INTERVIEW: इंडस्ट्री में मेरे कोई खास दोस्त नहीं बने है - कृति सेनन By Mayapuri Desk 15 Aug 2017 | एडिट 15 Aug 2017 22:00 IST in इंटरव्यूज New Update Follow Us शेयर लिपिका वर्मा कृति सेनन ने मॉडलिंग से बॉलीवुड में अपना एक अस्तित्व बनाया है। पहले तेलुगु फिल्म के दिग्गज महेश बाबू के अपोजिट फिल्म, 'नेनोक्कडीने' में काम कर अपना परछम फहराया फिर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहली फिल्म, 'हीरोपंती' से अपना एक मुकाम बनाने में कामयाब हो पायी है। शाहरुख़ खान स्टारर फिल्म, 'दिलवाले' करने के बाद तो मानो कृति को ढेर सारी फिल्मों के ऑफर मिलने लगे है। अब जबकि कृति के पापा की मिठ्ठाई की दुकान है और उसे मिठाई खाना भी बहुत पसंद है, सो हम जल्द ही उन्हें अगली फिल्म,'बरैली की बर्फी' फिल्म में उनका जलवा देख पायेंगे - पेश है कृति सेनन से लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश आप इतनी सारी अंगूठिया क्यों पहनती है ? क्या सब सोने की ही है ? हंस कर बोली जी नहीं, यह सबकी सब बनावटी ही है। मुझे वैसे भी ज्वेलरी पहनने का बहुत शौक है। और अंगूठियों से बेहद प्रेम है। सो फिर वह आर्टिफिशियल हो या सोने की, बस सुंदर सा डिज़ाइन हो तो मैं उसे जरूर खरीद लेती हूँ। मुझे अपनी ऊँगली बिना अंगूठी के अच्छी नहीं लगती है। फिल्म, 'बरैली की बर्फी' टाइटल रखने की कोई खास वजह? एक नहीं ढेर सारी वजह है इस टाइटल को रखने में। सबसे पहले तो मेरे पापा की मिठाई की दुकान है। और दूसरी वजह - मुझे मिठाई खाना बहुत पसंद है। सो लड्डू नाम नहीं रख पाते। इसलिए बर्फी ही रख दिया है। क्या आपने ने जिस किताब से यह फिल्म बानी है, उस किताब को पढ़ा है ?भाषा पर काम करना पड़ा होगा आपको? जी नहीं, मैंने वह किताब नहीं पढ़ी है। और जहाँ तक मुझे मालूम है- किताब से फिल्म प्रेरित हुई है किन्तु स्क्रिप्ट में काफी सारा बदलाव भी किया गया है। मैं आपको बता दूँ, मुझे किताबें पढ़ने का बिल्कुल भी शौक नहीं है। पर हाँ मुझे फ़िल्में देखना पसंद है। थोड़ा सा यूपी का लहजा पकड़ा है। सो, उस पर काम किया है मैंने। कुछ ज्यादा फर्क नहीं है बोली में। अमूमन फ़िल्म इंडस्ट्री के लोगों को लगता है कि कृति बहुत ही सहज एवं जमीं से जुड़ा व्यक्तित्व रखती है. क्या कहना चाहेंगी आप? जी हाँ! यह बिकुल सही है। क्योंकि मैं एक मध्यवर्गीय परिवार से बिलोंग करती हूँ, तो हमारी परवरिश ही बहुत सिंपल सी हुई है। मै बहुत ही सिंपल सी लड़की हूँ। जब में पहली बारी निर्देशिका अश्विनी को मिलने आयी तो में कुछ समय से पहले ही पहुँच गयी थी। मैंने स्क्रिप्ट ली और ज़मीन पर बैठ, अपने बालों का जुड़ा सा बनाया और स्क्रिप्ट पढ़ने में लीन हो गयी। जैसे ही अश्विनी ने कमरे में प्रवेश किया मुझे ज़मीन पर विराजमान देख बोली-अरे क्या तुम ऐसी ही हो? मैंने तुम्हे अक्सर डिज़ाइनर कपड़ो में देखा है तो मेरे विचार तुम्हारे प्रति कुछ और ही थे। ' मैंने हंस कर कहा घर पर थोड़े ही न कोई डिज़ाइनर कपड़े पहनता है। और आज मुझे स्क्रिप्ट पढ़नी है कैमरा नहीं। घर पर कैसे रहना पसंद करती है आप? अब जबकि स्टार बन चुकी है,आपकी माताजी क्या कहती और