जॉन अब्राहम की फिल्म रोमियो अकबर वॉल्टर’ एक सच्चे जासूस की कहानी पर आधारित बताई जा रही है। यह एक ऐसे भारतीय जासूस की कहानी है, जिसने पाकिस्तान की सेना में शामिल होकर हिंदुस्तानी सेना के लिए काम किया था। पूरी फिल्म की स्पाई थ्रिलर के दिलेर मिशन पर बनी है। बताया जा रहा है कि ये फिल्म भारत-पाकिस्तान की उस जंग पर आधारित है, जब पाकिस्तान ने इंडियन फोर्सेज के सामने घुटने टेक दिए थे। फिल्म की कहानी 70 के दशक की है। फिल्म में जॉन अब्राहम ने 8 अलग-अलग लुक्स लिए हैं और मानना पड़ेगा कि उनके लुक्स काफी आकर्षक लग रहे हैं। फिल्म के ट्रेलर लॉन्च के दौरान जॉन ने फिल्म के बारे में बातचीत कीः
फिल्म के आपका लुक काफी आकर्षक नज़र आ रहा है?
थैंक्स कि आपने तारीफ की। इसमें मैंने 26 साल के व्यक्ति से लेकर 85 साल के बूढ़े तक का लुक लिया है। इसके लिए मुझे काफी मेहनत करनी पड़ी है।
फिल्म की शूटिंग कहां की गई है?
फिल्म की शूटिंग नेपाल, गुलमर्ग और श्रीनगर में हुई है। फिल्म के प्लॉट में पाकिस्तान भी अहम किरदार निभाता है। उन हिस्सों की शूटिंग के लिए गुजरात में पाकिस्तान का सेट बनाया गया। इस फिल्म के लिए काफी रिसर्च की गई है।
क्या आपको लगता है कि पाकिस्तान के खिलाफ अब युद्ध का समय आ गया है?
युद्ध से किसी का भला नहीं होने वाला बल्कि दोनों देशों का नुकसान ही होगा। मैं तो यही कहूंगा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, किसी देश या धर्म के आधार पर युद्ध नहीं होना चाहिए क्योंकि इस तरह की मानसिकता विश्व के लिए खतरनाक है। मैं प्रधानमंत्री जी और वायुसेना की तारीफ करूंगा कि उन्होंने आतंकी ठिकानों को ही टारगेट पर लिया।
पुलवामा हमले की घटना के बाद पाकिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है। इस बारे में आप क्या कहना चाहते हैं?
मैं दोबारा यह बात दोहराना चाहता हूं कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध हो, किसी देश, धर्म या धर्मों के बीच युद्ध नहीं होना चाहिए। मेरी सोच बिल्कुल साफ है। हो सकता है इसके लिए मुझ पर आरोप लगाया जाये लेकिन मैं कोई धरने पर बैठने वाला नहीं हूं और न ही ये कहने वाला हूं कि यह दर्शकों को पसंद आयेगा, ऐसा बिल्कुल नहीं है।जो सच है वह सच है, इसे कहने में मैं कभी झिझकता नहीं।
आज आप देश में किस तरह का माहौल देख रहे हैं?
आज समस्या यह है कि विश्व का ध्रुवीकरण हो रहा है और हम लोग एक खास रूढ़िवादी मानसिकता से बंधते जा रहे हैं जो संभवतः सबसे खतरनाक संकेत है. यह नहीं होना चाहिए।
इन दिनों देशभक्ति पर आधारित फिल्में दिखाने का सही समय है जिसमें पड़ौसी देष के साथ युद्ध जैसी स्थितियां बनें। क्या आपकी फिल्म में भी युद्ध को ही केंद्र में रखते हुए ऐसे माहौल को भुनाने का प्रयास किया गया है?
ऐसा नहीं है। हमारी फिल्म की कहानी बहुत पहले तय कर ली गई थी और ऐसा माहौल बनने से पहले ही हमारी फिल्म तैयार थी। इसमें वॉर को हमने बैकड्रॉप में रखा है।
दर्शकों ने आपको अब तक लार्जर दैन लाइफ कैरेक्टर्स में देखा है। इस बार भी कुछ ऐसा ही है?
इस बार मेरे लुक में दर्षक कुछ ज्यादा ही अनोखापन देखेंगे। पहली बार किसी डायरेक्टर ने मुझसे इतना भावुक रोल करवाया है, जिसे आप ट्रेलर में देख ही रहे हैं।
परमाणु से कितनी अलग है ये फिल्म?
मैंने अब तक अलग हटकर ही फिल्में की हैं। इस फिल्म की कहानी भी अलग हटकर है। यह आब्जैक्टिव स्टोरी है, पैटरियोटिक नहीं।