‘भविष्य में मुझे इससे भी बेहतर काम करना है’- करण कपाड़िया

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By Mayapuri Desk
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‘भविष्य में मुझे इससे भी बेहतर काम करना है’- करण कपाड़िया

अपने समय की मशहूर अदाकारा डिंपल कपाड़िया के भतीजे, मशहूर कास्ट्यूम डिजायर स्व.सिंपल कपाड़िया के भतीजे, ट्विंकल खन्ना के मौसेरे भाई और अक्षय कुमार के साले करण कापड़िया फिल्म ‘‘ब्लैंक’’ से बॉलीवुड में कदम रख रहे हैं. उनका दावा है कि वह 14 साल की उम्र से ही अभिनय को करियर बनाने का सपना देखने लगे थे।

आपके दिमाग में पहली बार कब अभिनेता बनने का ख्याल आया था?

- अभिनय को करियर बनाने की प्रेरणा तो मुझे अपने पारिवारिक सदस्यों को काम करते देखकर ही मिली.जब मैं 14 वर्ष का था, तब मैंने पहली बार अपनी कजिन ट्विंकल खन्ना और अपनी मौसी डिंपल जी से कहा था कि मुझे भी फिल्मों में अभिनय करना है.जबकि स्कूल दिनों में मेरे अंदर कभी किसी नाटक में हिस्सा लेने का साहस नहीं हुआ,जबकि मेरी दिली इच्छा अभिनय करने की थी.सत्रह साल की उम्र में मैंने फिल्म ‘बॉस’ में बतौर सहायक निर्देशक काम किया.फिर मैंने स्वयं लघु फिल्में बनानी षुरू कर दी थी. लघु फिल्में बनाते हुए मुझे संतोष मिलता था और धीरे धीरे मेरे अंदर अभिनय करने की बात पुख्ता होती चली गयी. फिर मैंने मुंबई में ही ‘जेफ गोल्डबर्ग स्टूडियो’ से अभिनय की ट्रेनिंग हासिल की. मैं अभिनय के क्षेत्र में अपनी अलग राह बनाना चाहता हूं।

फिल्म ‘ब्लैंक’ कैसे मिली ?

- फिल्म के निर्देशक बेहजाद खंबाटा और सह लेखक प्रणव आदर्श से मेरी पहली मुलाकात अक्षय कुमार की फिल्म ‘बॉस’की शूटिंग के दौरान हुई थी, जिसमें मैं भी सहायक निर्देशक के तैर पर काम कर रहा था. तब से हम लोग संपर्क में बने हुए थे. एक दिन बेहजाद खंबाटा ने मुझे फिल्म ‘ब्लैंक’ की पटकथा सुनायी,मुझे बहुत पसंद आयी.इससे पहले वह मेरी लघु फिल्म ‘क्रिसेंडो’ देख चुके थे, जिसे कॉन्स फिल्म फेस्टिवल सराहना मिली थी।

‘भविष्य में मुझे इससे भी बेहतर काम करना है’- करण कपाड़िया

फिल्म ‘ब्लैंक’ क्या है?

- यह आतंकवाद पर एक्षन से भरपूर मिस्ट्री प्रधान रोमांचक फिल्म है. फिल्म में इस बात को रेखांकित किया गया है कि आतंकवाद का कोई चेहरा नहीं है, उसका धर्म सिर्फ पैसा है. इसका निर्माण डां.श्रीकांत भासी, निशात पिट्टी और टोनी डिसूजा ने किया है.बेहजाद खंबाटा निर्देशित इस फिल्म में मेरे सह कलाकार हैं-सनी देओेल, करणवीर शर्मा, इशिता दत्ता व रशिका प्रधान. जबकि अक्षय कुमार ने कैमियो किया है।

 ट्रेलर का रिस्पाँस ?

- बहुत अच्छा. लोग तारीफ कर रहे हैं. लोग कथानक के साथ साथ मेरे अभिनय की तारीफ कर रहे हैं. लोग कह रहे हैं कि यह किसी नवोदित कलाकार की नहीं, बल्कि अति अनुभवी कलाकार की फिल्म है. ईमानदारी से कह रहा हॅूं कि लोगां से अपनी तारीफ सुनकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है. वैसे मुझे पता है कि अभी तो भविष्य में मुझे इससे भी बेहतर काम करना है।

 फिल्म ‘ब्लैंक’ के अपने किरदार को लेकर क्या कहेंगे?

- मैंने इसमें हनीफ नामक 26 वर्षीय आत्मघाती हमलावर/बाबर का किरदार निभाया है, जो कि भूलने की बीमारी से पीड़ित है. कार से टकराने के बाद वह अपने मिशन को भूल जाता है, यहां तक कि वह यह भी भूल चुका होता है कि उसके सीने पर टाइिंमंग बम चिपका हुआ है. इससे अधिक बताना ठीक नहीं होगा. हॉ! इस फिल्म में सनी देओल ने इंटेलीजेंस ब्यूरो अधिकारी की भूमिका निभायी है।

‘भविष्य में मुझे इससे भी बेहतर काम करना है’- करण कपाड़िया

फिल्म ‘ब्लैक’ के किरदार की तैयारी के लिए आपने क्या किया ?

