- सुलेना मजुमदार अरोरा
बॉलीवुड के युवा नवोदित कलाकारों में इन दिनों हैंडसम और बेहतरीन एक्टर अध्ययन सुमन की बहुत चर्चा हो रही है, खासकर उनकी नवीनतम ’आश्रम’ वेब सीरीज़ की भूरी-भूरी तारीफ होने से अब बॉलीवुड और डिजिटल दुनिया पलट कर इस युवा एक्टर पर ध्यान देने लगे हैं।
पिछले दिनों अध्ययन सुमन से मायापुरी के लिए खास बातचीत में उन्होंने अपने दिल की बात बताई, पेश है उनसे उस मुलाकात के मुख्य अंश।
अध्ययन आप कैसे हैं, सुना है कि आपकी तबीयत कुछ नासाज है?
- अब मैं बिल्कुल फाइन हूँ। आज के समय में जरा सी छींक भी आ जाती है तो डर लगता है कि क्या बात है। थोड़ी व्यस्तता ज्यादा बढ़ गई थी तो जरा डल फील कर रहा था। रेस्ट लिया तो अब बिल्कुल ठीक हूँ।
तो आप कब वापस शूटिंग पर लौट रहे हैं?
- बस, मेरा काम फिर से शुरू होने वाला है। कई प्रोजेक्ट्स, सीरीज और फिल्मों की शूटिंग शुरू होने को तैयार है। मैं गियर्ड अप हो चुका हूं।
आपकी नवीनतम वेब सीरीज़ ’आश्रम’ की खूब चर्चा हो रही है। पहले लोगों ने सोचा था कि यह कोई कंट्रोवर्शियल शो होगा लेकिन अब लोग इसे देखकर आश्चर्य चकित है, आपको हर तरफ से प्रशंसा मिल रही है, इस बारे में आप क्या कहते हैं?
- जी हां मैं ’आश्रम’ की पॉजिटिव चर्चा और तारीफ देख सुनकर बहुत अभिभूत हूं। मुझे हर तरफ से लाखों की संख्या में प्रशंसा मिल रही है। मैंने इस फिल्म में टिंका सिंह की भूमिका की है। मैं बहुत गर्व महसूस कर रहा हूं कि प्रकाश झा जैसे बॉलीवुड के टॉप मोस्ट फ़िल्म मेकर ने टिंका की भूमिका के लिए मुझे चुना। पिछले 12 वर्षों से मैं फिल्म इंडस्ट्री में कुछ ना कुछ काम किए जा रहा हूं, लेकिन पहचान अब मिल रही है। मैं अपने को खुश किस्मत और शुक्रगुजार महसूस कर रहा हूं कि प्रकाश झा जी जैसे दिग्गज फिल्म मेकर ने उस वक्त मेरा हाथ थामा जब मुझे कहीं से कोई सपोर्ट नहीं मिल रहा था।
प्रकाश झा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
- एक शब्द में कहूँ तो लाजवाब, प्रकाश झा जैसे महान दिग्गज फ़िल्म मेकर के साथ काम करना बॉलीवुड के हर कलाकार का सपना होता है। मेरा भी सपना था। जब मैं न्यूयॉर्क से अभिनय प्रशिक्षण करके लौटा तो मेरी पहली नौकरी प्रकाश झा ने ही अपने प्रोडक्शन में दिया था। उन्होंने मुझे अपनी फिल्म का सेकेंड असिस्टेंट डायरेक्टर बनाया था। आज उनकी ही फिल्म में मैं काम कर रहा हूं । यह एक सपना पूरा होने जैसा अनुभव है। एकदम सर्रीअल। प्रकाश जी जैसे फिल्म मेकर बहुत कम होते हैं, उनकी प्रत्येक फ़िल्म मनोरंजक होने के साथ साथ ज्वलंत विषयों पर होता है जिसे देखकर दर्शक बहुत कुछ सोचने पर मजबूर हो जाते हैं। उनकी हर फिल्म यादगार है, उदाहरण के लिए ’आरक्षण’, ’गंगाजल’। जब इतना बड़े फिल्म मेकर आपको एक्शन कट कहते हैं तो वो एक्सपीरियंस एकदम अनोखा और कभी ना भूलने वाला होता है। प्रकाश झा सर के सेट पर एक अलग ही माहौल होता है। वहाँ हम सबको एक समान ट्रीट किया जाता हैं। कोई छोटा या बड़ा नहीं होता। प्रकाश जी का एनर्जी लेवल देख कर हम सब दंग रह जाते थे। वे सुबह से शाम तक लगातार काम करते रहते हैं। 65 वर्ष के होने के बावजूद वे एनर्जी लेवल में हम सबको पीछे छोड़ते दिखाई देते हैं। 2000 लोगों के क्राउड को मैनेज करना कोई हंसी खेल का काम नहीं है। उनकी एनर्जी लेवल वाकई देखने लायक है।
’आश्रम ’ में आप अपनी भूमिका टिंका सिंह के बारे में थोड़ा बताईये?