सोचती है आप के बारे में ? कई मर्तबा तो मैं घर पर अपनी रज़ाई में ही पूरे पूरे दिन पड़े रहना पसंद करती हूँ। सच कहूँ तो उस दिन मुझे नहाने में भी बोरियत महसूस होती है। मेरी माताजी हमेशा यही बोलती है ,' तुम्हें एक्टर किसने बना दिया ? तुम तो बिल्कुल भी सजना सवरना पसंद ही नहीं करती हो? घर पर भला डिजाइनर कपड़े पहन और मेक उप लगा कर भला मुझे आरामदायक लगेगा? नहीं न सो मैं बस सिंपल तरीके से ही घर में रहती हूँ। मेरी मातजी तो मुझे ,'झल्ली ' कहती है । मैं दिल से भी बहुत ही सिंपल हूँ? दिल से सिंपल है तो आपको कई बारी लोग बेवकूफ भी बन दिया करते होंगे? जी नहीं। मैं दिल्ली से आती हूँ तो मुझे सबके साथ सही तरीके से व्यव्हार करना आता है। हमलोग दिल्ली की लड़कियां है तो स्मार्ट तो होंगी ही ? और अब इतना अनुभव हो गया है कि-शक्ल से भी थोड़ा बहुत हर व्यक्ति के बारे में अनुमान लगा ही सकती हूँ। हालांकि मेरी माताजी आज भी मुझे अनुभव हीन ही समझती है। किन्तु सच्चाई तो यह है कि- मैने - दुनियादारी कुछ हद तक सीख ही ली है। प्रैक्टिकल नॉलेज बहुत अनिवार्य होती है आप इससे बहुत कुछ सीख लेते है। मै खुशनसीब हूँ कि- मैंने इतने थोड़े समय में बहुत कुछ सीख लिया है। अनुभव से हर इंसान परिपक्व हो ही जाता है। स्टार बनने के बाद आपके दोस्तों में क्या फर्क महसूस करती है और आपके अंदर क्या बदलाव आया है? मेरे नजदीकी दोस्त वैसे ही मुझे देखते है। हाँ कुछ दूर के दोस्तों को अजूबा सा लगता है। किन्तु यह हमारा काम है मैं यही समझती हूँ की हर प्रोफेशन की तरह है भी इसे भी ट्रीट किया जाये। बहरहाल मुझमें कोई फर्क नहीं आया है। और घरवाले भी मुझे वही पुरानी कृति की तरह ही बर्ताब करते है। इंडस्ट्री में मेरे कोई खास दोस्त नहीं बने है। फ़िल्म के हिट या फ्लॉप होने से एक्टर्स को फर्क पड़ता है क्या? मुझे बखूबी इस बात का ज्ञान है कि- न केवल इंडस्ट्री के लोगों का अपितु आम पब्लिक के भी अलग अलग विचारधारा होती है। मुझे यह महसूस होता है की हम एक्टर्स को मोटी चमड़ी का हो जाना चाहिए। क्योंकि हर नकारात्मक चीज़ पर हम रियेक्ट करेंगे तो काम पर फर्क पड़ेगा। इस लिए मैं चुप रहकर अपना काम ही करती हूँ। और यह भी सच है कि-जब किसी एक्टर की फिल्म फ्लॉप या हिट होती है तो उसको काम मिलने में थोड़ा फर्क महसूस करना पड़ता है। बस यही कहना चाहूंगी -हर फिल्म अच्छी चले। किन्तु किन्ही कारणवश यदि कोई फिल्म अच्छी नहीं चलती है तो एक्टर के टैलेंट से उसे काम मिलना चाहिए। हम सब अभिनेता अपना काम ईमानदारी से ही करते है। फिल्म के हिट और फ्लॉप होने की वजह से फिल्मकारों की अनुभूति हमारे प्रति बदलना बंद हो जाये तो अच्छा होगा। आप की आने वाली फिल्मों के बारे में कुछ बतलायें? बस मेरी अगली फिल्म के बारे में निर्माता द्वारा केवल एक सप्ताह में घोषणा होने वाली है। फ़िलहाल में इस बारे में कुछ भी नहीं नहीं बोल सकती हूँ ..टाइटल क्या है ? इस बारे में भी नहीं बोल पाऊँगी.सो मेरी जुबान न खुलवाए मैडम जी। ...मैं कुछ नहीं बोल पाऊँगी। #Kriti Sanon #interview #Bareilly ki Barfi हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article