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लिपिका वर्मा
कृति सेनन अपने आप को फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा जरूर मानती है। उन्होंने अपना एक मुकाम जरूर बना लिया है। लेकिन फिल्म की सफलता और फ्लॉप आज इंडस्ट्री में टिके रहने के लिए बहुत मायने रखती है ऐसा कृति का मानना है। कृति फ़िलहाल अपनी रिलीज़ को तैयार फिल्म ’लुका छुपी’ के प्रोमोशन्स में जुटी है। फिल्म ‘लुका छुपी’ लिव इन रिलेशनशिप को दर्शाती है।
पेश है कृति सेनन के साथ लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश :
आपकी आगामी फिल्म ‘लुका छुपी’ लिव इन रिलेशनशिप को दर्शाती है। आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगी ?
- यदि आप यह जानना चाहते हो कि मैं लिव इन में या शादी में विश्वास करती हूँ? तो मैं यही कहना चाहूंगी कि मैं शादी में विश्वास करती हूँ। वैसे, यह हर एक की इच्छा पर निर्भर होता है। यदि आप लिव इन में रहना चाहते हैं तो लोग बहुत जजमेंटल हो जाते हैं।
लिव इन के क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं ?
- कभी कभी हम यह तय नहीं कर पाते हैं कि हम जिस से प्यार करते हैं उससे शादी भी करना चाहते है। और यदि शादी की सोचते हैं तो लिव इन से - यह पता चल जाता है कि क्या वह साथ रहने लायक है या नहीं। उसकी बुरी आदते हमें पता चल जाती है। जैसे यदि वह खुंर्राटे लेता है तो वह भी हमें पता चल जाता है। दिन भर साथ रहने से यह सब नहीं मालूम होता है। वह गुस्सैल है या नहीं। और शादी के बाद वो कितना जिम्मेदार होगा ? और भी अच्छी बुरी आदतों के बारे में हमें जानकारी हो जाती है। लिव इन में प्रतिबद्धता कम हो जाती है। शादी के बाद ऐसा नहीं होता है। हमें यदि ब्रेकअप करना हो तो काफी दफा सोचना पड़ता है। लिव इन में रहने में ...कोई गलत नहीं है।
आप बॉलीवुड इंडस्ट्री की नहीं है। बाहर की है - क्या कहना चाहेंगी इस बारे में ?
- वैसे तो मुझे लगता है अब मैं इस फिल्मी दुनिया का हिस्सा हूँ किन्तु कभी कभी मुझे पार्टी वग़ैरा में अजीब सा महसूस होता है। ऐसी स्थिति में क्या करूँ? बस अपने फ़ोन पर कुछ न कुछ करने लगती और यह दर्शाती हूँ कि मैं बहुत व्यस्त हूँ। कुछ बाधाओं को तोड़ना भी बाकी लगता है।
कुछ रुक कर कृति कहती है ,“ वैसे आज तक का मेरा फ़िल्मी सफर अच्छा ही रहा है। किन्तु क्योंकि आप फ़िल्मी बैकग्राउंड से नहीं बिलॉन्ग करते हैं तो मुझे ऐसा लगता है कि आज भी कोई ऐसा निर्देशक आएगा और मेरे अभिनय को बेहतर ढंग से पर्दे पर दिखायेगा। आप को यह भी बता दूँ यदि आपकी फ़िल्में हिट होती है तो लोग आप तक पहुँचने की कोशिश भी करते हैं। लेकिन यदि आपकी फ़िल्में फ्लॉप हो तो -मुँह पर अच्छा व्यवहार करेंगे किंन्तु आप से दूरी बनाये रखेंगे।
फ़िल्मी दुनिया में पेमेंट और अन्य किन चीज़ों में फर्क महसूस करती है आप?
- पेमेंट में तो काफी फर्क देखता हूं। किन्तु जब हमें गाड़ी दी जाती है तब भी दिखाई देता है। वैसे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है। किन्तु मन में यह बात लगती है। क्यों मर्द और औरत में यह फर्क किया जाता है। मैंने कभी लिंग का भेद भाव महसूस नहीं किया है।
अच्छी बात क्या हुई है फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं को लेकर?
- फ़िल्मी दुनिया में बदलाव देखने को मिल रहा है। लगातार महिलाओं पर स्क्रिप्ट लिखी जा रही है। हमारी ऑडियंस भी उन पर बनी फिल्मों को पसंद कर रही है। यह भी एक अच्छा बदलाव है। बस अभिनेत्रियों को भी अपने काम का पैसा अभिनेताओं के बराबर ही मिलना शुरु हो जाये तो अच्छी बात होगी।
महिला दिवस आ रहा है क्या कहना चाहेगी आप?
- मैं महिला दिवस को नहीं मनाती महिला दिवस है तो मर्दों के लिए दिवस क्यों नहीं है? जहाँ तक महिला सशक्तिकरण की बात आती है तो यह आपकी सोच से जुड़ी होती है। लड़का लड़की समानांतर होते है तो लड़के को क्यों रात देर तक आने की इजाजत दी जाती है ? और लड़कियों को क्यों रात 8 बजे वापस घर पहुँचने की हिदायत दी जाती है ? यदि लड़कों को भी सही समय घर आने की हिदायत दी जाये तो रोड्स सेफ हो जायेंगे। हमें यह नहीं भूलना है की हर आदमी के पीछे एक औरत का ही हाथ होता है।