- जब प्रकाश जी ने मुझे टिंका सिंह के कैरेक्टर के बारे में समझाया तो मेरी उत्सुकता और उत्साह उस कैरेक्टर के प्रति जबरदस्त बढ़ गई। उन्होंने बताया कि टिंका का चरित्र बहुत अजीब है, वो एक जुनूनी टाइप का आदमी है, बेहतरीन रॉक स्टार है लेकिन है थोड़ा सा पागल जैसा। दरअसल हर कलाकार के अंदर एक पागल या कहिए सनकी का हल्का स्ट्रीक रहता ही है। टिंका भी वैसा ही है, वो अजीब गौडी (भड़कीला) कपड़े पहनता है, अजब सनक सवार रहती है उस पर हर वक्त, अपने को सबसे बड़ा रॉक स्टार मानता है। अपने आगे वह किसी को नहीं मानता है, अपने को खुदा समझने लगता है। ऐसे में जब उसे एक बाबाजी के सामने परफॉर्म करने को कहा जाता है तो वह बिल्कुल नहीं मानता। उसे लगता है कि वह इतना बड़ा रॉकस्टार है और एक बाबा की सामने क्यों परफॉर्म करेगा? वो कहता है कि वह इन ढोंगी बाबाओं के सामने परफॉर्म नहीं करेगा। वह ढोंगी बाबाओं को लात मारकर भगाने की बात करता है। टिंका एक गुस्से वाला, घमंडी मूडी कलाकार तो है लेकिन उसके दिल में एक प्यारा सा बचपना भी है जो सबको अच्छा लगता है। टिंका के कैरेक्टर पर मैंने वाकई खूब मेहनत की और मेरी मेहनत रंग लाई।
हकीकत के जीवन में क्या आपका किसी बाबा जी के साथ सामना या कोई अनुभव हुआ?
