसे इतना कहना चाहती हूं कि जो प्यार वे मुझे आज तक देते रहे हैं, वो हमेशा देते रहें। मैं जो काम कर रहीं हूं, उसकी सही तरीके से समीक्षा करें और जितना हौसला वे इस वक्त मुझे दे रहे हैं उतना ही हौसला मुझे देते रहे। मायापुरी के लाखों फैन्स को मेरा प्यार दें।
-सुलेना मजुमदार अरोरा