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INTERVIEW: प्यार से बढ़कर कुछ नहीं - आयुष्मान खुराना

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By Mayapuri Desk
INTERVIEW: प्यार से बढ़कर कुछ नहीं - आयुष्मान खुराना
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बॉलीवुड में परंपरागत हीरो की ईमेज से अपने आपको अलग रखते हुए,अलग तरह के किरदार निभाते हुए करियर की गाड़ी को आगे बढ़ाने वाले चंद कलाकारों में से एक हैं आयुष्मान खुराना.करियर की पहली फिल‘विकी डोनर’से लेकर ‘दम लगा के हाईशा’, ‘बरेली की बर्फी’ सहित हर फिल्म में वह कुछ अलग अंदाज में अपनी प्रतिभा को लेकर आए हैं.अब वह ‘विकी डोनर’में निभाए किरदार के ठीक विपरीत किरदार में फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’में नजर आने वाले हैं.

आपकी पिछली फिल्म‘‘मेरी प्यारी बिंदू’को बाक्स आफिस पर सफलता नहीं मिली?

यह एक हल्की फुल्की सैटल किस्म की फिल्म थी. दर्शक हंगामेदार फिल्म देखने के मकसद से सिनेमा घर के अंदर गया होगा,तो उसे निराशा हुई.कई लोगों को फिल्म का क्लायमेक्स पसंद नहीं आया.देखिए,फिल्म की सफलता का कोई फार्मूला नहीं है.इसलिए सफलता असफता आती रहेगी.दूसरी बात मुझे रिस्क लेने में आनंद आता है.मेरी कोई रिस्क कामयाब होगी,कोई नही.इसी तरह से मेरा करियर चलता रहेगा।

‘‘विकी डोनर’’से लेकर अब तक आपकी हर फिल्म विवाह के इर्दगिर्द ही रही है और हर फिल्म में विवाह से जुड़ी कोई न कोई समस्या रही है?

क्यांकि विवाह में दो परिवार जुड़ते हैं,समाज जुड़ता है.परिवारों का मिलन,तनाव और कई तरह के हास्य घटनाक्रम भी घटित होते हैं,जिन्हे हर इंसान बार बार देखना पसंद करता है.इन कहानियों पर बनी फिल्मों में कई रंग होते हैं.‘बरेली की बर्फ’में शादी में कई विसंगतियां नजर आयी.जबकि मेरी अगली फिल्म‘षुभ मंगल सावधान’में तो ऐसा मुद्दा है,जिस पर लोग बात नहीं करना चाहते।publive-image

शुभ मंगल सावधान’में तो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन’की बात की गयी है?इसे करने से आपको हिचक नहीं हुई?

बिलकुल नहीं हुई.मेरी राय में इस तरह के मुद्दों पर बात की जानी चाहिए.यह विषय आज के परिवेश में अति आवश्य है.मुझे हिचक इसलिए नहीं हुई,क्योंकि मुझे अपनी मर्दानगी साबित करने की जरुरत नहीं है.मैं दो बच्चों का पिता हूं.सच कहूं तो इस फिल्म की पटकथा सुनकर मैं काफी प्रभावित हुआ था.मैने 2012 में ‘विक्की डोनर’की थी.अब उसके ठीक विपरीत नामर्दगी पर आधारित फिल्म का आफर है.‘विक्की डोनर’के ठीक विपरीत कॉंसेप्ट वाली फिल्म का मिलना मेरी उपलब्धि ही है.फिर जब पता चला कि इसी विषय परा तमिल भाषा में सफल फिल्म बन चुकी है,तो मेरा उत्साह बढ़ गया.पर मैंने मूल तमिल फिल्म आज तक नहीं देखी.

शुभ मंगल सावधान’के अपने किरदार को लेकर क्या कहना पसंद करेगे?

मेरे करियर में यह दूसरी फिल्म है,जिसमें मैं दिल्ली का लड़का बना हूं.यह अरेंज कम लव मैरिज का मसला है.मैंने मुदित शर्मा का किरदार निभाया है,जबकि भूमि पेडणेकर ने सुगंधा जोशी का किरदार निभाया है.शादी से पहले पता चलता है कि मुदित को डिसफंक्शन की बीमारी है.तब भी सुगंधा पूरे समाज के सामने मुदित का साथ देती है.क्योंकि मुदित व सुगंधा के लिए पर इस समस्या से भी बढ़कर है.मुदित साफ्ट वेअर कंपनी में कम्प्यूटर से जुड़ा काम करता है।

नामर्दगी/नापुसंकता को लेकर लोगों के मन में किस तरह की भ्रांतियां हैं, जो कि इस फिल्म से दूर होंगी?

