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आप कितने ही बेहतरीन आर्टिस्ट क्यों न हो,बावजूद इसके आप अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाते, जब तक आपकी किस्मत आपका साथ न दे। मंजरी फड़नीस एक ऐसी ही अभिनेत्री है जो अभी तक करीब एक दर्जन फिल्में कर चुकी है जैसे जाने तू....या जाने ना, 'जीना इसी का नाम है', 'किस किस को प्यार करूं', 'ग्रैंड मस्ती' तथा 'वॉर्निंग' इत्यादि। इसके अलावा उसने तमिल, तेलगू, मलयालम और बंगाली भाषा की फिल्में भी की हैं लेकिन अभी तक वो दर्शकों तक अपनी पहुंच नहीं बना पा रही है यानि उसे अभी तक वो सफलता हासिल नहीं हो पा रही है जो कलाकार की उम्र बढ़ाती है। मंजरी से हाल ही में फिल्म ‘निर्दोश’ के ट्रेलर लॉन्च पर हुई बातचीत का सार कुछ इस प्रकार रहा।
मौजूदा फिल्म ‘निर्दोश’ के बारे में क्या बताना चाहेंगी ?
ये एक थ्रिलर सस्पेंस मर्डर मिस्ट्री फिल्म है। इसकी स्क्रिप्ट बहुत अच्छी थी। इसके अलावा मेरा किरदार बहुत दिलचस्प था, उसमें काफी कुछ दिखाने का स्कोप था, फुल डीग्लेम था। मैने पूरी फिल्म में मेकअप तक नहीं किया, इसलिये न तो मेकअप का स्ट्रैस था और न ही किसी और बात की टेंशन थी।
डायरेक्टर का कहना है कि फिल्म में आपके रोने धोने के सीन्स ज्यादा थे इसलिये आप उन्हें लेकर हमेशा टेंस रहती थी ?
शायद इसीलिये डायरेक्टर ने पहले वो सारे सीन्स शूट कर लिये, जिनमें रोना धोना और टेंशन थी। उसके बाद के शूट में तो मैं इतनी चिल्डआउट थी कि सारे दृश्य शूट करते हुये बहुत एंजॉय कर रही थी।
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फिल्म को इंडिया की पहली सस्पेक्ट फिल्म कहा जा रहा हैं, क्यों ?
दरअसल फिल्म में सात किरदार, जैसे मैं, मुकुल देव, अरबाज़ खान, महक चहल, अस्मित पटेल तथा दो अन्य किरदार हें और सभी मर्डर के सस्पेक्ट हैं।
इतना काम करने के बाद भी आप अपने सही मकाम तक नहीं पहुंच पा रही हैं ?
इसके बहुत सारे रीजंस हो सकते हैं। मैं इन्डस्ट्री में बहुत कम उम्र में आ गई थी, उस वक्त मुझे कुछ नहीं पता था कि किस प्रकार के क्लोथ यूज करने चाहिये, कैसे मेकअप होना चाहिये। दूसरे यहां मैं किसी को नहीं जानती थी। मैं जब अपना पहला ऑडिशन देने गई थी तो वहां मुझे कहा गया कि जाओ पहले अपना फेस अच्छी तरह से धो कर आओ। दरअसल उन दिनों मुझे मेकअप करने तक की फुर्सत नहीं थी, यहां तक मुझे बाल बनाने तक नहीं आते थे, मैं हर जगह झल्ली की तरह चली जाती थी। बाद में काम करते करते बॉलीवुड के बारे में जानने लगी। खैर मेरा मानना है कि हर किसी का एक वक्त होता है शायद मेरा वक्त अभी तक नहीं आया है लेकिन शुक्र है ईश्वर का, कि मुझे काम लगातार मिल रहा है।
क्या आपको पहले से ही एक्टर बनना था ?
