करण खन्ना: अधिराज बदला लेने आया है, पर वह बहुत ही जस्टिफाई है

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By Mayapuri Desk
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करण खन्ना: अधिराज बदला लेने आया है, पर वह बहुत ही जस्टिफाई है

-शान्तिस्वरुप त्रिपाठी

मशहूर एक्शन मास्टर बब्बू खन्ना के बेटे करण खन्ना को एक्शन व डांस मंे महारत हासिल है, पर उनकी पहचान कलाकार के तौर पर ही होती है। इन दिनों वह ‘दंगल’ टीवी पर प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘नथः जेवर या जंजीर’’ में अधिराज का किरदार निभा रहे हैं। अधिराज की ही वजह से शंभू और महुआ की जिंदगी में तूफान आया हुआ है। वैसे अधिराज कोई गैर इंसान नहीं, बल्कि शंभू का जुड़वा भाई है। मगर ‘नथ उतराई’ की कुप्रथा के चलते शंभू और अधिराज एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं।

प्रस्तुत है करण खन्ना से ‘‘मायापुरी’’ के लिए हुई बातचीत के अंश..

अपनी अब तक की यात्रा को किस तरह से देखते हैं?

सच यह है कि जब मैं फिल्मों से जुड़ा, उस वक्त तक मुझे ख्ुाद नही पता था कि मुझे अभिनय को कैरियर बनाना है। देखिए, मेरी परवरिश फिल्मी माहौल मंे हुई है। मैं तकनीशियान परिवार का हिस्सा हॅूं। मेरे दादा जी रवि खन्ना मशहूर एक्शन डायरेक्टर थे। उन्होने चार सौ से अधिक फिल्मों में एक्शन मास्टर के रूप में काम किया। मेरे पिता बब्बू खन्ना भी मशहूर एक्शन निर्देशक हंै, वह ‘जंजीर’ सहित तीन सौ से अधिक फिल्मों में एक्शन निर्देशक के रूप में काम कर चुके हैं। जिसके चलते उस वक्त एक्शन में मेरी ज्यादा रूचि थी। लेकिन मेरे अंदर कैमरे के सामने आने की झिझक थी। मेरी उस झिझक को खत्म करने का श्रेय मेरे पिता को ही जाता है।

करण खन्ना: अधिराज बदला लेने आया है, पर वह बहुत ही जस्टिफाई है

तो फिर अभिनय की शुरूआत कैसे हुई?

मैं ‘स्वास्तिक प्रोडक्शन’ के सीरियल ‘महाभारत’ में अपने पिता के साथ बतौर सहायक एक्शन निर्देशक काम कर रहा था। वहां पर सिद्धार्थ तिवारी ने मुझे देखकर मुझसे कहा कि    ‘तू अभिनय क्यों नहीं करता। तेरे अंदर तो एक्टिंग करने वाला मटेरियल है। और उन्होने ही मुझे ‘स्टार प्लस’ के सीरियल ‘मनमर्जिया’ में पहली बार अभिनय करने का अवसर दिया। इस सीरियल में एक दृश्य में अभिनय करते समय मेरे अंदर से आवाज आयी कि मैं इसी काम को करने के लिए बना हूँ। वह दृश्य मुझे आज भी याद है। वह दृश्य मेरी जिंदगी व मेरे करियर का टर्निंग प्वाइंट था। तब से मेरी अभिनय की यात्रा शुरू हुई है। लेकिन मेरा संघर्ष अभी भी चल रहा है। मेरे साथ ऐसा नहीं है कि मैं स्थापित कलाकार हूँ और मेरे एक सीरियल का प्रसारण बंद होते ही दूसरे सीरियल में अभिनय करने का अवसर नहीं मिलता। ईश्वर से यही मांगता हूँ कि मैं जो भी काम करुं, वह सभी को अच्छा लगे। मेरी नजर में कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं है। मैं हर बार अपनी तरफ से कोशिश करता हूँ कि अपनी परफार्मेंस को बेहतर से बेहतर बनाकर लोगों के सामने पेश करुं।

अपनी अब तक अभिनय यात्रा पर रोशनी डालेंगे?

मैं पिछले 5-6 वर्ष से टीवी कर रहा हूं। मैने स्प्लिट्स विला सीजन 9 और जस्ट डांस जैसे कई रियालिटी शोज भी किए हैं। तो कई सीरियलों में अभिनय किया है। मुझे ‘इश्कबाज’, ‘दिव्यदृष्टि’, ‘बहू बेगम’ और  ‘अम्मा के बाबू की बेबी’ सहित कई सीरियलों में काफी पसंद किया जा चुका है। अब मैं सीरियल ‘‘नथः जेवर या जंजीर’’ में अधिराज का किरदार निभा रहा हॅंू। जिसके कारण महुआ और शम्भू की जिन्दगी में तूफान आने वाला है।

करण खन्ना: अधिराज बदला लेने आया है, पर वह बहुत ही जस्टिफाई है

सीरियल ‘दिव्यदृष्टि’ कैसे मिला था?