सबसे बड़ी भ्रांति यही है कि लोग इसे नजरंदाज कर जाते हैं और इस बात करना पसंद नहीं करते.हमारी फिल्म में बताया गया है कि यह किसी को भी हो सकता है.यह बीमारी उसी तरह से है,जिस तरह किसी को भी सिर दर्द या पैर फ्रैक्चर आदि हो सकता है.इंसान को कभी भी कोई भी समस्या हो सकती है.मेरे एक दोस्त का दोस्त है,उसे भी नपुंसकता की समस्या है,जिसके चलते उसका तलाक हो गया.उसने किसी को बताया नहीं.यही उससे गलती हो गयी.हमें इस तरह की बीमारी को लेकर भी खुलकर बात करनी चाहिए,तभी उसका हल मिलता है.डाक्टर को दिखना चाहिए.विज्ञान में इसका ईलाज है.इसी के साथ यह भी बताया है कि ऐसे समय में दोनों के लिए प्यार कितना अहम हो जाता है.ऐसे समय में प्रेमिका या पत्नी का भावनात्मक सहयोग भी काफी हद तक फायदेमंद होता है.पुरूष को टूटना नहीं चाहिए,उसका आत्म विश्वास कम नहीं होना चाहिए, तो भावनात्मक सहयोग और दवा दोनों से वह कुछ समय में ठीक हो सकता है.यह बीमारी सायकोलॉजिकल और फिजिकल दोनो होती है।publive-image

आप क्या संदेश देना चाहेंगे?

मै यही संदेश दूंगा कि अपने प्यार पर भरोसा रखें.प्यार कुछ और नहीं बल्कि आपके कंपेनियनशिप से दोस्ती है.यदि प्यार तो सेक्स से भी उपर है.दूसरी बात इस तरह की बीमारी को बताने से परहेज न करें,खुलकर बात करें,बीमारी दूर हो जाएगी.मैं यही कहना चाहता हूं कि शादी हो चुकी हो या न हुई हो या होने वाली हो,प्यार तो सबसे उपर है.यदि आप दोनों की प्राथमिकता प्यार है,तो आप दोनों साथ में रहते हुए खुश रहे सकते हैं।

पर पारिवारिक व सामाजिक दबाव?

देखिए,हर इंसान की अपनी निजी जिंदगी होती है.हर इंसान को अपनी जिंदगी खुद ही जीनी होती है.किसी के भी माता पिता तो उसकी पूरी जिंदगी जीने में सहयोग नहीं दे सकते,तो इंसान को खुद तय करना होगा कि वह किस तरह की जिंदगी जीना चाहता है.उसकी जिंदगी में किसकी कितनी अहमियत है.प्यार की क्या अहमियत है.

भूमि पेडणेकर के साथ यह आपकी दूसरी फिल्म है.कलाकार के तौर पर आपने उनमें क्या बदलाव महसूस किया?

उसने कमाल का वजन घटाया है.ऐसी कोई अभिनेत्री नहीं मिलेगी, जिसने पहली ही फिल्म में अपने किरदार के लिए अपना वजन बढ़ाया हो,फिर दूसरी फिल्म के लिए वजन घटाया हो.इससे कलाकार के तौर पर उसका अपने काम के प्रति डेडीकेषन नजर आता है.वह बेहतरीन अदाकारा है.मुझे तो उसके साथ दूसरी फिल्म करके खुशी हुई।publive-image

आप एक फिल्म ‘‘मनमर्जिया’’ कर रहे थे?

जी हॉ! हमने उसका एक शेड्यूल किया था. शायद निर्माता व निर्देशक के बीच रचनात्मक मतभेद था,इसलिए बीच में ही बंद हो गयी.अब इस फिल्म का आगे क्या होगा,मुझे पता नहीं है.

इसके बाद?

श्रीराम राघवन की फिल्म में पियानो प्लेअर का किरदार निभा रहा हॅूं.मैं तो एक्शन फिल्म भी करना चाहता हूं.

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