- हाँ, हुआ। दरअसल बॉलीवुड इंडस्ट्री या शायद हर इंडस्ट्री में इनसिक्योरिटी बहुत होती है और जब कोई इंसेक्युर्ड महसूस करता है तो कई लोग बाबाओं से सम्पर्क करते ही रहते हैं। मेरा भी जब वक्त ठीक नहीं चल रहा था तो मैं भी पंडित जी, बाबा जी से मिलकर अपनी परेशानी बताता था और पूछता था कि मेरी कुंडली की गणित क्यों नहीं मिल रही है। तो बाबाओं को लेकर मेरा मिला जुला अनुभव था। यानी अच्छे भी और बुरे भी। पहले मैं बुरे अनुभव शेयर करता हूँ। मैं एक ऐसे सेल्फ प्रोक्लेम्ड बाबा के पास गया जो अपने आपको भगवान से कम नहीं समझता था। उसने मुझे अहमदाबाद बुलाया पूजा हवन के लिए। मैं जब वहां पहुंचा तो रात दो बजे घनघोर अंधेरे में, जंगल के बीचोबीच तरह तरह की पूजा विधि की गई। मुझे वो सब देखकर बहुत अजीब लग रहा था, डर भी लग रहा था। बाबा ने तरह तरह के चमत्कार भी दिखाए, पानी में आग लगाकर दिखाई। मैं बहुत इम्प्रेस्ड हो गया। फिर बाबा ने एक लॉकेट मेरे सर के चारों ओर घुमा कर पहनने को कहा और बताया कि जा बेटा अब तेरे गृह ठीक हो गए हैं और सारी बाधाएं दूर हो गई। जीवन में खूब तरक्की करेगा, अब कभी पीछे मुड़कर नहीं देखेगा।
तो क्या आपकी किस्मत बदली?
- नहीं, बल्कि आगे छह साल तक मुझे कोई काम ही नहीं मिला। लेकिन जो मेरा अगला अनुभव हुआ वो किसी मिरेकल से कम नहीं था। उन दिनों मैं बहुत डरा हुआ था कि मेरा करियर आगे कैसे बढ़ेगा, ’आश्रम’ चलेगी या नहीं चलेगी, दर्शक इसे देखेंगे या नहीं। तभी एक दिन मेरे डैडी (सुप्रसिद्ध एक्टर शेखर सुमन) ने फोन पर मुझे बताया कि श्री श्री रविशंकर जी मुझसे बात करने वाले हैं। मैं तो आश्चर्य में पड़ गया, पाँच मिनट तक तो विश्वास ही नहीं हुआ कि इतने महान बाबाजी मुझसे बात करेंगे? उनका उठना बैठना तो बहुत बड़े बड़े लोगों से, बड़े बड़े सेलिब्रिटी से होता है। मुझसे कैसे बात करेंगे? लेकिन वाकई एक घन्टे के बाद उनका फोन आया। मैनें उन्हें बताया कि मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि मैं विश्व प्रसिद्ध, महान बाबाजी श्री श्री रविशंकरजी से बात कर रहा हूं, उन्होंने मुझे पॉइंट टू पॉइंट मेरे दिल की हर बात बताई। मेरे अंदर का डर, मन का अपसेट रहना, दुविधा, सब कुछ इस तरह बताया जैसे उन्होंने मेरे दिल की बात पढ़ ली हो। उन्होंने मुझे कहा कि किसी बात से डरने की जरूरत नहीं। मन से डर निकाल दूँ। वर्ष 2021 में मेरे लिए अच्छा वर्ष होगा। उन्होंने कहा कि उनके शिष्य मुझे कुछ क्रियाएँ सिखाएंगे और मुझे वो क्रियाएँ करते रहना है और मेहनत भी करते रहना है। और वाकई सही वक्त पर मेरे अच्छे दिन शुरू हो गए। मेरा शो ’आश्रम’ सबको बहुत पसंद आ रहा है, सब मेरे शो की , मेरी भूमिका की चर्चा कर रहें हैं, मुझे महसूस हो रहा है जैसे मेरे भाग्य का दरवाजा खुलने लगा है। मैं अब असली बाबा और ढोंगी बाबा के बीच का फर्क पहचान चुका हूं। कोई इंसान भगवान नहीं हो सकता है। भगवान सिर्फ एक है जो दिखाई नहीं देता है। भगवान मन में होता है, दिल में होता है। पूजा अर्चना एनर्जी जरूर पैदा करती है लेकिन कोई मैजिक नहीं हो सकता है। ’आश्रम’ में भी यही बताया गया है कि विश्वास और अंधविश्वास में क्या फर्क है, और मेहनत तो करना ही होता है, इसके बिना कोई जादू नहीं है। प्रकाश जी ने बहुत खूबसूरती के साथ अपने शो में ये बात बताई।
’आश्रम’ के सेट पर आपका सबके साथ कैसा रिश्ता रहा? बॉबी देओल, दर्शन कुमार, चन्दन रॉय सन्याल के साथ?