मैं छुट्टी मनाने के लिए अपने दोस्त के घर पर दिल्ली में था। वहां पर मुझे फोन आया कि सीरियल ‘दिव्य दृष्टि’ के लिए मैं आॅडीशन दे दूँ। मैं सिर्फ आॅडीशन देने के लिए पैसे खर्च कर दिल्ली से आना नही चाहता था। इसलिए मैंने मना कर दिया। दूसरे दिन मेरे पास फोन आया कि सीरियल की निर्माता मुक्ता मैम सेल्फ टेस्ट चाहिए, तो मैंने दिल्ली से ही सेल्फ टेस्ट वीडियो बनाकर भेजा. दूसरे दिन फोन आया कि मेरा चयन हो गया है और मैं दिल्ली से मंुबई आ गया। यह सब लक की बात है।

तो आप लक में यकीन करते हैं?

सभी लोग कहते हैं कि बाॅलीवुड मंे लक मायने रखता है। क्योंकि जब आपको अभिनय आता है, आपका चेहरा मोहरा अच्छा है। आपकी आवाज अच्छी है, फिर भी काम क्यों नहीं मिलता? तो यह सब किस्मत की बात है। यहां आकर लक ही काम करता है। तो मुझे ‘स्टार प्लस’ का सीरियल ‘दिव्य दृष्टि’ लक के ही चलते मिला था। उसके बाद मुझे ‘कलर्स’ पर सीरियल ‘बहू बेगम’ मिला। इसमें भी नगेटिब किरदार ही निभाया। इसके बाद मुझे ‘स्टार भारत’ का सीरियल ‘अम्मा के बाबू की बेबी’ लीड के रूप में मिला। इसकी कहानी अनिल कपूर की फिल्म ‘बेटा’ से प्रेरित थी। इसमे मैं कुश्ती प्लेअर था। इसमें मुझे वास्तव में अपना एक्शन व डांस दिखाने का अवसर मिला। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह रही कि यह सीरियल तीन माह के अंदर ही बंद हो गया।

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अपने अधिराज के किरदार को लेकर क्या कहेंगे?

हकीकत में अधिराज, शंभू का जुड़वा भाई है, पर उसे व उसकी मां को अब तक सिर्फ जलालत ही मिली है। अधिराज व उसकी मां को न इज्जत मिली और न पैसा। अधिराज अपनी मां से बहुत प्यार करता है। उसने अपनी मां को तिल तिल मरते हुए देखा है। अब अधिराज अपनी मां के चेहरे पर एक मुस्कान देखने के संकल्प के साथ ठाकुर की हवेली में बदला लेने आया है। परिणामतः गुस्से और बदले की भावना उसके दिल मंे पनपती रही है। यही कारण है कि उसके जीवन का एक ही उद्देश्य है ‘‘जैसे मुझसे मेरा सबकुछ छीना गया, मैं शम्भू और इस परिवार से सब कुछ छीन लूंगा।’’ अब अधिराज वह सब कुछ चाहता है,जो शम्भू के पास है। शम्भू को पता नही था कि उसका एक भाई भी है और उसकी असली मां जिन्दा है। पर अब अधिराज महुआ और शम्भू की लाइफ में एक तूफान पैदा करने आया है। घर वालों के लिए बिल्कुल अनएक्सपेक्टेड है कि ऐसा कुछ हुआ होगा या हो सकता है कि अतीत के किसी जुल्म का अब उन्हें भुगतना पड़ रहा है। इस किरदार में ग्रे शेड्स हैं मगर अधिराज इंसान अच्छा है। वह जो बदला लेने आया है, वह बहुत ही जस्टिफाई है।

करण खन्ना: अधिराज बदला लेने आया है, पर वह बहुत ही जस्टिफाई है

आप इस चैथे सीरियल में निगेटिव किरदार निभा रहे हैं. पिछले तीन जो निगेटिव किरदार किए, उनसे यह किस तरह से अलग है?

‘इश्कबाज’ में मेरा निगेटिव किरदार फिल्म ‘डर’ के शाहरुख खान की तरह सायको था। ‘इश्कबाज’ में मेरा दक्ष खुराना का किरदार सायको था। उसे एक लड़की से प्यार हो गया था और वह लड़की उसे हर हाल मंे चाहिए थी। फिर चाहे प्यार से मिले या मारधाड़ करके। ‘तू मेरी है किरण’ वाला मसला था। ‘दिव्यदृष्टि’ में सुपर नेचुरल पाॅवर का मसला था। एक मुख्य पिशाचिनी के पास सारी शक्तियां होती हैं। तब मेरा किरदार अपनी चालाकी करता है, जिससे उसे पिशाचिनी की ताकतें मिले सके। पर बाद में वह सकारात्मक हो जाता है। फिर ‘बहू बेगम’ में सामान्य निगेटिव किरदार निभाया। अब ‘नथ जेवर या जंजीर’ में निगेटिव किरदार काफी जस्टीफाई किया। यहां अधिराज का तर्क सही है कि मेरी मां के साथ ऐसा हुआ है, तो मुझे बदला लेना है। अधिराज विलेन है, मगर उसका बदला लेने की वजह सही है, इसलिए दर्शकों को पसंद आएगा।

एक्शन निर्देशन,डांस डायरेक्शन व अभिनय तीनों मंे से कहां इंज्वाॅय करते हैं?

