‘प्यार हम सभी मनुष्यों को साथ बांधता है’- कोंकणा सेन शर्मा By Mayapuri Desk 12 Jun 2019 | एडिट 12 Jun 2019 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर लिपिका वर्मा कोंकणा सेन शर्मा एक ऐसी अदाकारा है जो अपने जीवन से जुड़े हर एक प्रश्न का जवाब बेबाकी से देने के लिए मशहूर है। कोंकणा की अगली फिल्म ’ए मॉनसून डेट’ भी एक बहुत अलग किस्म की फिल्म है जिस में कोंकणा एक ट्रांसजेंडर का किरदार निभा रही है। लगातार महिला निर्देशक के साथ काम कर रही कोंकणा की फिल्म ‘ए मॉनसून डेट “ जो खुद एक ट्रांसजेंडर महिला ग़ज़ल पालीवाल ने लिखी है और निर्देशिक तनुजा चन्द्रा डायरेक्ट की है, इस में काम करना वह अपना सौभाग्य मानती है पेश है कोंकणा सेन शर्मा के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश : लगातार लेडी डायरेक्टर्स के साथ काम करने का क्या अलग आनंद रहा ? - मुझे पीछे तीन प्रोजेक्ट्स जो मिले हैं, वह सारे महिला निर्देशकों के साथ काम करने के मौके रहे और उनके साथ काम करना मेरे लिए बहुत अच्छा रहा। ’डॉली किटी और वह चमकते सितारे ‘पिंड दान’ और ‘ए मॉनसून डेट’ अलंकृता श्रीवास्तव, सीमा बावा और तनूजा चन्द्रा के साथ काम किया बहुत ही मजा आया। ग़ज़ल धालीवाल जो खुद स्वयं ट्रांसजेंडर है, उन्होंने यह स्क्रिप्ट बेहद उम्दा लिखी है, और यह किरदार निभाने में मुझे जो कुछ सीखने को मिला वह मेरे कर्म के साथ जुड़ सा गया है। फिल्म ‘ए मॉनसून डेट’ की कहानी पर कुछ रोशनी डालें ? - फिल्म ‘ए मॉनसून डेट’ की कहानी हम सबको दिल से झकझोड़ के रख देगी। रौंगटे खड़े कर देने वाली कहानी है। लेखिका ने लव को लेकर उसके भाव उम्दा प्रकट किया है।, यह एक लव स्टोरी है। जो मॉनसून (बारिश) में रोमांस को एक अलग मौका मिलता है, यह बेहद ही रोमांटिक स्टोरी है। वैसे लव तो हर कहानी में होता है। किन्तु लव की परिभाषा केवल - जाति, सुंदरता, गोरेपन इत्यादि से जोड़ा जाता है। किन्तु इस कहानी में यह दर्शाया है कि जाति-पाति से परे प्यार करने का अधिकार सभी को है। फिर गोरा या काला अथवा ऊंच या नीच जाति का होना जरुरी नहीं है। यह सारे विशेषण रोमांस के आड़े कतई नहीं आ सकता है। प्यार हम सभी मनुष्यों को साथ बांधता है। कोंकणा ने लगभग 45/50 फ़िल्में कर ली है। आप इस फिल्मी सफर को कैसे देखती है? - यह कहना ज्यादा नहीं होगा कि- काफी सारी मेरी फ़िल्में अच्छी नहीं थी। ढेर सारी मेरी फ़िल्में तो बकवास थी। वैसे मैंने 45/50 फ़िल्में कर ली है, यह सारी अलग - अलग भाषाओं में थी बगंला भी कुछ एक रही। दरअसल में, आपके करियर में अच्छी फ़िल्में और बुरी फ़िल्में भी होती है। मैं सभी को अच्छी बोल कर अपने आप को झुटला नहीं सकती हूँ। मैं कभी ऐसे नहीं बोल सकती हूं -जो हमने किया वह सभी बेस्ट किया है!! पर हाँ कभी कभी उस समय लगता है जो कर रहे हैं वह अच्छा ही होगा। उस समय पेज 3 और मेट्रो इत्यादि फिल्मों में हमारे पास कोई बाँऊड स्क्रिप्ट नहीं थी पर बाँऊड स्क्रिप्ट से बेहतर हमारे पास एक अच्छा क्रिएटिव डायरेक्टर होना भी जरुरी है- फिल्मों को सफल बनाने के लिए। निर्देशन की बागडोर भी आपने संभाली है, और क्या कुछ कर रही है आप, बतौर निर्देशिका? - जी हाँ! मैंने एक फिल्म ‘डेथ इन दी गूंज’ डायरेक्ट की थी। यह फिल्म 2017 में रिलीज़ हुई थी, लेकिन इसको बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिली। हमें इस बारे में कोई खेद नहीं है। मुझे यह फिल्म बनानी थी यह फिल्म मेरे हृदय के बहुत ही क्लोज है। प्रोडक्शन कॉस्ट भी कुछ ज्यादा नहीं थी। मुझे पहले से बात का एहसास था कि -यह फिल्म सभी के लिए नहीं है। मेरे लिए यह एक सार्थक फिल्म रही। और खुश हूँ कुछ लोगों को पसंद भी आयी यह फिल्म। माता एक्टर/निर्देशक अपर्णा सेन को डायरेक्ट करना चाहेंगी कभी ? - जी बिल्कुल। मैं उन्हें जरूर कास्ट करना चाहूंगी। दरअसल में जब मैंने तनूजा को फिल्म ‘डेथ इन दी गूंज’ के लिए कास्ट किया तब भी, सभी ने मुझ से यही कहा, ’अपनी माँ को क्यों नहीं कास्ट किया? इस किरदार के लिए? पर मैंने उन्हें समझाया कि - इस फिल्म में मुझे तनुजा जैसी अभिनेत्री ही चाहिए थी। आगे चल कर कभी न कभी साथ में एक फिल्म जरूर करुँगी। शायद जल्द ही एक बंगाली फिल्म कर सकते हैं हम। अपनी मां के साथ दोबारा काम करने हेतु मैं अत्यंत ग्रीडी (भूखी ) हूँ। वैसे हम दोनों ने साथ में काफी फ़िल्में की भी हैं। महिला अपना नाम शादी के उपरांत बदलती है इस पर आप का क्या कहना है ? - जी नाम बदलना हमारी माताजी ने भी किया था.और हर एक महिला ऐसा ही करती है। मेरा यह मानना है कि - हमें अपने नाम को बदलने की क्या आवश्यकता है? यदि हम अपने पति का नाम लेते हैं तो वह हमारा लास्ट नाम हो जाता है, और हमारा लास्ट नाम हमारा मिडिल हो जाता है। इस सब की क्या जरूरत है। पासपोर्ट में बदलाव के लिए हमें ही मशक्कत करनी होती है। वैसे भी मिडिल नाम कौन सीरियसली लेता है। बच्चों को क्या नाम मिलते हैं ? खैर सारी महिलाओं को इस पर सोच विचार करने की जरूरत है। आप कोई स्पोर्ट्स अथवा राजनेता महिला का किरदार करना चाहेंगी कभी ? - वैसे तो मैंने अभी तक इस बारे में विचार नहीं किया है। ममता दीदी की यदि बायोपिक बनाए तो, क्या आप करना चाहेंगी ? - हंस कर बोली - हाँ ममता दीदी की बायोपिक बने और यदि कोई मुझे अप्रोचः करे तो विचार किया जा सकता है। हंस कर बोली - जी कर सकती हूँ। #bollywood #Konkona Sen Sharma #interview #A Monsoon Date हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article