- मैंने बताया न कि प्रकाश झा सर के सेट पर एकदम फैमिली वाला वातावरण रहता है, वहां सबको एक जैसा ट्रीटमेंट मिलता है। कोई वहां छोटा बड़ा नहीं होता। सेट पर बॉबी सर, दर्शन, चन्दन सब मेरे बड़े भाई जैसे थे, हम लोग खूब मस्ती करते, एक दूसरे से दिल की बातें करते रहे। वाकई सेट पर बहुत आनंद आया। इनके साथ हमारा एक आश्रम ग्रुप भी बना है जिसमें हम वीडियो कॉल के जरिए अक्सर बातें करते रहते हैं और वह बातें बहुत पॉजिटिव होती है। आज के समय में जब चारों ओर नेगेटिविटी तारी है, सभी लोग नकारात्मक भावना से घिरे है, सभी तरफ से नेगेटिव खबरें आती है, नेगेटिव बातें होती है, ऐसे में हमारे ग्रुप में हम सब बहुत ही पोजिटिव बातें शेयर करते है। हम सब एक दूसरे को बताते हैं कि आज हमने क्या किया, किसको कौन सा नया असाइनमेंट मिला, आगे कब शूटिंग होने वाली है, वगैरा। आश्रम ग्रुप के साथ मेरा रिश्ता बहुत ही अच्छा है।
आश्रम पार्ट वन की अपार सफलता के बाद अब दर्शक बेसब्री से पार्ट 2 का इंतजार कर रहे हैं। क्या आप अपने फैन्स को बताएंगे कि ‘आश्रम पार्ट 2’ कब आने वाला है?
- मैं यह जरूर कह सकता हूं कि बहुत जल्द ’आश्रम पार्ट 2’ आने वाले वाला है, शायद अक्टूबर के आसपास। लेकिन मैं कोई घोषणा नहीं कर सकता, यह बातें कॉन्फिडेंशियल होती है, इसलिए इस बारे में ज्यादा कुछ कह नहीं सकता हूं। मैं खुद बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं कि कब पार्ट 2 की घोषणा हो, लेकिन मैं अपने फैन्स को यह खुशखबरी जरूर देना चाहता हूं कि जल्द ही आश्रम का सिर्फ पार्ट 2 ही नहीं बल्कि सीजन 2 भी शुरू होने वाला है। मैं बहुत खुश हूं और बहुत एक्साइटेड हूं। शायद अगले साल की शुरुआत में सीजन 2 की शूटिंग शुरू हो जाए। डेट वगैरह तय हो रहा है।
आपकी जिंदगी में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आए हैं, क्या आप अपने प्रशंसकों से अपने जिंदगी के अप्स एंड डाउन्स के बारे में कुछ शेयर करना चाहेंगे? आपको किस चीज़ ने दिलासा दिया?
