जॉन अब्राहम की अपकमिंग मूवी 'बाटला हाउस' सिनेमा घरों में रिलीज होने के लिए बिल्कुल तैयार है। बाटला हाउस से प्रेरित एक्शन थ्रिलर इस फिल्म में जॉन अब्राहम 2008 के पुलिस अधिकारी संजीव कुमार यादव का किरदार निभा रहे हैं। ये कहानी दिल्ली पुलिस के 7 सदस्यीय दल के साथ हुए घटनाओं पर आधारित है, क्योंकि उन्हें दिल्ली के जामिया नगर में बटला हाउस इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के कारण विवादित कार्रवाई के लिए विवादों में आए।
फिल्म की रिलीज से पहले जॉन अब्राहम ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि उनका मानना है कि जब लोग फिल्म देखकर बाहर निकलेंगे तो वे विवादास्पद घटना पर बहस करेंगे।
अपकमिंग मूवी के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, 'यह एक पुलिस अधिकारी के बारे में एक कहानी है जिनका शादीशुदा जीवन बरबाद हो जाता है और राजनीति और पुलिस विभाग की चक्कर में फंसकर रह जाता है। जब आप इस फिल्म से बाहर निकलेंगे, तो आप बहस करेंगे। मेरा मानना है कि उत्तर भारत में बाबरी मस्जिद के बाद बाटला हाउस सबसे विवादास्पद मुद्दे है।
जॉन ने डीसीपी यादव से मुलाकत के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि “पहले दिन जब हम मिले, मैंने उससे पूछा कि वह किस परिस्थित से गुजर रहे हैं? उस मुलाकत के अगले 6 घंटे में, मैंने बहुत कुछ सीखा। न केवल बॉडी लैंग्वेज बल्कि वह जिस भी परेशानी, पीड़ा से वो गुजरा वह बहुत परेशान करने वाला था। उन्होंने मुझे बताया कि एक ऐसा समय आ गया था जब उनपर गंभीर आरोप लगाए गए तो उन्होंने आत्महत्या करने की सोची थी।
अक्षय कुमार की फिल्म मिशन मंगल से टकराने के मुद्दे पर जॉन कहते हैं कि उन्हें बाटला हाउस के कॉन्टेंट पर पूरा विश्वास है और फिल्म मिशन मंगल से टकराने को लेकर उन्हें कोई टैंशन नही हैं। यदि आप नोटिस करेंगे तो पाएंगे कि कोई भी बड़ा ऐक्टर अपनी फिल्मों को हॉलिडे पर ही रिलीज करता है। फिर मैं ऐसा क्यों ना करूं? फिल्में हमेशा अच्छा प्रदर्शन करती हैं जब वे खास मौकों पर रिलीज होती हैं क्योंकि फैमिलीज साथ में इन्हें देखने जाती हैं। बता दें कि जॉन की फिल्म बाटला हाउस और अक्षय कुमार की फिल्म मिशन मंगल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 15 अगस्त को रिलीज हो रही है। जहां फिल्म बाटला हाउस 2008 में हुए एनकाउंटर पर बेस्ड है, वहीं मिशन मंगल पहले मार्स मिशन के लॉन्च की कहानी है। देशभक्ति से जुड़ी इन दोनों ही फिल्मों की काफी चर्चा है।
'बाटला हाउस' जैसे विवादास्पद विषय पर फिल्म बनाने का विचार क्यों किया? इस सवाल पर जॉन कहते हैं कि अभिनेता के रूप में मुझे इसकी स्क्रिप्ट बहुत जानदार लगी। फिर मुझे लगता है कि उत्तर भारत में अगर बाबरी मस्जिद के बाद सबसे ज्यादा चर्चा का विषय कोई और रहा, तो वह था 'बाटला हाउस'। इस एनकाउंटर के बाद सभी फॉल्ट लाइंस ब्रेक हो गई थीं। बाटला हाउस ने धर्म, राजनीति, समुदाय सभी को विभाजित कर दिया था। मुझे इस बात की उत्सुकता थी कि हम जो कहानी कह रहे हैं, वह किसी के पक्ष में या विपक्ष में? मैंने निखिल (निर्देशक निखिल अडवानी) से यही कहा कि जो भी हम बोलेंगे, उसमें सारे पॉइंट ऑफ व्यू रखेंगे। दर्शक जब थिअटर से फिल्म देखकर निकलेगा, तो उसे तय करना होगा कि किसका पॉइंट ऑफ व्यू सही है।
'बाटला हाउस' के आरोपियों द्वारा फिल्म पर रोक लगाने की याचिका दायर करने के बाद इस फिल्म से जुड़ा विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। इस मुद्दे पर जॉन कहते हैं कि हमने शुरू में ही डिस्क्लेमर दिया है कि यह फिक्शन पर आधारित है। हमने सिर्फ इतना कहा है कि यह रियल इवेंट से प्रेरित है, न कि उस पर आधारित है। इसे सीबीएफसी ने इसे यूए सर्टिफिकेट के साथ पास भी किया है। उपराष्ट्रपति के लिए 'बाटला हाउस' की स्पेशल स्क्रीनिंग से जुड़े अनुभव को लेकर जॉन कहते हैं कि वेंकैया नायडू जी ने इस बात की सराहना की कि हम फिल्म को अलग-अलग नजरिए से दिखाने में कामयाब रहे। उनका कहना था कि उन्हें खुशी है कि हमने महज एक पुलिस हीरो वाली कहानी नहीं दिखाई। उन्हें बहुत अच्छा लगा और वह काफी प्रभावित भी हो गए।
इस बार बाटला हाउस के जरिए पुलिस की एक अलग ही इमेज सामने आई है। जॉन कहते हैं कि अब तक फिल्मों के जरिए हमने पुलिस को काफी नकारात्मक रूप में पेश किया है, तो अब समय आ गया है कि हम दर्शकों को बताएं कि हमारे पुलिस विभाग में ईमानदार पुलिस अफसर भी हैं। ऐसे लोग भी हैं, जो देश के लिए काम करते हैं। मुझे अपनी फिल्मों में यही दर्शाना था। इसलिए मैंने अपनी फिल्म के लिए बाटला हाउस जैसा विषय चुना।