अजय देवगन अभिनेताध्फिल्म निर्देशकध्निर्माता है। लगभग 100 फिल्मों से ज्यादा से जुडे़ हुए है। दो बारी नेशनल अवॉर्ड जीत चुके है। अजय की पिछली फिल्म, “तान्हाजी दी अनसंग वारियर” 2020, ने बॉक्स ऑफिस पर न केवल धुंआ -धार कमाई की थी अपितु आलोचनात्मक सरहाना भी मिली इस फिल्म को। उनकी अगली फिल्म, “भुज :दी प्राइड ऑफ इंडिया” इंडो -पाक वॉर 1971 पर आधारित वॉर फिल्म है ,और बायो ग्राफिकलध्ऐतिहासिक फिल्म भी है। स्क्वाड्रन लीडर विजय कार्णिक एयरपोर्ट के इंचार्ज थे। फिल्म थिएटर पर्दे पर रिलीज होने लायक है। किन्तु पैन्डेमिक की वजह से यह ओ टी टी प्लेटफार्म डिज्नी हॉट स्टार, 13 अगस्त ,2021 से प्रीमियर की गई है ।
“भुज” थिएटर पर नहीं अपितु ओ टी टी पर रिलीज हो रही है क्या कहना चाहेंगे इस पर?
अब कुछ ठीक नहीं है शायद थर्ड वेव भी शुरू हो जाये। सिनेमाघर बंद होने की वजह से नुकसान तो हुआ ही है। नुकसान आगे चल कर कवर हो जायेगा। दुनिया भर में जहाँ पर भी थिएटर्स खुले है सभी लोग फिल्में देखने जा रहे है। हमने अपनी फिल्म, “भुज” को कलर करेक्शन हेतु थिएटर में फिल्म देखी तो हमारा एक अलग अनुभव रहा। पर अब क्या कर सकते है? कम से कम फिल्म ओ टी टी के माध्यम से सभी लोगों तक पहुंचेगी। जब फिल्म रिलीज पर होती है तो थिएटर की लड़ाई चलती है पर अब एक अच्छा बैलेंस हो सकता है। कुछ फिल्में थिएटर पर देखी जा सकती है और कुछ ओ टी टी पर। सो यह एक अच्छा बदलाव है।
आप सहमत है कि मसल पावर की वजह से बड़े निर्माता अपनी फिल्मों के लिए ज्यादा थिएटर्स बुक करवा लेते है?
हम सभी यह बात जानते है। पर जब आप कोई सामग्री बनाते है तो आप चाहते है कि आपकी फिल्म सभी तक पहुंचे। इसमें कोई मसल पावर की बात नहीं है। ऐसा नहीं कि कोई भी किसी का नुकसान करना चाहते है अपितु ज्यादा थिएटर मिले तो हमें फायदा होगा। इस में कोई बुरी बात नहीं है। यह लड़ाई तो चलती रेहगी। हम सभी बहुत मेहनत करते है। कई लोग भी फिल्म से जुड़े होते है। और पैसे भी अच्छे-खासे लगे होते है। अब ऐसे में आपका यदि दुसरो का नुक्सान होता है तो यह तो सभी प्रोफेशन में भी होता है। ऐसा नहीं है कि हम किसी का नुकसान जानबुझ कर करना चाहते है। दरअसल में, एक वर्ष में जितनी फिल्में बनती है, उसकी अपेक्षा थिएटर कम है। सो यह लड़ाई तो चलती ही जाएगी।
फिल्म, “तान्हाजी” के बाद आप दोबारा हिस्टोरिकल बायोपिक फिल्म, “भुज :दी प्राइड ऑफ इंडिया” कर रहे है। क्या यह सोचा-समझा निर्णय है? कितना रियल किरदार को निभाया है आपने?