- जिंदगी खुद जिंदगी को हिम्मत और दिलासा देती रहती है। मैंने महसूस किया की जिंदगी बहुत खूबसूरत है इसे यूं ही जाया नहीं होने देना चाहिए।मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरा जन्म और मेरी परवरिश एक बहुत अच्छे परिवार तथा खानदान में हुआ है। मेरे माता-पिता बहुत अच्छे हैं। उन्होंने मुझे बहुत अच्छे संस्कार दिए। लोग कहते हैं कि मैं सोने का चम्मच मुंह में लेकर पैदा हुआ हूं और इसके लिए मैं शुक्रगुजार हूं ईश्वर का। लेकिन बहुत से लोगों को ऐसी किस्मत नहीं मिलती है, फिर भी उनके होठों पर हंसी कायम रहती है। जिंदगी की राह में परिस्थिति कोई भी हो, अच्छे लोग भी मिलते हैं और बुरे लोग भी मिलते हैं। आपको अपने जीवन से नाराजगी भी होगी, गुस्सा भी आएगा, लेकिन अपना धीरज बनाए रखिए, हिम्मत रखिए और खूब मेहनत कीजिए। घर पर बैठे-बैठे किस्मत बदलने का इंतजार मत कीजिए, आप को हाथ पाँव मारना ही पड़ेगा और धीरज रखना ही पड़ेगा। हम सबको आशावादी बनना ही होगा। अभी देखिए कोरोना काल में सब आशावादी ही तो है कि कभी न कभी वैक्सीन आएगा और जिंदगी पहले की तरह सही हो जाएगी इसकी आशा है। हमें डिप्रेशन और एंजाइटी भी हो सकता है। मुझे भी हुआ था, लेकिन अपने को किसी भी हाल में, हर हाल में इन सबसे बाहर निकालना ही पड़ेगा। आपको अपने माता-पिता और चंद अच्छे दोस्तों के साथ बातचीत करते रहना चाहिए, उनके करीब रहना चाहिए, उनकी मदद लेते रहना चाहिए, उन्हें हर बात बताते रहना चाहिए, हर चीज शेयर करना चाहिए। आपको यह नहीं लगना चाहिए कि मैं अपने दोस्तों से कुछ बताऊंगा तो वो लोग क्या सोचेंगे। मैं जानता हूं जिंदगी में अच्छे दोस्त कम मिलते हैं पर जो चन्द दोस्त मिलते हैं उनके साथ आप अपना हर बात शेयर कीजिए। आप अपने पर भरोसा रखें अपने टैलेंट पर भरोसा रखिए मेहनत पर भरोसा रखिए। अगर आप से आगे कोई बढ़ भी जाता है तो भी हताश मत होइए। मेरी जिंदगी में मैं इन्हीं सब उतार-चढ़ाव से गुजरा हूं। लेकिन मेरे माता पिता और अच्छे दोस्तों की वजह से मैं इस से बाहर आ चुका हूं। मैं हर इंसान से कहता हूं कि मेंटल हेल्थ सबसे ज्यादा जरूरी है। हम सबको मेडिटेशन की जरूरत है, दिमाग को ठंडा रखने की जरूरत है। हमारी आज की पीढ़ी का दिमाग बिखरा सा है। हमें अपना आपा कभी नहीं खोना चाहिए और हिम्मत बनाकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।
बॉलीवुड में इन दिनों जो शोर मचा हुआ है, जो झगड़े का और गुटों के माहौल बन गया है, चारों ओर क्योस है, उस बारे में आप क्या कहना चाहते हैं?
