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हमारी वेब सीरीज ‘टब्बर’ का कोई भी किरदार दूध का धुला नहीं है- अजीत पाल सिंह

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By Mayapuri Desk
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हमारी वेब सीरीज ‘टब्बर’ का कोई भी किरदार दूध का धुला नहीं है- अजीत पाल सिंह

कुछ फिल्मों का लेखन, फिल्म गुड़गांव का एसोसिएट निर्देषन करने व ‘रम्मत गम्मत”जैसी कई शोर्ट फिल्मों का निर्माण -निर्देषन करने के बाद हर इंसान के अंदर अंधविष्वास को लेकर जागरूकता लाने के मकसद से पहाड़ों पर कई दषकों  से मौजूद परंपरा “जागर” पर पहली फीचर फिल्म “फायर इन द माउंटेंस” का निर्देषन व लेखन किया, जो कि  अंतरराष्ट्रिय फिल्म समारोहों में धूम मचा रही है। जून 2021 के दूसरे सप्ताह में उन्हे “न्यू न्यूयार्क इंडियन  फिल्म फेस्टिवल” में फिल्म “फायर इन द मांउटेंस” के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देषक के पुरस्कार से अलंकृत किया गया। अब तक वह कई पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। तो वहीं अब अजीत पाल सिंह ने पंजाब के मध्यम वर्गीय परिवार को लेकर क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज “तब्बर” निर्देषित की है, जो कि 15 अक्टूबर से ओटीटी प्लेटफार्म “सोनी लिव” पर स्ट्रीम होगी।

प्रस्तुत है अजीत पाल सिंह से हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंष...

आपकी फिल्म “फायर इन माउटेंस” कब प्रदर्षित होने वाली है?

इसे कई अंतरराष्ट्रिय फिल्म समारोह में काफी पसंद किया जा रहा है। काफी अवार्ड मिल चुके हैं। अभी ब्राजील के फेस्टिवल में जा रही है। फिर इसी वर्ष अमरीका के सिनेमाघरों में भी प्रदर्षित होने वाली है। उसके बाद हम इसे 2022 में ओटीटी पर लेकर आएंगे। अभी 15 अक्टूबर सें मेरे निर्देषन में बनी क्राइम थ्रिलर वेब सीरीज “तब्बर” स्ट्रीम होने वाली है।

वेब सीरीज का नाम ‘टब्बर’ क्यों? पंजाबी तो इसका अर्थ समझ जाएँगे, मगर बाकी लोग जल्दी नही समझेंगें?

इसका नाम टब्बर रखने की वजह लोगों के बीच इसके बारे में जानने या देखने को लेकर उत्सुकता पैदा करना ही है। पंजाबी में परिवार को टब्बर कहते हैं। मगर दूसरे लोगों के मन में इसका अर्थ जानने की जिज्ञासा पैदा होगी। यह वेब सीरीज परिवार की ही कहानी है।

हमारी वेब सीरीज ‘टब्बर’ का कोई भी किरदार दूध का धुला नहीं है- अजीत पाल सिंह

वेब सीरीज “टब्बर” क्या है?

इस वेब सीरीज का जॉनर क्राइम थ्रिलर ही है। पर थोड़ा अलग है। इसमें हमने परिवार के इमोषंस को चित्रित करने के साथ ही पति ओंकार ( पवन मल्होत्रा ) और पत्नी सरगुन (सुप्रिया पाठक) के बीच जो कन्फलिक्ट /टकराव है,उसे भी चित्रित किया है। इनके बीच कन्फलिक्ट /टकराव की वजह यह है कि सरगुन एक बहुत ही ज्यादा धार्मिक औरत है। वह वाहे गुरू से बहुत लगाव रखती है और डरती है। जबकि ओंकार षुरू से ही भगवान से रूठा हुआ है। वह नास्तिक नही है, मगर भगवान से रूठा हुआ है। उसे लगता है कि ईष्वर ने कभी उसका साथ नही दिया। वर्षों बाद जब परिवार में सब कुछ ठीक होने जा रहा है। बड़ा बेटा हैप्पी आई पीएस की पढ़ाई कर रहा है। तभी परिवार में एक बड़ा हादसा हो जाता है यानी कि उनकी जिंदगी में एक बड़ी घटना घटती है। जिससे चीजें पुनः खराब होने लगती है। ऐसे हालात में सरगुन पुनः ईष्वर की षरण में जाकर ईष्वर से मदद मांगने लगती है। जबकि भगवान से रूठा हुआ ओंकार तय करता है कि वह खुद ही सब कुछ ठीक करेगा। वह तय करता है कि मैं खुद ही अपने परिवार को बचाउंगा। मैं खुद ही तय करुगा कि मेरे व मेरे परिवार के साथ क्या हो। इन दोनों की इस अलग अलग सोच के चलते ही परिवार के अंदर कन्फलिक्ट पैदा होता है। इसे हमने अपनी इस वेब सीरीज का केंद्र बनाया है।

इसकी प्रेरणा कहां से मिली?

