फिल्म ‘न्यूटन’ में अपनी बेहतरीन अदाकारी के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने हम से हुई खास बातचीत में कहा कि नैशनल अवॉर्ड मिलने के बाद, राष्ट्र से मिले सम्मान के बाद जिम्मेदारी बढ़ गई है। अब काम भले कम करना है, लेकिन फिल्मों का चुनाव बेहद सोच-समझ कर करना है। मीडिया भी अब उनके बारे में खूब लिख रही है।
पंकज से लिपिका वर्मा की बातचीत के कुछ अंश :
पंकज का मानना है ,‘‘बार-बार असफलता मिले तो समझना चाहिए कि किसी बड़ी सफलता की तैयारी हो रही है ।’’
नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित करने के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं आप ?
‘नेशनल अवॉर्ड मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। यह सम्मान राष्ट्र का सम्मान है, किसी संस्था या कंपनी का अवॉर्ड नहीं है। मुझे कई लोग कहते हैं कि बहुत लंबे समय के बाद नेशनल अवॉर्ड मिला है। मुझे लगता है सब कुछ समय के साथ होना चाहिए, जैसे किसी गुलाब के पौधे को लगाते ही फूल आ जाए तो शंका होती है कि इतनी जल्दी कैसे फूल आ गए, ठीक उसी तरह जिंदगी में जो भी काम जितने समय के बाद हो रहा है, वह स्वाभाविक है। मैंने 18 साल पॉजिटिव ऊर्जा के साथ खूब काम किया है। अगर जिंदगी में बार-बार असफलता आए तो समझना चाहिए कि किसी बड़े सफलता की तैयारी हो रही है।’ हंस कर पंकज बोले- ‘‘इन दिनों हवाई जहाज के बिजनेस क्लास में भी खूब घूम रहा हूं।’’
आपकी जर्नी लोगों को बहुत प्रभावित करती करती है। क्या कहना चाहेंगे आप ?
‘नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद मेरे अंदर कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन मेरे प्रति लोगों का नजरिया जरूर बदला है। अब बहुत जगह लिखा-पढ़ा जा रहा हूं। मीडिया में लोग खूब बातें कर रहे हैं। आम जनता भी मेरी जर्नी के बारे में जानना-सुनना चाहते हैं। लोग कहते हैं तुम्हारी जर्नी बहुत प्रभावित करती है। मैं तो सिर्फ एक अच्छा अभिनेता बनने के सफर पर निकला था, अब वह कुछ लोगों के लिए प्रेरक कहानी है तो अच्छा लगता है। अब मेरी जिम्मेदारी बढ़ गई है। आगे से फिल्मों के चुनाव में ज्यादा जिम्मेदारी और सतर्कता से काम लूंगा। पिछले साल मैंने 8 से 9 फिल्मों में काम किया था। अब कम और चुनिंदा फिल्मों में काम करूंगा। मेरे लिए अभिनय से ज्यादा जरूरी मेरा परिवार है, पिछले साल परिवार को बिल्कुल भी समय नहीं दे पाया, काम के चक्कर में भागता रहा, लेकिन इस साल मैंने तय किया है कि परिवार के साथ अधिक समय बिताऊंगा।
अपनी जिंदगी के संघर्ष को क्या आप स्ट्रगल मानते है ?
‘‘मैं अपने यहां तक पहुंचने को संघर्ष नहीं मानता हूं। मैंने भारतीय रेल की जनरल बोगी में भी यात्रा की है और इन दिनों हवाई जहाज के बिजनेस क्लास में भी खूब घूम रहा हूं। जब जिंदगी में किसी चीज का अभाव होता है तो हम उससे जूझना सीखते हैं। जैसे गांव की नदी में पुल न होने पर उस पार जाने के लिए तैरना सीख जाते, ठीक इसी तरह जीवन में किसी चीज की कमी से आप कुछ नया सीख रहे होते हैं, यह सीख आपकी ताकत है जो जिंदगी में बहुत आगे पहुंचने में मदद करती है।’’
अपना पारिवारिक बैकग्राउंड के बारे में कुछ बतायें ?
बताते हुए कहते हैं, ‘‘मैं बिहार के गोपालगंज जिला के बेलसंड गांव के एक ब्राह्मण किसान का बेटा हूं। मन में लगा कि अभिनय करना है, तो जी-जान से मेहनत में जुट गया। सब कुछ खुद ही सीखा-समझा और दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में ऐक्टिंग की पढ़ाई मुफ्त में की। उस वक्त ड्रामा स्कूल से मुझे 2000 रुपए महीना का वजीफा मिलता था, अब तो वजीफा 10000 रुपए हर महीने मिलते हैं। बहुत सारे लोगों को पता ही नहीं है कि नेशनल स्कूल में मुफ्त में ऐक्टिंग सिखाई जाती है। वैसे मेरे जैसे और भी कलाकार हैं, जो फिल्मी परिवार से नहीं आए हैं। मैंने तो पहली बार सिनेमाहाल पहली बार तब देखा था जब 10वीं क्लास में था। एक नए सिनेमा हाल का उद्घाटन हुआ था और पिताजी वहां पूजा कराने जा रहे थे, तो साथ में मुझे भी ले गए थे।’’
फिल्म ‘फेमस’ के किरदार के बारे में कुछ बतायें ?
पंकज अपनी रिलीज के लिए तैयार फिल्म ‘फेमस’ के प्रमोशन में जुटे हैं। फिल्म और अपने किरदार के बारे में वह बताते हैं, ‘‘फेमस चंबल की पृष्ठभूमि पर बेस्ड कहानी है। आम जिंदगी में जैसे हर कोई फेमस होना चाहता है, वैसे ही फिल्म में भी कुछ किरदार हैं जो फेमस होना चाहते हैं। मैं फिल्म में खलनायक की भूमिका निभा रहा हूं। आप जब मेरा किरदार फिल्म में देखेंगे तो चिढ़, नफरत और प्यार तीनों भाव मेरे प्रति आएंगे। कई परतों में लिपटा यह किरदार आपको हंसाएगा, रुलाएगा और डराएगा भी।’’
चंबल के कई इलाकों में शूट हुई रोमांटिक, क्राइम और ड्रामे की कहानी ‘फेमस’ में पंकज त्रिपाठी के अलावा जिम्मी शेरगिल, जैकी श्रॉफ, के के मेनन, श्रेया सरण, माही गिल, बिजेंद्र काला और जमील खान जैसे बेहतरीन कलाकार नजर आएंगे। फिल्म का निर्देशन - निर्देशक करन भूटानी ने किया है। यह फिल्म 1 जून को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होगी।