- मुझे यह कहना है की आज जो माहौल है उसमें बहुत से लोग अपने फायदे के लिए कई इश्यूज को लेकर शोर मचा रहे हैं। यह सही है कि जो ड्रग्स का इशू निकला है उस पर गंभीरता से खोजबीन की जानी चाहिए। यह हो सकता है कि इंडस्ट्री में कई लोग ड्रग्स के शिकार हैं लेकिन यह कहना बहुत गलत है कि पूरी इंडस्ट्री ड्रग में डूबी हुई है। मेरा यही कहना है कि जो लोग फिल्म इंडस्ट्री में या किसी भी इंडस्ट्री में रहकर ड्रग्स ले-बेच कर रहे हैं, उनकी गंभीरता से धरपकड़ होनी चाहिए और उन्हें जेल के पीछे होना चाहिए। जो ड्रग मूवमेंट चल रहा है यह बहुत अच्छा है क्योंकि यह जानना जरूरी है कि कहां ड्रग्स का लेनदेन होता है। लेकिन हमारी फिल्म इंडस्ट्री ने एक बहुत ही अच्छे कलाकार सुशांत सिंह राजपूत को खो दिया है और हम सब तथा उनके फैन्स जानना चाहते हैं कि उनके साथ क्या हुआ था? लेकिन अब इस टॉपिक से लोग भटक रहे हैं और दूसरे-दूसरे टॉपिक पर बात आ रही है। हम सब लोग सब कुछ देख रहे हैं। अपनी आवाज भी उठा रहे हैं लेकिन इससे ज्यादा हम क्या कर सकते हैं। हम सब लोग जानना चाहते हैं कि उनके साथ क्या हुआ? इस मुद्दे को छोड़ना नहीं चाहिए। आज फिल्म इंडस्ट्री में जो कीचड़ उछाला जा रहा है, जो टॉक्सिक माहौल फैल रहा है उन सब पर कंट्रोल होना चाहिए। वैसे भी चारों तरफ नेगेटिविटी और कॉन्फिडेंस की कमी बिखरी हुई है। दुनिया में कंपैशन रह ही नहीं गया है। कोई कुछ भी कह रहा है कोई कुछ भी कर रहा है अपने फायदे के लिए। लेकिन हमें हमारा दिमाग सही मुद्दों से हटने नहीं देना चाहिए। सही सोच और सही राह पर चलना चाहिए हमें मेडिटेशन करते रहना चाहिए।
आप एक बहुत अच्छे गायक भी हैं और आपके गाये गीत और म्यूजिक की बहुत चर्चा है। आपने सुशांत सिंह राजपूत को अपने वीडियो सॉन्ग ’जब तक’ द्वारा म्यूजिकल ट्रिब्यूट दिया है इस बारे में आप अपने फैंस को कुछ बताइए?
- हम इंडस्ट्री और इंडस्ट्री से बाहर के लोग सुशांत सिंह राजपूत से बहुत प्यार करते हैं, उनके निधन के बाद जब कुछ लोग उनके बारे में गंदी गंदी बातें करते हैं, उनके मेंटल हेल्थ और चरित्र पर सवाल उठा रहे हैं , वे क्या करते थे, क्या नहीं करते थे इस बारे में सब उल्टा सीधा चर्चा कर रहे हैं तो यह सुनकर उनके फैंस और हम सब को बहुत दुख होता है । लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि सुशांत सिंह राजपूत एक बहुत ही उम्दा एक्टर थे, उनका बॉडी ऑफ़ वर्क बहुत अच्छा था। बेहद ज़हीन और टैलेंटेड इंसान थे, उन्होंने कई बेहतरीन फिल्में की थी। मैंने सोचा कि लोगों को एक बार फिर याद दिला दिया जाए सुशांत सिंह राजपूत के बेहतरीन व्यक्तित्व और उनके टॉप करियर में होने वाली अच्छी-अच्छी बातों के बारे में। मैंने वह गीत उनके अपनों के लिए, दोस्तों के लिए और उनके फैंस के लिए बनाई है। अपने दिल के सुकून के लिए बनाया है। इसके पीछे मेरा कोई एजेंडा नहीं था। मुझे कुछ भी नहीं चाहिए था। लेकिन बहुत से लोग जो टॉक्सिक मेंटल रखते हैं उनको लगता है कि इसके पीछे भी मेरी कोई ना कोई उद्देश्य है। मैं सिर्फ इतना चाहता था कि सुशांत को अच्छे तरीके से याद रखा जाए और हमेशा एक बेहतरीन कलाकार के रूप में माना जाए। मेरे इस गीत पर ढेर सारे कमेंट्स आये। उनके फैंस और उनकी फैमिली तो बहुत इमोशनल हो गए इस गीत को सुनकर। सबने बहुत प्यार दिया इस गीत को, दरअसल ये प्यार वे मुझे या मेरे गीत को नहीं बल्कि सुशांत को दे रहे हैं। मैंने यह गीत बनाया तो है लेकिन इसे मेरी पूरी टीम का साथ था।
आने वाले समय मे आपकी कौन सी फिल्में और प्रोजेक्ट आ रही है इस बारे में बताइए?