इसकी कहानी हरमन वडाला ने लिखी है। और यह सोच तो कहानी के अंदर ही थी। इसे पढ़ते हुए मुझे अपने माता पिता के बीच का रिष्ता याद आया। मेरी मां भी ईष्वर भक्त ही हैं। जबकि मेरे पापा अक्सर भगवान से रूठे रहते थे। उनको लगता था कि रब ने उनकी नही सुनी। हमारे परदादा के पास पंजाब में बहुत जमीन थी, पर वह पढ़े लिखे नहीं थे। आजादी के वक्त उनके मुनीम ने सारी जमीन हड़प ली। परिणामतः दादा जी बहुत गरीबी में पले। पापा को लगता था कि हमारे पास इतना सब था, तो वह कैसे कहां चला गया? इसलिए वह सदैव भगवान से रूठे रहते थे। हमने इस रोचक बात को इसमें पिरोया है।

इस कहानी को पंजाब की पृष्ठभूमि में गढ़ने की कोई खास वजह?

पंजाब में सूफीजम है। गुरूबाणी का उपयोग किया है। इसके अलावा ड्ग्स वगैरह भी कहानी का हिस्सा है। देखिए, एक कहानी को किस तरह जमीन से जोड़ा जाए, तो पंजाब में ड्ग्स की समस्या है, इसलिए उसे भी जोड़ा। मै यह नही कहता कि दूसरे राज्यों में नही है। ड्ग्स की समस्या पूरे देष की है, मगर पंजाब में कुछ ज्यादा ही गंभीर समस्या है। जिसकी वजहें काफी सामाजिक व राजनीतिक है। पंजाब की पृष्ठभूमि के चलते हमने वहां के राजनैतिक हालात व सामाजिक परिथितियों को भी रखा है।

तो क्या “टब्बर” में ड्ग्स के साथ ही पंजाब के सामाजिक राजनैतिक हालात पर कमेंट है?

ऐसा हमने काॅषियसली नहीं किया है। हम तो कहानी कहने वाले लोग है। हम तो कलाकार हैं। हम लोग एक्टिविस्ट नही है, समाज के किसी भी मुद्दे पर कमेंट करना एक्टिविस्ट का काम है। हम तो कहानी कहते हैं। हम जो कुछ पंजाब की असलियत जानते हैं, उसे कहानी की जड़ में पिरोया है। मेरी निजी राय में कलाकार के तौर पर सिर्फ कहानी कहनी होती है, किसी को सही या गलत बताना नही। वेब सीरीज देखकर दर्षक सही व गलत तय करेगा।

हमारी वेब सीरीज ‘टब्बर’ का कोई भी किरदार दूध का धुला नहीं है- अजीत पाल सिंह

आपकी पिछली फिल्म “फायर इन माउंटेंस” में नए कलाकार थे, जबकि ‘टब्बर’ में कई दिग्गज कलाकार हैं?

हम हमेषा कहानी,पटकथा व किरदारों को ध्यान में रखकर कलाकारों का चयन करते हैं। अब साठ वर्ष या उससे बड़े माता पिता के किरदार के लिए उत्कृष्ट कलाकार के तौर पर हमें पवन मल्होत्रा व सुप्रिया पाठक ही पसंद आए। पर इसमें नए कलाकार भी हैं। इसके अलावा हैप्पी के किरदार में गगन अरोड़ा थोड़ा सा जाना पहचाना चेहरा है। साहिल मेहता और परमबीर चीमा ने पहली बार किसी वेब सीरीज में अभिनय किया है। पुलिस इंस्पेक्टर लक्की के एक बड़े किरदार में परमबीर चीमा हैं। उसने काफी बेहतरीन काम किया है। डिगी के किरदार में साहिल मेहता ने पहली बार अभिनय किया है। इससे पहले वह माॅडलिंग कर चुके हैं। कई छोटे किरदारों में पटियाला, पंजाब के भी कलाकार है। सार्थक नरुला एनएसडी का लड़का है और पंजाब में थिएटर कर रहा है, वह इसमें छोटे किरदार में है।

इसे कहां पर फिल्माया है?

चंडीगढ़ के पास भट्टी पाड़ा में ज्यादा षूटिंग की है। बाकी मोहाली, पटियाला व  चंडीगढ़ में की है।

वेब सीरीज “टब्बर” देखकर लोग क्या समझेंगें?

हम जो कहना चाहते हैं, वह तो हर एपीसोड की षुरूआत बाबा फरीद के कथन के साथ होती है। बाबा फरीद ने कहा था-”फरीदा जे तॅ अकल लतीफ है,काले लिख न लेख।  अपने गिरेबांन में सिर नवां के देख।” हम कहना चाहते हैं। कि जब आपका मोरल कम्पास हिल जाता है, तो बहुत सारी कीमतें चुकानी पड़ती है। यह वेब सीरीज दर्षकों को निमंत्रण देती है कि आओ, बैठो, देखो और हमारे साथ सोचो क्या सही है और क्या गलत है? इसके सभी किरदार अपनी जगह सही हैं और अपनी जगह गलत हैं। कोई भी किरदार दूध का धुला नही है। सभी ग्रे किरदार हैं। हर किरदार का अपना एक राज है, जो धीरे धीरे सामने आता है।

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