- मैंने यह फिल्म 2016 में साइन की थी. तब से मैं लगभग हर दिन प्रणव और बेहजाद खंबाटा के साथ बैठकर इस किरदार को लेकर विचार विमर्ष करता था. इसी से मुझे अपने किरदार को गढ़ने में मदद मिली. मैंने आतंकवाद पर आधारित एक भी फिल्म नहीं देखी।

 सनी देओल के साथ काम करके आपके क्या अनुभव रहे?

- सनी देओल को तो मैं बचपन से जानता हूं. मेरी मम्मी सिंपल कपाड़िया 15 वर्षों तक उनकी कॉस्ट्यूम डिजाइनर थी. यहां तक बीमार होते हुए भी मेरी मां ने सनी देओल प्रोडक्शन की फिल्म ‘चमकू’ के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग के लिए मदद की थी. फिल्म ‘चमकू’ में बॉबी देओल और प्रियंका चोपड़ा ने अभिनय किया था. वह अक्सर शूटिंग के दौरान फिल्म के सेट पर मुझे ले जाया करती थी. तो सनी सर से पहली मुलाकात उनसे सेट पर ही हुई थी. मैं ‘इंडियन’ और ‘जाल’ सहित उनकी कई फिल्मों के सेट पर जाता रहा हूं. अब बीस साल बाद मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला. फिल्म ‘ब्लैंक’ की शूटिंग के दौरान जब कोई सीन मुझसे नहीं हो पाता था तो मैं फ्रस्टेटीड हो जाता था, तब सनी देओल मुझे शांत कर मुझे दृश्य के बारे में समझाते थे. शूटिंग के दौरान उन्होंने मेरी बहुत मदद की. मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।

आपने अपनी मां को 15 साल की उम्र में खो दिया था?

- जी हां!! यह वक्त मेरी जिंदगी का सबसे कठिन वक्त था. पर मेरे परिवार के दूसरे सदस्यों ने मुझे अकेला महसूस नहीं होने दिया. हमेशा मेरी सुरक्षा के लिए मौजूद रहे. अपनी मौसी व बहनों के सहयोग के ही चलते आज मैं अपने पैरों पर खड़ा हॅूं. मैंने अपनी मौसी डिपंल जी में अपनी मां को पाया और तब से मैं उन्ही के साथ रह रहा हूं. मुझे हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा कि मैं अपनी मां से कभी यह नहीं कह पाया कि मुझे भी अभिनेता बनना है।

‘भविष्य में मुझे इससे भी बेहतर काम करना है’- करण कपाड़िया

 डिंपल कपाड़िया के साथ अपने रिश्तों को किस तरह से परिभाषित करेंगे?

-जो रिश्ते मेरी मां के साथ थे, वही रिश्ते मौसी के साथ हैं. पर वह मेरी अच्छी दोस्त भी हैं. मैं उनसे किसी भी विषय पर बात कर सकता हूं।

 डेटिंग चल रही है या नहीं?

- फिलहाल नहीं.. किसी के साथ मेरी डेटिंग चल रही थी, पर एक साल पहले उससे मेरा ब्रेक अप हो गया.तब से मैं अकेला ही हूं।

इन दिनों बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर काफी बातें हो रही हैं. आपकी गिनती भी फिल्मी संतानों में होती है. क्या कहना चाहेंगे?

- पहली बात तो फिल्म ‘ब्लैंक’ का ऑफर मिलने से पहले मैंने कई फिल्में के लिए ऑडिशन दिए और रिजेक्ट भी हुआ. दूसरी बात तब तक मैं कुछ लघु फिल्में बना चुका था. मेरी लघु फिल्म ‘क्रेसिंडां’ को कॉन्स फिल्म फेस्टिवल में सराहा जा चुका था. पर यह सच है कि देखिए, यदि मैं फिल्मी परिवार से  ना जुड़ा होता, तो शायद फिल्म ‘बॉस’ के सेट पर ना पहुंचता.लेकिन मुझे पहली फिल्म ‘ब्लैंक’ फिल्मी परिवार से जुडे़ होने की वजह से नहीं मिली. मुझे निर्देशक बेहजाद खंबाटा के साथ मेरे निजी संबंधों के कारण मिली. मैंने अपना करियर बनाने या फिल्म ‘ब्लैंक’ को पाने के लिए अपने परिवार के किसी सदस्य की ताकत का उपयोग नहीं किया. इसलिए मेरे साथ नेपोटिज्म वाला कोई मामला नहीं बनता. आपने देखा होगा तो इसी के चलते फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर मेरे परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था।

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 लेकिन आपके रिश्देदार होने के चलते अक्षय कुमार ने आपकी फिल्म के एक गाने में अभिनय किया है?

- जी हां! लेकिन आपको पता होना चाहिए फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद इस गाने को जोड़ने की बात हुई. तब अक्षय कुमार इसके साथ जुडे़. इस गाने की शूटिंग से पहले अक्षय कुमार ने मेरी फिल्म देखकर मेरे काम की सराहना की थी।

 आपके दूसरे क्या शौक हैं?

- मुझे लिखने का शौक हैं. मैं बेहजाद खंबाटा और प्रणव आदर्ष के साथ मिलकर एक साइंस फिक्शन फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रहा हूं. यह एक मानवीय कहानी है. हम लोग इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए बनाना चाहते हैं. क्योंकि इस कहानी को सिर्फ ढाई घंटे के अंदर समेटना संभव नहीं है. यह रोचक कहानी है।

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