ऐसा भी नहीं है। मेरे मुबंई आने के बाद, एक दिन मैने सोचा कि मैं क्यों एक्टर बनना चाहती हूं, तो मुझे जवाब मिला क्योंकि मुझे ये लाइन बहुत पंसद है। इसकी एक और वजह ये भी थी कि चाहे एक्टिंग हो, सिंगिगं हो या फिर डासं हो, मुझे ये सब करने में बहुत मजा आता है। बाद में इसे प्रोफेशन बना लिया। मैं यहां आकर खुश हूं क्योंकि मुझे मनी फेम और काम, सब कुछ मिल रहा है।
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बदलते माहौल में आप किस तरह की फिल्में करना चाहती हैं ?
जैसा कि मैने बताया कि मैं पहले काफी छोटी और नासमझ थी लेकिन समय और बदलते माहौल ने मुझे भी समझदार बना दिया। इस बीच मैने जो भी प्रोजेक्ट्स पिकअप किये, उनमें मैने इसि्ंटग्सं पर ज्यादा ध्यान दिया। मुझे लोग अच्छे मिले और लोग तो मुझे हमेशा ही अच्छे मिले। उनके अलावा मैं स्क्रिप्ट पर सबसे ज्यादा ध्यान देती हूं। कोई स्क्रिप्ट मुझे एक्साइट करती हैं मैं वो फिल्म कर लेती हूं। मेरी पहली फिल्म ‘ जीना इसी का नाम है’ बेशक ज्यादा नहीं चल पाई लेकिन उसमें मुझे काम करने का पूरा संतोश मिला। वो एक लड़की की सोलह साल से चालीस साल तक की जर्नी थी जिसे करके मुझे क्रियेटिवली सेटिस्फिकेशन मिला। इसके अलावा अनुभव सिन्हा की फिल्म ‘ वॉर्निंग’ थी जो अंडर वाटर थ्रिलर थी, लेकिन जिसे अच्छा प्रमोशन नही मिल पाया। फिर भी मैं उसके बारे में आज भी बात करती हूं।
आज एक एक्टर के काम करने का दायरा बढ़ चुका है। आपका इस बारे में क्या सोचना है ?
आप अगर रीजनल फिल्मों की बात कर रहे हैं तो मैने अभी तक तेलुगू, तमिल, कन्नड, मलयालम, तथा बंगाली आदि ढेर सारी भाषाओं की फिल्मों में काम कर चुकी हूं। इसके अलावा इन दिनों वेबसीरीज का काफी बोलबाला है, अगर मुझे वहां से कोई अच्छा ऑफर मिलता है तो वहां भी मैं जरूर काम करना चाहूंगी तथा हाल ही में मैने थियेटर में भी डेब्यु किया है। ये दो किरदारों को लेकर नब्बे मिनिट का इंगलिश प्ले है। इन दिनों इसकी रिहर्सल चल रही है। जिसके तहत मैं एक नये अनुभव से गुजर रही हूं।
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हाल ही में जायरा वसीम के साथ प्लेन में जो छेड़ छाड़ हुई, उसे लेकर आपका क्या कहना है ?
ये बहुत गलत हो रहा है। दरअसल लड़कियां डर जाती हें कि अगर इसके साथ मैने कुछ किया तो ये आगे चलकर बदला वगैरह कुछ कर सकता है। आज पता नहीं क्यों हमारे देश में रेप या मॉलेस्टेशन की वारदातें बढ़ती जा रही हैं। इस बारे में सरकार के अलावा हमें भी सोचना होगा ।
अगर आपके साथ ऐसा कुछ जाये तो ...?
अगर मैं अपनी बात करूं तो मैं अपने आपको पूरी तरह सिक्यौर समझती हूं। अगर मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत करने की कोशिश करता है तो मैं चुप न बैठते हुये उसकी आंखों से आंख मिलाते हुये जौर जौर से बोलना शुरू कर दूंगी, जिससे दूसरे लोग भी जान पाये कि फंला आदमी क्या कर रहा है।
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