अपने लिए डेटिंग ऐप की तलाश में हैं इरफान खान By Mayapuri Desk 04 Nov 2017 | एडिट 04 Nov 2017 23:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर आज के बेहतरीन और अपने अलग अंदाज के अदाकारों में इरफान खान सबसे लोकप्रिय कलाकारों में से एक हैं। उनकी फिल्में देखने के लिये दर्शक हमेशा उत्सुक रहते हैं । पिछले दिनों उनकी रिलीज फिल्म हिन्दी मीडियम का खुमार अभी तक लोगों के दिमाग से उतरा नहीं कि जल्द ही वे एक और अलग सी फन फिल्म ‘ करीब करीब सिंगल’ में नज़र आने वाले हैं । इस फिल्म को लेकर उनसे एक बातचीत । फिल्म की डायरेक्टर का कहना कि उन्हांने आपको देखकर ही कहानी का चुनाव किया था ? यह तो वहीं बता सकती हैं लेकिन मैने जब अपना रोल सुना तो मुझे भी लगा कि भूमिका वाकई दिलचस्प थी। मेरा किरदार जिसका नाम योगी है एक शायर होने के अलावा अतरंगी है, काफी साफगोह है, जो मुंहू में आता है बोल देता है तथा लोगों से प्यार करता है। इसके अलावा वह लिबरल माइंडेड और प्रौग्रेसिव भी है । किरदार को आत्मसात करने में कितना वक्त लगा ? बहुत वक्त लगा, करीब चार पांच महीने तो मैं किरदार की कल्पना ही करता रहा, किरदार बहुत ही अलग सा था जो पता नहीं क्या क्या करता है, जोक मारता है और उस जोक पर अपने आप ही हंसता है । मैने ऐसी चीजें न तो कभी की हैं और न ही में कभी ऐसे आदमी से मिला, इसलिये सुर पकड़ने में थोड़ा वक्त लगा । मतलब मेरे लिये यह किरदार काफी चेलेंजिंग रहा । किरदार की सबसे खूबसूरत चीज क्या लगी ? यह पूरा किरदार ही अपने आपमें कमाल का है। जो अपने ड्राइवर के लिये मालिक नहीं बल्कि उसे बराबर का दर्जा देते हुये होटल से अपने अलावा उसका खाना भी पैक करवाता है। दर्शक फिल्म देखने के बाद यह जरूर कहेगा कि यह किरदार है कहां, इससे मिलना है । आप किसी भी फिल्म के साथ जुड़ने में काफी वक्त लेते हैं ? उसकी वजह है। दरअसल मेरी कोशिश रहती है कि मैं फार्मूला फिल्म न करूं और जब आप वैसी फिल्म नहीं करते हैं तो उसके बहुत सारे रिस्क फैक्टर होते हैं और उसकी बहुत सारी एक्सप्टेशन होती हैं कि यार यह फार्मूला तो नहीं है। अब इसकी नेट पर सेफ्टी तो है नहीं। यह फिल्म वैसी ही है। इसलिये मुझे थोड़ा टाइम लग जाता है । फिल्म के पोस्टर को देखकर लगता है कि यहां जीने मरने की बात की जा रही है ? षुरू में ऐसा लगता है कि हमने जीने मरने की कसमें खाली है, लेकिन यहां हम मरने की नहीं बल्कि साथ साथ जीने की बात कर रहे हैं और हम रिष्ता भी क्लीयर नहीं करना चाह रहे हैं । वो पल बहुत अच्छा लगता है जब उस रिष्ते को कोई नाम नहीं दे पा रहे हों, आपके भीतर एक दूसरे के लिये खि्ांचाव तो बहुत ह,ै लेकिन आप उसे नाम देने की हालत में नहीं है । बस एक एक्साइटमेंन्ट है । ये उस स्टेज की कहानी है । पिछले कुछ दिनों से आप कोई नया ऐप तलाष रहे हैं क्या वो मिला ? नहीं अभी नहीं मिला। मैने इस बारे में कुछ जर्नलिस्टों को भी बोला हुआ है कि वे कोई ऐसा ऐप तलाश करे जिसमें मेरे जैसे सलेब्रेटीज को डेटिंग का ऑप्शन हो , क्योंकि मैं भी आदमी हूं मेरा मन भी डैट करने को करता है । मैने उसे ऐप की तलाष में अपनी टीम भी लगा रखी है । जैसे ही वो ऐप मिलेगा तो मैं मीडिया को जरूर बताउंगा । फिल्म में रीयल लोकेशंस का ज्यादा उपयोग किया गया है ? डेफिनेटली, क्योंकि जरूरी नहीं कि आप हर बार स्वीटरजरलैंड या न्यूजीलैंड ही जाओ। हिन्दुस्तान में एक से एक खूबसूरत लोकेशंस भरी पड़ी है । दूसरे ये एक देशी कहानी है, तो इसमें लोकेषसं भी देशी ही होनी चाहिये थी, क्योंकि दर्शक को ऐसा नहीं लगना चाहिये कि यार जंहा आप लोग घूम रहे हो हम नहीं घूम सकते। मैं वो फिल्में करता हूं जहां लगे कि मैं आडियेंस के अंदर की बात कर रहा हूं, उन्हें लगे ये कहानी उनकी है और जो लोकेशंस से भी मैच करती हो । इन दिनों कुछ अच्छी फिल्में रिलीज हुई । क्यों आपने उनमें से कोई फिल्म देखी ? मैने ‘न्यूटन’ देखी । मुझे बहुत ही खूबसूरत लगी । #interview #Irrfan Khan हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article