26 वर्षीय रवि के. रामशाबाद उन उभरते एक्टर्स में हैं जिन्हें फीचर फिल्म, टीवी सीरियल्स के साथ-साथ ओटीटी प्लेटफॉर्म की वेब सीरीज और वेब फिल्मों से काफी फायदा हो रहा है। रवि ने हाल ही में नेटफ्लिक्स वेब सीरीज ’बॉम्बे बी बेगम’ तथा ’अभय टू’ में बतौर एक्टर अपनी पहचान बनाई। विक्रम भट्ट की नई फिल्म, “हैक्ड’ और ’मैनु एक लड़की चाहिए’ में भी रवि ने अच्छी भूमिका निभाई। टीवी सीरियल, जैसे, ’मौका ए वारदात’ में मानिक के मुख्य किरदार में उन्होंने अपनी प्रतिभा की छाप छोड़ी। धारावाहिक ’होशियार’ में भी रवि विलेन के किरदार में नजर आए। इसके अलावा धारावाहिक ’इश्क का रंग सफेद’ (कलर्स चैनल) में उन्होंने निगेटिव किरदार किया। वे थिएटर भी करते रहे और मॉडल के रूप में भी उन्होंने बजाज एलियांज, इजी स्लिम टी, टाटा वेब ऐड में काम किया। -सुलेना मजुमदार अरोरा
मायापुरी के लिए ’आकाश मेरी मुट्ठी में’ पेज के तहत जब मैंने उनसे बातचीत की तो रवि ने यू पी से मुंबई तक की अपनी कहानी बताते हुए कहा, “ मैं यूपी के अंबेडकर नगर से हूं। मुझे एक्टर बनने का शौक था तो मैंने दिल्ली से थिएटर किया और उसके बाद मुंबई आ गया।
क्या बॉलीवुड में आपकी कोई पहचान थी?
जी नहीं बॉलीवुड में मेरी कोई पहचान नहीं थी और ना ही कोई रिश्तेदार या कोई गॉडफादर था। मुंबई आने के बाद मैंने एक न्यू कमर की तरह काफी स्ट्रगल किया। हर न्यूकमर को ये याद रखना चाहिए कि यहां सही गाइड करने वाले लोग बहुत कम मिलते हैं और डिच करने वाले लोग कदम कदम पर मिल जाते हैं। जिनसे मैं सावधान रहता था।
फिर आपको बॉलीवुड में मौका कैसे मिला?
बॉलीवुड में एक बात बड़ी अच्छी है कि यहां गलत लोग भी मिलते है और अच्छे लोग भी। संघर्ष के दौरान मेरे कुछ अच्छे दोस्त बन गए जिन्होंने मुझे सही गाइडेन्स दिया और मंजिल तक पहुंचने का रास्ता दिखाया।
बाहर से आने वाले नए कलाकारों को यहाँ चल रहे नेपोटिज़्म कि मार झेलनी पड़ती है, जिसकी वजह से नेपोटिज़्म को लेकर काफी विवाद
चलता है, आप ग्राउंड ज़ीरो से रिपोर्ट दीजिये कि क्या वाकई यहां नेपोटिज़्म है?
मैं क्या बोलूं, ये तो सब देख ही रहे है कि बॉलीवुड में किन लोगों को आसानी से चांस मिल जाता है। नेपोटिज़्म की वजह से हम बाहर के कलाकारों को नुकसान भी है और फायदा भी। नुकसान ये कि हमें आसानी से चांस नहीं मिलता जिस वजह से मंजिल तक पहुंचने में लम्बा समय लग जाता है और फायदा ये कि स्ट्रगल करते करते हम निखर जाते है और फिर जो पाँव जमाते है उसे कोई उखाड़ नहीं सकता।
बतौर एक्टर आप किस तरह की भूमिकाएं कर रहें हैं और करना चाहते हैं?
कोई भी मजबूत रोल हो मैं मना नहीं करता। चाहे रोल पॉजिटिव हो या नेगेटिव। मैंने ’इश्क का रंग सफेद’ में नन्हे का निगेटिव रोल किया जिससे मुझे बहुत अच्छी पहचान मिली। वेब सीरीज़ ’बॉम्बे बेगम’ और फ़िल्म ’हैक्ड’, ’मैनु एक लड़की चाहिए’ में भी अलग अलग टाइप की भूमिका निभाई और सबमें दर्शकों ने मुझे पसंद किया।
दोबारा लगे लॉक डाउन को लेकर आप क्या अनुभव कर रहें है?
मैं बता नहीं सकता कि कोरोना काल के कारण लगे लॉक डाउन का असर हम कला जगत के लोगों पर कितना भयानक है। नए पुराने एक्टर्स, मेकर्स, टेक्निशियंस सब पर लॉक डाउन की मार जबरदस्त है। मेरे लिए भी ये दौर बहुत बुरा है, हम लोगों को बहुत दिक्कतें झेलनी पड़ रही है, बहुत कुछ फेस करना पड़ रहा है। शूटिंग ही बंद हो जाए तो हम लोगों का क्या होगा?
लॉकडाउन खुलते ही किस फ़िल्म की शूटिंग करेंगे?
कई वेब सीरीज़ की शूटिंग शुरू हो जाएगी। मेरी एक कन्नड़ अपकमिंग मूवी आ रही है, बहुत ही बेहतरीन किरदार है। इस फ़िल्म की शूटिंग के दौरान साउथ की फिल्मों में काम करने का अनुभव बहुत अच्छा रहा। मैं आगे भी साउथ की मूवीज़ में काम करते रहना चाहूंगा। जिस तरह से वे लोग बारीकियों के साथ शूट करते हैं और इत्मीनान से हर सीन और हर किरदार को फिल्माते है तो हर एक्टर को अच्छा मौका मिलता है अपना टैलेंट दिखाने का।
नए आने वाले एक्टर्स को क्या नसीहत देंगे?
यही कि बॉलीवुड में काम करने का सपना देखना आसान है लेकिन हकीकत में सब कुछ इतना आसान नहीं। अगर हिम्मत है, जुनून है, धीरज है और हुनर है तो ही आप कुछ बन सकते हैं वरना अच्छे अच्छे यहाँ पस्त पड़ कर गुमनामी में खो जाता है, बर्बाद हो जाता है, खत्म हो जाते हैं।