सच कहूँ तो मुझे निर्देशन करने में मजा आता है। अभिनय में जब आपको नया किरदार मिलता है, तभी आप उसमें खेल पाते हो। जब किरदार में कुछ बदलाव आते हैं, तभी उसमें हम खेल पाते हैं। लेकिन निर्देशन करते समय आप हर दिन कुछ नया कर सकते हो। आप जब दृश्य की परिकल्पना कर सामने वाले कलाकार को बताते हैं, जब आप डांस निर्देशन करते हैं या एक्शन निर्देशन करते हैं, उस वक्त अपने निर्देश पर कलाकार को परफार्म करते हुए देखने का मजा ही कुछ और है। यह जो अहसास है उसका अहसास अलग है। मैं अभिनय की तुलना नहीं कर सकता। हाल ही में लाॅकडाउन में महज पांच दिन के अंदर मैने एक पटकथा लिखी है। मुझे इसे निर्देशित करना है.यह कहानी मेरे दिमाग में अंकित है। मैं इसे वीज्युलाइज कर सकता हूं, मुझे पता है कि मुझे क्या चाहिए? जब हम एक्शन डायरेक्टर के रूप में काम करते हंै, तब भी कुछ अलग अहसास होते हैं। अभिनय में मजा तब आता है जब कोई फैंटास्टिक या चुनौतीपूर्ण दृश्य आता है। दूसरी बात निर्देशन करते समय हमें अपने लुक, बाल वगैरह पर ध्यान देने की जरुरत नहीं पड़ती। जबकि अभिनय में आधा ध्यान तो लुक को मंेटेन करने, बालों को संवारने वगैरह में ही रहता है।

करण खन्ना: अधिराज बदला लेने आया है, पर वह बहुत ही जस्टिफाई है

अभिनय करते समय एक्शन या डांस के दृश्यों में आपको अहसास होता होगा कि इसे इस तरह करके ज्यादा बेहतर किया जा सकता है। उस वक्त आप क्या करते हैं?

सेट पर पिता जी होते है, तो उनके साथ मेरी थोड़ी सी अनबन होती है, पर फिर उनके सामने मुझे चुप होना ही पड़ता है। लेकिन मेरे पिता जी सही चीज पर बढ़ावा देते हैं, गलत चीज पर बढ़ावा नहीं देते हैं। ऐसा नही है कि हर बार मैं सही हो सकता हूँ। तो पिता जी के साथ काम करते समय मेरे पास दूसरा कैमरा होता है। मैं अपने हिसाब से दृश्य लगा सकता हॅूं। पर कई बार झल्लाहट तब होती है जब हम किसी अन्य के निर्देशन में काम कर रहे होते हैं और हमें पता होता है कि हम इसे ज्यादा बेहतर ढंग से क्रिएट कर सकते हंै, पर वहां मन मार कर चुप रहकर करना पड़ता है। क्योंकि उस वक्त मैं कलाकार होता हूँ और कलाकार को निर्देशक की बात माननी होती है। हम तकनीशियन के परिवार से हैं। हमें सिखाया गया है कि हमेशा तकनीशियन की इज्जत करो। कुछ एक्शन डायरेक्टर मेेरे पिता की वजह से मुझे जानते हैं, तो वह लोग मेरी सुन लेते हंै। सीरियल ‘महाभारत’ के वक्त मैं दूसरी युनिट का एक्शन डायरेक्टर भी था।

आपके शौक क्या हैं?

पहले मैं हर दिन डांस करता था। मुझे एक्रोबेट करना अच्छा लगता है, पर अब उसकी प्रैक्टिस नहीं कर पा रहा हूँ। पहले मेरा दोस्त व डंास पार्टनर इरफान था, वह अब बरोडा रहने चला गया है। स्वीमिंग करना पसंद है, पर दो वर्ष से कोरोना की वजह से यह भी बंद है। फिल्में देखना व बाइक राइड्स पसंद है।

क्या वजह है कि आप निगेटिव किरदार ही ज्यादा कर रहे हैं?

मुझे जो भी अच्छा काम मिल रहा है, वह कर रहा हँू। पर मेरा भी टाइम आएगा जब मेकर मुझे अलग नजरिए से भी देखेंगे। वैसे मेरा लुक काफी हार्ड है।

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