- इस वक्त मेरी कई फिल्मों और वेब सीरीज़ की तैयारियां जोरों पर है और मैं मायापुरी के पाठकों तथा अपने फैन्स को बताना चाहता हूं कि मैं जो भी फिल्म या सीरीज करूंगा सब में मेरी भूमिका एक दूसरे से एकदम अलग होगी। कुछ रिपीट नहीं होगा। मैं बहुत बेसब्री से शूटिंग शुरू होने का इंतजार कर रहा हूं। अब हम सबको कोरोना काल के बावजूद काम पर लौटना ही होगा। सारे सेफ्टी मेथड्स अपनाने होंगे। सारी सावधानियां रखना होगा और वापस हम सबको काम पर लौटना ही होगा सेफ एंड साउंड।
हमारी लोकप्रिय हिंदी फिल्म पत्रिका मायापुरी के बारे में आप कितना जानते हैं?
- मैं तो मायापुरी के बारे में बचपन से ही जानता हूं और देखता भी रहा हूं। मायापुरी बॉलीवुड की सारी सही और भरपूर खबरों के साथ एक कंपलीट फिल्म मैगजीन है। 2008 में, जब मैंने बॉलीवुड में कदम रखा था, मेरे बहुत सारे आर्टिकल्स भी इसमें आए थे। एक बार कवर पेज पर भी मैं छपा हूं। मायापुरी में इंटरव्यू देना गर्व की बात है। कोरोना काल से पहले जब मायापुरी फिजिकल रूप में आती थी तो उसे पढ़ने का मजा ही कुछ और था। एक एक पन्ने पलट पलट कर, एक-एक न्यूज़, इंटरव्यू, अटपटीचटपटी, नटखट, फुल ऑन एंटरटेनमेंट से भरी घटनाएं, एक-एक फोटो देखने का अलग ही मज़ा आता था। अब कोरोना काल की वजह से हम सब मायापुरी डिजिटल देखते हैं और उसमें भी मुझे बहुत मजा आता है। लेकिन फिर भी क्या मायापुरी वापस पत्रिका के रूप में छपने वाली है?
अगर छपे तो मुझे बहुत खुशी होगी।
आप अपने फैन्स और मायापुरी के पाठकों को कुछ और कहना चाहते हैं ?
- मैं मेरे फैन्स और मायापुरी के पाठकों को सबसे पहले धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने मुझे अपना भरपूर प्यार देकर अपनाया है। मैं चाहता हूं कि वे मेरी हिम्मत इसी तरह बनाए रखें। मुझे भरपूर प्यार दे। मेरी फ़िल्में और सीरीज, शोज़, देखें उस पर चर्चा करें। मुझे बताएं कि उन्हें मेरी कौन कौन-सी फिल्में, कौन सी भूमिका अच्छी लगी, क्या अच्छी नहीं लगी। मैं सब कुछ जानना चाहता हूं और मायापुरी के माध्यम से मैं चाहता हूं कि मैं अपने फैन्स के साथ हमेशा जुड़ा रहूं। मैं आप प्रेस वालों का भी बहुत शुक्रगुजार हूं जो हमें अपने चाहने वालों से जोड़ते हैं और उन्हें हमारी हर खबर पहुंचाते है। आप लोगों की जिम्मेदारी मैं हमेशा याद करता हूं।
अध्ययन सुमन को बताते हुए मुझे बेहद खुशी हुई कि मैंने उनके डैडी शेखर सुमन जी से ढेरों बार मायापुरी के लिए इंटरव्यू लिया था और वे मुझे उन दिनों, दूर से देखते ही जोर जोर से “मिस सुलेना मजुमदार मायापुरी पधारी हैं“ कहते थे।