हमारी यह मंशा है कि रियल हीरोज के बारे में हमारी नई पीढ़ी भी जाने। बस किरदार को रियल पेश करो और कहानी की पेशकश भी सच्चाई से होनी चाहिए। कहानी में क्रिएटिव लिबर्टी उतनी ही होनी चाहिए जो रियल लगे। ज्यादा फिल्मी नहीं होनी चाहिए। जो कुछ आप ने देखा है वह सब रियल है। अब जब आप लड़ाई के मैदान में होते हो तो कुछ बनावटीपना नहीं आता है। जो कुछ भी आप करते हो वह सभी दिल से करते हो।
आप आज की युवा पीढ़ी के लिए इंडियन हिस्ट्री से जुडी फिल्में देखना क्यों जरुरी है?
आज की युवा पीढ़ी और अन्य लोगों के लिए इंडियन हिस्ट्री से जुडी फिल्में देखना इस लिए जरुरी है कि -उन्हें स्वतंत्रता की लड़ाई और उसके लिए लोगों ने कितना बलिदान दिया है उसे जानना आवश्यक है। वरना इन्हें स्वतंत्रता के मायने कैसे मालूम होगा? तन्हाजी हमारे समय में स्कूल की पुस्तक में केवल आधा पन्ना ही था। जो आज नहीं है। वैसे भी अंग्रेजों ने हमारे योद्धाओं के बलिदान को सामने नहीं पेश होने दिया। पर हमें इसे उजागर करना जरूरी है।रियल हीरोज ने दिल से बिना किसी लालच के लिए अपने देश के लिए बलिदान दिया है ,सो सभी को इस बारे में मालूम होना चाहिए।
आपकी आने वाली फिल्मों के बारे में बताएं?
हम एक फिल्म ओटीटी प्लेटफार्म के लिए कर रहे है। यह वॉर पर बनी फिल्में लोगों तक पहुंचे यह हमारा धेय है। फिल्म, “मे डे” केवल 4-5. दिन का काम बकाया है।ओ टी टी प्लेटफार्म पर फिल्म, “रुद्रा” से डेब्यू कर रहा हूँ। फिल्म में और ओ टी टी के लिए काम करने में कुछ ज्यादा फर्क नहीं है। हाँ ओ टी टी पर फिल्में कुछ जल्दी बन जाती है। जबकि थिएटर के लिए बनाई जा रही फिल्म कुछ ज्यादा समय ले लेती है। और हाँ हमे हर हाल में अपना कंटेंट बढ़िया बनाना होगा नहीं तो बच्चे भी उसे बकवास कह कर नकार देते है।
आज स्टार्स भी ओ टी टी पर काम कर रहे है, आपकी क्या राय है इस पर?
अब एक्टर्स यही चाहते है न कि वो काम करे और ज्यादा से ज्यादा पर्दे पर नजर आएं। तो ओ टी टी के आने से ,यह सभी के लिए फायदेमंद साबित हआ है। एक तरह से सभी की ग्रोथ हुई है।
सोशल मीडिया को आप कैसे देखते है? ओ टी टी पर रिलीज हुई फिल्म ने अच्छा किया यह कैसे समझे?
देखिये फिल्म की सफलता फिल्म पर ही निर्भर है। यह सच है की ओ टी टी पर फिल्म सफल रही यह कैसे मालूम हो यह जरूर जानकारी नहीं मिलती है। पर फिल्म को लोगों ने किस माप दण्ड में देखा है और सराहा है फिल्म के अच्छे होने की अनुभूति मिल जाती है। मैं सोशल मीडिया पर ज्यादा नहीं हूँ। जब कभी मुझे कुछ जानकारी अपने फैंस से साझा करनी होती तब अपने ट्विटर या अन्य प्लेटफार्म पर जाकर लिख देता हूँ। आज हर कोई मीडिया बन गया है। गाली- गलौज ज्यादा दिखती है कौन सही है कौन गलत समझ नहीं आता सो इस से दूर ही रहता हूँ ।
ट्रॉलीइंग को कैसे हैंडल करते है?
मैं सोशल मीडिया पर अपडेट नहीं रहता हूँ। बहुत सिंपल है डिस्कनेक्ट ही रहता हूँ। काजोल भी ज्यादा सोशल मीडिया पर नहीं है। और ना ही मेरे बच्चों को इस में कोई दिलचस्पी है।